अंतरिक्ष विज्ञान और भारत पर निबंध - Antriksh vigyan aur bharat par nibandh

हमारे भारत देश की तकनीकी अब पहले से ज्यादा विकसित हो चुकी है, भारत अब Space Science के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, अंतरिक्ष विज्ञान और भारत पर निबंध - Antriksh vigyan aur bharat par nibandh के जरिए इस लेख में आपको Bharat की स्पेस में प्राप्त सफलताओं के बारे में जानने को मिलेगा।

अंतरिक्ष विज्ञान और भारत पर निबंध

अंतरिक्ष विज्ञान और भारत पर निबंध - Antriksh vigyan aur bharat par nibandh

प्रस्तावना

अंतरिक्ष में कई ग्रह - उपग्रह खोजे जा रहे हैं। विज्ञान ने ऐसी तकनीकी बनाई है जिससे अंतरिक्ष में हो रहे हलचलों को पृथ्वी पर मौजूद अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा देखा जा सकता है। सौरमंडल में आज से 50 साल बाद क्या बदलाव होंगे इसका अनुमान वैज्ञानिक अभी से लगा लेते हैं।

अंतरिक्ष के रहस्यों को खंगालने के लिए कई रॉकेट छोड़े जाते हैं, लगातार परीक्षण हो रहे हैं, इसी उद्देश्य से कई मानवनिर्मित उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया जा चुका है। अलग - अलग देशों ने अपनी सैटलाइट स्पेस में भेजा है जिसमें हमारा देश भारत भी शामिल है। भारत ने भी कई उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा है।

आर्यभट्ट (उपग्रह)

आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह था जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी 'इसरो' ने सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया था। इस उपग्रह को 19 अप्रैल 1975 में अंतरिक्ष में भेजा गया  था। इसने 96 मिनट में पूरे ब्रह्मांड (universe) का एक चक्कर लगा लिया था।

इस उपग्रह को बनाने में हमारे भारतीय वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत की और अपना बहुमूल्य समय दिया। आर्यभट्ट उपग्रह को 3 सालों की कड़ी मेहनत के बाद बनाया गया था। जब इस उपग्रह को बनाया जा रहा था तब इसरो के पास पर्याप्त पैसे नहीं थे इसलिए इसरो ने भारत सरकार से निवेदन किया उसके बाद सरकार ने इसरो को पर्याप्त फंड उपलब्ध करा दिया।

जब ISRO ने आर्यभट्ट उपग्रह बना लिया तो उसके नामकरण के लिए कई नाम सोचे गए जिनमें से विकल्प के तौर पर मैत्री, जवाहर और आर्यभट्ट नाम मुख्य थे, उस समय के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इनमें से आर्यभट्ट नाम को चुना था इसलिए उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया। आर्यभट्ट भारत के महान खगोल शास्त्री और गणितज्ञ थे इन्हीं के सम्मान में इसरो द्वारा निर्मित पहले उपग्रह को आर्यभट्ट नाम दिया गया था। 

आर्यभट्ट के लॉन्चिंग के समय इसका वजन 360 किलोग्राम था, इस मिशन में इसरो ने सोवियत यूनियन से मदद ली थी। इसरो द्वारा निर्मित इस उपग्रह का मुख्य उद्देश्य एक्सरे, एस्ट्रोनॉमी, वायु विज्ञान और सोलर भौतिकी (solar physics) से संबंधित प्रयोग करना था। 

इस उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में 6 महीने के समयांतराल (अवधि या ड्यूरेशन) के लिए छोड़ा गया था लेकिन लॉन्चिग के 5 दिन बाद ही आर्यभट्ट उपग्रह के सिस्टम में गड़बड़ी आ गई जिस वजह से डेटा रिसीविंग सेंटर में डेटा प्राप्त होना बंद हो गया, लेकिन उपग्रह 5 दिनों तक सही से काम कर रहा था और कई जरूरी सूचनाएं डेटा रिसीविंग सेंटर में भेज चुका था। 17 साल बाद 11 फरवरी 1992 में ये उपग्रह पुनः पृथ्वी के वातावरण में लौट आया था।

आर्यभट्ट भारत की पहली सैटलाइट थी जिसे सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में छोड़ा गया था, अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की ये पहली उपलब्धि थी।

भास्कर-I और भास्कर-II उपग्रह

आर्यभट्ट की सफलता के पश्चात इसरो ने भास्कर-I और भास्कर-II उपग्रह का निर्माण किया। भास्कर-I को 7 जून 1979 को और भास्कर-II सेटेलाइट को 20 नवंबर 1981 को रूस की सहायता से अंतरिक्ष में भेजा गया था।

लॉन्चिंग के समय भास्कर-1 का वजन 442 किलोग्राम और भास्कर-2 का वजन 444 किलोग्राम था।

इसरो द्वारा इन दोनों उपग्रहों को लॉन्च करने का उद्देश्य जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान, वन विज्ञान (वानिकी) और टेलीमेट्री पर सूचना एकत्र करना था।

भास्कर-प्रथम सैटलाइट के प्रक्षेपण के दो साल बाद  भास्कर-द्वितीय नामक सैटलाइट को लॉन्च किया गया था। दोनों उपग्रहों का मेन मिशन अवधि एक-एक साल का था और ऑर्बिटल अवधि 10 - 10 साल का था।

इन उपग्रह का नामकरण भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ भास्कराचार्य को सम्मान देते हुए भास्कर-1 और भास्कर-2 रखा गया था।

भास्कर - I उपग्रह भारत का पहला निम्न भू-कक्षा प्रेक्षण उपग्रह (low earth orbit observation satellite) था।

इन दोनों सैटलाइटों के प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों को इनसे कई सारे डाटा रिसीव हुए थे। 20 नवंबर 1981 को लॉन्च हुए भास्कर-II में लगे दो कैमरे में से एक में गड़बड़ी आ गई थी लेकिन उसके बाद भी इससे 2 हजार से भी अधिक तस्वीरें प्राप्त हुई थी जिससे कई अध्ययनों में सहायता मिली।

रोहिणी

सर्वप्रथम आर्यभट्ट सेटेलाइट के प्रक्षेपण के बाद भारत ने एक के बाद एक सेटेलाइट को लांच करना प्रारंभ किया जिसमें एक 'रोहिणी' सैटलाइट था।

रोहिणी इसरो द्वारा निर्मित विश्व का सबसे छोटा उपग्रह था जिसे 17 अप्रैल 1983 में भेजा गया था। यह सैटलाइट 16 वॉट पावर का उपयोग करता था, इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से, प्रक्षेपण वाहन SLV-3 से किया गया था। 

SLV-3 भारत में निर्मित सैटलाइन लॉन्च व्हीकल है जो डॉ. APJ अब्दुल कलाम के नेतृत्व में बना था, SLV-3 भारत का सबसे पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान था, इसी यान से रोहिणी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया गया था।

रोहिणी सेटेलाइट ने भारतीय वैज्ञानिकों को कई महत्वपूर्ण सूचना भेजी। रोहिणी अभियान का समय अवधि 17 महीने का रखा गया था। रोहिणी सैटलाइट प्रक्षेपण का उद्देश्य संचार सेवाओं का विस्तार करना था। 

एरियन पैसेंजर पेलोड एक्सपेरिमेंट या APPLE

Ariane Passenger Payload Experiment या संक्षिप्त में APPLE, ये भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा निर्मित भारत का पहला संचार परीक्षण उपग्रह था। इसे इसरो ने बंगलुरु में स्थित अपने सैटलाइट सेंटर में ही बनाया और उसके बाद इसे 19 June 1981 को यूरोप एवं फ्रांस की मदद लेकर अंतरिक्ष में भेजा था। इस उपग्रह का उद्देश्य संचार युग की शुरुआत करना था ताकि भारत में टेलीविजन और रेडियो प्रसारण का कार्य प्रारंभ हो सके। इस सैटलाइट के लॉन्चिग के बाद हमारे वैज्ञानिकों को संचार उपग्रह का अच्छा अनुभव हो गया इससे तकनीकी में कई लाभ हुए।

INSAT-1A

इनसैट-1ए एक भारतीय संचार उपग्रह था जिससे दूरदर्शन, दूरसंचार और मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त की गई। इस सैटलाइट को 1982 में प्रक्षेपित किया गया था। प्रक्षेपण के वक्त इनसैट-1A उपग्रह 1,152 किलोग्राम वजनी था। इसकी लाइफ ड्यूरेशन 7 साल की रखी गई थी लेकिन 6 सितंबर 1983 को यह उपग्रह निष्क्रिय हो गया था।

जीसैट-11 (GSAT-11) 

जीसैट-11 उपग्रह भारत का सबसे वजनी सैटलाइट है जिसका भार 5,854 KG है। ये एक संचार उपग्रह (communication satellite) है जिसका उद्देश्य एडवांस्ड टेलीकम्युनिकेशंस और DTH सर्विस प्रदान करना है। जीसैट-11 सैटेलाइट को यूरोपीय प्रक्षेपण यान - एरियन 5 रॉकेट की सहायता से स्पेस में (4 दिसंबर 2018 को) छोड़ा गया। जीसैट-11 को बनाने में 500 करोड़ रुपए की लागत आई थी।

चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3)

चंद्रयान 3 भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का एक स्पेस मिशन है। यह इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का तीसरा चंद्रमा मिशन है। इससे पहले साल 2008 में चंद्रयान-1 लॉच किया गया था, उसके बाद इसरो ने सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई साल 2019 में चंद्रयान - 2 मिशन लॉन्च किया, और उसके बाद चंद्रयान 3 मिशन को 14 July 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया है। इस लॉन्चिंग को भारतवासियों द्वारा टेलीविजन पर लाइव देखा गया। चंद्रयान 3 मिशन को LVM3 रॉकेट से लॉन्च किया गया था और 40 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया। चंद्रयान - 3 मिशन का उद्देश्य चांद के सतह पर पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों का पता लगाना है इसके अतिरिक्त चंद्रयान ने चंद्रमा की तस्वीरें कैप्चर करके भी भेजी है जिसमें चांद के सतह को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस मिशन की अवधि 14 दिन की रखी गई है।

उपसंहार

भारतीय वैज्ञानिकों ने कम फंड होने के बावजूद भी भारत का प्रथम सेटेलाइट आर्यभट्ट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजकर दिखाया, ये भारतीय वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। आर्यभट्ट पहला उपग्रह था जिसने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता दिलाई थी। आज भारत निरंतर अंतरिक्ष विज्ञान की ओर बढ़ता जा रहा है। 

ISRO द्वारा EOS-4 उपग्रह को 14 फरवरी 2022  को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इसरो द्वारा साल 2022 का आखिरी सेटेलाइट 26 नवंबर 2022 को भेजा गया था जिसका नाम EOS-06 (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट - 06) था, इस उपग्रह के साथ में 8 नैनो सैटलाइट्स भी प्रक्षेपित किए थे, इस मिशन के लिए PSLV लॉन्च व्हीकल का उपयोग किया गया था, ये मिशन सक्सेसफुल रहा था। इस तरह भारत आज अंतरिक्ष विज्ञान की क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है।


FAQ's - इस लेख से संबंधित कुछ प्रश्नों के उत्तर👇


प्रश्न 1. ISRO का मुख्यालय कहां है?

उत्तर: इसरो का मुख्यालय बंगलुरु, भारत में है।

प्रश्न 2. भारत का सबसे पहला उपग्रह कौन सा है?

उत्तर: आर्यभट्ट भारत का पहला उपग्रह (Satellite) था जिसे ISRO द्वारा 19 अप्रैल 1975 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।

प्रश्न 3. भारत का दूसरा उपग्रह कौन सा है?

उत्तर: भारत का दूसरा उपग्रह भास्कर (Bhaskara Satellite) था जिसे 7 जून 1979 को प्रक्षेपित किया गया था।

प्रश्न 4. आर्यभट्ट उपग्रह का कार्यकाल कितने दिन का था?

उत्तर: आर्यभट्ट उपग्रह का मिशन ड्यूरेशन 6 महीने का था लेकिन उसके सिस्टम में दिक्कतें आने के कारण 5 दिनों के बाद ही आर्यभट्ट उपग्रह से संकेत आना बंद हो गया।

प्रश्न 5. इसरो द्वारा भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट कब लांच किया था?

उत्तर: 19 अप्रैल, 1975 को आर्यभट्ट सेटेलाइट लांच किया गया था।

प्रश्न 6. पहला मानव निर्मित उपग्रह कौन सा था?

उत्तर: पहला मानव निर्मित उपग्रह स्‍पुतनिक-1 था जिसे सोवियत संघ ने 4 अक्‍टूबर 1957 में प्रक्षेपित किया था।

प्रश्न 7. उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर: उपग्रह दो प्रकार के होते हैं - प्राकृतिक और कृत्रिम। 

प्रश्न 8. पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह कौन सा है?

उत्तर: पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Moon) है।

प्रश्न 9. पृथ्वी का कृत्रिम उपग्रह क्या है?

उत्तर: पृथ्वी का कृत्रिम उपग्रह वे उपग्रह हैं जिन्हें मानव द्वारा बनाया गया है जैसे आर्यभट्ट, भास्कर, रोहिणी ये मानव निर्मित थे इसलिए इन्हें भी कृत्रिम उपग्रह कहेंगे। कृत्रिम उपग्रह को मानवों द्वारा उचित कक्षा में स्थापित किया जाता है जो पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं।

10. चंद्रयान 3 कब launch हुआ? - Chandrayaan 3 kab launch hua?

उत्तर - ISRO के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।

आखरी शब्द

इस लेख के माध्यम से हमने अंतरिक्ष विज्ञान और भारत पर निबंध - Antriksh vigyan aur bharat par nibandh पढ़ा जिसमें भारत द्वारा लॉन्च उपग्रहों के बारे में जानकारी प्राप्त की, हम इस ब्लॉग पर इसी तरह के लेख प्रकाशित करते रहते हैं अगर आपको निबंध पढ़ना पसंद है तो हमारे ब्लॉग पर हिंदी में निबंध पढ़ सकते हैं, कुछ अन्य निबंधों के लिंक नीचे दिए गए हैं जिनपर click करके पढ़ सकते हैं।


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