दूरदर्शन का महत्व पर निबंध - Doordarshan ka Mahatva Essay in Hindi
आधुनिक युग में दूरदर्शन खूब प्रचलित है। आसपास की महत्वपूर्ण खबरें इसके द्वारा मालूम हो जाता है। यह मात्र मनोरंजन का नहीं अपितु ज्ञान बढ़ाने का साधन भी बन गया है इसके जरिए जीव - जंतु, कृषि आदि विषयों का जान प्राप्त किया जा सकता है। इस पोस्ट के जरिए हम दूरदर्शन का महत्व पर निबंध - Doordarshan Ka Mahatva Essay in Hindi लिख रहे हैं जो आपके लिए बहुत उपयोगी होगा। आज ज्यादातर घरों में दूरदर्शन को स्थान दिया जाता है। दिनभर की कामकाज से छुट्टी मिलने के बाद जब व्यक्ति घर लौटता है तो मन तरोताजा करने के लिए दूरदर्शन पर पसंदीदा कार्यक्रम देखता है।
दूरदर्शन का महत्व हिंदी निबंध - Essay on Doordarshan ka Mahatva in Hindi
जब महाभारत चल रहा था तब राजा धृतराष्ट्र को युद्ध का आंखों देखा हाल संजय सुनाया करते थे खा जाता है कि उनके पास दूरदर्शन काटने की दिव्य शक्ति थी इसलिए वह एक जगह रख कर दूसरे स्थान में हो रही घटनाओं का हाल-चाल बता सकते थे। यह बात लोगों को आश्चर्यजनक प्रतीत होती थी कुछ लोग इसपर यकीन थे तो कुछ नहीं, लेकिन आज यह फोर्स वास्तविकता बन चुकी है आज प्रत्येक घरों में टेलीविजन स्थापित हो गया है जिसके माध्यम से दूरदर्शन किया जा सकता है। गरीब और अमीर हर किसी तक दूरदर्शन की पहुंचा हो चुकी है अब गांवों में भी घर-घर टेलीविजन मौजूद है जिसमें वह देश दुनिया की तमाम छोटी बड़ी खबरों से परिचित होते रहते हैं।
दूरदर्शन का आविष्कार
दूरदर्शन के आविष्कार का श्रेय जॉन लोगीं बेयर्ड को दिया जाता है जो कि स्कॉटलैंड के निवासी थे। 1926 में वर्ल्ड ने टेलीविजन को इन्वेंट किया उसके बाद से इन्हें दूरदर्शन के प्रणेता के रूप में जाना जाता है। टेलीविजन एक ऐसा यंत्र था जो दूर घटित वास्तविक घटना को हुबहू हमें दिखाने में सक्षम था। इसके आविष्कार के पश्चात इसके प्रचार-प्रसार का कार्य प्रारंभ हुआ देखते ही देखते यह अत्यधिक प्रख्यात हुआ तथा विभिन्न देशों ने टेलीविजन तकनीक को अपनाते हुए इसका लाभ लेना शुरू कर दिया। भारत देश में दूरदर्शन की शुरुआत नई दिल्ली से की गई 1959 में भारत में पहली बार टेलीविजन प्रसारण का चैनल प्रारंभ किया गया सर्वप्रथम भारत में दूरदर्शन (Doordarshan) चैनल पर कार्यक्रम टेलीकास्ट किया गया।
सुबह के समय में भारत में औद्योगिकीकरण विज्ञान एवं कृषि से जुड़ी कार्यक्रमों का प्रसारण अधिक हुआ करता था किंतु अब भारत में अनेकों टीवी चैनल जारी हो चुकी है जिसमें दर्शक अपनी मनपसंद धारावाहिक देख सुन सकते हैं।
भारत में दूरदर्शन की शुरुआत
हमारे देश भारत में टेलीविजन प्रसारण की शुरुआत को ही दूरदर्शन का शुरुआत कहा जाता है क्योंकि सर्वप्रथम भारत में दूरदर्शन टीवी चैनल पर ही 15 सितंबर सन 1959 को कार्यक्रम का प्रसारण कार्य प्रारंभ किया गया था। टेलीविजन स्क्रीन पर धारावाहिक देखना यह हम भारतीयों के लिए बड़ी आश्चर्यजनक बात थी यह एक चमत्कार जैसा प्रतीत हो रहा था।
यह उपकरण बहुत कम वक्त में पूरे भारत में प्रख्यात हो गया, आरंभिक काल में इसकी पहुंच मात्र बड़े शहरों मे थी, किंतु टेलीविजन तकनीक जैसे-जैसे विकसित हुई गांव वाले भी टेलीविजन खरीदने लगे।
भारत में दूरदर्शन की प्रसिद्धि
गांव के किसी एक घर में अगर टेलीविजन लाया गया हो तो पूरे गांव का भीड़ उस घर में जमा होकर पसंदीदा कार्यक्रम का लुफ्त उठाया करते थे। टीवी पर सर्वप्रथम एक ही चैनल आता था वह था दूरदर्शन। उस वक्त दूरदर्शन काफी प्रचलित हो गया इसे इतनी अधिक प्रसिद्धि दिलाने में रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिक कार्यक्रम का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इन कार्यक्रमों को देखने के लिए पूरे गांव की जनता एक जगह बैठकर श्रद्धाभाव से सीरियल देखते थे। भारत में इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग अपने अपने घरों में टेलीविजन उपकरण स्थापित करने लगे और दैनिक धारावाहिक का आनंद लेने लगे।
पसंदीदा टेलीविजन चैनल
रामायण और महाभारत जैसे धारावाहिक की वजह से दूरदर्शन को असीम दुख को प्रियता हासिल हुई। प्रारंभिक समय पर यह एकमात मनोरंजन का चैनल हुआ करता था कि तो अब टेलीविजन पर चैनल्स की भरमार है। टीवी ऑन कर दे एक से बढ़कर एक चैनल मनोरंजक धारावाहिक के साथ देखने को मिल जाते हैं। अब टेलीविजन चैनल के बीच प्रतिस्पर्धा भी बहुत अधिक बढ़ गई है क्योंकि अब बहुत अधिक टीवी चैनल है जो अत्यधिक मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के प्रयास में लगे हुए हैं दर्शक अचरज में है कि कौन सा टीवी चैनल देखे और कौन सा नहीं।
दूरदर्शन का कार्य
Tv का मुख्य कार्य दुनिया में हो रहे घटनाओं को दर्शकों को प्रदर्शित करना होता है। इसमें न केवल लाइव प्रसारण बल्कि tv shows आदि भी देखा जाता है। दूरदर्शन विज्ञान का अद्भुत अविष्कार है यह फोटो इलेक्ट्रॉन सेल्स की सहायता से कार्य करते हैं। इसमें किसी भी दृश्य को प्रसारित करने के लिए पहले उसे विद्युत तरंगों में परिवर्तित करके दूर स्थित टीवी तक भेजा जाता है जिसे टेलीविजन का रिसीवर प्राप्त करता है तथा उसे पुनः चित्रों में बदल कर स्क्रीन पर दिखाता है।
दूरदर्शन का महत्व
दूरदर्शन या टीवी एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसमें लाइटिंग के साथ डिस्प्ले में वीडियो प्रदर्शित होता है ध्वनि के लिए इसमें स्पीकर सेट रहता है ताकि कार्यक्रमों को देखने के साथ सुना भी जा सके। यह मनोरंजन का सबसे सस्ता साधन है। हमें पैड चैनल्स के अलावा कई फ्री चैनल्स भी देखने मिलते हैं। इसमें घर बैठे विश्वभर का भ्रमण चलचित्रों को देखकर किया जा सकता है। दूरदर्शन द्वारा व्यक्ति मुंबई में बैठकर आस्ट्रेलिया, अमेरिका और फ्रांस आदि देशों में हो रहे घटनाओं से अवगत हो रहा है। इंडियन क्रिकेटर्स जब विदेशों में क्रिकेट खेलते हैं तो उस मैच का लाइव प्रसारण दूरदर्शन के जरिए घर में सोफे पर बैठकर देख सकते हैं।
यह मनचाहा कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए उत्तम उपकरण है। बच्चों के लिए कार्टून व् एनीमशन शो और बड़ों के लिए टीवी सीरियल्स, फिल्में और न्यूज चैनल उपलब्ध हैं। स्पोर्ट्स के लिए अलग से चैनल आ गए हैं। अब तो कुकिंग चैनल देखकर दर्शक नए पकवान बनाने सीख रहे हैं। इससे शिक्षात्मक उद्देश्य की पूर्ति भी हो जाती है शिक्षाप्रद बातें कहानियों के माध्यम से दिखाई जाती जो बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
रोज बहुत सारे कार्यक्रम का प्रसारण चलता रहता है। राशिफल से संबंधित सवाल जवाब का कार्यक्रम भी आते हैं। न्यूज अब रोचक ढंग से दिखाए जाते हैं। अब पूरा विश्व एक छोटे से tv के अंदर आ गया है tv ऑन होते हैं कार्यक्रम का भरमार नजर आता है। टेलीविजन या दूरदर्शन अब मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है क्योंकि घर में दिन की शुरुआत टीवी से ही होती है। सुबह - सुबह अधिकतर लोग भजन सुनना पसंद करते हैं, कुछ कहानियां, कुछ योग वाले चैनल तो कुछ ताजा खबरें जानने के इच्छुक रहते हैं उनके लिए दूरदर्शन जानकारियां का भंडार है।
उपसंहार
दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। रामायण एवं महाभारत की कथाओं का चलचित्र से सकारात्मक सोच मन में जागृत हो जाती है। उसमें चिटकुलें हसी मजाक वाले शो देखकर मन प्रफुल्लित हो जाने से पूरा दिन अच्छा बीतता है। दूरदर्शन ने बच्चों को भी प्रभावित किया कुछ बच्चे घंटों तक टीवी देखने के आदि हो जाते हैं इससे उन पर कई नकारात्मक प्रभाव देखने मिलते हैं। खैर इसमें दूरदर्शन का कदापि दोष नहीं, अगर हम दूरदर्शन का सदुपयोग करते हुए काम की चीजें देखा करेंगे तो इससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
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