पर्यावरण और मानव जीवन पर निबंध - Paryavaran Aur Manav Jivan Nibandh

पर्यावरण वह प्राकृतिक तत्व है जो सजीवों के जीवन के लिए अनिवार्य है। हमारे आसपास हरियाली पेड़-पौधे, वन उपवन, जल इत्यादि महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं जिससे मिलकर पर्यावरण का निर्माण होता है। पर्यावरण संसाधनों का मानव द्वारा विभिन्न कार्यों में उपयोग किया जाता रहा है इससे ईंधन, सौर ऊर्जा विद्युत आदि प्राप्त हो रहा है। आज दुनिया में तकनीकी हर जगह पहुंच गई है तकनीक और प्रौद्योगिकी में पर्यावरण संसाधनों का अवश्य इस्तेमाल होता है जिससे औद्योगिक कार्य सुचारू रूप से चलते रहते हैं।

पर्यावरण और मानव जीवन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment and Human Life in Hindi, Paryavaran Aur Manav Jivan Nibandh)

पर्यावरण और मानव जीवन पर निबंध - Paryavaran Aur Manav Jivan Nibandh

निबंध 1. मानव और पर्यावरण - 300 शब्द

मानव के लिए पर्यावरण अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है इसके बिना तो इंसान का अस्तित्व ही नहीं है। जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब पहले जीव बड़े और विशालकाय हुआ करते थे, उस वक्त उनके जीवन के अनुकूल वातावरण ढल गया था बाद में पर्यावरण उन जीवों के लिए अनुकूलित नहीं रहा इसलिए जीव विलुप्त हुए। 

कहते हैं मनुष्य के पूर्वज बंदर थे मतलब इनसे मानव बने। पहले आदिमानव फिर उनसे इंसान बने। जीवों के प्रत्येक पीढ़ी में पर्यावरण खुद को बदलती है। समय के साथ पर्यावरण में जीवों की अनेकों प्रजातियां जन्म लेने लगी उनमें से मानव सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान है।

मानव के लिए पर्यावरण बहुत आवश्यक तत्व है जो उसे जीवनदान देता है। हमारे आसपास पेड़ पौधे, जंगल, बहते झरने, नदी तालाब और पहाड़ पठार नजर आते हैं जो पर्यावरण का हिस्सा है।

आधुनिक युग में मानव प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग कर रहा है। मनुष्य पहले से आलसी होता जा रहा है थोड़ी दूर जाने हेतु वाहनों का उपयोग कर रहा है और ईंधनों की अधिकता में उपयोग करने में लगा है। वाहन संचालन हेतु ईंधन रूप में पेट्रोल, डीजल, कोयले का प्रयोग होता है यह सभी पर्यावरण का हिस्सा हैं।

वाहनों के अत्यधिक उपयोग से उससे धुंआ निकलता है जो वायुमंडल में घुलकर प्रदूषित कर देता है जिससे सांस द्वारा अशुद्ध हवा शरीर में जाता है और मानव बीमार पड़ता है।

मानव चाहे तो पर्यावरण का अधिक विकास कर सकता है पर वर्तमान में मानव पर्यावरण का ह्रास करने में हर तरह से लगा हुआ है, निर्दयी होकर पेड़ - पौधे की कटाई करने में लगा है। हमें चाहिए की हर साल कम से कम 2-3 पौधे लगाए ये पर्यावरण हेतु हमारा योगदान होगा। कचरा कूड़ेदान में डालकर वातावरण स्वच्छ बनाने के लिए पहला कदम उठाना होगा। 

मानव जल का दुरुपयोग करके उसे प्रदूषित कर रहा है ये भविष्य के लिए सही नहीं, हमें जल संरक्षण करना होगा, पर्यावरण संरक्षण हेतु ठोस कदम उठाने जरूरी हैं।


निबंध 2. पर्यावरण और मानव जीवन पर निबंध - 400 शब्द

पर्यावरण और मानव जीवन पर निबंध - Paryavaran Aur Manav Jivan Nibandh


परिचय -

हमने कभी सोचा यदि पर्यावरण ना होता तो क्या होता? दुनिया में मानव जीवन नहीं होता, पक्षियों की पक्षियों की छेड़छाड़ पक्षियों की चहचहाट नहीं होती। भूमि पर जल झरने पेड़ पौधे किस का अस्तित्व नहीं होता। ब्रह्मांड में पृथ्वी एकमात्र ग्रह है जिसमें जीवन के समस्त संसाधन उपलब्ध हैं।

वातावरण में मौजूद हवा, जल, पेड़ पौधे समेत हर वो तत्व जो जीवन में सहायक होता हैं पर्यावरण कहलाता हैं।

पर्यावरण और मानव का संबंध 

पर्यावरण तथा मानव का गहरा संबध है। पर्यावरण के बिना मानव का अस्तित्व नहीं, और मानव के बिना पर्यावरण भी अधूरा सा लगता है। 

वातावरण में जितने भी प्राकृतिक सुख सुविधाएं हैं वह मानव को एक अनुकूलित वातावरण देते हैं जिस कारण मनुष्य तथा वन्य प्राणी जीवित रहते हैं।

मानव हेतु अनुकूलित वातावरण बनने में कई वर्षों का समय लगा उसके बाद जीवन संभव हो पाया, अब मानव की जिम्मेदारी है की वह पर्यावरण की सुरक्षा करे।

पर्यावरण अब अशुद्ध होने लगा है जिसका जिम्मेदार मानव है। यदि मनुष्य अनुचित क्रियाकलापों को रोक दे जो पर्यावरण को नुकसान देते हैं तो पर्यावरण स्वयं स्वच्छ हो जाएगा। 

पर्यावरण के लिए मानव का कर्तव्य 

वर्तमान में मनुष्य प्रकृति प्रदत्त चीजों का दुरुपयोग करके उसका ह्रास कर रहा है। मानव को चाहिए की वह उसका सदुपयोग करे।

मानव का कर्तव्य है की वह जंगलों की अंधाधुंध कटाई ना करें और वृक्षारोपण करें। थोड़ी दूर जाने में वाहन ना चलाए बल्कि पैदल या साइकिल पर जाए इससे सेहत को लाभ होगा।

आसपास जमा कचरे की नियमित सफाई, जल में कचरा ना फेंकना, उन क्रियाकलापों से बचना जिससे वायुमंडल दूषित होता है, मानव को अपने साथ अन्य लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक करना होगा।

हम मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को कम कर सकते हैं। अपशिष्ट पदार्थों को जहां तहां फेंकने के बजाय वहां से के जहां उसका स्थान है। घरों के कचरे को थैली में डालकर रखें तथा जब कूड़ा उठाने वाला आए तो उसे दे देना चाहिए।

आज अलग अलग रूप से पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है, कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ पानी में मिल रहा है उसे जानवर पीकर बीमार हो रहे हैं। भोज्य पदार्थ जैसे सब्जी में कीटनाशक का छिड़काव करने से मानव का स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा है। हवा में दूषित तत्व मिल रहे हैं जो वायु गुणवत्ता घटा रहे हैं। मानव का कर्तव्य बन गया है की पर्यावरण को फिर से वास्तविक रूप में ले आए इसके लिए सफल प्रयास करना ही होगा।

निष्कर्ष

पृथ्वी पर जमा कचरा दिन ब दिन बढ़ रहा हैं उसका निपटान करना जरूरी है इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहा है। हमें चीजों के पुनरुपयोग पर विचार करना चाहिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करना होगा। पानी का अपव्यय बंद करके वर्षा जल को संरक्षित करना होगा। उन तरीकों को अपनाना होगा जो हमारे पर्यावरण को फायदा पहुंचाते हैं।


निबंध 3. पर्यावरण और मानव जीवन पर निबंध - 500 शब्द

कुदरत ने हमें पर्यावरण रूपी भेंट दिया है जिसमें जीवन के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध है। गोंद, रबर, औषधियां, जलाऊ लकड़ी आदि के लिए हम वनों पर निर्भर हैं। जंगली जानवरों का मुख्य आवास स्थल वन है। समुद्र में बड़े जीवों का रहना पर्यावरण ही संभव बनाता है। आज मानव जाति इतना विकसित हुआ है इसमें भी पर्यावरण का योगदान है। 

समृद्ध पर्यावरण अब नष्ट होने लगा है हम मनुष्य उसकी वास्तविकता खो रहे हैं वातावरण बदल गया है जहां बरसात आनी थी वहां सूखा है धरती तपने लगा है राहत के लिए लोग पानी को तरसते हैं भू जल स्तर नीचे जा रहा है ये सब आधुनिकरण तथा शहरीकरण का परिणाम है।

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव

महानगरों में स्थिति गंभीर है पानी को लोग तरसते हैं स्नान के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता। जहरीले तत्व हवा में मिले हुए है जो सांस से फेफड़े में चले जाते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं। पर्यावरण प्रदूषण आर्थिक, बौद्धिक और शारीरिक दृष्टि से मानव जीवन को प्रभावित करती है। शरीर के विकास हेतु सूर्य प्रकाश अनिवार्य है विटामिन डी की आपूर्ति इसी से होती है लेकिन आज घंटो तक लोग बाहर नहीं निकलते।

स्वास्थ्य विकार उत्पन्न होने से इलाज का खर्चा अलग से लगता है इसी से घर की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास पर्यावरण से जुड़े रहने से होता है। सूर्य प्रकाश, शुद्ध वायु, पवित्र जल इनके संपर्क में आने से मन को तरोताजा महसूस होता है।

पर्यावरण प्रदूषण का कारण

आधुनिकरण तथा शहरीकरण प्रमुख कारण है पर्यावरण प्रदूषण का, जंगलों को नष्ट करके पक्की सड़क बनाई जा रही है जहां हरियाली थी वहां इमारतें खड़ी है आबादी बढ़ रही है तो पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रही है।

वाहनों के चलने से धुंध उड़ते हैं और वह पेड़ पौधे के पौधे पर पड़ते रहते हैं पौधे हरे से काले हो रहे हैं प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पा रहा पौधे विकसित नहीं हो रहे।

प्लास्टिक पर्यावरण में बिखरे पड़े रहते हैं जो सड़ते नहीं अपघटित नहीं होने से धरती पर प्लास्टिक कचरा पड़ा रहता है जो भूमि के ऊपरी सतह पर ही नहीं बल्कि भूमि के अंदर भी दबी हुई पाई जाती है।

जल में रासायनिक तत्व मिलने से जल प्रदूषित गोरा है जो मानव स्वास्थ्य तथा जलीय प्राणी स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

पर्यावरण बचाओ के उपाय

प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते है हमें इस दिन प्रण लेना चाहिए की हम अपनी बुरी आदतों को सुधारेंगे वह काम नहीं करेंगे जिससे पर्यावरण नष्ट हो। हम सभी गलतियों को सुधारेंगे, प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करेंगे। अपशिष्ट पदार्थों को वहीं फेंकेंगे जहां उसका स्थान है। आसपास हमेशा सफाई बनाए रखेंगे। कूड़े को कचरे डब्बे में डालने को आग्रह करेंगे। जल निकायों को स्वच्छ रखने में अपना ठोस योगदान देंगे।

निष्कर्ष 

पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देकर आम आदमी अपना कारगर सहयोग दे सकता है हमें बिजली की खपत कम करनी होगी, आवागमन हेतु सार्वजनिक वाहन बस ट्रेन का उपयोग करना होगा, चीजों के दोबारा उपयोग करके वेस्टेज कम करना होगा, सिंगल यूज़ प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जल अपव्यय बंद करके जल संरक्षण करना होगा, धरती पर अधिक से अधिक पौधे उगाने होंगे सबको पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करना होगा।

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