मेरा घर पर निबंध हिंदी में - Essay on my home in Hindi

व्यक्ति के लिए घर कितना महत्वपूर्ण ये सब जानते हैं क्योंकि मनुष्य चाहे जहां भी हो शाम को घर लौटता ही है, घर से हर व्यक्ति को लगाव होता है आज इस लेख में मेरा घर पर निबंध हिंदी में - Essay on my home in Hindi पढ़ने वाले हैं।

मेरा घर पर निबंध हिंदी में - Essay on my home in Hindi

मेरा घर पर निबंध हिंदी में - Essay on my home in Hindi
मेरा घर पर निबंध हिंदी में


परिचय: 

मनुष्य के लिए घर अत्यंत आवश्यक निवास स्थान है जिसमें वह थक हार कर विश्राम कर सकता है, व्यक्ति को सुकून अपने ही घर में मिलता है जहां वह उसके परिवारवालों के साथ रहता है।

वह बहुत खुशनसीब है जिसके पास रहने को घर है, घर में जो शांति की अनुभूति होती है वह कहीं और नहीं, जब हम दिन भर काम करके घर लौटते हैं तो हम उसमें आराम करते हैं। दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं किन्तु हमारे घर में जो सुकून मिलता है वह कहीं और नहीं।

घर कई तरह के बनाए जाते हैं इनके निर्माण से पहले घर का नक्शा तैयार किया जाता है बाद में श्रमिक नींव बनाता और फिर एक-एक ईंट जोड़कर पूरा घर का वास्तविक स्वरूप तैयार करता। घर को बनाने में ईंट, पत्थर, सीमेंट, बालू, मजबूत छड़, तार, दरवाजे, खिड़की इत्यादि की आवश्यकता पड़ती है पहले इन सभी चीजों का प्रबंध किया जाता है बाद में घर बनना शुरू होता है।

कच्चे घर या मकान

हमारे देश में बहुत से गांव हैं जहां पर कच्चे मकान स्थित हैं जिसे कच्चे ईंटों को गीली मिट्टी से जोड़कर खड़ा किया जाता है, उसके छत में लकड़ी को व्यवस्थित करके कांटी से लगाया जाता और उसके ऊपर मिट्टी के पक्के खपरे लगाते हैं जो बारिश के दिनों में घर की रक्षा करता है। जिस प्रकार मिट्टी के बने पक्के मटके या घड़े में पानी रखने से वह जल को एकत्रित कर लेता है, उसका दीवार पानी को रुक कर रखता है ताकि पानी बाहर न आए उसी तरह कच्चे घरों में खपरा भी तेज बारिश के पानी को रोक देता है जिससे पानी घर में नहीं आता।

पक्के घर / मकान

पक्के मकानों की दीवार पक्के मजबूत ईंट और सीमेंट की बनी होती है इनके दीवारों व् छत को बनाने में छड़ का उपयोग भी होता है। इस तरह के घर के निर्माण में अनुभवी इंजिनियर और श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। पक्के मकान को मनचाहा रूप दिया जा सकता है इसलिए अलग - अलग डिजाइन वाले घर आज के वक्त में बनाए जा रहे हैं। इनके दीवार को को समतल बनाया जाता है ताकि रंग-रोगन का काम आसानी से हो। जहां पर स्थान छोटा होता है वहां पक्के मकान बनाना फायदेमंद होता है क्योंकि इस तरह के घर में कई छत बना सकते हैं, ऊंचे इमारतों के निर्माण के लिए पक्के मकान की जरूरत होती है। घरों के फार्स को सीमेंट से पक्का कर दिया जाता है टाइल्स बिछाकर उसे और आकर्षक बना दिया जाता है।

लकड़ी के घर

कई तरह के घर सुविधा एवं आवश्यकता अनुसार निर्मति किए जाते हैं जहां संतुलित वातावरण होता है वहां पर कच्चे मकान और पक्के मकान बनते हैं लेकिन जिन जगहों पर बर्फ जमता है ठंडी होती है ऐसी जगह पे लकड़ी को जोड़कर घर बनाएं जाते हैं क्योंकि ये इसे वातावरण में गर्म रहते हैं। लकड़ी वाले घर उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाकों में देखें जा सकते हैं, हमारे देश में दर्शनीय स्थल के मार्ग पर लकड़ी वाले घर नजर आ जाते हैं इसके अलावा कई देश थाईलैंड, म्यांमार, इंडोनेशिया, अमेरिका इत्यादि में भी लकड़ी से आवास के लिए घर बनाएं जाते हैं।

घर की बनावट

घर निवास का स्थान है जिसकी बनावट अलग अलग हो सकता है क्योंकि लोगों की जरूरत और आवश्यकता अलग अलग हो सकती है। घर की बनावट सामान्यतः चौकोर रहते हैं लेकिन अगर स्थान का अभाव हो तो ऐसी स्थिति में ऊंचे बिल्डिंग बनाए जाते हैं जिसमें एक से अधिक छत बनाए जाते हैं। कई ऐसे घर भी हैं जो त्रिकोण डिजाइन और लंबे आकार वाले होते हैं। घर बनाने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है की उस घर में कितने कक्ष, कितने दरवाजे, कितने खिड़कियां और कितनी सुविधाएं होंगी।

साधारण घरों का स्वरूप चौकोर होता है जिसके दीवाल पर खिड़की लगे होते हैं प्रत्येक रूम के अलग अलग दरवाजे, और बालकनी के गमले लगे होते हैं, मनपसंद अनुसार घर को सजाया जाता है।

मेरा घर कैसा है?

मैं छोटे से गांव में निवास करता हूं इसलिए मेरा घर कच्चे मकान का है जो बहुत छोटा किन्तु सुंदर है, उसकी छत खपरे के हैं, हमारे घर के चारों तरफ ऊंची दीवार बनाई गई है जिसमें लताओं के पत्ते बिछे हुए हैं। मेरे घर के लिए एक मुख्यद्वार बनाया गया है जहां पर रंग बिरंगे फूल के पौधे लगे हैं, हमारा घर पक्का तो नहीं है किंतु इसके फर्स पर गोबर से लिपाइ की गई है जो वातावरण को शुद्ध करता है, हमारे घर के ठीक बगल में हमने छोटा गौशाला बनाया है जहां पर गाय, बैल बांधते हैं। घर के आंगन के बीचों बीच एक तुलसी चौरा जिसमें तुलसी का पौधा लगाया हुआ है जिसमें हर रोज जल अर्पण किया जाता है।

घर एक ऐसी जगह है जो किसी मंदिर से कम नहीं, वास्तव में घर उसे कहते हैं जहां पर एक साथ पूरा परिवार रहे क्योंकि "परिवार से ही घर बनता है।"

हमारा घर छोटा है लेकिन उसमें कुल 8 लोग रहते हैं, घर में चार 5 कक्ष उपलब्ध हैं जिनमें चार विश्राम कक्ष और एक रोसोई घर है। बाथरूम के बगल में बाथरूम की सुविधा भी है।

परिवार के सभी सदस्य घर-आंगन को साफ सुथरा रखते हैं, आंगन में किनारे पर कूड़े का डब्बा रखा है जिसमें कूड़े का सामान डाल देते हैं।

त्योहारों के दिनों में खासकर दिवाली में घर को नए रंग से रंगा और सजाया जाता है, लाइटिंग की जाती है, पारंपरिक सजावटी जैसे दीप प्रज्ज्वलित की जाती है जिससे हमारा घर जगमगा जाता है।

उपसंहार

घर जो पूरे परिवार से मिलकर बनता है उस घर में सुकून नहीं मिलता जिसमें परिवार नहीं रहते, यदि घर में परिवार है तो छोटा घर भी किसी स्वर्ग से कम नहीं होता हम चाहे दुनिया के किसी भी कोने पर चले जाएं हमें घर में ही सुकून मिलता है देश विदेशों की यात्रा करने के बाद विश्राम करने का आनंद अपने घर में ही आता है।

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