बैल पर निबंध हिंदी में - Essay On Ox In Hindi Language
बैल बहुत उपयोगी पशु है किसान परिवार में इसका बहुत महत्त्व है। इसकी उचित देखभाल करके खेती - किसानी का काम किया जाता है। किसान खेत जोतकर उसमें अनाज उगता है जो कुछ महीनों में लहलहाने लगता है आनाज उगाने में बैल का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। बरसात के बाद नमी मिट्टी में हल चलाने के लिए दो बैल की जरूरत पड़ती है जिसे हल के साथ बाँध देते हैं। किसान एक हाथ में डंडा लेकर हल चलाने लगता है। बैल बुद्धिमान होते हैं इसलिए जब किसान खेत में दाएं - बाएं मुड़ने या रूकने को कहता है तो वह वैसा ही करता है।
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निबंध 1. (400 शब्द) बैल पर निबंध हिंदी में - Essay On Ox In Hindi
बैल किसान का परममित्र होता है जो फसल उगाने में अपना योगदान देते हैं। निस्वार्थ भाव से हर साल कृषि कार्य में सहयोग करते हैं। यह अपने मालिक के वफादार होते हैं।
बैल के चार पैर, दो आँखें, दो सींग, दो कान और लंबी पूंछ होती है। भारत में प्रायः काला, भूरा और सफेद रंग रूप वाले बैल देखे जा सकते हैं। यह घोड़े के जितना बड़ा होता है लेकिन इनकी गति उससे धीमी रहती है।
बैल का वैज्ञानिक नाम प्रिमिजिनियस टारस है। इसे नंदी भी कहा जाता है क्योंकि नंदी बैल भगवान शिव की सवारी है।
पुराने समय में बैलों की मदद लेकर सामान ढोकर एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जाता था इस कार्य के लिए दो बैल को बैलगाड़ी के साथ बांध देते थे और वह सामान को खींचते हुए दूसरे स्थान पर पहुंचा देते थे।
प्राचीन काल से बैल का उपयोग खेतों में हल चलाने में किया जाता है इसके द्वारा ही बंजर भूमि हरियाली हो जाता है।
यह किसान परिवार के लगभग हर घर में पालतू पशु की तरह रहता है। यह हरा-भरा घांस चरता है, अनाज, भूसा और पुवल खाता है अतः यह एक शाकाहारी पशु है।
इसके गोबर से उपले बनाए जाते हैं जो ईंधन में काम आते हैं। गोबर के उपले बेचकर लोग मुनाफा भी कमाते हैं। गाय तथा बैल के गोबर का प्रयोग आंगनों की लिपाई पुताई में होता है। संशोधन से पता चला है की गोबर में विटामिन बी 12 प्रचुर मात्रा में मौजूद है। यह कई रोग को ठीक करने का काम करते हैं। गोबर का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है इससे कृषि के लिए खाद बनाया जाता है जो मिट्टी को उर्वरा बना देते हैं।
बैल सांढ से काफी मिलता जुलता है लेकिन इनके स्वभाव में अंतर पाया जाता है जैसे सांढ बैल से अधिक आक्रामक होते हैं जबकि बैल शांत स्वभाव के होते हैं। खेत में हल चलाने के लिए बैल की मदद ली जाती है सांढ की नहीं।
पोला पर्व जिसे भादो माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है उस दिन बैलों का श्रृंगार कर उसकी पूजा होती है इस त्यौहार का किसानों के लिए बहुत बड़ा महत्व है।
बैल के शरीर पर भालू की तरह घने बाल नहीं होते, यह अधिक बोझा ढोने में सक्षम है घंटो तक धान की मिसाई में परिश्रम कर सकते हैं। एक बैल 300 से 500 किलो वजनी होता है। बैल की आयु 20 से 25 (लगभग) वर्षों की होती है।
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निबंध 2. (500 शब्द) बैल पर निबंध - Essay On Ox In Hindi Language
बैल सरल स्वभाव वाला एक वफादार पशु है। पुराने समय पर आवागम के साधन नहीं थे इसलिए लोग पैदल या फिर बैलगाड़ी पर बैठकर जाते थे यह यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करता था। आज वाहनों का अत्यधिक उपयोग होने लगा है इस कारण बैलगाड़ी देखने को नहीं मिलते।
मानव के प्रिय पालतू पशुओं में से एक बैल है जो तबेले में या गांव में खूँटी से बंधे हुए देखे जा सकते हैं।
यह किसान भाइयों की फसल उगाने में सहयोग करते हैं। खेतों की जुताई, बुनाई और मिसाई का काम इसी से होता है। भोर सुबह उठकर किसान और बैल धान मीसने का काम शुरू कर देते हैं। धान के सूखे फसल से धान को अलग कर लिया जाता है और बचे पुआल को खलिहान में रखा जाता है, उस पुआल का चारा हर रोज शाम को बैल चरते हैं।
बैल अत्यंत स्वामिभक्त पशु है इसे घरों का सदस्य ही माना जाता है पौराणिक मान्यताओं में इसका स्थान सर्वोच्च रखा गया है विशेष प्रसंग में इनकी भी पूजा होती है। परंपरा अनुसार घर में बनाई गई पहली रोटी गाय, बैल को खिलाया जाता है। गांवों में अभी भी लोग बैल की अच्छी देखभाल करते हैं।
गाय और बैल के गोबर के अनेको फायदे हैं इससे चूल्हे जलाने के ईंधन प्रमुख रूप से काम में लिए जाते हैं।
पहले बैलगाड़ी में लादकर फसलें और अनाज के बीज बोने के लिए घर से खेतों तक ले जाते थे। अब कृषि कार्य आधुनिक यंत्रों से होने लगा है जो कम समय लेकर खेत की जुताई पूरी करते हैं। उसकी बोवाई, मीसाई से लेकर मंडी तक ले जाने में भी ट्रैक्टर वाहनों का उपयोग हो रहा है।
आधुनिक यंत्रों द्वारा कार्य संपन्न होने के चलते अब बैल पालन कम हो गया है कई किसान अपने बैल को आवारा पशु की तरह खुला छोड़ देते हैं जो शहरों के सड़कों में यहां वहां घूमते फिरते हैं। कई बार गलती से पालतू पशु प्लास्टिक कचरे का सेवन कर लेते हैं जिस कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
गाय, बैल जैसे पालतू जानवरों के लिए गौशाला हर गांव में रहते जहां शाम होते ही बैल विश्राम करते हैं। भोजन के लिए पुआल और माड़ पानी हर रोज मिलते रहते हैं। कई जगह तो गौशालाएं उपलब्ध हैं किन्तु उचित संसाधन नहीं होने के कारण उनका सेवा कर पाना कठिन हो रहा है।
बैल बुद्धिमान पशु है जो मालिक की पहचान कर लेता है गर्मी के दिनों में दिन भर चरकर समय पर गौशाला लौट आता है, गांव में किसान और बैल के बीच गहरा लगाव हो जाता है इसलिए अगर किसी दिन समय पर गाय बैल घर ना लौटे तो किसान चिंतित होकर उसे पूरे गली, मुहल्ले, खलिहान में खोजने चला जाता हैं।
हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए शहरों में ना सही लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बैल पालन किया जाता है हर किसान परिवार में कम से कम एक जुड़ी बैल रहता ही है ताकि हल चलाने का काम कर सकें। गाय, बैल का महत्व हमारे देश में सदियों से है जो हमेशा वैसे ही बनी रहनी चाहिए उनकी उचित देखभाल पर ध्यान देना चाहिए।
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