स्वास्थ्य ही जीवन है पर निबंध हिंदी में | Swasthya hi jeevan hai Essay in Hindi | Health is Life Essay in Hindi

-: सारांश :-

Swasthya hi jeevan hai Essay in Hindi - स्वास्थ्य ही जीवन है पर निबंध के जरिए आपको स्वास्थ्य महत्व का पता चलेगा। अस्वस्थ होने से व्यक्ति एवं उसके सगे-संबंधी भी चिंतित हो जाते हैं, घर-गृहस्थी चलाना मुश्किल हो जाता है। परिवार में आर्थिक संकट आ जाता है। जीवन भर अगर व्यक्ति  स्वस्थ है तो वह खुशनसीब है क्योंकि वह धन कमा सकता है, शौक पूरे कर सकता है। वहीं रोगी व्यक्ति को स्वस्थ होने तक इंतजार करना पड़ेगा। दैनिक जीवन में अस्वास्थ्यकर भोजन, धूम्रपान जैसी बुरी आदतों के चलते स्वस्थ बिगड़ रहा है। स्वास्थ्य सुधारने, जीवनभर हेल्दी लाइफ जीने के लिए व्यायायम करना सकारात्मक सोच आदि जरूरी है।

स्वास्थ्य ही जीवन है पर निबंध - Swasthya hi jeevan hai essay in Hindi

स्वास्थ्य ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Swasthya hi jeevan hai Essay in Hindi
Health is Life Essay in Hindi


व्यक्ति के लिए स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि तभी वो सुख शांति का अनुभव कर पायेगा। जीवन में चाहे जितनी धन संपत्ति हो लेकिन अगर स्वास्थ्य साथ न दे तो वो किसी काम का नहीं इसलिए कहा जाता है "स्वास्थ्य ही जीवन है" स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक होता है संयम रखना, खान पान पर नियंत्रण करना, इस दुनिया में जंक फ़ूड कंज्यूम करने वालों की संख्या काफी बढ़ी है जहां पहले घर की दाल, रोटी, चावल खाते थे वहीं अब बाहर की तली भुनी, अधिक मसालेदार भोज्य पदार्थ से लोगों को लगाव हो गया है, अत्यंत स्वादिष्ट फूड से जीभ में स्वाद तो आता है लेकिन इससे हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इन्हीं आदतों के चलते आज के युवा तुरंत बीमार पड़ जाते हैं। पहले बच्चे धूल मिट्टी में खेलने के बावजूद बीमार नहीं पड़ते थे लेकिन अब घर में बैठे बैठे बुखार, ठंड से सर्दी-जुकाम आ जाते हैं। बाहर के अनहेल्थी फूड ने मानव स्वस्थ पर प्रभाव डाला है बच्चों में जंक फूड, पैक्ड फूड खाने की लत लग गई है, ऐसे फूड हेल्दी नहीं होते इससे व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता घटती जा रही है। ये तो बात हुई खान पान की अगर अस्वास्थ्यकर भोजन करेंगे तो स्वास्थ्य बिगड़ेगा।

साफ-सफाई का ध्यान न रखना भी जीवन में स्वस्थ न रहने का एक कारण है, जहां देखों वहां आज कचरा फैला है, मनुष्य केवल अपने घर-आंगन को चकाचौंध करता है और कूड़ा-करकर घर के अगल-बगल फेंक देता है, कूड़ेदान में भी नहीं डालता, उस कूड़े में मक्खी बिनभिनाते हैं और वही मक्खी घरों मे आकर भोज्य पदार्थों में बैठते हैं और उन्हें दोषित करते हैं, रोग का एक कारण गंदगी भी है इसलिए तो कहते हैं "गंदगी है जहां रोग है वहां"। 

साफ-सुथरा क्षेत्र गांवों को माना जाता है जहां माताएं-बहनें भोर में उठकर झाड़ू-पूछा लगा लेते हैं, कचरे, गोबर को गड्ढे में डालते हैं जो बाद में खाद बनता है, उसका उपयोग मिट्ठी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में किया जाता है। 

आज बढ़ती तकनीकी के कारण गांव इलाकों के लोग भी आधुनिक (कृत्रिम) उपकरणों पर आश्रित हो रहे हैं। गांव में जन्में युवक भी अब मोबाइल के आदि हो चुके हैं इसलिए ज्यादातर वक्त फोन में बीता देते हैं, फोन से निकलने वाली रेडियस हमारे हेल्थ को हानि पहुंचाता है। पहले जहां गांव के लोग चुस्त-दुरुस्त हुआ करते थे उनमें अब स्फूर्ति नहीं रहा। पहले के बुजुर्ग आदमी आज के जवान व्यक्ति से ज्यादा स्फूर्ति वाले थे, उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता भी अधिक थी इसलिए बीमारी उनके आसपास नहीं भटकती थी।

अब गांव का मजबूत दिखने वाला व्यक्ति भी बीमार पड़ता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जा रही है। गांवों में घर आंगन को स्वच्छ रखा जाता है किन्तु बाहर गंदगी फैलाते हैं जो बीमारी फैलाते हैं। तालाब-पोखरा ये हर गांव में होते हैं जहां गांव वाले कपड़े धोते हैं, पशुओं को नहलाते हैं इससे पानी प्रदूषित हो जाता है, बाद में उसी में स्नान भी करते हैं जिस कारण स्वास्थ्य रोग होते हैं।

शहरी क्षेत्र अथवा महानगरों की बात करें तो वहां भी प्रदूषण के चलते कई लोग बीमार पड़ रहे हैं। कल-कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैस जब वायुमंडल में घुल जाती है तब वह साँस के जरिए मानव के शरीर में चली जाती है, शुद्ध वायु न मिलने के कारण हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकते हैं, वायु प्रदूषण की समस्या ज्यादातर शहरी क्षेत्र में देखने को मिलती है। मानव स्वास्थ्य जीवन के लिए प्राणवायु की शुद्धता अनिवार्य है लेकिन जहां कारखाने का विषैला धुवां ऊपर उठती हो वहां शुद्ध वायु कैसे मिलेगा? जहां कल-कारखानों का गंदा पानी जल में घुलता हो और उसी पानी का उपयोग स्थानीय निवासियों द्वारा किया जाता हो उनका स्वास्थ्य कैसे ठीक रहेगा? जहां कूड़े-करकट, अपशिष्ट पदार्थ जहां-तहां फेंक दिया जाता हो वहां का वातावरण शुद्ध कैसे रहेगा? और जहां वातावरण / पर्यावरण दूषित होगा वहां के लोग कैसे स्वास्थ्य जीवन जीएंगे।

यादि मनुष्य जाति स्वस्थ नहीं रहेगा, रोग से ग्रसित रहेगा तो इससे दरिद्रता फैलेगी क्योंकि जब व्यक्ति बीमारियों से जूझता है तो केवल वह नहीं बल्कि उनके परिजन भी चिंतित हो जाते हैं। हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि बिना हेल्दी लाइफस्टाइल के व्यक्ति रोगमुक्त नहीं हो सकता, इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत नहीं कर सकता, डिप्रेशन से बाहर नहीं आ सकता, स्फूर्ति महसूस नहीं कर सकता इसके लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाना होगा।

भागदौड़ भरी दिंजगी में किसी के पास खुद के लिए वक्त नहीं होता दिन भर भागदौड़ में समय बीत जाता है। हमारा शरीर इंजन की तरह है जिसे मेंटेनेंस की जरूरत भी पड़ती है, अगर मेहनत से काम करेंगे तो विश्राम भी आवश्यक है, पसीना बहाएंगे तो पौष्टिक आहार लेना भी जरूरी है, यदि पूरा दिन चिंतित रहे तो माइंड को रिलैक्स महसूस कराना भी आवश्यक है इसके लिए रोज सुबह कम से कम 10-15 मिनट मेडिटेशन, योग एवं व्यवयाम किया जा सकता है।

स्वस्थ जीवन शैली के लिए आवश्यक है की सोने से पहले मोबाइल को खुद से दूर रख दिया जाए, नियम बना लें की रात 9:00 बजे के बाद फोन को हाथ नहीं लगाएंगे, ऐसा करने से नींद जल्दी आयेगी। जल्दी सोने की वजह से जल्दी उठना आसान हो जाएगा। सूर्योदय से पहले उठकर रोज दौड़ लगाना, योग करना, खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पीना, दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीना, समय से हेल्दी नाश्ता एवं भोजन करना, ओवरइटिंग से बचना, जंक फूड के सेवन से बचना, धूम्रपान से हमेशा दूर रहना, अच्छी नींद लेना, सकारात्मक विचार रखना, ओवरथिंकिंग से बचना, फलों को धोकर खाना, मिलावटी मिल्क से बचना, आसपास स्वच्छता बनाए रखना इत्यादि हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए आवश्यक हैं।

बच्चों पर अभिभावकों को विशेष ध्यान देना होगा, ज्यादातर बच्चे जंकफूड कंज्यूम करते हैं, कितनों को अनहेल्दी खाने की आदत हो गई है। अनहेल्दी जीवन शैली से बच्चों में इम्यूनिटी घटती जा रही है। यही कारण है की बच्चे हल्के ठंड से, जरा सी बारिश में भीगने से सर्दी, खांसी, बुखार के चपेट में आ जाते हैं। बच्चे घंटों तक स्मार्टफोन पर लगे रहते हैं उन्हें बाहर खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान देना होगा जो फिटनेस के लिए जरूरी है। कई बच्चे स्कूल में सो जाते हैं नींद पूरी न होने की वजह से ऐसा होता है। खेलकूद से बच्चों का मन प्रफुल्लित रहता है। बच्चों को नींद भी अच्छी आती है। 6-13 साल के बच्चों को 9 से 11 घंटे नींद लेनी चाहिए वहीं किशोरावस्था को 8 से 10 घंटे, वयस्क को 7-9 घंटे नींद लेना चाहिए। स्वस्थ जीवन के लिए उचित समय पर सोना, अच्छी नींद लेना और जल्दी उठना महत्वपूर्ण है।

स्वास्थ्य बिन जीवन – स्वास्थ्य के बिना जीवन व्यर्थ है। चाहे व्यक्ति के पास करोड़ों रूपये हो किंतु यदि वह स्वस्थ नहीं तो पैसे किसी काम के नहीं। स्वास्थ्य के साथ आज के युवा खिलवाड़ करते हैं नशीली पदार्थों का सेवन करते हैं लेकिन वह नुकसानदेह है। अगर स्वास्थ्य बिगड़ गया तो जिंदगी बोझ सी लगने लगेगी। यदि स्वास्थ्य सही नहीं तो घर पर आर्थिक संकट आ जाता है, पैसों की किल्लत झेलनी पड़ती है। अंग्रेजी में कहते हैं न 'हेल्थ इज वेल्थ' (Health is Wealth) मतलब 'स्वास्थ्य ही धन है' यह बिल्कुल सही है क्योंकि अगर व्यक्ति का स्वास्थ्य साथ दे तो वह धन कमा सकता है।

ज्यादातर लोग अपने आप को कोसते रहते हैं की उनके पास कुछ नहीं, लेकिन उनके पास स्वस्थ जीवन है इसलिए उन्हें खुद को खुशनसीब मानना चाहिए क्योंकि स्वस्थ रहकर वे जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं, मेहनत करके, काम करके धन कमा सकते हैं। वास्तव में उन्हें खुश रहना चाहिए जो रोग से पीड़ित नहीं हैं, उनके पास अवसर है कुछ करने, कुछ बनने, खुश रहने का।

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आखरी शब्द - इस लेख में आपने स्वास्थ्य ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Swasthya hi jeevan hai Essay in Hindi पढ़ा। अगर स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर चले तो लोग कम बीमार पड़ेंगे और हेल्दी लाइफ जियेंगे।  यदि इस पोस्ट में आपने कुछ सीखा तो इसे जरूर शेयर करें। a

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