मृदा प्रदूषण पर निबंध - Essay on Soil Pollution in Hindi

पृथ्वी पर मिट्टी अथवा मृदा महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है जो वृक्ष, पौधें, लताएं इन सबके उपस्थिति हेतु आवश्यक तत्व है। मिट्टी है तो अनाज और फल - फूल खिलते हैं। जल तथा हवा की भांति भूमि मानव एवं सम्पूर्ण वन्य प्राणियों हेतु जरूरी संसाधनों में से है। भूमि के उर्वरा से ही फसलें उगाकर अनाज का उत्पादन संभव हो पाता है। मिट्टी का महत्व किसान भलीभांति समझता है वह मिट्टी को उपजाऊ बनाने में खूब मेहनत करता है खाद छिड़ककर मृदा में उपजाऊपन लाकर अनाज बोता है। मृदा प्राकृतिक रूप से प्रदत्त महत्वपूर्ण धरोहर है परंतु मानव के अनुचित गतिविधियों या क्रियाकलापों द्वारा मृदा की गुणवत्ता घटने लगी है मृदा प्रदूषण की समस्या हो गई है। इस लेख के द्वारा हमने मृदा प्रदूषण पर निबंध - Mrida Pradushan Par Nibandh (Essay on Soil Pollution in Hindi) हिंदी भाषा में लिखा है साथ ही इस प्रदूषण के निवारण के बारे मे भी बताया है।

मृदा प्रदूषण पर निबंध हिंदी में - Essay on Soil Pollution in Hindi

मृदा प्रदूषण प्रस्तावना

मृदा अर्थात मिट्टी पृथ्वी की एक महत्वपूर्ण संपदा है जो पेड़ - पौधों तथा वनस्पतियों को सीधा लाभ पहुंचाती है। मिट्टी के एक - एक बारीक कणों से मिलकर भूमि और उससे पूरी धरती बनी है। धरती के मिट्टी में पौधों के लिए आवश्यक तत्व उपस्थित रहते हैं जो उनके वृद्धि एवं विकास में सहायता करते हैं। मिट्टी ना केवल वनस्पतियों की अपितु मानव, वन्य प्राणियों व् पशु - पक्षियों को अप्रत्यक्ष रुप से सहायता करती है। परंतु आधुनिकीकरण के साथ रसायनिक खादों तथा कीटनाशक दवाओं के अत्याधिक उपयोग भूमि पर अपना बुरा असर छोड़ रहे हैं।

औद्योगिक कचरों व् कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ आदि को भूमि में छोड़ने से दिन-ब-दिन मिट्टी प्रदूषित हो रही है। मिट्टी में रसायनिक खादों और जहरीले तत्वों के मिलने से भूमि का उपजाऊपन क्षीण होने लगता है, परिणामस्वरूप भूमि में अवांछनीय तत्वों का घनत्व 

बढ़ने से मिट्टी की पोषकता दुर्बल हो जाती है इस वजह से फसलों का उत्पादन भी कम हो रहा है। मृदा प्रदूषण वह प्रदूषण है जो भूमि की उर्वरता को बुरी तरह प्रभावित करता है जिससे मिट्टी की पोषकता एवं गुणवत्ता काफी हद तक नष्ट हो जाता है।

अब यह समस्या उर्वरकों के अधिक प्रयोगों तथा औद्योगिकीकरण के चलते दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है जो पौधों के वृद्धि में बाधक और फसलों के फलने-फूलने की गति एवं उत्पादकता को घटा रहा है। रासायनिक खादों के अत्याधिक प्रयोग से फसलों में जहरीले (अनुपयुक्त) तत्व की उपस्थिति पाई जा रही है जिसके कारण ऐसे फसलों से प्राप्त अनाज के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल (हानिकर) प्रभाव पड़ रहा है।

मृदा प्रदूषण क्या है (mrida pradushan kya hai)

मृदा यानी भूमि में होने वाले प्रदूषण को मृदा प्रदूषण कहते हैं। वे कारक जो मृदा को हानि पहुंचाते हैं उसे मृदा प्रदूषक कहा जाता है। कृषि क्षेत्र में उर्वरकों के प्रयोग से यह समस्या गंभीर रूप धारण कर रहा है। सड़क निर्माण कार्यों में ठोस पदार्थों का उपयोग वहां के भूमि से उर्वरा शक्ति को क्षीण कर देता है। ठोस सड़क में वर्षा जल अवशोषित नहीं हो पाता और न ही नए पौधे उगते हैं। कारखानों से निकलने वाले काले धुएं आसपास के पौधों पर गलत असर छोड़ते हैं साथ ही ऐसे जगह पे भूमि का रंग काला पड़ जाता है। मिलों के अपशिष्ट पदार्थों के निपटान हेतु उसे आमतौर पर जमीन पर ही फेंका जाता है जो मिट्टी खराब कर देता है। मुख्य रूप से मृदा प्रदूषण कृषि क्षेत्रों में तथा औद्योगिक क्षेत्रों में पाई जाती है क्योंकि ऐसे जगह कीटनाशक और रासायनिक तत्व का प्रयोग होता है जो मृदा के संपर्क में आकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।

मृदा प्रदूषण के कारण -

मृदा प्रदूषण भूमि में जहरीले प्रदूषकों के मिश्रण के कारण होता है जो मृदा में उत्पादकता घटाता है इससे वृक्षों और वनस्पतियों आदि को नुकसान पहुंचता है। मिट्टी को प्रदूषित करने वाले प्रदूषकों से भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों को हानि पहुंचाता है। सम्पूर्ण प्राणी जगत को अनाज या भोजन और समस्त जरूरी चीजें उपजाऊ भूमि से ही प्राप्त होती है। इसी में खेती किसानी कर अनाज बोकर उसे आहार के रूप में खाया जाता है। किन्तु मानव स्वार्थवश धीरे-धीरे करके भूमि में जगह-जगह गंदगी फैला रहा है जो मृदा को प्रदूषित कर रहा है। रासायनिक खाद, कीटनाशक, शहरी अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, रेडियोधर्मी अपशिष्ट, उर्वरक, प्लास्टिक कचरा, सड़े हुए शव, फैक्ट्री से निकलने वाले वेस्ट मैटीरियल आदि। इन प्रदूषकों के मिट्टी में मिलने से मृदा प्रदूषित हो जाता है। कारखाना, दुकान, अस्पताल, बाजार आदि जगहों से भी हर रोज अपशिष्ट चीजें निकलती है जिसे पहले कूड़ेदान में डाला जाता है पर बाद में उस कचरे को भूमि में ही फेंका जाता है। कचरों में ज्यादातर पॉलिथीन कचरा जमा करके जमीन में फेंका जाता है जो अपघटित नहीं होता इस कारण हमारे आसपास प्लास्टिक कचरे बिखेरे पड़े नजर आते हैं। इसी प्रकार के अनेक अनुपुक्त तत्वों का मिट्टी में मिलना मृदा प्रदूषण (soil pollution) का कारण बनता है, मृदा प्रदूषण के अन्य कारण निम्नलिखित हैं -

वनों की कटाई व् शहरीकरण से हो रही मृदा प्रदूषण -

मिट्टी जो है वो पौधे को बड़े वृक्ष बनाने में सहयोग करती है इतना ही नहीं उसके पूर्ण विकास से लेकर सभी जरूरी पोषक तत्वों को ग्रहण करने में भी मदद करती। लेकिन शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण के चलते मानव लगातार अंधाधुंध वनों की कटाई करता जा रहा है जिससे वन संपदा का विशाल स्वरूप सिकुड़ता जा रहा है। जंगल काटकर बस्ती बसाने से वहां के मिट्टी में लगातार घरों से निकलने वाले वेस्टेज मिल रहे हैं जो भूमि को गंदा करके मृदा प्रदूषण बढ़ा रहे हैं।

अपघटित ना होने वाले पदार्थों से मृदा प्रदूषण -

ऐसे पदार्थ जो आसानी से अपघटित नहीं होते उनसे मृदा प्रदूषण बढ़ता है उदाहरण के लिए प्लास्टिक कचरा। चीजें लाने - ले जाने में प्लास्टिक थैली का इस्तेमाल अधिकतर लोग करते हैं और उपयोग के बाद कहीं भी फेंक देते हैं जो सालों तक वैसा का वैसा रहता है वो विघटित नहीं होता मतलब सड़ता या लगता नहीं है इसलिए जमीन पर हर साल पॉलिथिन कचरों का ढेर लगता जा रहा है इससे वातावरण तो दूषित हो रहा है साथ में मृदा प्रदूषण भी हो रहा है।

रासायनिक प्रदूषकों से मृदा प्रदूषण -

अनाजों व फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए आवश्यक है की मिट्टी की उत्पादकता हमेशा बनी रहे लेकिन कीटनाशकों, उर्वरकों और रासायनिक खादों के अधिक छिड़काव से मिट्टी खराब होने लगता है जिसकी वजह से फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे भी भूमि प्रदूषण हो रहा है।

जैविक घटकों द्वारा मृदा प्रदूषण -

जैविक घटक जैसे कि शैवाल, कवक, केचुएँ, घोंघे, नेमाटोड, मिलीपैड, प्रोटोजोआ, आर्थ्रोपोड और मिट्टियों में पनपने वाले बैक्टीरिया आदि छोटे और सूक्ष्म जीव मिट्टी के फिजिकल, केमिकल और बायोलॉजिकल गुणों को एफेक्ट करके कहीं न कहीं मृदा प्रदूषण का कारण बनते हैं।

प्राकृतिक रूप से मृदा प्रदूषण -

मानवीय क्रियाकलापों के अलावा प्राकृतिक रूप से भी मृदा प्रदूषण हो सकता है। जब अम्लीय वर्षा होती है तो मृदा की अम्लीयता बढ़ने से मानव और जलीय जीवो पर बुरा असर पड़ता है। भूमि की गुणवत्ता घट जाती है इसके चलते फसलों का पर्याप्त विकास नहीं हो पाता क्योंकि वहां की मिट्टी प्रदूषित हो जाती है।

विस्फोटकों से मृदा प्रदूषण -

तकनीकी के साथ ही मानव ने युद्ध के लिए कई हथियार इजात कर लिया है जैसे परमाणु बम, हाइड्रोजन बम ये बहुत खतरनाक परमाणु हथियार होते हैं जो धरती पर प्रलय ला सकते हैं इनके फटने से धुंआ धुंआ हो जाता है और प्रदूषक कणों के बड़े क्षेत्रफल में फैलने से इसके आसपास का वातावरण खराब हो जाता है मृदा भी दूषित हो जाता है इस वजह से पेड़ और पौधों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। विस्फोट बड़ा हो या छोटा उससे वातावरण प्रदूषित होता ही है उसके हानिकारक कण हवा, धूल और मिट्टी में मिलने से मृदा प्रदूषण भी हो जाता है।

मृदा प्रदूषण के स्त्रोत -

इस दुनिया में कई ऐसे कारक हैं जो मृदा प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है जैसे घरेलू अपशिष्ट। जब लोग घरों के टूटे-फूटे सामान या वस्तुओं जैसे पानी बोतल टूटा प्लास्टिक की बाल्टी आदि इन सब को बाहर फेंक देते हैं जो यूं ही पड़ा रहता है। इससे वातावरण में गंदगी फैलती है। औद्योगिक कूड़ा करकट भी मृदा प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है। वहीं खनिज तेल निकालते समय कभी कभी तेल जमीन में गिर जाता है और उसे संदूषित कर देता है। नगरपालिका अपशिष्ट भी भूमि प्रदूषण का प्रमुख कारण है क्योंकि इसके अंतर्गत घरेलू अपशिष्ट, सार्वजनिक रूप से एकत्रित अपशिष्ट, सड़कों से और बाजारों से एकत्र किए गए अपशिष्ट आदि सम्मिलित हैं, जिसमें स्वाभाविक सी बात है प्लास्टिक कचरा भी होगा जिसका निपटान कठिन है मतलब वातावरण में प्रदूषण तो बढ़ेगा ही। कृषि कार्य के उपरांत पुआल, घांस फूंस आदि का सही से निपटान न करने पर वह बारिश में गीले होकर सड़ जाते हैं तो इससे भी प्रदूषण हो जाता है लेकिन यह समय बहुत गंभीर नहीं है क्योंकि आमतौर किसान फसल काटने के बाद पुआल को पशुओं के लिए एकत्र करके रखते हैं और उन्हें चारे के रूप में खिलाते हैं। इन कारणों के अतरिक्त और भी संदूषक है जो मिट्टी को प्रदूषित करते हैं।

मृदा प्रदूषण के प्रभाव -

आज प्रकृति में अनेक स्थानों पर कचरों का बड़ा ढेर लगा है जो प्रकृति में मौजूद मनुष्यों के अलावा पेड़-पौधों और जंतुओं पर भी बुरी तरह प्रभाव डालते हैं। जब भूमि में किसी जगह अपशिष्ट जमा हो जाता है तो फिर वहां कुछ समय बाद दुर्गन्ध आने लगता है। जहां दुर्गंध आती है वहां मच्छर पनपने लगते हैं और वातावरण और अशुद्ध हो जाता है। मृदा प्रदूषण सबसे ज्यादा छोटे बच्चों को प्रभावित करता है क्योंकि वे ही अधिक मैदानी खेलों में हिस्सा लेते हैं अगर वहां के मिट्टी में अवांछनीय तत्व मिले हो तो इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है कुछ मामलों में त्वचा में एलर्जी भी हो सकती है। मृदा प्रदूषण से प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेड़ - पौधे आदि को नुकसान झेलना पड़ता है। विषैले तत्वों का मिट्टी में मिश्रण उसकी उत्पादकता कम करने के साथ खेती से जुड़े कार्यों को भी प्रभावित कर रहा है। 

मृदा प्रदूषण को रोकने के उपाय -

भूमि प्रदूषण धीरे धीरे करके गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है इसलिए इसके निवारण पर विचार करना आवश्यक हो गया है। यह एक इंसान के बस की बात नहीं बल्कि लोगों में जागरूकता फैलाकर इसे कम किया जा सकेगा। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन करना होगा मृदा प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। जगह जगह कचरा फैलाना बंद करना होगा, बाजारों से उत्पाद लाने में कपड़े की थैली का उपयोग, कचरों का उचित निपटान करना जो प्रदूषण की समस्या कम कर सकती है इन सबका अनुसरण करना होगा। लोग चीजों का उपयोग करके तुरंत फेंक देते हैं जैसे प्लास्टिक कचरा तो हमें रीसाइक्लिंग और पुन: उपयोग करने वाले चीजों का इस्तेमाल करना होगा इससे आसपास कम कचरा इकट्ठा होगा। वायु और मृदा प्रदूषण कम करने के लिए यह भी जरूरी है की हर इंसान साल में कम से कम एक पौधा लगाए उसका यह कदम पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करेगा।

उपसंहार -

जिस मिट्टी में हम जन्मे हैं, जहां खेलकर बड़े हुए हैं भारत में उसे मातृभूमि कहा जाता है आज वो प्रदूषित हो गई है। गांवों में भोर 4-5 बजे महिलाएं जल्दी उठकर घर - आँगन और गौशाला की साफ-सफाई करके कचरे व गोबर को खाद बनाने के लिए गड्ढे में डाल देते हैं ऐसा करने से गांव की माटी काफी हद तक शुद्ध रहती है। लेकिन शहरों में लोगों को साफ सफाई के प्रति जागरूक करना पड़ता है। ऐसा नहीं है की उन्हें पता नहीं है हर कोई जानता है की गंदगी से ही रोग उत्पन्न होते हैं बावजूद इसके हम अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे। स्वस्थ जिंदगी के लिए आसपास के परिवेश को स्वच्छ रखना होगा हमें स्वच्छता की ओर अपना ठोस कदम बढ़ाना होगा।

FAQs - मृदा प्रदूषण के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (Answers to frequently asked questions about Soil pollution)

Q1. मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं?

Ans - भूमि में विषाक्त पदार्थों का मिलना या अवांछनीय तत्वों के मिलने से भूमि के गुणवत्ता में कमी आना मृदा प्रदूषण है।

Q2. मृदा प्रदूषण के 3 मुख्य स्रोत क्या हैं?

Ans - मृदा प्रदूषण के 3 मुख्य स्रोत या कारण निम्न हैं -

  1. खेतों में उर्वरकों का अधिकता में उपयोग करना।
  2. कल - कारखाने से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों का भूमि में विसर्जन या भूमि में मिलना।
  3. हानिकारक तत्वों का मृदा में मिलना जो मिट्टी की उपजाऊपन कम करते हैं।

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