बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में - Essay on Unemployment in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज मैं इस आर्टिकल के माध्यम से बेरोजगारी पर निबंध या Berojgari Par Nibandh Hindi Mein प्रस्तुत कर रहा हूं। हमारे देश में berojgari ki samasya गंभीर रूप लेती जा रही है अतः इसका निवारण निकालना अनिवार्य हो गया है। हम इस लेख में बेरोजगारी उत्पन्न होने का मुख्य कारण तथा इसे कम करने के संभावित उपाय पर चर्चा करेंगे, यहां पर छोटे तथा बड़े निबंध दिए हैं जो सभी कक्षाओं के लिए उपयोगी है।

बेरोजगारी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है बेरोजगारी से महंगाई थमने का नाम नहीं लेती और दरिद्रता आती है। बेकरी से न केवल देश बल्कि समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। अपराध दर बढ़ने की वजह बेकारी है। बेकारी कम करने हेतु ज्ञान, उचित शिक्षा, कौशल को महत्त्व देना होगा इसके लिए सरकार को चाहिए की कारगर कदम उठाये जनता में निरंतर कार्य अवसर उपलब्ध रहे इसका ध्यान रखना होगा। 

बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में - Essay on Unemployment in Hindi, Berojgari par Nibandh Hindi mein

बेरोजगारी पर निबंध - Essay on Unemployment in Hindi
Essay on Unemployment in Hindi

निबंध 1. बेरोजगारी पर निबंध 200 शब्दों में

राजा महल में बैठे बैठे गरीबी को महसूस नहीं कर सकता, उसे दरिद्रता का एहसास ही नहीं होगा जब तक वह उस परिस्थिति से न गुजरे। हमें पता है बेरोजगारी से गरीबी आती है, महंगाई आती है लेकिन क्या पता होना काफी है? इस पर ठोस कदम उठाना भी तो जरूरी है। 

गांव घर में बिना नौकरी चाकरी के लोग शादी कर लेते हैं और बाद में बीबी बच्चे, परिवार के सदस्यों और जरूरी चीजों का खर्चा जुटा पाना ही मुश्किल हो जाता है ऐसे में खुशहाल जीवन की कल्पना व्यर्थ है। बेरोजगार व्यक्ति के घर में पैसे की किल्लत के चलते लड़ाई झगडे होते रहते है। 

चीजें खरीदने के लिए कर्ज ले लेते हैं, जब गांव में ढंग का काम नहीं मिलता तो कर्जा चुकाने हेतु शहरों में मजदूरी करने चले जाते हैं। महीनों परिश्रम करके जब वह लौटता है तो कमाई गई राशि का बड़ा हिस्सा लोन चुकाने में लगता है और बचे कुछ पैसे से घर चलाता है। कुछ दिन बाद जीवन उसी दरिद्रता में बीतने लगता है। 

ऐसी स्थिति पैदा न हो इसलिए रोजगार, जॉब या नौकरी का अवसर हर युवा तथा युवती को देना होगा ताकि अपना जीवन सुख शांति से व्यतीत कर सके। नौकरी देने के पूर्व उसकी विशेष परीक्षा लेकर उसकी काबिलियत परखने के पश्चात नौकरी प्रदान करना होगा, ताकि उचित व्यक्ति को कार्य का मौका मिले।

निबंध 2. बेरोजगारी पर निबंध 250 शब्द - Berojgari Par Nibandh in Hindi

आधुनिक युग में तकनीकी की वजह से जहां काम काज आसान हो गए वहीं रोजगार भी कम हो गए हैं। मशीनीकरण से काम सरल सुलभ हो गया जिस कारण कार्य रोबोट से किए जाने लगे हैं वहां कर्मचारी रखने की जरूरत ही नहीं है। 

कंपनियां भी कर्मचारी कम करने में लगी है और अपना मुनाफा बढ़ा रही है। अनेकों कारण से भारत में बेरोजगारी बढ़ी है। बेरोजगारी शब्द सुनने में जितना साधारण लगता है उतना है नहीं, इसके चपेट में आकर व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो जाता है। परिवार को पालना - पोसना कठिन होता है। 

बहुत से ऐसे युवक हैं जिन्हें पूरे जीवनकाल में उचित कार्य का मौका मिलता ही नहीं। कई लोगों के सपने अधूरे छूट जाते हैं। इतनी तकनीकी और सहूलियत होने की वजह से भी आज का युवक बेरोजगार क्यों है? इसपर विचार करके निवारण पर ध्यान देना अति अति आवश्यक है नहीं तो भविष्य में वो दिन दूर नहीं जब लोग भुखमरी से जूझने लगे। 

अगर कार्य के इच्छुक युवक युवती को उनके योग्य काम दिया जाए तो वह ईमानदारी पूर्वक काम करेंगे इससे उस संस्थान का भी लाभ होगा जिनसे काम दिया है।

गरीबी की नींव बेरोजगारी रखती है। महंगाई आने वाले दिनों में यदि बढ़े तो उनका जीना दूभर लगेगा जिनके पास आय कमाने का अच्छा स्रोत उपलब्ध नहीं। 

सूट बूट लगाकर ऑफिस में बैठने वाले बाबू और नौकरी प्राप्त व्यक्ति को महंगाई का शायद इतना खौफ न हो लेकिन हमारे यहां जनता की भारी संख्या बेरोजगार है, जिनके लिए पाँच - दस रुपए का बहुत महत्व है जो पाई पाई इक्कठा करके जीवन जुजारते हैं। यदि उन कस्बों में जाकर हालत का मुआयना करे जहां गरीबी अधिक है तो उनकी दशा देख आंखों से आँसू छलक आए।

निबंध 3. बेरोजगारी पर निबंध 300 शब्द - Berojgari Par Nibandh Hindi Mein

कार्य की इच्छा होते हुए भी कार्य का अभाव होना बेकारी या बेरोजगारी (Unemployment) कहलाता है, हमारे देश में बेकारी के कई कारण हैं जिसकी वजह से बेकारी दर बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी कम करने के कुछ उपाय नीचे बताए हैं यदि इसपर अमल किया जाए तो ज्यादातर इच्छुक लोगों को कार्य का अवसर मिल सकेगा।

  • जनसंख्या नियंत्रण – जनसंख्या से देश में आवश्यकता से अधिक लोग नौकरी की चाह रखते हैं और प्रत्येक व्यक्ति को इच्छानुसार नौकरी देना संभव नहीं होता, यदि जनसंख्या नियंत्रित हो तो अधिक लोगों को नौकरी प्रदान की जा सकेगी।
  • शिक्षा प्राप्त करना – नौकरी के लिए शिक्षा प्राप्त करना जरूरी है, यदि किसी को इंजिनियर, पुलिस, ऑफिस वर्कर, शिक्षक बनना हो तो उसे संबंधित कोर्स करनी होगी, संबंधित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद नौकरी प्रदान किया जाता है।
  • कार्य का अवसर प्रदान कराना – प्रत्येक व्यक्ति चाहता है की उसके पास कोई काम-धंधा हो जिससे उसकी रोजी रोटी चले, इसके लिए अधिक से अधिक सरकारी योजनाएं उपलब्ध कराना होगा जिससे ग्रामवासियों को रोजगार मिले।
  • छोटे व्यवसाय को बढ़ावा – हमारे देश के कई परिवार ऐसे हैं जो छोटे स्तर पर व्यवसाय शुरू करते हैं, इस तरह के कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए।
  • व्यावसायिक शिक्षा – सभी बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं किंतु अब विषयों में व्यवसायिक शिक्षा भी देनी होगी, ऐसा करने से उनमें अलग अलग कार्यों को कैसे करना है इसकी समझ होगी, जो भविष्य में उनके काम आएगा।

निष्कर्ष 

रोजगार के अवसर मिले इसके लिए जनसंख्या बढ़ोतरी को कम करना होगा, कुटीर उद्योग पर ध्यान देकर लघु उद्योगों का विकास करना होगा, उच्च स्तरीय कार्य के अलावा जो लोग छोटे स्तर पर कार्य शुरू करना चाहते हैं उनका सहयोग करना होगा, उस तरह की शिक्षा देनी होगी जिससे नौकरी न मिलने की स्थिति में भी व्यक्ति अपनी सोच - बुझ से आय का स्रोत तैयार कर सके, यदि ऐसा हो सका तो कार्य का अवसर सबको मिल सकेगा।

निबंध 4. महंगाई और बेरोजगारी पर निबंध 350 शब्दों में 

एक तरफ चीजों के बढ़ते दाम और दूसरी तरफ बढ़ती बेरोजगारी, अगर दोनों स्थिति में कोई फंसा हुआ है तो उसे कोई मार्ग नजर नहीं आता की वह करे तो करे क्या, क्योंकि एक तरफ महंगाई घटने का नाम नहीं ले रही, दिन ब दिन महंगाई के चलते जेब पर असर पड़ रहा है और नौकरी न होने के कारण चीजें खरीद पाना मुश्किल हो रहा है।

बचपन में 2 रुपए में बिस्कुट का पैकेट आ जाता था, अब 5 से 10 रुपए में आता है ये तो बिस्कुट की बात है, साग सब्जी, टमाटर, आलू के दाम भी पहले से ज्यादा बढ़ चुके हैं। महंगाई तो ऐसी है की कम होने की कोई गुंजाइश नहीं ऊपर से बढ़ने की संभावना बनी रहती है। गाड़ी चालकों को यहां वहां जाने में डीजल, पेट्रोल वाहन में डलवाना पड़ता है उसके लिए पेट्रोल का खर्चा अलग से रखना पड़ता है।

कई ऐसे परिवार भी हैं जिनके घर के बच्चे पढ़ने के इच्छुक हैं उनके बड़े सपने हैं लेकिन उनके पढ़ाई का खर्चा उसके अभिभावक नहीं उठा सकते ऐसे बच्चों का भविष्य खतरे में आ जाता है इसका कारण बेरोजगारी ही तो है। अगर उनके पास उचित काम होता जिससे उनकी कमाई होती तो उनके घर का बच्चा भी अच्छे पाठशाला में एडमिशन लेकर पढ़ाई लिखाई करके जीवन में कुछ बड़ा करता, अपने सपने पूरे करता, अपने परिवार की दरिद्रता दूर कर देता।

महंगाई तो बढ़ेगी ही लेकिन अगर बेरोजगारी भी बढ़ती गई तो जिनके पास काम धंधा नहीं है वे अपनी आजीविका का खर्चा कैसे निकालेंगे? इन सब का समाधान ये हो सकता है की या तो वे किसी नौकरी की तलाश करते रहें या खुद व्यवसाय शुरू कर दें जिससे कुछ बहुत कमाई के रास्ते नजर आए। कमाए गए पैसों को उचित काम में निवेश करके और मुनाफा कमाया जा सकता है इससे धीरे धीरे करके पूरी जीवनशैली बदली जा सकती है।

यदि कोई रोजगार न हो तो जीवन बोझ लगने लगता है क्योंकि दुनिया में कुछ भी खरीदने में पैसों की जरूरत पड़ती है ऐसे में यदि काम काज का कोई ठिकाना न हो तो आदमी कमायेगा कैसे? इस तरह महंगाई और बेरोजगारी आम व्यक्ति के लिए गंभीर समस्या बन गई है। 

निबंध 6. बेरोजगारी के दुष्परिणाम पर निबंध 600 शब्द - Berojgari Ke Dushparinaam Par Nibandh 

बेरोजगारी एक अभिशाप है इससे कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है, जिन्हें कार्य करना हो किन्तु उन्हें कार्य का अवसर ही प्रदान न हो तो उसकी व्यथा कोई और नहीं समझ सकता, लोग जिन्हें मनचाहा काम नहीं मिलता, नौकरी नहीं मिलती वो लोग थक हार कर कुकर्म या गलत काम करना शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 

बेरोजगारी के परिणाम / दुष्परिणाम 

जब व्यक्ति को कार्य नहीं मिलता तो अपनी गुजर - बसर के लिए उल्टे-सीधे काम शुरू कर देते हैं, ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए यदि उन्हें कार्य के अवसर प्राप्त हो तब वह बेहतर जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं बेरोजगारी के क्या परिणाम हैं? यह नीचे बताये गए हैं।

1. पारिवारिक समस्याएं

परिवार के सदस्यों के बीच तंगी ( दरिद्रता) की वजह से लड़ाई-झगडे होते रहते हैं, रोजी-रोटी का इंतज़ाम करना बिना नौकरी के बहुत कठिन होता है, इसी वजह से परिवार के सदस्य अलग-अलग रहने का निर्णय लेने लगते हैं, कई अपने जन्मस्थान से दूर महानगरों की तरफ पलायन करते हैं। 

2. समाज पर प्रभाव 

बेरोजगारी का प्रभाव समाज पर भी पड़ता है जब व्यक्ति को काम-धंधा नहीं मिलता तब वह कुसंगति में पड़ जाता है, धूम्रपान करने लगता है इससे स्वयं का नुकसान तो होता ही है किन्तु आस-पडोस के लोगों के साथ भी मतभेद होता है, उसकी छवि ख़राब होने लगती है। 

3. नकारात्मक विचार 

कहते हैं की सफलता प्राप्त करने हेतु सकारात्मक सोंच रखनी चाहिए किन्तु जो बेरोजगार होते उनमें अधिकतर लोगों के मन में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं, उन्हें लगता है की अब जीवन में कुछ नहीं किया जा सकता, हर जगह से ठोकर खाने के बाद इंसान टूट जाता है, और कुछ नया करने का प्रयास ही नहीं करता और यह भी बेरोजगारी का कारण बन जाता है। 

बेरोजगारी की समस्या का निवारण -

1. शिक्षा के प्रति जागरूक 

यदि बेरोजगारी के दुष्परिणाम को कम करना है, समस्या का निवारण करना है तो इसके लिए प्रत्येक बच्चे को उचित शिक्षा प्रदान करना होगा, अभी भी कई बच्चे पढ़ाई बीच में ही छोड़ दे रहे हैं उन्हें शिक्षा प्राप्त हेतु प्रोत्साहित करना होगा। 

2. हमेशा कुछ नया सीखना 

कई लोगों का मानना होता है की विद्यालय में पढ़ाई के बाद उनका काम हो गया उन्हें और पढ़ने की आवश्यकता ही नहीं, लेकिन ऐसा नहीं है उसके बाद भी किताबें बढ़कर काफी कुछ सीख सकते हैं, विशेष रूचि को और बढ़ा सकते हैं, रोजगार से जुड़ी लेख, व्यवसाय सम्बंधित पुस्तकें पढ़कर काफी कुछ सीखा जा सकता है इससे व्यक्ति को व्यवसाय से जुड़ी ज्ञान प्राप्त होंगे जिसे वे अपना कैरियर बना सकते हैं। 

3. विभिन्न कार्यक्षेत्रों में रूचि रखना 

अगर व्यक्ति को अपनी पसंद का काम नहीं मिलता तब वह हार मान लेता है और कुछ करना नहीं चाहता किन्तु व्यक्ति को विभिन्न कार्यक्षेत्रों में रूचि रखना होगा इससे अगर नौकरी न मिले, अपना मनपसंद काम प्राप्त न हो तब भी उसे रोजगार मिले, कई तरीके पता होने चाहिए जिससे कमाई की जा सके, यदि ऐसा हो तो बेरोजगारी को कम, बेरोजगारी के दुष्परिणाम को बहुत कम कर सकते हैं। 

निष्कर्ष 

रोजगार के उद्देश्य से प्रत्येक लोग पढाई - लिखाई करते हैं किन्तु प्रतिस्पर्धा, ऊपर से जनसँख्या वृद्धि की वजह से सभी को नौकरी प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है इसलिए, परिवार नियोजन द्वारा जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना होगा, यह एक दिन में नहीं होने वाला, कई साल लगेंगे, आज की युवा को नौकरी और योग्यता अनुसान काम नहीं मिलने की स्थिति में हाथ में हाथ पकड़कर बैठे नहीं रहना चाहिए बल्कि नई स्किल सीखनी चाहिए और उसपर कार्य करना चाहिए, तुरंत हार मानने की जगह कठिन परिश्रम करना होगा, परिश्रमी व्यक्ति को ही सफलता मिलती है, इससे काफी हद तक बेरोजगारी दूर हो सकती है। 

निबंध 7. शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान (700 शब्द) Shikshit Berojgari Par Nibandh 

बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में - Essay on Unemployment in Hindi
बेरोजगारी पर निबंध

परिचय

शिक्षित बेरोजगारी का तात्पर्य ऐसे लोगों से है जो पढ़े-लिखे हैं किन्तु फिर भी उनके पास कार्य नहीं है, कोई नौकरी नहीं है। एक अध्ययन से पता चला की स्नातक तथा स्नातकोत्तर पूरा कर लेने के बाद अधिकतर लोगों के पास योग्यता अनुसार नौकरी नहीं होता। हमारे देश में बहुत से युवक ऐसे हैं जो ग्रेजुएशन करके मजदूरी करते हैं क्योंकि उन्हें नौकरी प्रदान नहीं किया गया, नौकरी न मिलने के कई कारण हो सकते हैं जिनसे शिक्षित बेरोजगारी (shikshit berojgari) बढ़ती है।

भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या

पहले के समय पर जब नौकरी की अत्यधिक माँग थी तब कम पढ़ाई लिखाई के बावजूद एक अच्छी नौकरी मिल जाती थी, किंतु अब नौकरी चाहने वालों की लिस्ट बहुत लंबी हो चुकी है जिस कारण सबको नौकरी दे पाना मुश्किल है, आज स्नातक और स्नातकोत्तर पूरी कर चुके लोग भी बेकार घूम रहे हैं, नौकरी पाना पहले की तुलना में कठिन हो गया है, एग्जाम में अच्छे अंक न हो तो भी नौकरी हाथ नहीं लगेगी, नौकरी की चाह में लाखों करोड़ों छात्र कड़ी मेहनत कर रहे हैं, कोई श्रेष्ठ अंकों से उत्तीर्ण हो रहा है तो कोई कम अंकों से संतुष्ट है और कोई तो अनुतीर्ण होकर दुबारा प्रयास कर रहा है, यह सभी प्ररिश्रम अच्छी नौकरी पाने के लिए किया जा रहा है ताकि आगे चलकर अच्छी जिंदगी जी सकें।

नौकरी के लिए बच्चे बचपन से ही तैयारी शुरू कर देते हैं, यह निर्णय कर लेते हैं की बड़े होकर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस ऑफिसर, अध्यापक आदि बनना है किन्तु जैसे जैसे बड़े होते हैं नौकरी के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती जाती है इसी वजह से कई युवक अपना लक्ष्य बदल लेते हैं और कुछ और बनने की कोशिश करते हैं लेकिन आज के समय पर नौकरी से जुड़ी हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा हद से ज्यादा बढ़ चुकी है, इसी कारणवश कई लोग हार मान जाते हैं और मेहनत मजदूरी करने लगते हैं उसके बाद उन्हें साल भर कार्य मिलेगा या नहीं इसका कोई अता पता नहीं होता, इस तरह भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है।

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या का समाधान -

शिक्षित बेरोजगारी कम करने के लिए स्वरोजगार पर ध्यान देना होगा, ऐसे युवक जो ग्रेजुएशन पूरा करके कार्य करना चाहते हैं उन्हें मात्र नौकरी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए यदि नौकरी प्राप्त न हो तो स्वरोजगार या व्यवसाय कर आजीविका का साधन स्वयं बनाना चाहिए।

समय के साथ चलकर पैसे कमाने के नए तरीके सीखने चाहिए, आजकल मार्केटिंग का जमाना है जिसमें सर्विस को ऑनलाइन माध्यम से लाखों करोड़ों लोगों तक सरलता से पहुंचाया जा सकता है।

यादि कोई युवक समूह बनाकर या स्वयं कोई कार्य शुरु करता है तो आज के वक्त में वह लाखों लोगों से अपने मोबाइल फोन द्वारा जुड़ सकता है, अपने प्रोडक्ट बेच सकता है, अपनी स्किल शेयर कर सकता है, दर्शकों को वीडियो द्वारा काम की चीजें सिखाकर ऑनलाइन पैसे कमा सकता हैं।

21वीं शताब्दी में भारत में इंटरनेट की सुविधा हर जगह पहुंच गई है, इंटरनेट वरदान है जहां से आप कुछ भी सीख सकते हैं, इससे कौशल का विकास करके आगे बढ़ सकते हैं।

अगर आज की युवा पीढ़ी मोबाइल, कंप्यूटर उपकरण एवं इंटरनेट सुविधाओं का सही इस्तेमाल करे तो वह खुद रोजगार ढूंढ सकता है, आज के कई युवक डिजिटल मार्केटिंग को समझकर ऑनलाइन कमाई का जरिया खोज ले रहे हैं, यदि आधुनिक तकनीकी का उचित प्रयोग करें तो कार्य के अनेकों अवसर मिलेंगे जहां से अच्छी कमाई की का सकती है इससे ऐसे युवक जो कार्य के इच्छुक हैं वे बेरोजगारी की समस्या से बाहर आ सकते हैं।

उपसंहार

जनसंख्या बढ़ने की वजह से आज की युवा पीढ़ी को योग्यता अनुसार नौकरी प्रदान नहीं की जा सकती क्योंकि प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की भीड़ नौकरी चाहने वालों की लिस्ट में जुड़ जाती है ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी दे पाना कठिन हो जाता है, पहले के समय में कार्यकर्ताओं की मांग रहती थी इसलिए कम ग्रेजुएट होते हुए भी नौकरी मिल जाती थी किंतु अब पहले से ज्यादातर लोगों को नौकरी प्राप्त है इस वजह से कई क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की मांग घटी है इस वजह से भी सबको नौकरी नहीं मिल पा रही, आज के समय पर व्यक्ति को नई स्किल सीखनी होगी, तकनीकी ज्ञान होना भी आवश्यक है, कमाई के नए तरीके सीखने चाहिए, आजकल मिल सकने वाले नौकरी की जानकारी मोबाइल पर ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं, फॉर्म भरकर नौकरी हेतु परीक्षा देकर और उसमें उत्तीर्ण होकर भी काम पा सकते हैं।

निबंध 8. युवा वर्ग और बेरोजगारी पर निबंध 800 शब्दों में 


परिचय: युवा वर्ग हमारे देश का भविष्य हैं युवा चाहे तो देश को बुलंदियों तक पहुंचा सकता है। कई खिलाड़ियों ने हमारे देश का नाम ऊंचा किया है। लेकिन आज के युवा वर्ग में बेरोजगारी बढ़ रही हैं, जहां कुछ लोग लगन और मेहनत से बड़ा मुकाम प्राप्त करते हैं वहीं बहुत से युवा अपना समय बर्बाद करते रहते हैं।

युवा कहने से लगता है वे लोग जो घर के लिए, समाज के लिए और देश के लिए कुछ बड़ा करेंगे लेकिन आजकल क्या हो रहा है? बहुत से युवा 12वीं पास करके बेकार पड़े हैं, कई लोगों ने कॉलेजों में दाखिला लिया और कॉलेज जाना ही छोड़ दिया, कुछ तो ऐसे हैं जो अपने मां बाप के पैसों पर पल रहे हैं। उनकी मेहनत का फल खा रहे हैं, युवाओं में आत्मसम्मान खोता जा रहा है, नहीं तो ये पता होता की उन्हें अब कुछ करना चाहिए, कमाना चाहिए रोजगार ढूंढकर परिवार का पेट पालना चाहिए। माता पिता, बड़े बुजुर्ग सभी मेहनत करते हैं एक-एक रुपए बचाते हैं अपने बच्चों के लिए और उन्हें आज के युवा हाथों का मैल समझ के चंद समय में खर्च कर देते हैं। युवाओं को ये एहसास ही नहीं है की पैसे कैसे कमाए जाते हैं? कितना परिश्रम करना पड़ता है। हमारे देश में बहुत से अभिभावक ऐसे हैं जिनके पास धन संपत्ति है और इसलिए वे बच्चों को मुंह मांगी रकम ऐसे ही दे देते हैं लेकिन इससे बच्चों (युवा पीढ़ी) को ये कभी भी एहसाह नहीं होगा की पैसे कमाने में कितना मेहनत लगता है। युवाओं को उनकी जिम्मादेरी समझनी होगी, पुत्र और पुत्री को सबसे अच्छी तरीके से उनके अभिभावक जानते हैं क्योंकि उन्होंने उनका बचपन से लालन-पालन किया है, इसलिए वे ही उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का अहसास दिला सकते हैं।

युवाओं में बेरोजगारी बढ़ने के कारण

कई कारणों से युवा बेरोजगार हो सकते हैं अगर युवक शिक्षा प्राप्त न करे, अनपढ़ रहे तो उसे कोई काम नहीं मिलता और इससे वो बेरोजगार हो जाता है।

आधुनिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन के चलते युवा अपना ध्यान महत्वपूर्ण लक्ष्य पर नहीं दे पा रहे, गलती मोबाइल की नहीं किन्तु फोन में इतनी अधिक सुविधाएं मिलने से युवा पीढ़ी ज्यादातर समय मोबाइल पर बीतते हैं, सोशल मीडिया पर सामग्री पोस्ट करते रहते हैं अपने करियर को गंभीरता से नहीं लेते, सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई के जगह फोन में मैसेज देखते हैं। कॉलेजों के विद्यार्थी के लिए स्मार्टफोन आवश्यक है किंतु वो उसका उचित उपयोग नहीं करता, कोई टाइम निर्धारित नहीं है फोन के लिए। पढ़ाई के वक्त फोन नोटिफिकेशन देखना, सोशल मीडिया पर लगे रहना इन्हीं आदतों से परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आते और नौकरी मिलने की संभावना बहुत कम हो जाती है, जब काम नहीं मिलता तो वे युवा बेरोजगार हो जाते हैं।

लगभग हर युवा के पास अमर्टफोन है और उसमें मैसेजिंग, सोशल मीडिया एप्लीकेशन है। कई लोग ऐप पर चैटिंग करते ही अपना घंटों का टाइम बिता देते है, पढ़ाई के समय पर भी बातचीत चलती रहती है। ये सच है की मोबाइल द्वारा इंटरनेट से कुछ भी सीखा जा सकता है किंतु ज्यादातर युवा वर्ग बेकार के काम ही करते हैं, कोई किसी विषय की जानकारी प्राप्त करने के लिए इंटरनेट पर नहीं जाता बल्कि सोशल मीडिया ऐप पर लॉग इन करने और वीडियो देखने, गाने सुनने के लिए जाता है। जब मोबाइल पर वक्त बरबाद करने की आदत हो जाती है तो पढ़ाई डिस्टर्ब होता है, टेस्ट, एग्जाम में कम नंबर आते हैं, कई फेल हो जाते हैं।

युवाओं में दिखावा करने का अलग चलन चल रहा है। अपना काम, पढ़ाई लिखाई, करियर पर ध्यान के बजाय दोस्तों को नई गाड़ी, नई स्मार्टफोन दिखाने में लगे हैं, फैशन में ज्यादा ध्यान और पढ़ाई में कम इन्ही सब के चलते उनके भविष्य पर खतरा आ जाता है इसी चलते कई लोग रोजगारहीन हो रहे हैं।

समाधान: 

युवा वर्ग में बेरोजगारी का समाधान यह है की युवा अपने काम पर ध्यान दे कड़ी परिश्रम करे, अध्ययन पर ध्यान दे, नए-नए हुनर ​​सीखे, काम-काज से जुड़ी जानकारी रखे, तकनीकी जानकारी रखे, इंटरनेट का उचित उपयोग, गंभीरता पूर्वक लक्ष्य पर काम, कुछ सीखने की जिज्ञासा रखें, गलत संगती से दूर रहें और वही काम करें जो वास्तव में महत्त्व रखता है। अगर इन बातों का ध्यान रखें तो युवा खुद को सही मार्ग पर ले जा सकता है। 

उपसंहार

युवा चाहे तो किसी भी क्षेत्र में अपना, अपने परिवार, अपने देश का नाम ऊंचा कर सकता है। युवा आज के समय में लक्ष्य से भटक जाते हैं। युवा को अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए अपने शौक की चीजें करने के लिए पूरी जिंदगी पड़ी है। महाविद्यालयों के युवाओं को ध्यान भटकाने वाले तकनीकी उपकरणों का कम उपयोग करना चाहिए और अपने भविष्य पर काम करना चाहिए उज्जवल भविष्य बना लेने के बाद आप कुछ भी कर सकते हो।

निबंध 9. बेरोजगारी पर निबंध - Long Essay on Unemployment in Hindi Language


रूपरेखा ➤ (1) प्रस्तावना, (2) बेकारी या बेरोजगारी के प्रकार, (3) बेरोजगारी के कारण, (4) बेरोजगारी की समस्या का निदान, (5) उपसंहार।

प्रस्तावना

किसी भी कार्य को करने की इच्छा और योग्यता होते हुए भी कार्य न मिलना बेरोजगारी कहलाता है। भारत में Berojgari Ki Samasya खड़ी हो गई है, कई लोग शिक्षित होते हुए भी घर में बैठे हैं उनके पास न तो नौकरी है और न ही कोई अन्य काम, जिससे उनकी कुछ कमाई हो सके। 

हर साल भारत में लाखों लोग नौकरी की तलाश में यहां-वहां चक्कर काटते हैं, कई लोगों को कार्य मिलता है तो कई लोग बेरोजगार हो जाते हैं, उन्हें सालों तक ऐसे ही बैठना पड़ता है। नौकरी की चाह में ज्यादातर लोगों ने स्कूलों और कॉलेजों से अच्छे अंक प्राप्त कर परीक्षा उत्तीर्ण किया है किन्तु प्रत्येक छात्र को योग्यता अनुसार नौकरी, जॉब या काम नहीं मिल पा रहा। 

हमारे आस-पड़ोस में कई लोग ऐसे मिल जायेंगे जो ग्रेजुएट हैं किन्तु उसके बाद भी उनके पास ढंग का काम नहीं है। माता-पिता आस लगाए बैठे रहते हैं की उनका पुत्र या पुत्री अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो, किसी अच्छे पद पर उनकी नौकरी लगे, किन्तु प्रतिस्पर्धा के दौड़ में हर कोई एक-दूसरे को पीछे छोड़ने में लगा है, प्रत्येक छात्र दूसरे छात्र से अधिक अंक लाने के लिए घंटो पढ़ाई करता है, परिणामस्वरूप वह अच्छे अंकों से परीक्षा में उत्तीर्ण भी होता है किन्तु इसके बाद भी 100 प्रतिशत संभावना नहीं होती की उसे उसकी इच्छानुसार कार्य मिले, कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी परिश्रम से कॉलेजों में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए किंतु अब भी उन्हें कार्य नहीं मिला, उन्हें मन को मारकर कोई दूसरा काम करना पड़ रहा है।

ऐसा नहीं है की पढ़े-लिखें लोगों और योग्य व्यक्ति को हमेशा काम न मिले, कई लोग ग्रेजुएशन के बाद अच्छी नौकरी के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं, कई तो मनचाहा कार्य से अच्छी कमाई कर रहे हैं किन्तु प्रत्येक व्यक्ति के साथ ऐसा नहीं है, अब तो कार्य के योग्य होते हुए भी कार्य नहीं मिलता, और कई ऐसे लोग जिन्हें किसी विशेष कार्य का अनुभव  नहीं है, उस कार्य के योग्य ही नहीं हैं किंतु फिर भी रिश्वत जैसे जुगाड़ के बाद उन्हें नौकरी प्राप्त हो जाती है, और दूसरी तरफ वर्षों तक परिश्रम करके एक इमानदार आदमी नौकरी के लिए यहां-वहां चक्कर काटता फिरता है, हर मुमकिन कोशिश करता है, अपनी पूंजी खर्च कर देता है, इसके बाद भी जब काम नहीं बनता, तब वह कुसंगती में पड़ जाता है, गलत तरीके अपनाता है कमाई के, व्यक्ति में चोरी-चकारी जैसे कुवृत्ति आ जाती है। इस तरह भारत में बेरोजगारी की समस्या भयावह होती जा रही है।

बेरोजगारी के प्रकार – Types of Unemployment in Hindi

स्वरूप की दृष्टि से बेरोजगारी तीन प्रकार की होती है - पहला शिक्षित बेरोजगारी जिसमें शिक्षित व् ग्रेजुएट होते हुए भी व्यक्ति के पास कार्य का अभाव है। दूसरा प्रशिक्षित बेरोजगारी जिसमें व्यक्ति ग्रेजुएट होकर किसी विशेष क्षेत्र का पशिक्षण लेता है किन्तु उसे उस क्षेत्र में योग्य नौकरी नहीं मिलती और तीसरा अशिक्षित बेरोजगारी जिन्हें शिक्षा के अभाव के कारण उचित कार्य नहीं मिल रहा। बेरोजगारी की समस्या को कई प्रकारों में विभाजित किया गया हैं।

ग्रामीण बेरोजगारी 

वह Unemployment जिसमें ग्रामीणों को साल भर उचित कार्य नहीं मिलता, रोजगार के अवसर साल भर प्राप्त नहीं होते जिस वजह से काम की तलाश में ग्रामीण शहरों की ओर पलायन करने पर मजबूर हैं।

मौसमी बेरोजगारी 

ग्रामीणों में निश्चित समय तक ही फसलों की खेती होती है, फसल की बुनाई, कटाई और मिसाई के बाद किसान के पास कोई काम नहीं रहता, उसे कमाई के लिए दूसरा काम ढूंढना पड़ता, मजदूरी करनी पड़ती। ऐसा कार्य जो एक निश्चित समय के लिए लोगों को रोजगार देता है और समाप्त हो जाता है उसके बाद व्यक्ति बेकार रहता है उसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं।

चक्रीय बेरोजगारी

जिसमें मंदी के वक्त व्रक्त को बेरोजगार रहना पड़े उसे चक्रीय बेरोजगारी कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में गिरावट की वजह से जब लोगों के हाथ से नौकरी चली जाती है उनका आजीविका चलती हो वह काम मंदी कारण खो जाए तब इस तरह की बेरोजगारी उत्पन्न होती है। साल 2008 में इस तरह की मंदी देश में आई, कई लोगों से रोजगार चला गया जिसने अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया था।

संरचनात्मक बेरोजगारी

जब व्यक्ति किसी कार्य के लिए योग्य हो किन्तु उसकी योग्यता उस कार्य को करने के लिए पर्याप्त नहीं है और इसी वजह से उसे काम नहीं मिला तो इसे संरचनात्मक बेरोजगारी कहेंगे। 

ऐच्छिक बेरोजगारी 

सालों तक काम के लिए यहां-वहां चक्कर काटने के बाद जब व्यक्ति को उसके योग्य कार्य प्राप्त नहीं होता तो वह स्वयं ही निर्णय लेता है की अब वह रोजगार नहीं करेगा इसे ऐच्छिक बेरोजगारी कहेंगे।

प्रच्छन्न बेरोजगारी

उस तरह की Unemployment जिसमें किसी काम के लिए व्यक्ति का योगदान बहुत कम होता है, यदि उसे उस काम से निकाल भी दिया जाए तो भी उस कार्य पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 
  • उदाहरण – यदि किसी कृषक परिवार, जिसमें 10 सदस्य हैं और सभी सदस्य मिलकर खेती-किसानी करते हैं लेकिन अगर इनमें से दो लोग को इस कार्य से निकाल दिया जाए तो भी फसल की पैदावार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उन दो लोगों का योगदान कुछ खास नहीं था वो यह काम इसलिए कर रहे थे क्योंकि उनके पास कोई रोजगार नहीं था, इस तरह के लोग प्रच्छन्न बेरोजगारी में आते हैं।

खुली बेरोजगारी 

जब व्यक्ति काम करने हेतु उत्सुक रहता है, परिश्रम करके कमाना चाहता है उसकी अच्छी योग्यता भी है किसी विशेष काम के लिए किंतु फिर भी बेकार बैठना पड़ता है। उसे घर के दूसरे सदस्यों पर छोटे मोटे खर्चे के लिए आश्रित रहना पड़ता है। इस तरह की बेकारी गांव के लोग और शिक्षित लोगों में पाई जाती है।

अल्प बेरोजगारी

इस तरह के बेरोजगारी में व्यक्ति साल भर में जितना काम करने का सामर्थ्य रखता है उससे कम काम कर पाता है। और कुछ महीने या हर दिन कुछ घंटे फ्री बैठा रहता है। अल्प बेरोजगारी को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है - 
  • दृष्य अल्प रोजगार - इस स्थिति में किसी काम को करने के लिए जो सामान्य समय अवधि निर्धारित की जाती है उससे कम ही कार्य करने को मिलता है। उदाहरण: कोई रोजगार जिसे करने का सामान्य समय 3 घंटे है लेकिन उसे व्यक्ति केवल 1 घंटे कर पाता है।
  • अदृष्य अल्प रोजगार - अल्प बेरोजगारी के इस प्रकार में व्यक्ति पूरी मेहनत से दिनभर कार्य कर लेता है किंतु अपेक्षा अनुसार आय अर्जित नहीं कर पाता मतलब कमाई कम होती है।

छिपी बेरोजगारी

जब व्यक्ति के पास कोई काम धाम नहीं होता और बेरोजगार होता है किंतु अन्य लोगों को ऐसे दिखाता है जैसे उसके पास अच्छा रोजगार है इससे छिपी बेरोजगारी कहा जाता है। यह शहरी क्षेत्रों के युवाओं में पाई जाती है जब ग्रेजुएशन पूरी करके बेकार रखते हैं लेकिन दोस्तों ऐसा दिखाते हैं जैसे वे जॉब कर रहे हो।

ठेका बेरोज़गारी

इसमें व्यक्ति पार्ट टाइम के रूप में किसी कार्य को करता है। वह किसी दुकान में कुछ घंटे के लिए काम / नौकरी करके कुछ पैसे कमाता है।

आकस्मिक बेरोजगारी

किसी चीज की मांग में अचानक कमी से जो बेकारी उत्पन्न होती है आकस्मिक बेरोजगारी कहते हैं। अल्पकालिक अनुबंध या रॉ मैटेरियल की शॉर्टेज की वजह से ऐसी बेरोजगारी आती है।

दीर्घकालिक बेरोजगारी

इसके नाम से ही पता चलता है जब व्यक्त को लंबे समय से हर रोज कोई काम नहीं मिल पा रहा, आय का साधन नहीं मिल पा रहा और लंबे वक्त से काम की तलाश में लगा हुआ है ऐसे लोग दीर्घकालिक बेरोजगारी के अंतर्गत आते हैं।

बेरोजगारी के कारण - Bharat Mein Berojgari Ke Karan

भारत देश में कई कारणों से बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो रही है जिनमें जनसंख्या दर में वृद्धि एक बड़ा कारण है।

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी का मुख्य कारण है, तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रत्येक वर्ष लाखों लोग नौकरी चाह में मेहनत करते हैं, अत्यधिक जनसंख्या की वजह से प्रत्येक व्यक्ति को नौकरी मुहैया करा पाना संभव नहीं है, इसलिए कुछ को नौकरी मिलती और बाकी बेरोजगार हो जाते हैं।

शिक्षा प्रणाली 

इसमें शिक्षा प्रणाली का भी दोष है स्कूलों में केवल किताबी ज्ञान दिया जाता है, वास्तविक जीवन में काम आने वाली बातें कोई नहीं बताता, पढ़ाई जाने वाली प्रत्येक विषयों का ज्ञान छात्र को होता है किन्तु वह परीक्षा में अच्छे अंक लाने तक ही सीमित रहता है, किस तरह खुशहाल जीवन जीना है, वास्तविक जीवन में काम आने वाली बातें व् व्यवसाय संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी जो आगे चलकर काम आए, यह कक्षा में नहीं बताया और सिखाया जाता, इस वजह से जब शिक्षित होते हुए भी व्यक्ति को काम (नौकरी, जॉब, रोजगार) नहीं मिलता तब उसके पास कोई अन्य विकल्प नहीं होते कार्य के, परिणामस्वरूप वह बेरोजगार हो जाता है।

कुटीर उद्योग में गिरावट

कुटीर उद्योग कृषि-अर्थव्यवस्था को सुधारने का बल रखता है किंतु अब इसमें गिरावट देखने को मिल रही है, इसे प्रोत्साहन नहीं मिलता, समय के साथ-साथ कुटीर उद्योग में तकनीकी साधनों का प्रयोग होने लगा है, ऐसे में कम कौशल वाले लोगों को उद्योग जारी रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। 

यह ऐसा उद्योग है जिसे आमतौर पर परिवार के सदस्यों द्वारा किया जाता है, कागज की थैली, लकड़ी से बनी उपयोगी वस्तुएं, बांस की बनी टोकरी या अन्य वस्तुएं कुटीर उद्योग की श्रेणी में आते हैं। 

इस उद्योग के लिए उचित बाजार नहीं मिलने की वजह से वस्तुओं के उत्पादन में कमी आ रही है जिस कारण कुटीर उद्योग में गिरावट देखी जा रही है। 

कुटीर उद्योग लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है किन्तु इसमें गिरावट के चलते लोग बेरोजगार हो रहे हैं।

मौसमी व्यवसाय

मौसमी व्यवसाय में कार्य के अवसर केवल निश्चित समय के लिए मिलता है उसके बाद उसे रोजगार के लिए अलग काम ढूंढना पड़ता है। उत्पादों की बिक्री भी त्योहार सीजन पर बढ़ती है बाद में धंधा मंदा पड़ जाता है। मौसमी व्यवसाय के चलते हैं श्रमिकों को साल भर कार्य नहीं मिलता और कुछ महीने बेरोजगार रहना पड़ता है।

धीमा आर्थिक विकास

देश की आर्थिक विकास होने पर भी रोजगार के अवसर मिलते हैं अगर धीमा आर्थिक विकास होगा तो लोगों के लिए कार्य के अवसर कम प्राप्त होंगे और बेरोजगारी बढ़ेगी। 

बेरोजगारी की समस्या का समाधान - Berojgari Ki Samasya Ka Samadhan

इसके निदान के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा, Unemployment कम करने के लिए सरकारी पहल भी की गई हैं जो कुछ हद तक कारगर साबित हुए इसके अतरिक्त अन्य पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण

जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक व्यक्ति को कार्य के अवसर प्राप्त नहीं हो रहे, योग्य व्यक्ति को मौका नहीं मिल रहा जिस कारण unemployment बढ़ रही है इसके नियंत्रण पर विचार आवश्यक है, परिवार नियोजन द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।

लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा

यदि कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा तो इससे रोजगार के कई अवसर लोगों को मिलेंगे, छोटे काम-धंधे से आजीविका के लिए धन कमा पाएंगे। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने से इसे करने में लोग रुचि लेंगे, इस उद्योग के लिए उचित बाजार उपलब्ध कराना होगा ताकि उत्पादों की बिक्री हो और उत्पादक को मुनाफा मिले। हमारे देश में कुटीर उद्योगों में रुचि रखने वाले लोगों की कमी नहीं है, बहुत से कारीगर जो अपने हाथों से उपयोगी वस्तुएं बनाते हैं उसे बेचकर कमाई करते हैं।

शिक्षा प्रणाली में बदलाव

यदि शिक्षा प्रणाली में बदलाव किया जाए पढ़ाई के अलावा प्रैक्टिकल बातें बताई जाए व्यवसाय से जुड़ी आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाए यह जो जिंदगी में काम आए तो ऐसे में व्यक्ति उस लायक बन जाएगा कि अगर नौकरी ना भी मिले तो भी वह स्वयं उचित कार्य, व्यवसाय, उद्योग, कर पाएगा और अच्छी कमाई कर पाएगा, इस तरह व्यक्ति बेरोजगार नहीं रहेगा।

किसानों का सहयोग

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में किसानों का बहुत बड़ा योगदान है खेती-बाड़ी द्वारा किसान अपनी अनाज को मंडी में जाकर बेंचते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं लेकिन कृषि क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है यदि किसानों को अधिक सुविधाएं दी जाए ताकि उनकी फसल पैदावार अच्छी हो, तो वे और अधिक मुनाफा कमा पाएंगे, कृषि संबंधित अभिषेक ज्ञान जिससे भूमि उपजाऊ होती है, भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के तरीके, ताकि उससे फसल अच्छी हो। अगर कृषि व्यवस्था को सुधार दिया जाए तो ग्रामीण अपने गांव में ही खेती किसानी करके अच्छी कमाई कर पाएंगे और उन्हें काम की तलाश में शहरी क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या को दूर किया जा सकता है।

सरकार द्वारा रोजगार के अवसर

सरकार के द्वारा लोगों के लिए आदि की योजनाएं लानी चाहिए ताकि ग्रामीणों और बेरोजगारों को कार्य का अवसर प्राप्त हो सके। कई सरकारी योजनाएं हैं जिनसे ग्रामीणों को रोजगार मिलता है, इन रोजगारों द्वारा भी देश की अर्थव्यवस्था सुधरी रहती है, साल 2008 में जब आर्थिक मंदी आई थी तब मनरेगा योजना शुरू की गई और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ गई थी, मनरेगा योजना सरकार की ओर से एक अच्छा प्रयास है जिसके जरिए लोगों को रोजगार मिल जाता है, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ इत्यादि राज्यों में मनरेगा योजना शुरू की गई है जिसका लाभ ग्रामीण उठा रहे हैं। इसी तरह के अन्य योजनाएं शुरू होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त हो।

उपसंहार

बेरोजगारी की वजह से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जब कड़ी परिश्रम और सालों तक यहां - वहां चक्कर काटने के बाद नौकरी नहीं मिलती तब लोग कुकर्म करने लगते हैं, चोरी जैसे गलत आदत इंसान में आ जाती है, इसलिए बेरोजगारी की समस्या दूर करना अनिवार्य है, जनसंख्या नियंत्रण करके बेरोजगारी कम की जा सकती है, सरकार द्वारा और कई पहल करनी चाहिए, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर देना चाहिए, ग्रामीणों को पूरे साल काम मिलें ऐसी योजनाएं लानी चाहिए, जब देश के युवा कार्य करेंगे तब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगा।

आखरी शब्द

इस लेख के माध्यम से बेरोजगारी पर निबंध, Berojgari par nibandh, Essay on Unemployment in Hindi  के बारे में जानकारी दी गई है, अगर आपको हमारा यह निबंध लेख पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें, इसी तरह के लेख इस ब्लॉग पर प्रकाशित किए जाते हैं, अगर आपको हिंदी निबंध पढ़ना है तो इस ब्लॉग पर आते रहें, धन्यवाद।

FAQs - About Berojgari Par Nibandh In Hindi


1. बेरोजगार व्यक्ति कौन है?

वह व्यक्ति जो कार्य करने के इच्छुक है लेकिन फिर भी उसके पास कोई काम नहीं है वह बेरोजगार है।

2. बेरोजगारी का दूसरा नाम क्या है?

ब्रोजगारी का दूसरा नाम 'बेकारी' भी है।

3. भारत के किस राज्य में बेरोजगारी दर सबसे कम है?

गुजरात राज्य में। 

4. बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण क्या है?

बेरोजगार के अनेक कारण हैं किंतु मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है इससे न केवल बेरोजगारी बढ़ रही है बल्कि महंगाई में भी बढ़ोतरी आ रही है।

5. शिक्षित बेरोजगार कौन है?

वे एजुकेटेड लोग जिनके पास शिक्षित होने के बावजूद कोई काम - धंधा नहीं है वे शिक्षित बेरोजगार कहलाते हैं।

6. बेरोजगारी दूर करने के 3 उपाय बताइए

बेरोजगारी दूर करने के तीन उपाय इस प्रकार हैं:
  • जनसंख्या नियंत्रण
  • शिक्षा प्रणाली पर बदलाव 
  • युवाओं को अधिक कार्य / रोजगार / नौकरी का अवसर प्रदान करना।

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