जल प्रदुषण पर निबंध - jal pradushan per nibandh in Hindi

"जल ही जीवन है" किंतु अब ये अशुद्ध हो रहे हैं, मनुष्य की अनुचित गतिविधि से जल दूषित हो रहे हैं, आज के लेख जल प्रदुषण पर निबंध - jal pradushan per nibandh in Hindi के माध्यम से हम water pollution से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जानेंगे।

निबंध 1: भारत में जल प्रदूषण की समस्या - 500+ शब्दों में

परिचय: ऐसे जल जो मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं उसे प्रदूषित जल कहते हैं।

जल प्रदूषण का अर्थ: जब किसी जल निकायों में जैसे की तालाब, पोखरा, नदी, झील समुद्र इत्यादि का जल मैला (प्रदूषित) हो जाता है तो उसे जल प्रदूषण (Water Pollution) कहते हैं।

कारण: कई कारणों से जल प्रदूषित हो सकते हैं जिनमें मुख्य कारण निम्न हैं:

  • कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ जो जल में मिलते हैं।
  • तालाबों में कपड़े धोने के लिए साबुन एवं डिटर्जेंट का उपयोग।
  • शहरों के नाली से वाहितमल बहकर नदियों में मिलना भी मुख्य कारण है।
  • समुद्र में परमाणु बमों एवं विस्फोटकों के परिक्षण से जल प्रदूषित होता है।
  • जहाजों में लदे इंधन जैसे पेट्रोल, डीजल, कोयले के किसी कारणवश समुद्र जल में मिलना भी जल प्रदूषण का कारण है।
  • कारखानों के विषैले धुंए का बादल से मिलना यह अम्ल वर्षा का कारण बनता है, पृथ्वी पर अम्ल वर्षा होने से पृथ्वी जल प्रदूषित होता है।
  • तालाबों को समय-समय पर खाली करके साफ ना करना।
  • कृषि में अनुचित गतिविधियां जो जल की गुणवत्ता कम करते हो, उदाहरण - खेत में अत्यधिक उर्वरकों व कीटनाशकों का छिड़काव।
  • तालाबों में कपड़े धोना, पशु को नहलाना, बर्तन मांजना इन मानवीय क्रियाकलापों से भी जल दूषित होता है।
  • दर्शनीय स्थलों के जल निकायों में कूड़े करकट को डालना, वहां गंदगी फैलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण के उपाय: भारत में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को पूर्ण रूप से कम नहीं किया जा सकता किंतु इन उपायों पर ध्यान देकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

  • परमाणु बमों एवं विस्फोटकों का समुद्र पर परिक्षण पर रोक लगाना होगा।
  • कारखानों को नदी व् तलाबों से दूर स्थापित करना होगा।
  • टंकी का पानी पूरे शहर में सप्लाई होता है इसलिए उसकी शुद्धि अनिवार्य है उसके लिए क्लोरीन का उपयोग किया जा सकता है।
  • कीटनाशकों का कम उपयोग करके जल को स्वच्छ रखा जा सकता है।
  • जानवरों या पालतू पशु को तालाबों में ना नहलाना।
  • कई जरूरत के चीजें उपयोग के बाद व्यर्थ हो जाते हैं उनको जल में न बहाकर कूड़ेदान में डालना भी एक उपाय है जल प्रदूषण कम करने का।
  • पैक्ड फूड के पैकेट को यहां - वहां न फेंककर, क्योंकि ये हवा से उड़कर तालाबों में चले जाते हैं और तलाब गंदा करते हैं।
  • घरों के लिए सेप्टिक टैंक बनाकर जल प्रदूषण कम कर सकते हैं क्योंकि घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल या बर्बाद पानी को इसमें एकत्रित किया जा सकता है, टैंक में जमा गंदा पानी को भूमि अवशोषित कर लेता है। ऐसा करने से घरों से निकलने वाला बर्बाद जल किसी स्वच्छ जल में जाकर नहीं मिलेगा।
  • भारत में जल प्रदूषण की समस्या औद्योगिक कूड़ा करकट और शहर से निकलने वाला कचरा व् द्रव पदार्थ है, इसलिए यदि इसका निपटारा किया जाए तो प्रदूषण कम कर सकते हैं।
  • स्वच्छ भारत अभियान के तहत जल प्रदूषण कम करने के प्रति लोगों को जागरूक करके।
  • स्वच्छता के लिए कड़ी नियम बनाकर और नियमों का पालन करके प्रदूषण कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष: शुद्ध जल की कमी होती जा रही है इंसानों को गंदे पानी को फिल्टर करके दोबारा उपयोग में लाना पड़ रहा है क्योंकि मनुष्य अब भी जागरूक नहीं हैं जल प्रदूषण कम करने के लिए। हर दिन लोग कचरा फैला रहे हैं पर साफ सफाई की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता। अगर जल गंदा होगा तो जलीय पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, जल की स्वच्छता पर अभी से ध्यान देना अनिवार्य है अन्यथा भविष्य में भूमि में स्वच्छ जल मिलेगा ही नहीं।


निबंध 2: जल प्रदुषण पर निबंध - jal pradushan per nibandh in Hindi

जल प्रदुषण पर निबंध - jal pradushan per nibandh in Hindi

जल का हमारे पृथ्वी में उपस्थिति अनिवार्य है इसके बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है, सौरमंडल में पृथ्वी ही एकमात्र ग्रह है जहाँ जल का अपार भण्डार है, 7 महासागर पृथ्वीलोक पर ही है, यहीं गंगा, जमुना नदी बहती है किन्तु अब नदियां मैली हो रही है क्योंकि जल प्रदुषण की समस्या बढ़ती जा रही है। जल का दूषित होना जलीय प्राणी और भूमि पर रहने वाले प्राणियों हेतु किसी भी तरह से लाभदायक नहीं है इससे जलीय प्राणी, पालतू पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।  

हमारे यहाँ पवित्र नदी गंगा है जिसका जल कभी नहीं सड़ता लेकिन अब यह नदी मैली हो गई है, श्रद्धालुगण इस नदी की पूजा करने इसमें स्नान करने जाते हैं, पूजन सामग्री और प्लास्टिक कचरा को इसी में विसर्जित कर देते हैं, कहा जाता है गंगा में स्नान मात्रा से पाप धूल जाते हैं, लोगों का पाप तो धुल जाता है किन्तु नदी गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है।  

नदियां कई महानगरों और ग्रामीण इलाकों से होती हुई बहती है इसलिए जल को पालतू पशु भी पीते हैं, स्थानीय निवासी के लिए नदियों का पानी जीवनदायनी है ऐसे में अगर लोग जल को अपवित्र करेंगे उसे दूषित करेंगे तो इससे पालतू पशु और लोगों के स्वस्थ ख़राब होगा कई बीमारियां पैदा हो जाएगी। 

जल प्रदूषण क्या है - What is water pollution in Hindi

जब स्वच्छ जल मैली हो जाती है, नदियों के बहते पानी में गन्दगी, प्लास्टिक, कचरा फ़ैल जाता है तो उसे जल प्रदुषण (Water Pollution) कहते हैं। जल प्रदुषण का जिम्मेदार मनुष्य है जिसने दर्शनीय स्थलों के नदियों में गन्दगी फैलाई है। जल प्रदुषण का अर्थ है ऐसा जल जो अब दूषित हो चुका है जिसे उपयोग में नहीं लाया जा सकता है अगर इससे पशु अपनी प्यास बुझाएं तो वे बीमार पड़ सकते हैं, दूषित जल मानव स्वस्थ से जुड़ी घातक रोग उत्पन्न करता है। 

जल प्रदूषण की परिभाषा - Definition of water pollution in Hindi

जब पृथ्वी पर उपस्थित नदी, तालाब, झील, सरोवर या कुँए का पानी किसी कारणवश दूषित या अशुद्ध हो जाता है तो उसे जल प्रदूषण कहते हैं। इस तरह के प्रदूषण मानव स्वस्थ पर बुरा प्रभाव डालते हैं। 

जल प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण के कई प्रकार होते हैं जिनमें एक जल प्रदुषण है इसके भी मुख्य रूप से तीन प्रकार नीचे बताएं गए हैं - 

1. भूजल प्रदूषण 

जब प्रदूषण के कारक भूमि के स्वच्छ जल में मिश्रित हो जाते और उसे दूषित कर देते हैं तो इसे भूजल प्रदूषण कहा जाता है।  

2. भूतल जल प्रदूषण 

भूमि के सतह के अंदर भी जल पाई जाती है, उस जल में जब आर्सेनिक जैसी विषैली धातु मिश्रित हो जाती है तो वह जल को दूषित कर देती है उसके सेवन से व्यक्तियों में त्वचारोग समस्याएं उत्त्पन होती है। प्रदूषकों द्वारा जब भूमि सतह के भीतर मौजूद जल श्रोत को दोषित किया जाता है तो उसे भूतल जल प्रदूषण कहा जता है। 

3. समुद्री जल प्रदूषण

जब कल- कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ या अत्यंत विषैला पदार्थ समुद्र में मिलता है या संक्रामक तत्व समुद्र जल में घुलता है तो उसे समुद्री जल प्रदूषण कहते हैं। 

जल प्रदूषण के कारण 

कई मानवीय क्रियाएं जिनसे भूमि जल या भूमिगत जल दूषित हो रहा उसे point wise नीचे बताए गए हैं 👇👇👇

औद्योगिक कूड़ा 

हमारे देश में कई कारखाने चलते हैं जिसमें से प्रतिदिन न जाने कितना कूड़ा-करकट निकलता है जिसका कोई काम नहीं होता ऐसे वेस्ट कूड़े को आमतौर पर सीधे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है और यह मुख्य कारण बनता है जल प्रदूषण का। नदी का जल सदैव बहता रहता है और अंत में समुद्र से मिलता है साथ में इसमें प्रवाहित अपशिष्ट पदार्थ भी समुद्र में समा जाता है और ये पदार्थ समुद्री जीवों के स्वस्थ पर हमला करते हैं। 

महानगरों से निकलने वाला कूड़ा

शहरों के हजारों घरों का गन्दा पानी नालियों के जरिये सीधे नदियों और समुद्र में विसर्जित हो जाती है, इस तरह सैंकड़ों मिलियन लीटर गंदा पानी जल में मिल जाते हैं, कई जगहों पर नालों के पानी को दुबारा फ़िल्टर करके पीने लायक बनाया जाता है किन्तु अब भी रोज शहरों से अशुद्ध पानी सीधे जल में मिल रहे हैं जो जल प्रदुषण उत्पन्न कर रहे हैं। 

जल में अपशिष्ट पदार्थों का विसर्जन

तालाबों में पशुओं को नहलाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने और मानव द्वारा कचरा फेंकने से जल दूषित होता है। तालाबों के किनारे लोग प्लास्टिक कचरा व् कूड़ा फेंककर चले जाते हैं, कई सालों तक तालाब का पानी वैसा का वैसा रहता कोई पानी खाली करके उसकी साफ़-सफाई नहीं करता। वर्षों तक तालाबों को खाली न करने और उसमें से गंदे कचरे बाहर न निकालने से पानी से बदबू आने लगता है, ये भी कारण है जल गंदा होने का।  

समुद्र में जहाजों का चलना 

प्रतिदिन दुनियाभर में कई पानी जहाज चलती है कुछ छोटी तो कुछ एक गाँव जितनी बड़ी, जहांज के चलने के लिए कई लीटर डीजल की आवश्यकता होती है,  जब जहाज चलता है तब डीजल ईंधन रिसकर पानी में मिल जाता है जो जल प्रदूषण करते हैं पहले जहाज कोयला से चला करते थे लेकिन उससे काला धुँवा निकलता था जो वायु प्रदूषण करता था।  

एसिड रैन या अम्ल वर्षा

जब वायुमंडल में सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जल के साथ क्रिया करते हैं तो नाइट्रिक अम्ल बनता है। कारखानों के चिमनियों से निकलने वाले दूषित वायु वायुमंडल में घुलकर उसे प्रदूषित करते हैं आगे चलकर ये बादलों में मिलते हैं और वर्षा में मिलकर उसे अम्लीय कर देते हैं, जब वर्षा जल अम्लीय हो जाता है तो उसका ph मान 5.6 से नीचे गिर जाता है, उसके बाद जब पृथ्वी पर वर्षा होती है तो वह अम्लीय होती है इसे ही अम्लीय वर्षा या एसिड रैन कहते हैं।

अम्लीय वर्षा के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर मौजूद जल, नदियां तालाब प्रदूषित हो जाते उसमें रहने वाले जलीय प्राणीयों की मृत्य हो जाती, फसलें नष्ट हो जाती है इससे पर्यावरण पर घातक प्रभाव पड़ता है।

नाभिकीय ऊर्जा

अत्यधिक नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग से वायुमंडल में रेडियोधर्मी कण उत्पन्न होते हैं जो बादलों से टकराते और वर्षा जल में मिलकर उसे दूषित करते हैं।

सामाजिक एवं धार्मिक रीति-रिवाज

सामाजिक रीति रिवाजों जैसे जल में शव को बहाना, नदी किनारे अंतिम संस्कार, कचरा फेंकना, कार्यक्रमों के बाद कचरों को नदी में बहाना, हजारों लोगों का नदी में स्नान इन सब से जल दूषित हो जाता है।

कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों का प्रयोग

कृषि कार्य में उर्वरकों, कीटनाशकों के उपयोग से खेतों में जल की गुणवत्ता खराब होती जा रही है, अत्यधिक कीटनाशकों से फसलों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जब व्यक्ति फसलों का भोजन रूप में सेवन करता तो उसके स्वास्थ्य को कई तरीके से नुकसान पहुंचता है।

मूर्ति विसर्जन

भारत में कई धार्मिक त्यौहार मनाए जाते हैं इस दौरान मूर्तियां भी विसर्जित की जाती है तालाबों में मूर्ति विसर्जन से पानी की गुणवत्ता घटती है। 

मानव स्वार्थ

मनुष्य अपनी खुशी के लिए कई दर्शनीय स्थल पर वहां के मनोरम दृश्य देखने हेतु जाते हैं वहां भोजन करते हैं भोजन के पश्चात डिस्पोजल प्लेट, गिलास, बोतल वहां के नदियों में बहा देते हैं। भारत में ज्यादातर जल प्रदूषण की समस्या दर्शनीय स्थल पर ही नजर आते हैं गंगा हमारी देश की पवित्र नदी है जिसके किनारे श्रद्धालु गण पूजन सामग्री को बहा दिया करते हैं जिससे नदी का रंग मैला लगने लगा है।

शहरीकरण

जितनी अधिक शहरीकरण होगा उतनी अधिक भवन निर्माण होगा उन घरों से हर रोज अपशिष्ट पदार्थ नालियों के द्वारा नदी में जाकर मिलेंगे इस तरह ज्यादा शरीकरण भी जल प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य की लापरवाही

यह व्यक्ति की लापरवाही का नतीजा ही है जिसकी वजह से आज जल प्रदूषण की समस्या भयानक रूप लेती जा रही है। 

व्यक्ति इस बात से भली-भाति परिचित है कि जल की गुणवत्ता मानव की लापरवाही के चलते कितनी घटती जा रही है, प्रत्येक वर्ष अरबों टन प्लास्टिक का उपयोग मानव द्वारा किया जाता है।

एक रिसर्च के मुताबिक हर साल भारत के मात्र एक व्यक्ति द्वारा लगभग 9.7 किलो प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है, 2021 तक भारत की जनसंख्या लगभग 140.76 करोड़ है, लोगों की इस संख्या को देखते हुए अंदाजा लगा सकते हैं की भारत में लोग कितना प्लास्टिक का उपयोग करते होंगे।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 2.4 लाख टन प्रत्येक वर्ष भारत में प्लास्टिक जमा होता है, अब सोचिए इनमें से कितना सारा कचरा जल में बहेगा, नदी में और समुद्र में जाकर मिलेगा।

व्यक्ति जल प्रदूषण नियंत्रण के प्रति बातें तो करता है किंतु स्वयं जागरूक नहीं, मनुष्य बहुत लापरवाह हो चुका है तभी तो जल में गंदगी फैलाना बंद नहीं कर रहे और जल प्रदूषण कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।

साबुन 

दैनिक जरूरतों में साबुन का उपयोग हर व्यक्ति नहाने और कपड़े धोने में करता है इसमें रासायनिक तत्व मिले रहते हैं जो तालाबों के पानी में मिलाकर उसे गंदा कर देते हैं।

नालियों में अपशिष्ट पदार्थ

नाली के जरिए मल-मूत्र, कूड़ा करकट, बहकर नदियों, तालाब, समुद्र में जा मिलते हैं जो जल प्रदूषित करते हैं।

औद्योगिक कार्य में जल का उपयोग

औद्योगिक क्षेत्र में शुद्ध जल की भारी डिमांड है, लोहे, स्पात के कारखानों में लोहे को ठंडा करने में, रासायनिक प्रयोगों में, कोयला फैक्ट्रियों में, कपड़ों की धुलाई में इन जगहों पर नदियों के जल का उपयोग किया जाता है, उपयोग के पश्चात जल प्रदूषित हो जाता जिसे फिर से नदी में छोड़ दिया जाता है इससे जल में हानिकारक तत्व मिल जाते हैं।

जल प्रदूषण के प्रभाव 

जल ही प्राणियों के लिए जीवन है इसलिए इसकी शुद्धता अनिवार्य है अशुद्ध जल मनुष्य एवं जलीय प्राणी के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

मानव स्वास्थ्य

मानव पर इसका घातक प्रभाव पड़ता है व्यक्ति के दूषित जल पीने से उनमें पेचिस, पेट दर्द, डायरिया, डिसेंट्री, उल्टी दस्त जैसी बीमारियां उत्पन्न होने लगती है शीघ्र डॉक्टर से उपचार न करवाने से व्यक्ति की जान जा सकती है।

जलीय जीव जंतुओं को हानि

जल प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से उसमें ऑक्सीजन की मात्रा घटती है ये जलीय जीव जंतु मुख्य रूप से मछली के जीवन को प्रभावित करती है, जल प्रदूषकों से जल में कई तत्व मिल जाते हैं जैसे रसायनिक, जहरीले तत्व जो पूरी तरह जल प्रदूषित कर देते हैं।

समुद्री जीव

समुद्री जल में रासायनिक तत्व एवं जहरीले तत्व मिलने से जलीय प्राणी मर जाते हैं। विलय पदार्थों के अलावा समुद्र में कई टन प्लास्टिक कचरा भी जमा हो जाता है जिसे कछुए, बड़े मछली अपना भोजन समझ खा जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है।

जल प्रदूषण

जल प्रदूषण से पृथ्वी पर मौजूद सरोवर नदियां, झील, तालाब इत्यादि की सुंदरता कम हो जाती है, तालाबों में जहां कमल खिलते थे वहां औद्योगिक कूड़ा करकट देखने को मिलता है।

जल प्रदूषण से बीमारियां

जल प्रदूषण के परिणामस्वरूप व्यक्तियों में कई बीमारियां हो जाती है जिनमें पेचिस, उल्टी दस्त, डायरिया मुख्य हैं। गंदे जल्द से संक्रामक रोग भी होते हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित होती रहती हैं, दूषित जल त्वचा में जलन, खुजली, चर्मरोग उत्पन्न कर सकते हैं।

जल प्रदूषण के निवारण

दिन प्रतिदिन जल प्रदूषण बढ़ती जा रही है इसलिए इस पर रोकथाम लगा पाना अत्यंत मुश्किल है किंतु हम कुछ ठोस कदम उठा सकते हैं जागरूकता से प्रदूषण को कम जरूर कर सकते हैं।

  1. तालाबों, पोखरों, नदियों में कपड़े धोने में रोक लगानी होगी, धोबियों को ध्यान रखना होगा की कपड़े धोने से वहां का जल अधिक दूषित न हो।
  2. घर से निकलने वाले वहित मल मूत्र को फिल्टर के बाद जल में विसर्जित करना चाहिए इससे प्रदूषण प्रभाव कुछ कम किया जा सकते हैं।
  3. नालियों की सफाई जरूरी है जब ये साफ होंगे तो पानी आसानी से बहेगी नहीं तो एक जगह जमा होकर गंदगी फैलेगी, मच्छर जन्म लेंगे और रोग पैदा करेंगे।
  4. समय-समय पर तालाबों की सफाई अनिवार्य है, सालभर उसमें कई प्लास्टिक कचरे, अपशिष्ट पदार्थ मिलते हैं यदि उन्हें निकाला जाए तो पानी स्वच्छ रहेगा।
  5. गांव में कई जगह लोगों को कुएं से पानी निकलता है पीते हैं, जल स्वच्छ रहे इसलिए समय-समय पर उसे खाली करके कुएं के पानी को फिल्टर करके पीना चाहिए।
  6. कारखानों के काम एवं औद्योगिक कार्यों के बाद जल की अशुद्धता को कम करके उसे विसर्जित करना होगा।
  7. धार्मिक रीति रिवाजों का पालन करते वक्त इस बात पर ध्यान देना होगा की जल अधिक प्रदूषित ना हो।
  8. जल प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक कर इसका निवारण निकाला जा सकता है।
  9. दर्शनीय स्थलों पर स्वच्छता का ध्यान रखकर जल प्रदूषण कम कर सकतें हैं।
  10. कूड़ा-करकट को जल में प्रवाहित करने के बजाय कूड़ेदान में डालना होगा।

उपसंहार

जल प्रदूषण से मनुष्य ही नहीं बल्कि जलीय जीव जंतु और पालतू पशु भी प्रभावित होते हैं उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है मानव स्वास्थ्य खराब होता है। जीवन के लिए जल अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए व्यक्ति का यह दायित्व बनता है कि वह जल को स्वच्छ रखें और जल प्रदूषण ना करने के लिए लोगों को जागरूक करें।

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