मेरा गाँव पर निबंध - Mera Gaon Nibandh in Hindi

गाँव एक बहुत ही शांतिपूर्ण स्थान होता है जहां पर लोग मिलजुल कर निवास करते हैं। भारत की लगभग 68% जनता ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करते हैं। गांवों का महत्व को वे भलीभांति समझते हैं जिनका निवासस्थान महानगरों में है इसलिए कामकाज से छुट्टी लेकर लोग गांव घूमने आते हैं। भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा गांव मे रहता है तथा गांव के लोग ही काम की तलाश में या नौकरी प्राप्त करने शहरों की ओर पलायन करते हैं। कम पढ़े लिखे लोग शहरों में मजदूरी कर के परिवार के लिए रोजी रोटी का इंतजाम करते हैं। आजकल गांव के बच्चे भी उच्च शिक्षा पाने महानगरों के स्कूलों और कॉलेजों में दाखिला लेने लगे हैं। विभिन्न उद्देश्यों से गांव के लोग शहरों में भी आश्रय लेने लगे हैं। मित्रों गांव वालों के बीच अभी भी भाईचारे का अस्तित्व बना हुआ है, हमने गांव के स्वरूप को मेरा गाँव पर निबंध के माध्यम से बताया हुआ है यदि आप पाठशाला या महाविद्यालय में अध्ययनरत हैं और आपको Mera Gaon Nibandh लिखने में मदद की आवश्यकता है तो ये पोस्ट आपके लिए मददगार साबित होने वाला है।

मेरा गाँव पर निबंध - Mera Gaon Nibandh in Hindi

मेरा गाँव पर निबंध - Mera Gaon Nibandh in Hindi

इस पोस्ट में आपको Mera Gaon Nibandh Hindi mein उपलब्ध करा रहे हैं अगर आप कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12वीं के विद्यार्थी हैं तो यह लेख आपके लिए है। इसका उपयोग स्कूल प्रोजेक्ट या स्पीच की तैयारी करने में किया जा सकता है Mera Gaon Nibandh in Hindi को आसान शब्दों में लेख के माध्यम से प्रस्तुत कर रहें हैं।

Mera Gav Hindi Nibandh (200 words)

मेरा गांव एक बहुत छोटा सा बस्ती है जिसमें 50 घर और करीब 400 लोग वहां के निवासी हैं। गांव का क्षेत्रफल छोटा अवश्य है किंतु वहां का वातावरण अत्यंत शुद्ध एवं पवित्र है। 

मेरे गांव में वृक्षारोपण की परंपरा पहले से है वहां सभी खेती किसानी कर के अपना जीवन व्यतीत करते हैं गांव वालों का यह व्यवसाय आजीविका का एकमात्र साधन है। किसान अपने खेत के मेड़ में छाया देने वाले पौधे लगाते हैं जो कुछ सालों में वृक्ष बनकर किसानों को आरामदायक स्थान प्रदान करते हैं।

गांव की स्वच्छता पर गांव की माताएं और बहनें खास ध्यान देते हैं, नियमित रूप से प्रातः 4:00 बजे उठकर गली मोहल्ले में झाड़ू लगाने की आवाज सुनाई पड़ती है सुबह उठते ही गाय बैल बकरी के मलमूत्र और गोबर को खाद बनाने के लिए गड्ढे में डाला जाता है जो उपजाऊ खाद में परिवर्तित हो जाता है।

गांव के लोग अधिक परिश्रमी होते हैं शारीरिक स्वास्थ्य हेतु यह अत्यंत आवश्यक है इसी कारण शहरों की तुलना में ग्रामवासी अधिक बलवान और स्वस्थ रहते हैं सात्विक आहार लेते हैं तथा जंक फूड  से दूर रहते हैं।

हमारे देश का गरीब 68% आबादी ग्रामीण हैं और मैं भी गांव में निवास करता हूं इसलिए मुझे अपने छोटे से गांव पर गर्व महसूस होता है।

Mera Gaon Nibandh in Hindi (300 words)

मेरे गांव के आगे की तरफ घने वनों का आवरण है यह वन संपदा ग्रामीणों के लिए एकमात्र अतिरिक्त आय का स्त्रोत है गांव वाले जंगल के लकड़ी से टोकरी आदि बनाकर बाजार में उचित मूल्य पर बेचते हैं। घने जंगल होने की वजह से वहां शुद्ध प्राणवायु का संचार होता है गांव के लोग सप्ताह में एक बार जंगल जरूर जाते हैं दातुन, गोंद व् जलाऊ लकड़ी जाने के लिए।

गांव से थोड़ी दूर पर पहाड़ी इलाका है जहां से गांव का पूरे गांव का स्वरूप देखा जा सकता है। बड़े दुजुर्ग बताते हैं की शुरुआत में हमारे गांव की जनसंख्या मात्र 40 -50 थी और अब मेरे गांव में करीब 2000 लोग रहते हैं। गांव में किसान परिवार ही रहते हैं इसलिए अनाज की कमी कभी नहीं होती, यहां मिलजुलकर पारंपरिक तौर से सभी त्योहार मनाते हैं।

पहले गांव में बिजली के अभाव में लालटीन, दिया जलाए जाते थे परंतु बिजली कनेक्शन के बाद अब हर घर में बल्ब जलता है। स्वास्थ्य सेवा के लिए स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया गया है, शिक्षा का अवसर अब गांव के पाठशाला में मिलने लगा है।

हर घर शौचालय निर्माण किया जा चुका है अब है मेरे गांव के लोग आधुनिक तकनीकी से जुड़कर digital India का हिस्सा बन रहे हैं, मोबाइल टॉवर स्थापति होने से दूरभाष से बातचीत करना आसान हो गया है।

अब मेरा गांव विकसित हो रहा है गली मुहल्ले में पक्को सड़कें बन रही है। आधुनिक उपकरणों द्वारा किसान आसानी से फसल उगा रहा है। बन्धुत्व गांव के हर व्यक्ति के अंदर है। गणेश उत्सव, दीपावली, अखंड कीर्तन आदि कार्यक्रमों का आयोजन में सभी यथाशक्ति योगदान देने से पीछे नहीं हटते, मेरे गांव की सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यों के प्रति एकजुटता मुझे बहुत पसंद है।

गांव मे सुबह होते ही किसान व्यस्त हो जाता है। गांव का स्वरूप भले छोटा हो लेकिन किसानों की कड़ी मेहनत की बदौलत ही पूरे देश को अनाज की आपूर्ति हो पाती है। शोर-गुल से परे गांव एक ऐसी जगह है जहां सुकून से रहा जा सकता है।

Mera Gaon Par Nibandh in Hindi (400 words) 

शहरी क्षेत्रों से अलग वह क्षेत्रफल जहां कम आबादी में लोग निवास करते हैं उसे गांव कहा जाता है। 

भारत की बढ़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती हैं। मैं भी शहर से 100 किलोमीटर दूर एक गांव में रहता हूं और अपने गांव के रहन सहन से भलीभांति परिचित हूं। 

मेरा गांव पहाड़ों के समीप तथा नदी के किनारे बसा है। वहां तकरीबन 500 लोग रहते हैं। वहां का परिवेश मनुष्य तथा पालतू पशुओं के लिए उपयुक्त है। 

प्रातःकाल पहाड़ के पीछे से उगता सूरज दिखाई देता है जो पूरे गाँव को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। पहाड़ में जंगल मौजूद है जहां से गाँव वाले कंदमूल, औषधियां और जलाऊ लकड़ी प्राप्त करते हैं। 

गांव के हर किसी को काम करना पसंद है खाली बैठकर समय बर्बाद कोई नहीं करता बड़े गुजुर्ग भी यथाशक्ति खेत में काम करते हैं उनमें अभी भी नौजवानों से अधिक स्फूर्ति है।

मेरे गाँव के निवासियों का एकमात्र व्यवसाय खेती - बाड़ी है और इसी से सबका घर चलता है, है साल पर्याप्त अनाज उगता है इसलिए भोजन की कमी नहीं होती।

भोजन पकाने के लिए चूल्हे पर लकड़ी डालकर आग लगाया जाता है और उसके ऊपर सिल्वर बर्तन रखकर खाना पकाया जाता हैं कुछ जगह अब भी मिट्टी के बर्तन में खाना बनाया जाता है।

गाँव के लोग मीठे स्वभाव वाले होते हैं अतिथि देवो भवः इसका अदभुद उदाहरण मेरे गांव में देखने को मिलता है। अतिथि का स्वागत चरण स्पर्श करके तथा जल से पैर धोकर करते हैं इस संस्कृति को देख अतिथि का मन गदगद हो जाता है।

आधुनिक यंत्रों तथा संसाधनों का इस्तेमाल अब हर कोई करने लगा है किन्तु अभी भी हमारे गांव में पूर्वजों के संस्कार देखे जा सकते हैं यही संस्कार भारत को श्रेष्ठ बनाता है।

भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दिलाने में गांवों के किसानों का महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि वे सालभर विभिन्न फसलें बोते हैं व अलग-अलग अनाज उगाते हैं। इनके वजह से पूरे देश में अनाज की नियमित आपूर्ति होती रहती है। भारत में शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र अधिक है। गांव वाले अधिक मात्रा में कृषि कार्य ही करते हैं अतः भारत कृषि प्रधान देश है।

गांव में वो शक्ति है जो थके व्यक्ति को आराम दे सकता है। यहां के तौर तरीकों से अवगत होने के लिए लोग छुट्टियों में गांव घूमने आते हैं। अब तो मेरे गांव में आंगनबाड़ी, प्राइमरी स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, हैंडपंप, शौचालय आदि सुविधाएं उपलब्ध हो गई है। अब मेरे गांव भी आगे बढ़ रहा है।

Mera Gaon Essay in Hindi (500 words)

प्रस्तावना

मेरे गांव का नाम बैगाटोली है जो एक छोटे क्षेत्रफल में फैला हुआ है निवासियों के आधार पर इसका नामकरण किया गया है। यह छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में स्थित है हमारा गांव छोटा किन्तु अधिक आबादी वाला ग्राम है। गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक नदी है जो कलकल करती बहती है वह पिकनिक का उत्तम स्थान भी है। 

अब गांव में आधुनिकरण होने लगा है इससे किसानों को सहूलियत मिल रही है। गांव के आगे घना जंगल है जिसपर गांव वाले दैनिक जरूरतों के लिए आश्रित हैं सामाजिक कार्यक्रमों के लिए दोना पत्तल का मुख्य स्त्रोत वही जंगल है।

बरसात के आने के बाद किसानों की मेहनत से गांव का हर खेत लहलहा उठता है चारों तरफ हरियाली फसल उगने लगते हैं। गांव के खेतों में लबालब भरे पानी और अनाज के फसलों की हरियाली ही गांव के स्वरूप में चार चाँद लगा देते हैं।

गाँव में भजन-कीर्तन का आयोजन 

प्रत्येक गांव में भजन कीर्तन का आयोजन सामूहिक रूप से किया जाता है। इस तरह के कीर्तन भजन में आस पड़ोस के अन्य गांवों से भी भक्तजन हिस्सा लेते हैं। यह पावन अवसर पर भक्तजनों की श्रद्धा से ओतप्रोत भजन और नृत्य देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है। सब मिलकर भजन कीर्तन का आनंद लेते हैं यह दृश्य प्रमाणित करता है की गांव में सामूहिक रूप से पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बहुत बड़ा महत्व है।

हर्षोल्लास से मनाए जाने वाले त्योहार 

भारत में अनेकों त्योहारों को पारंपरिक ढंग से मनाया जाता रहा है और यही गुण भारतीय को बाकियों से अलग बनाती है। भारत को गांवों का देश भी कहते हैं क्योंकि अधिकतर आबादी गांव में निवास करते हैं गांव में हर त्योहार को रीति रिवाजों के साथ मनाने की परंपरा है। दीपावली और होली में पूरा गांव झूम उठता है। दशहरा पर तो हमारे गांव में ही पुतला बनाकर रावण दहन किया जाता है। दीवाली का दिन सबको स्मरण रह जाता है क्योंकि उस दिन गांव के सभी घरों के द्वार, तुलसी चौरा, आँगन और गौशाला पर दीपक जलाकर रौशनी किया जाता है। भारत की हर एक त्यौहार की अपनी महिमा है और इसे मानने का आनंद परिवार के साथ ही आता है तभी तो दीवाली और होली पर जो लोग बाहर नौकरी करने गए हैं वो वापिस अपने गांव में आकर परिवार के साथ त्योहार मनाते हैं।

उपसंहार 

गांव का वातावरण बिल्कुल रहने लायक है मनुष्य यहां पर स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है शहरों में प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है इसलिए सुकून का सांस लेने के लिए छुट्टियों में लोग  गांव आ जाते हैं। जो लोग शहरों में पढ़ने लिखने जाते हैं वह भी गर्मी की छुट्टी में वापस लौट आते हैं नौकरी और जॉब करने वाले छुट्टी लेकर गांव में आराम करने आ जाते हैं यहां पर शुद्ध वातावरण में मन को शांति महसूस होता है। गांव के पारंपरिक रहन-सहन को देखकर कोई भी यहां हमेशा रुकने के लिए विवश हो जाएगा क्योंकि गांव में तो अतिथि को सच में भगवान का दर्जा दिया जाता है उनके आगमन पर अतिथि के पांव को पानी से धोया जाता है आदर सत्कार किया जाता है। भारतीय परंपराओं का अनूठा संगम अगर कहीं देखने को मिलता है तो वह गांव है।

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