वन संरक्षण पर निबंध - Van Sanrakshan Par Nibandh in Hindi

वन संरक्षण कितना महत्वपूर्ण हो गया है यह हमें भलीभांति ज्ञात है वन संसाधन खत्म होने से वनौषधि और जंगल से मिलने वाले समस्त चीजें नष्ट होती जा रही है। वन बचाव किया जाना बहुत आवश्यक हो गया है। हम इस लेख में वन संरक्षण पर निबंध - Van Sanrakshan Par Nibandh (Essay on Forest Conservation) लिख रहे हैं इसके जरिए आपको जानकारी देंगे की मानवों, वन्य प्राणियों और पारिस्थितिक तंत्र के लिए वन संपदा का क्या महत्व है? 

वन संरक्षण पर निबंध हिंदी में - Van Sanrakshan Par Nibandh Hindi Mein

वन संरक्षण पर निबंध - Van Sanrakshan Par Nibandh in Hindi

प्रस्तावना 

वन महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है जो भूमि के बड़े हिस्से को ढका हुआ है। भूमि के लगभग 30% भाग जंगलों से आच्छादित है। जंतुओं पक्षियों का मुख्य आवास स्थल वन ही है इसमें पृथ्वी के ज्यादातर प्रजातियां निवास करते हैं।धरती के विशाल क्षेत्रफल में पेड़ पौधों के घने आवरण को वन कहते हैं। भूमि के विभिन्न हिस्सों में वन के अलग - अलग प्रकार पाए जाते हैं। वनों से मानव को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से लाभ मिलता है जंतु एवं मानव बहुत सारी चीजों के लिए वन संसाधनों पर आश्रित हैं। जंगल वातावरण को संतुलित रखते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके धरती में शुद्ध ऑक्सीजन की उपलब्धता क़ायम रखते हैं। वन्य प्राणियों को आश्रय इसी से मिलता है। मानवों के दैनिक जीवन के चीजों की समुचित आपूर्ति में वनों का महत्वपूर्ण योगदान है, इससे दियासलाई, गोंद, जड़ी - बूटी, आयुर्वेदिक औषधियां आदि प्राप्त होता है। वनों से आच्छादित क्षेत्र में भरपूर वर्षा होने से पर्याप्त जल उपस्थित रहता है। वन पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से रोकते हैं, शुद्ध प्राणवायु देते है। जंगल समस्त जंतुओं तथा मनुष्यों के लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमूल्य धरोहर है। जंगलों की अंधाधुंध कटाई के बजाय हमें वनों का संरक्षण करना चाहिए।

वन संरक्षण क्या है? (Van Sanrakshan Kya Hai)

वन संरक्षण का अर्थ वनों को विभिन्न कारकों द्वारा नष्ट होने से बचाना है। आबादी बढ़ने के साथ लोग वनों पर ज्यादा आश्रित हो रहे हैं, नगरीकरण और बस्ती बसाने के लिए पेड़ काटे जा रहे है फलतः विशाल वन क्षेत्रफल घटता जा रहा है, वन बचाव के उपाय अपनाते हुए जंगलों के पड़ों की निर्दयता से कटाव को रोककर तथा वृक्षारोपण के जरिये वन संपदा के क्षय को रोका जा सकता है।

वनों का महत्त्व (Importance of Forests in Hindi)

कहा जाता है की वन ही जीवन है क्योंकि विश्व के समस्त प्राणी कई जरूरतों के लिए वनों पर ही निर्भर है, जंगलों से वन्यप्राणी को आश्रय और मानव को औषधि प्राप्त होता है। वन में तरह - तरह के वृक्षों का विशाल आवरण जहां रंग बिरंगे फूल, लाभप्रद औषधियां, आहार रूप में कंदमूल और स्वादिष्ट फल मिलते हैं।

धरती पर उपस्थित सभी वृक्ष - पौधे साँस लेने के लिए शुद्ध हवा देकर पूरे मानव जाति को अनुकूलित वातावरण प्रदान करते हैं। अनेकों उद्योग वन संसाधन पर पूरी तरह आश्रित हैं, दरवाजा, फर्नीचर, टेबल, सोफे, पेंसिल व् खेलों के लिए आवश्यक सामग्री जैसे हॉकी, स्टंप, बल्ला आदि बनाने वाले उद्योगों में लकड़ी की अधिक मांग है।

बहुत से उद्योगों में कच्चे माल की आपूर्ति वनों से हो पाती है, वनों पर निर्भर उद्योगों द्वारा कई चीजें बनाकर देशभर में पहुंचाया जाता है, वन संसाधनों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य को लाभ मिलता ही है। जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा वनों से ईमारती लकड़ी, वनस्पति व् जलाऊ लकड़ी प्राप्त करता है।

वन बादलों को अपनी ओर खींचते है और वन्य क्षेत्रों में अच्छी वर्षा कराते हैं। वृक्षों के जड़ें मिट्टी को जकड़े रखते हैं इस कारण धरती के जिन हिस्सों में वन पाए जाते हैं वहां भूमि क्षरण नहीं होता। यह ग्रीनहाउस गैस को अवशोषित करके वातावरण संतुलित रखते हैं।

पहाड़ों से गिरने वाले झरनों का प्रवाह बनाए रखने में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके छाया से छोटे - बड़े जलकुंड सूखते नहीं उनमें जल संरक्षित रहता है। जहां घने जंगल हो वहां जल की उपलब्धता अधिक होती है। वृक्ष गर्मी के दिनों में छांव देकर ठंडक महसूस कराते हैं। भारत में तो पेड़ - पौधों की सदियों से पूजा होती है।

वनों के विभिन्न प्रकार (Different Types of Forests)

पृथ्वी में वन पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को कायम रखते हैं दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह के वन पाए जाते हैं। जलवायु के अनुसार विभिन्न स्थानों में विविध किस्म के पेड़-पौधे उगते हैं।

1. वर्षावन (Rainforests)

वर्षावन वे जंगल हैं जहां जोरदार बारिश होती है ये बड़े क्षेत्रफल में बहुत घने वृक्षों का समूह है जहां पशु-पौधों कीटों के अनेकों प्रजातियां पाई जाती है। अधिकतर प्राकृतिक औषधियां इसी वन से प्राप्त होते होते हैं। धारती में 28 प्रतिशत ऑक्सीजन की आपूर्ति तो केवल वर्षावनों से हो जाती है। वर्षावन दो तरह के हैं उष्णकटिबंधीय वर्षावन और समशीतोष्ण वर्षावन।

2. ऊष्णकटिबंधीय वर्षा वन (Tropical Rainforests)

पृथ्वी पर भूमध्य रेखा के समीप स्थित यह अत्यंत घने वनों में से एक है। ये वन इतने घने हैं की सूरज की रौशनी जंगल के भू-स्तर पर नहीं पहुंच पाती क्योंकि वहां पत्तियों की छाया बनी रहती है। इस वन के पेड़ों के पत्ते हमेशा हरे रहते हैं इसका कारण यह है की ऊष्णकटिबंधीय वर्षा वन में हर साल अधिक वर्षा होती है जो इस वन को उन्नत बनाते हैं। भूमध्य रेखा के निकट स्थित होने की वजह से ज्यादा बरसात होने के बावजूद भी वहां का तापमान अधिक रहता है। पशुओं और पौधों की अनेकों प्रजातियां इस वन में आश्रय लेते हैं। वैसे तो ये विशाल वनों में गिने जाते हैं जहां संसार की 80% जैव विविधता पाई जाती है परंतु मानव गतिविधियों के चलते उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन का स्वरूप सिकुड़ता जा रहा है।

3. उप-उष्णकटिबंधीय वन (Sub-tropical Forest)

उपोष्णकटिबंधीय जंगल धरती पर उष्णकटिबंधीय वनों के उत्तर और दक्षिण में पाए जाते हैं। इस क्षेत्रों के पेड़ - पौधों को गर्मी दिनों में अनुकूलित वातावरण मिलता है। ये वन उत्तरी अमेरिका, एशिया के पूर्वी तटीय इलाकों में और ओशिनिया के कुछ भागों में पाए जाते हैं। जलवायु विज्ञानी Glen G. Trewartha के मुताबिक उप-उष्णकटिबंधीय इलाकों में साल के आठ महीने 10 °C या उससे अधिक का तापमान रहना ही चाहिए।

4. समशीतोष्ण वर्षावन (Temperate Rainforest)

ऐसे वन समशीतोष्ण वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। समशीतोष्ण वन, वर्षावन का ही एक प्रकार है, उत्तरी अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्कॉटलैंड, यूरोप, तुर्की आदि देशों में समशीतोष्ण वन देखे जा सकते हैं।

5. शीतोष्ण शंकुधारी वन (Temperate Coniferous Forest)

शीतोष्ण शंकुधारी वन शीतोष्ण इलाकों में पाया जाता है। इस वन में अच्छी वर्षा होती है तथा गर्मी में गर्म और शीत ऋतु में ठंडक का अनुभव होता है अनुकूलित वातावरण मिलने की वजह से वनों के वृक्ष जीवित रहते हैं। बहुधा शीतोष्ण शंकुधारी वन अपने पत्ते एकसाथ नहीं खोते अर्थात इनमे सदाबहार गुण होते हैं। 

6. शंकुधारी वन (Coniferous Forest)

जिन जंगलों में शंकुधारी वृक्ष अधिकता में पाए जाते हैं उसे शंकुधारी वन कहा जाता है। हिमालय पर्वतीय बर्फीले क्षेत्रों में शंकुधारी वृक्ष उगते हैं जो ऊंचे और सीधे होते हैं। नुकीली पत्तों वाले शंकुवृक्ष भी सदाबहार होते हैं, वहां तापमान बहुत कम होता है इस कारण पेड़ों का सामना बर्फ से होता है। वायु-मंडल शीतल होने की वजह से शंकुधारी वन सूखते नहीं, ये शंकुवृक्ष हजारों वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। उत्तरी अमेरिका, रूस, साइबेरिया और एशिया समेत विश्व के विभिन्न हिस्सों में शंकुधारी वन पाए जाते हैं। भारत के हिमाचल प्रदेश में भी शंकुधारी जंगलें हैं। देवदार नामक वृक्ष भी एक शंकुधारी पेड़ है। 

7. सदाबहार वन (Mangrove Forest)

सदाबहार वनों में ऐसे पेड़ - पौधे आश्रय लेते हैं जो सभी मौसम में हरे भरे होते हैं। इन वनों के वृक्षों के पत्ते पूरे साल घने रहते हैं। सदाबहार वनों के वृक्ष भी अपने पत्ते गिराते हैं लेकिन सभी पत्ते एकसाथ नहीं गिरते, कुछ पत्ते गिरते हैं तो कुछ उगते रहते हैं इसलिए सदाबहार जंगल में हर साल हरियाली छाई रहती है। शरद ऋतु में पतझड़ वाले वृक्ष से पत्ते झड़ जाते हैं जबकि सदाबहार वृक्षों के पत्ते कभी साथ में नहीं झड़ते इनकी यही विशेषता सदाबहार वृक्षों को भिन्न बनाती है। सदाबहार पेड़ों की वजह से ही सदाबहार जंगल की उत्पत्ति हुई है। नींबू, नीम और चीकू ये सदाबहार वृक्ष के ही उदाहरण हैं।

8. पतझड़ या पर्णपाती वन (Deciduous Forests)

इस प्रकार के वन हर साल शरद ऋतु में अपने पत्ते खो देते हैं, जिस मौसम में पत्ते झड़कर गिरते हैं उसे पतझड़ भी कहा जाता है। अलग-अलग हिस्सों में गर्मी दिनों में भी वृक्ष के पत्ते गिरते हैं। पर्णपाती जंगल दो तरह के हैं, नम पर्णपाती वन जो आर्द्र क्षेत्रों में तथा शुष्क पर्णपाती वन जो संयुक्त राज्य अमेरिका, उत्तर पूर्वी चीन, न्यूजीलैंड और पश्चिमी यूरोप में पाए जानेवाले वन है। पर्णपाती वन जैव विविधता को कायम रखने, जलवायु नियंत्रण तथा जानवरों का आवास प्रदान करता है। ये समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाए जाते हैं। भारत मे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में पतझड़ वृक्ष देखे जा सकते हैं।

9. पर्वतीय वन (Mountain Forest)

वे जंगल जो किसी पर्वत में पाए जाते हैं उसे पर्वतीय वन कहा जाता है। पर्वत में तापमान काफी गिर जाता है इस कारण इन वनों में ठंड की अनुभूति होती है। भारत में ये जंगल हिमालय और दक्षिण भारत के हिस्सों में पाई जाती है। इस तरह के जंगल से होते हुए कई झरने और झीलें बहते हैं जिनके जल शीतल होते हैं। बरसातों में भरपूर वर्षा होने के साथ पर्वतों के ऊपर बादल रहते हैं जो घने धुंध बनाते हैं। पर्वतीय वन जानवरों का प्रमुख आवास स्थल है जिसमें हिरन, याक, जंगली भेड़, खरगोश, तेंदुआ, गिलहरी, पांडा व् भालू आदि जंगली जानवर पनाह लेते हैं।

10. भूमध्य वन (Mediterranean Forest)

भूमध्य जंगलें सदाबहार प्रकृति वाले होते हैं जो सालभर हरे - भरे रहते हैं।  इसके पेड़ से मुलायम और मजबूत लकड़ियां प्राप्त किया जाता है। ये जंगल भूमध्यसागरीय इलाकों तथा समुद्रतटीय क्षेत्रों में अधिकता में पाए जाते हैं। भूमध्यसागरीय वनों की बात करें तो इसके वृक्ष चौड़े पत्तों वाले होते हैं।

वनों से मानव को लाभ (Benefits of Forests to Humans)

पृथ्वी पर जंगल की उपस्थिति जैव विविधता, जीव जंतुओं की मौजूदगी और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखते हैं। वनों से मानवों को हमेशा लाभ हुआ है वन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य को फायदा पहुंचाते हैं सदियों से संपूर्ण मनुष्य जाति वन संपदा का उपयोग करते आ रहे हैं।

वनों से होने वाले प्रत्यक्ष लाभ -

प्राचीन काल से ही वनों का मानव एवं वन्य प्राणियों के लिए बहुत बड़ा महत्व रहा है, इसने सदैव मानव को जरूरत की चीजें मुहैया कराई लेकिन मनुष्य ने हमेशा से ही वनों को नष्ट किया है। जड़ी-बूटियां रोगी की तबियत में सुधार लाते है, आयुर्वेदिक उपचार में वनों का महत्व चमत्कारी है। पुराने समय में जंगल फल और आहार का मुख्य स्रोत था, अब भी चार का फल, तेंदू फल, बेर और जामुन पेड़ जंगलों में अधिक पाए जाते हैं। 

गांव के निवासी अक्सर बांस की टोकरी बनाने, दोना - पत्तल सीलने में, दातुन के लिए और ईंधन हेतु वनों के जलाऊ लकड़ी पर आश्रित रहते हैं। उद्योग - धंधों में कच्चे माल की आपूर्ति जंगलों से हो रही है फर्नीचर, टेबल, दरवाजा, प्लाई इत्यादि बनाने में लकड़ी इस्तेमाल होता है। 

वनों से हमें रबर, कागज, लाख, गोंद, माचिस तीली, अगरबत्ती, वनस्पति, चंदन लकड़ी, इमारती लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं इसके बावजूद लोग स्वार्थवश नगरीकरण कर बस्ती बसाने और मार्ग निर्माण के लिए पेड़ों को काट रहे हैं। 

धरती में पाए जाने वाले वनस्पतियों का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा वनों में ही है। प्रत्यक्ष रूप से वन जंगली जानवरों को भी लाभ पहुंचाते हैं अनुकूल वातावरण देने के साथ रहने के लिए पर्याप्त आवासीय क्षेत्र प्रदान करते हैं। वनों से कई प्रकार की वन औषधियां जैसे आंवला, बहेरा, हर्रा, ऐलोवेरा, सतावर, सफेद मूसली आदि प्राप्त होती है।

वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ -

वन देश के आर्थिक स्थिति में सुधार लाते हैं वे किसी न किसी रूप से जंगलों से कई प्राकृतिक संसाधन प्राप्त करते हैं। जंगलें हमारी पृथ्वी के भूमि से मिट्टी के क्षरण को रोकते का काम करते हैं तथा जल-चक्र को नियंत्रित रखते हैं। धरती के सभी जंगलें जैवमण्डल का महत्वपूर्ण अंश होते हैं।

वन मनुष्य और जंगली जानवरों को जीवनदान देते हैं इससे वायुमंडल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपस्थित हो पाता है जिसके वजह से प्राणी शुद्ध स्वांस ले पाते हैं, यदि वनों का अस्तित्व नहीं रहेगा तो पृथ्वी पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में अधिकता आएगी जो मानव स्वास्थ्य को हानि पहुंचाएगा, अतः शुद्ध प्राणवायु के लिए वनों का होना अनिवार्य है।

वनों के और हमारे आसपास के पेड़ - पौधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस लेकर हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं। जंगल वातावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण में पेड़ के अभाव से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है जबकि जिन हिस्सों में वन बहुतायत में पाए जाते हैं वे प्रदूषण मुक्त क्षेत्र होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण से मानवों में गंभीर रोग उत्पन्न होने लगते हैं, शरीर में शुद्ध वायु प्रवेश नहीं कर पाता इसलिए स्वांस से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती है, पेड़-पौधे प्रदूषण कम करते हैं अतेव यह हमें बहुत सारी घातक बीमारियों से भी बचाते हैं।

धरती पर सूखे की समस्या को वन दूर करते हैं जहां घने जंगल होते हैं वहां भूमिगत जलस्तर ऊपर रहता है। वनों में ठंडी हवाएं चलती है जब बादल इसके ऊपर से गुजरते हैं तो वह उसी ठंडे हवा के साथ संघनित हो जाते हैं इसलिए जंगल एवं पर्वत के ऊपर घने बादल छा जाते हैं फलतः वन क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है।

वन संसाधनों का उपयोग (Use of Forest Resources)

मनुष्यों द्वारा वन संसाधनों का जीवनपर्यंत उपयोग किया जाता है, प्रत्येक मनुष्य वन संपदा / संसाधनों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उपयोग करता है। सदियों से लेकर अब तक मानव धीरे - धीरे करके वन का विनाश करने में लगा है लेकिन फिर भी इससे निरंतर जरूरत के सामान मिलते रहते हैं, अगर जंगलें नष्ट होती रही तो वो दिन दूर नहीं जब शुद्ध वायु के लिए लोग तरसेंगे, जंगलों पर मात्र मनुष्य नहीं अपितु समस्त वन्य प्राणी पूर्णतया आश्रित हैं, यह प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करते हैं।

वनों की कटाई की समस्या (Problem of Deforestation)

आज पृथ्वी पर वनों की अंधाधुंध कटाई से जैव विविधता पर प्रभाव तथा मौसम परिवर्तित हो रहा है। मानव तथा वन्य प्राणियों का बहुत बड़ा हिस्सा वन पर आश्रित है, वन हमें जीवन दान देता है, जल की पर्याप्त उपस्थिति बनाए रखने में ये महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, अब तो लोग शिक्षित होने के बावजूद जंगलों की कटाई करने में लगे हैं प्रारंभिक समय से अब तक धरती का आधा जंगल समाप्त हो गया है। जंगल मानवहित के लिए कितना महत्वपूर्ण है इससे हम अच्छी तरह से वाकिफ हैं, अगर जंगल कटते रहेंगे तो शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिलेगा, पृथ्वीलोक में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ने से मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक असर नजर आएंगे। जंगलों का लगातार कटाई पूरे मानव व् प्राणी जगत का गंभीर मसला है।

वनों में मौजूद लाखों - करोड़ों पेड़ों से कई देशों में नियमित वर्षा होती है, अगर ये कटते रहें तो इनकी मौजूदगी घटने से वर्षा में कमी और जलवायु परिवर्तित हो जाएगी, धरती में वर्षा की कमी से भूमि बंजर रूप ले लेगी। कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैस की मात्रा बढ़ने लगेगी भूमि का तापमान कई गुना बढ़ने से जीवों का अंत होने लगेगा, अनुचित मानवीय गतिविधियों से जंगल का अस्तित्व खतरे में है यदि जंगलें नष्ट हुए तो ऑक्सीजन में कमी आयेगी और सांस लेने में दिक्कतें आएगी। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से हमें जूझना पड़ता है इसका कारण भी वनों की अंधाधुंध कटाई ही है।

वनों की कटाई के कारण (Due to Deforestation)

जंगलें काटे जाने का कारण मनुष्य की जरूरतें हैं लोग जंगल से ही दातुन, वनस्पति और बांस की लकड़ी लाते हैं। इमारती लकड़ी से पूरा घर बनाया जाता है, टेबल, कुर्सी, सूफा, टोकरी ये सब मानव की जरूरत के सामान हैं। जलाऊ लकड़ी के लिए कच्चे लकड़ी काट दिए जाते हैं, उद्योग धंधों हेतु जंगली क्षेत्रों में कारखाने स्थापित किए जाते हैं इसलिए बड़े हिस्से के ऊंचे पेड़ों को काटना पड़ता है। सड़कों के बीच आने वाले जंगलों में से बहुत सारे पेड़ मशीनों द्वारा काटा जाता है। 

वनों की कटाई का परिणाम (Result of Deforestation)

आज मनुष्य भले ही निर्दयता से वनों की कटाई कर रहा हो परंतु इसका दुष्परिणाम आने वाले समय में हमारी पीढ़ी को झेलना पड़ेगा। घने वनों की कटाई से वातावरण परिवर्तित होगा, वर्षा में कमी आयेगी और धरती गर्म होगी ज्वालामुखी विस्फोट होने लगेंगे इससे पर्यावरण में जहरीला धुआं घुल जाएगा जो इंसानों की कठिनाई बढ़ाएगा। धीरे-धीरे करके वृक्ष कटते रहेंगे तो वन समाप्ति के साथ ही प्राणवायु कम होगी जो जीव जंतुओं, पशु पक्षियों के स्वास्थ्य और मनुष्य की तबियत पर बुरा प्रभाव डालेंगे। वनों की कटाई से कई जानवर बेघर हो जाएंगे और निवास स्थान ढूंढने के लिए इंसानी बस्ती में डेरा जमा लेंगे इससे वे इंसानों पर हमला कर सकते हैं। 

कई ग्रामीण क्षेत्रों में हाथी, भालू, तेंदुए जैसे जानवर भोजन की तलाश में आ जाते हैं क्योंकि वहां के लोग जंगल काट कर उसे छोटा बना रहे हैं इस स्थिति में जंगली जानवर जाए तो जाए कहां? वन कटाई का नकारात्मक असर मानवों पर पड़ेगा क्योंकि वन खत्म होंगे तो वर्षा कम होगी, इससे अनाज की खेती करना कठिन होगा, कम अनाज के चलते इसकी आपूर्ति मुश्किल हो जायेगा और लोग भोजन के लिए तरसेंगे।

भारत में वनों की स्थिति (State of Forests in India)

भारत में वनों की स्थिति काफी अच्छी है कई राज्य जैसे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और अरुणाचल इन प्रदेशों में वन अधिक पाए जाते हैं। भारत में उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन बहुतायत में मौजूद है। यहां के जंगलों में साल, महुआ, हर्रा, आंवला आदि वृक्ष मिलते हैं। साल और महुआ स्थानीय लोगों के लिए आय का स्रोत है इनके फल को बेचा जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में पौधरोपण कर खेती की जाती है जैसे आम जामुन और काजू आदि, इन पेड़ों के फल बेचकर लोग मुनाफा कमाते है साथ में हमारे पर्यावरण को भी लाभ मिलता रहता है। भारत में वृक्षारोपण को भी महत्व दिया जाता है इसलिए कई हिस्सों में हरियाली देखी जा सकती है जो पर्यटक केंद्र बनता है।

यहां के जंगल और वृक्षों से भरा आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर तथा यह संख्या कुल भौगोलिक क्षेत्रफल (geographical area) का लगभग 24.62% है। साल 2019 की रिपोर्ट की तुलना में 2021 में जारी किए गए रिपोर्ट में वन क्षेत्रों में अधिकता पाई गई है।

वन संरक्षण के उपाय (Forest Conservation Measures)

वन संरक्षण का सबसे अच्छा तरीका वृक्षारोपण अथवा पौधरोपण करना है। जंगलों का क्षेत्रफल घटने लगा है इसलिए वहां अब पेड़ लगाने होंगे। आसपास के पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधरोपण करते रहना होगा। वन कटौती में कमी तथा वृक्ष रोपण अधिक करना होगा। गर्मी दिनों में जंगलों में आग लग जाती है, प्राकृतिक या मानवों द्वारा वनों में आग लगने पर रोक लगाना आवश्यक है। पक्की सड़कें बनाने में वन क्षेत्र प्रभावित न हो इसका ध्यान रखना होगा। पेड़ पौधों का विस्तार करने हेतु शहर और गांवों के लोगों को जागरूक करके उन्हें वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करना होगा। वनों की कटाई से क्या दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं इसके बारे में आम जनता को बताना जरूरी है। वन धरती का श्रृंगार है जो विशेष स्थान में स्थित रहकर अपना सकारात्मक प्रभाव प्रकृति पर डालकर उसे प्राणियों के रहने लायक बनाते हैं अतः मनुष्य का भी परमकर्तव्य है की वह अपना महत्वपूर्ण योगदान वनों का विस्तार करने में दे। प्राणी जगत को वनों से मिलने वाले फायदे सर्वकालिक मिलते रहे इसके लिए हर साल हर व्यक्ति द्वारा वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। ऋषि-मुनियों एवम् शास्त्रों द्वारा वृक्षारोपण को यज्ञ समान माना जाता था अतेव पहले वृक्ष उगाएं जाते थे इसलिए हमें भी छोटे बच्चों में उत्तम संस्कार सहित पौधे लगाने की अच्छी आदत डालनी चाहिए।

वन संरक्षण के लाभ (Benefits of Forest Conservation) 

  • वन संरक्षण से संपूर्ण प्राणी जगत को फायदा पहुंचता है यह न केवल वायुमंडल को बल्कि मानव तथा वन्य प्राणियों का जीवन भी संभव बनाता है।
  • वन संरक्षण से हमें और पूरे जगत को संतुलित परिवेश मिलता है। धरती पर अच्छी वर्षा के लिए वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • अच्छी बरसात से मिट्टी में नमी बनी रहती है, किसान खेती का काम कर पाता है, नए पौधें उग पाते हैं। ये जमीन की मिट्टी के क्षरण को रोककर रखते हैं तथा जमीन को बंजर होने से बचाते हैं।
  • वन धरती का तापमान बढ़ने और रेगिस्तानी इलाकों में वृद्धि को रोकते हैं। भूमंडल में जल की उपलब्धता बनाए रखने और जलकुंड को सूखने से रोकने में वन सहायक होते हैं।
  • वन संरक्षण ग्लोबल वार्मिग से बचाते हैं साथ में इसके हानिकारक प्रभाव जैसे जंगलों के वृक्षों में आग लगना, ज्वालामुखी का फटना आदि को रोककर रखते हैं।
  • मवेशियों के लिए पर्याप्त भोजन का मुख्य स्त्रोत वन ही है। वन संरक्षण से हजारों - लाखों प्रजातियों को विलुप्त होने से रोका जा सकता है।
  • वन संरक्षण से जंगली जानवरों को आश्रय स्थल उपलब्ध होता है इसका लाभ मनुष्यों को भी मिलता  है उन्हें अनुकूलित वातावरण देता है।
  • वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी नहीं रहती, यह ग्रीनहाउस गैसों के मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को रोकता है।
  • इमारती लकड़ी तथा उद्योगों के लिए लकड़ी की आपूर्ति वनों से होती है। वन संरक्षण से मानव स्वास्थ्य सुधार हेतु लाभकारी औषधियां प्राप्त होता है।
  • ग्लेशियर का पिघलना, वायु की शुद्धता में कमी आना, पेड़ के पत्ते जलने की समस्या उत्पन्न होना, भूमि बंजर होना और पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ना, इन सभी समस्याओं से बचने के लिए वन का संरक्षण जरूरी है।

उपसंहार

वन प्रकृति द्वारा मनुष्य तथा समस्त वन्य प्राणियों को दिया गया अनोखा भेंट है। यह हमें जीवनदान देता है, पक्षियों को घोंसला बनाकर निवास करने तथा हाथी, शेर, भालू, याक, हिरण, खरगोश, तेंदुआ आदि जानवरों को एकमात्र आश्रय स्थल उपलब्ध कराते हैं। पेड़-पौधे धरती का महत्वपूर्ण अंश है जो अकेला प्राणिमात्र को नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के वायु-मंडल में ऑक्सीजन उपस्थित रखता है जो जीवों में प्राणधारण हेतु अतिआवश्यक है। मानव वन संपदा का महत्व जानते हुए भी वनों का विध्वंश कर रहा है। बेसोचे-समझे कटाई से जंगल का स्वरूप घटता जा रहा है, परिणाम स्वरूप ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण प्रदूषण, वायुमंडल में दूषित तत्वों का मिलना और व्यक्ति में स्वांस संबंधित रोग उत्पन्न होना ये सभी दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जंगलों से प्राप्त सभी संसाधनों का मनुष्य ने भरपूर उपयोग किया, हजारों-लाखों वृक्ष गिराए, वन क्षेत्रफल भी घटाया, परंतु अब समय वृक्षारोपण कर वन संरक्षित (Van Sanrakshan) करने का है, ऐसा करके हम जीव जंतुओं को निवासस्थान, आने वाली पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन और प्राकृतिक आपदा से पृथ्वी की सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।

वन संरक्षण पर 10 लाइन (10 Lines on Forest Conservation)

1. वन हमारी पृथ्वी का महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है।

2. धरती पर उपस्थित समस्त जीव जंतु तथा प्राणी को उपयुक्त वातावरण वनों में मौजूद पेड़ पौधों की वजह से मिलती है।

3. यह हमें अनुकूलित वातावरण देता है। इससे सांस लेने के लिए वायुमंडल में पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहती है।

4. वनौषधि और वनस्पति प्राप्त करने का वन एकमात्र स्रोत है इसके अत्यंत गुणकारी जड़ी बूटी से रोग दूर होते हैं।

5. जैव विविधता को बनाए रखने में जंगलों का महत्वपूर्ण योगदान है।

6. जंगल वातावरण को शुद्ध रखते हैं तथा जंगली जानवरों को रहने के लिए पर्याप्त आश्रय देते हैं।

7. दैनिक जरूरतों के लिए मनुष्य वनों निर्भर है, वन हमें आहार, औषधियां, जलाऊ लकड़ी, गोंद, रबर आदि प्रदान करते हैं।

8. बिना वनों के पृथ्वी पर जीवन की कल्पना व्यर्थ है इसके बगैर प्राणी का अस्तित्व असंभव है।

9. लोग वनों की कटाई करके जंगलों की संख्या घटा रहे हैं जो बिल्कुल सही नहीं इससे आने वाले पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिलेगा।

10. जंगल इस धरती का अमूल्य धरोहर जिसे बनने में कई सौ सालों का वक्त लगता है इसलिए इसका संरक्षण हमारा कर्तव्य है।

FAQs - वन संरक्षण पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (Answers to frequently asked questions on forest conservation)


1. वन क्या है? (What is Forest in Hindi)

उत्तर - पृथ्वी का वह स्थान जहां वृक्षों की मात्रा अधिक है जो अनेकों पेड़ों से अच्छादित है उसे वन या जंगल कहा जाता है। वन प्राकृतिक धरोहर है जो पृथ्वी में प्राणवायु का संचार करते हैं। जानवरों को रहने का स्थल प्रदान करते हैं। इसमें प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है वन प्राकृतिक औषधालय भी है जहां अनेकों रोगों के उपचार हेतु लाभकारी व् कष्ट-निवारक औषधियां उपलब्ध रहते हैं।

2. वन संसाधन क्या है? (What is Forest Resource)

वन अपने आप में एक मूल्यवान संसाधन है जिसे प्रकृति ने प्राणी जगत को भेंट स्वरूप दिया है। ऑक्सीजन, भोजन, वन्यजीव - जंतुओं को आश्रय, ईंधन, लकड़ी उद्योग व् दैनिक जरूरतों की आपूर्ति इत्यादि में वन सहायक संसाधन है।

3. भारत के सबसे व्यापक वन कौन से हैं?

उत्तर - उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन हैं।

4. वन संरक्षण से क्या लाभ है?

उत्तर - वन हमें ईंधन हेतु लकड़ी और इमारती लकड़ी उपलब्ध कराते हैं इसके वजह से जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र संतुलित रहता है। जंगल की भूमि में नमी इसी की वजह से बनी रहती है पृथ्वी में अच्छी वर्षा होने के लिए घने वनों का होना जरूरी है। जंगलें जीवन के लिए प्राणवायु और अनुकूलित पर्यावरण को बनाए रखते हैं।

5. वन संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर - संरक्षण दिवस या अंतरराष्ट्रीय वन दिवस मार्च महीने के 21 तारीख को मनाया जाता है इसका उद्देश्य जनजागृति कर वन रोपण हेतु जनता को प्रोत्साहित करना होता है।

6. भारत में वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तर - वनों से मिलने वाले संसाधनों का फायदा उठाते रहने तथा वायुमंडल में पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने के लिए भारत में वन संरक्षण जरूरी है, यह प्रदूषक को भी रोकता है इससे ना केवल मनुष्य अपितु समस्त प्राणी जगत के जीवन को लाभ मिलता रहेगा।

7. भारत में वन का क्या महत्व है?

उत्तर - जलाऊ लकड़ी, इमारती लकड़ी और लकड़ी वाले उद्योग में टेबल, कुर्सी, सजावटी सामान आदि बनाने में भारत के लोग वनों पर निर्भर हैं यह औषधि प्राप्त करने का उचित स्थान है।

8. वनों की कटाई से क्या हानि होती है?

उत्तर - जंगल की स्वरूप घटता जाता है, पर्यावरण में ऑक्सीजन कम और कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ता है फलतः भूमि का तापमान में वृद्धि से ग्लोबल वार्मिग की समस्या आ खड़ी होती है। जंगलें करने से प्राणवाय में कमी होने की वजह से मानव जीवन संकट में आ सकता है।

9. वन का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर - धरती के किसी स्थान पर वृक्षों के विशाल आवरण को वन कहा जाता है इसे दूसरे नाम जंगल से भी जाना जाता है तथा इसका अंग्रेजी नाम फॉरेस्ट है।

10. वन कौन सा संसाधन है?

उत्तर - वन अमूल्य प्राकृतिक संसाधन है जो धरती पर अनुकूलित वातावरण और जीवन को संभव बनाते हैं।

अंतिम शब्द

वनों के अस्तित्व को बनाए रखने में मनुष्य अपना योगदान दे सकता है इसके लिए अतिआवश्यक है की सभी जागरूक हों। प्रति वर्ष वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए तथा हर एक आदमी अपने हाथों से पौधा रोपकर उसकी देखभाल करे, इससे व्यक्ति को अहसास होगा की पौधे को विशाल वृक्ष बनने में कई सालों का वक्त लगता है अतः उसे स्वार्थ के लिए काटना उचित नहीं। इस लेख के माध्यम से वन संरक्षण पर निबंध - Van Sanrakshan Par Nibandh के बारे में जानकारी दी गई है उम्मीद करता हूं आपको वनों का महत्व पता चला होगा अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा तो अपने मित्रों के साथ भी शेयर कर दें। धन्यवाद!

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