खेल और स्वास्थ्य पर निबंध | Khel Aur Swasthya Par Nibandh in Hindi

स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है की शरीर के सभी अंग स्वस्थ व् तंदुरुस्त रहे रोगी मनुष्य जीवन में सुख का आनंद नहीं ले सकता। स्वस्थ जीवन के लिए शरीर को फिट रखना जरूरी है और इसके लिए खेलना भी जरूरी है। खेल का संबंध स्वास्थ्य शरीर से है जब हम खेलते हैं तो पैर में एक्यूप्रेशर से अनेक लाभ होते हैं। मनोरंजन के साथ स्वास्थ्य गुण प्राप्त करने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प खेल है। बच्चों को खेलना सबसे अधिक प्रिय होता है इससे बच्चों का मन प्रसन्न रहता है प्रसन्न रहना अपने आप में स्वस्थ रहने की दवा है। छोटे बड़े पुरुष महिलाएं बुजुर्ग सभी यथाशक्ति खेल के लिए वक्त निकलना चाहिए यह आज के भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए आवश्यक क्रिया है, अक्सर बड़े होकर लोग खेलना कूदना बंद कर देते हैं और समय के वजन बढ़ने लगता है उसका समाधान शारीरिक गतिविधि या खेल है हमें नियमित रूप से मनपसंद खेलते रहना चाहिए। इस पोस्ट में खेल और स्वास्थ्य पर निबंध - Khel Aur Swasthya Par Nibandh in Hindi के द्वारा हमने खेल और स्वास्थ्य का महत्व बताया है इसके अनेकों लाभ जानने को मिलेंगे। 

खेल और स्वास्थ्य पर निबंध - Khel Aur Swasthya Par Nibandh in Hindi

खेल और स्वास्थ्य पर निबंध - Khel Aur Swasthya Par Nibandh in Hindi

शरीर स्वस्थ रखने में खेल अति आवश्यक है यह मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक रूप से लाभान्वित करता है। हमें खेलों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा ये मनोरंजन का भी अच्छा माध्यम है जो मनोरंजन के साथ स्वास्थ्य सुधार का काम भी करता है। हर उम्र के बच्चे बड़े और बुजुर्ग भी सेहत के लिए मनपसंद खेल का आनंद ले सकते हैं। पहले बच्चे गिल्ली डंडा, लुका छिपी, खो-खो, कंचा, पिठ्ठू, लंगड़ी टांग, रस्सी कूद, घोड़ा बादाम, चोर-सिपाही जैसे अनेकों खेल खेला करते थे इसमें मजे के साथ शारीरिक विकास भी हो जाता था। अब बच्चे मैदान के अतरिक्त इनडोर खेल में हिस्सा लेने लगे हैं। तकनीक ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रभुत्व स्थापित कर दिखाया है चाहे वो प्रौद्योगिकी हो या खेल। खेल अब मोबाइल, टैब, लैपटॉप तथा डेस्कटॉप में खेला जाने लगा है। कुछ सालों पहले बच्चे मैदानी खेलों में फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो आदि को ज्यादा पसंद करते थे किन्तु अब डिजिटल गेम्स ने बच्चों का ध्यान आकर्षित कर रखा है। मैदानी खेलों में बच्चे शारीरिक रूप से भाग-दौड़, चलना-फिरना व् उछल-कूद किया करते थे परंतु डिजिटल खेलों में बच्चे एक स्थान पर बैठकर मोबाइल अथवा कंप्यूटर पर गेम चालू करके खेलते हैं इसमें शारीरिक श्रम के बजाय बौद्धिक रूप से खेल खेला जाता है।

पहले के खेल -

बच्चों को खेल के प्रति बहुत लगाव हुआ करता था गिल्ली डंडा, फुटबॉल, छुपन छुपाई तो रोज खेला जाता था गांव में बच्चों का बचपन इन्हीं आनंददायक खेलों के साथ बीतता था। कई खेलों का इजात और नामकरण तो बच्चे खुद कर लेते थे, बच्चों का शरीर खेलकूद की वजह से मजबूत और रोगप्रतिरोधी बन जाता है तभी तो गांव के बच्चे कम बीमार पड़ते थे। बाल्यावस्था में अभिभावक बच्चे के लिए स्वयं खिलौने बनाके देते थे। बड़े होकर मित्रों के साथ अनेकों खेल खेलते थे। बच्चों के साथ बड़े भी शामिल होकर फुटबॉल, क्रिकेट खेला करते थे। स्कूल की छुट्टी होते ही बच्चे घर लौटकर सीधे खेल मैदान पहुंच जाते थे और टीम बनाकर मनचाहा खेल प्रारंभ करते थे। पहले बच्चे खेल में इतने मगन हो जाते थे की कब शाम हो जाता था पता ही नहीं चलता था। छूपन-छुपाई, चोर-सिपाही,  पिठ्ठू और कंचा बहुत लोकप्रिय खेल हुआ करते थे अब भी कुछ बच्चे कंचे खेलना पसंद करते हैं।

आजकल के खेल -

किसी भी दौर में खेल हमेशा मनोरंजक होते हैं लेकिन समय के साथ नए - नए खेल आ गए हैं, पहले जो खेल खेला करते थे वह डिजिटल तरीके से खेले जाने लगे हैं। पहले खेल खेलने का एकमात्र स्थान मैदान हुआ करता था अब मैदान ना हो तो भी मोबाइल पर वीडियो गेम खेला जा सकता है। आज डिजिटल तरीके से हर एक काम होने लगा है, खेल का एक स्थान डिजिटल वर्ल्ड भी है जहां अलग - अलग प्रकार के खेलों का भंडार मौजूद है वहां खिलाड़ी मनपसंद खेल चुनकर खेल सकता है।

पहले खेलने के लिए जरूरी चीजें जैसे बल्ला, गेंद, स्टंप फुटबॉल लेना पड़ता था उसी तरह डिजिटल दुनिया में गेम खेलने के लिए इसे डाउनलोड करके इंस्टॉल करना पड़ता है उसमें गेम से जुड़े कुछ जरूरी सेटिंग्स के बाद खेल आरंभ किया जाता है। डिजिटल खेलों का फायदा यह है की इसमें एक साथ कई लोग डिजिटल रूप से जुड़कर या फिर अकेले बैठकर किसी भी गेम को प्ले कर सकते हैं। 

इस तरह के खेलों से कुछ नुकसान भी हैं क्योंकि इसमें बच्चे भाग दौड़ नहीं करते। एक जगह बैठकर मोबाइल और कंप्यूटर पर गेम खेलने से आंखों पर बुरा असर पड़ता है, फिजिकल एक्टिविटी कम होने से शारीरिक विकास नहीं हो पाता, पढ़ाई लिखाई पर फोकस कर पाना कठिन हो जाता है, एक स्थान पर बैठकर वीडियो गेम खेलने से वजन बढ़ने लगता है, परिवार व दोस्तों से मिलना जुलना काफी कम हो जाता है और मोबाइल डिवाइस की लत लग जाती है।

स्कूलों में खेल - 

स्कूलों में एजुकेशन के साथ खेलों को भी प्राथमिकता दी जाती है जहां पर टूर्नामेंट का आयोजन करके बच्चों को खो-खो, क्रिकेट और कबड्डी आदि खेलों में हिस्सा लेना का अवसर दिया जाता है। स्कूलों में खेल की सामग्री जैसे टेबल टेनिस, कैरम बोर्ड, फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट का सामान इत्यादि उपलब्ध रहते हैं जिनका इस्तेमाल खेलने में किया जाता है। 

बचपन से बच्चे स्कूल के खेल मैदान में खेलते आ रहे हैं। डिजिटल गेमिंग के जमाने में मैदानी खेल को कायम रखने में स्कूल का भी योगदान है क्योंकि घर में बच्चे भले ही वीडियो गेम खेलें परंतु स्कूल में फिजिकल एक्टिविटी वाले खेल जैसे बॉलीबॉल, फुटबॉल आदि गेम्स खेला करते हैं।

खेल के प्रति अवधारणाएं -

कुछ लोग खेल को वक्त की बर्बादी मानते हैं उनको लगता है की इसमें कुछ नहीं रखा है, ऐसे लोग बच्चों से खेलने के बजाय केवल पढ़ने पर फोकस करने को कहते हैं तो कुछ लोग खेल के समर्थन में हैं जो बच्चों को पढ़ाई के साथ खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करते हैं।

पहले के जमान ये कहना की पढ़ाई लिखाई से ही जीवन में आगे बढ़ोगे और अच्छी नौकरी मिलेगी तो ये सही था लेकिन अब विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करके लोग पैसे कमा रहे हैं। पहले कैरियर बनाने का एकमात्र विकल्प अध्ययन हुआ करता था लेकिन अब खेल के क्षेत्र में भी अपना कैरियर सुधार सकते हैं इसलिए अब बच्चों को खेल के प्रति भी रुचि लेने की सलाह दी जानी चाहिए इससे उनका मानसिक विकास के साथ - साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी बनेगा।

मैं ये नहीं कह रहा हूं की पढ़ाई-लिखाई जरूरी नहीं, अपने कार्यक्षेत्र और जीवन के लक्ष्य के अनुसार वो भी जरूरी है अगर टीचर, डॉक्टर, इंजिनियर आदि बनना है तो उससे संबंधित पढ़ाई करनी होगी लेकिन यदि कोई युवक या युवती खेल में अपना जीविका पथ बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं तो उनका भी समर्थन करना जरूरी है।

खेल और स्वास्थ्य का महत्व -

खेल का संबंध स्वास्थ्य से है जब हम खेलते हैं तो पूरे शरीर का व्यायाम होने से स्फूर्ति महसूस होती है। आजकल बच्चों को मोबाइल गेम्स खेलने की आदत  हो गई है इसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलने लगे हैं इसलिए अभिभावक भी बच्चों को मैदान में मनचाहा खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। मैदान में खेले जाने वाले हर एक खेल में शारीरिक श्रम होता है इसलिए इससे बॉडी वॉर्म अप हो जाता है सुबह - शाम बैडमिंटन, फुटबॉल आदि खेलना सेहत के लिए फायदेमंद है। निरोगी जीवन जीने के लिए लाइफ में खेलों को स्थान देना होगा। इसके महत्व को समझते हुए स्कूलों और कॉलेजों में भी खेलकूद के लिए बड़े स्टेडियम बनाए जाते हैं। खेलों का महत्व केवल बच्चों या छात्रों के लिए नहीं है बल्कि हर इंसान के लिए है, अगर प्रत्येक व्यक्ति दिन में एक घंटे खेलकूद में भाग ले तो उसका शरीर सुडौल, मजबूत और निरोगी हो जायेगा। खेलने वाले बच्चे का तबियत भी सुधरता है उनका रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है।

खेल के लाभ -

इससे मानसिक विकास होता है जो बच्चे खेलकूद में हिस्सा लेते हैं ऐसे बच्चे सोचने समझने में अधिक समर्थ होते हैं। यह पूरे शरीर में स्फूर्ति ला देता है खेल मनोरंजन का सर्वोत्तम साधन है इसका आनंद तब और अधिक बढ़ जाता है जब इसे समूह या दोस्तों के साथ खेला जाए।

जब बच्चे कोई नया खेल खेलते हैं तो उससे जुड़ी जानकारी प्राप्त करने में रुचि रखते हैं जिज्ञासा मानव के लिए आवश्यक है क्योंकि तभी मनुष्य नई चीजें सीखता है, खेल बच्चों में उत्सुकता व् जिज्ञासा को जागृत करता है।

खेले जाने वाले हर एक खेल खिलाड़ियों के ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को विकसित करते हैं। क्रिकेट में चौके छक्के लगाने के लिए ध्यान गेंद पर ध्यान लगाना पड़ता है। खेल के दौरान ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। किसी गेम में कुछ महीनों तक जुड़े रहने से व्यक्ति कुशल और एकाग्रचित होने में निपुण हो जाता है।

खेल हमें टीम वर्क का महत्व समझता है जो काम अकेले में करना कठिन लगता है उसे टीम वर्क द्वारा सरलता से पूरा किया जा सकता है। फुटबॉल में गोल लगाने के लिए टीम का हर खिलाड़ी मेहनत करता है इसी के बदौलत टीम का हर खिलाड़ी जीत हासिल करता है।

नियमित खेलने से बच्चों का हृदय स्वस्थ रहता है स्वांस से जुड़ी समस्याएं नहीं होती। रक्त परिसंचरण सुधरता है। खेलने में रुचि पैदा होता है। खाना पचाने में शारीरिक गतिविधि आवश्यक है इसलिए खेल पाचन तंत्र को भी ठीक रखता है।

मनुष्य का शरीर वायु, जल, अग्नि, मिट्टी और आकाश से मिलकर बना है इसलिए यह पंचतत्वों के संपर्क में आकर ही स्वस्थ रह सकता है। घर में बैठकर खेलने से भले आनंद मिलता हो लेकिन बाहर मैदान में खेलने से शरीर तरोताजा महसूस करता है आनंद के साथ स्वस्थ भी सुधरता है।

खेल से खिलाड़ियों को अलग पहचान मिलती है वह इंडियन टीम की तरफ से खेलते है और जीतने के बाद प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। खेल देश के (नागरिकों) युवा और युवती को अपने देश का नाम रौशन करने का मौका देता हैं।

उपसंहार -

छोटा बच्चा बाल्यावस्था से ही खिलौने का शौकीन रहता है बाद में वह तरह तरह खेलों को सीखता तथा खेलने लगता है। खेल से बच्चों में जीत का मूल्य पता चलता है उन्हे आभास होता है की जीत हासिल करने के लिए सालों तक कठिन परिश्रम करना पड़ता है हर रोज घंटों अभ्यास के बाद सामने वाले टीम से जीता जाता है। माता-पिता अब खेलों के महत्व से अवगत हो रहे हैं तथा अपने बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करने लगे हैं। बड़े टीम की तरफ से खेलने के लिए युवा पीढ़ी जोर शोर से परिश्रम कर रहे हैं। स्कूलों में खेल को प्राथमिकता मिल रही है। बच्चों के साथ बड़े भी फिटनेस के लिए खेलना शुरू कर रहे हैं। अब वक्त के साथ खेलों का महत्व बढ़ने लगा है। 

अंतिम शब्द

बालक एवं बालिकाओं के लिए खेलकूद अत्यंत महत्वपूर्ण है जो बच्चे खेलते कूदते हैं उनका ध्यान केंद्रित करने की क्षमता उन बच्चों से अधिक होती है जो खेल में भाग नहीं लेते। पढ़ाई के साथ खेल क्रिया वास्तव में जरूरी है तभी तो पाठशालाओं में खेल के लिए मैदान तथा खेल का सामान उपलब्ध रहता है। माता- पिता को अपने बच्चों को खेल में हिस्सा लेने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे उनका स्टेमिना तो बढ़ता ही है साथ में दिनभर तरोताजा महसूस होता हैं। मित्रों इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने खेल और स्वास्थ्य पर निबंध - Khel Aur Swasthya Par Nibandh in Hindi के बारे में बताया है उम्मीद करता हूं आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें, धन्यवाद।

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