मेरी पाठशाला निबंध - मेरे स्कूल के दिनों का अनुभव
हर पाठशाला एक मंदिर की तरह है इसलिए कई पाठशालाओं में मां सरस्वती की आराधना के पश्चात अध्ययन शुरू किया जाता है। पाठशाला वह स्थान है जहां बच्चे पढ़ने जाते हैं। शुरुआती शिक्षा पाकर बच्चा शब्दों को पढ़ना और लिखना सीखता है और भविष्य में एक साक्षर नागरिक बनता है। स्कूल विद्यार्थियों की पुस्तक के प्रति लगाव को उत्पन्न करता है पढ़ने-लिखने और नियमित कुछ न कुछ सीखने को प्रेरित करता है। बिना भेदभाव के समान अधिकार प्राप्त कर कोई भी बालक व् बालिका किसी भी स्कूल में दाखिला लेकर अध्ययन कर सकता है। पाठशाला बच्चों के भविष्य की नींव रखता है। हम सबने स्कूल में पढ़ना लिखना सीखा, हर शिक्षार्थी का अपने पाठशाला में अपना विशेष अनुभव रहता है, मैं भी अपने स्कूल में रोज कुछ न कुछ सीखता रहता हूं, मित्रों के साथ मिलकर विद्यालय जाना मुझे बहुत अच्छा लगता है हमारे स्कूल में बच्चों को कई सहूलियत दी गई है, इसी के बारे में पाठशाला पर निबंध - meri pathshala nibandh के माध्यम से आपको बताया गया है।
रूपरेखा ➤ प्रस्तावना, मेरी पाठशाला निबंध, पाठशाला के बारे में, प्राचार्य / प्रधान अध्यापक कक्ष, शिक्षक एवं शिक्षिकाएं, पुस्तकालय, मध्याह्न भोजन, खेल मैदान, पाठशाला में योग एवं व्यायाम, सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं, प्रयोगशाला, छात्रावास की सुविधा, मेरे मित्र, शिक्षक दिवस, बाल दिवस, पाठशाला में वार्षिक उत्सव, पाठशाला के लिए हमारा कर्तव्य, उपसंहार।
मेरी पाठशाला पर निबंध - Meri Pathshala Nibandh in Hindi
मेरी पाठशाला निबंध हिंदी |
प्रस्तावना -
तीन या छः साल के बाद बच्चे पाठशाला जाना प्रारंभ कर देते हैं उस समय पर उनके मस्तिष्क में अधिक ज्ञान नहीं होता, वहां शिक्षक बच्चों को गिनती और अक्षरों का ज्ञान देते हैं, शब्दों को पढ़ना व् लिखना सिखाते हैं। ऐसा स्थान जहां पर बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता हो उसे पाठशाला कहा जाता है। प्राचीनकाल में गुरुकुल ही पाठशाला था जहां बालक शिक्षा ग्रहण करने जाया करते थे अब उसे पाठशाला या विद्यालय कहा जाता है। मनुष्य के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है जो उसे पाठशाला से मिलता है। मैं जिस पाठशाला में अध्ययन करने जाता हूं वहां पहली से आठवीं तक की कक्षा उपलब्ध है जिसमें आस-पास और दूरदराज से बच्चे पढ़ने आते हैं। पाठशाला में सभी जाति, धर्म, वर्ग के लोग पढ़ लिख सकते हैं भारत में सर्वधर्म समभाव की भावना कूट-कूट कर भरी है। हमारे देश में शासकीय और अशासकीय पाठशाला का चुनाव बच्चे अपने सुविधानुसार कर सकते हैं। ये मंदिर समान है जहां शिक्षक को भगवान तुल्य माना जाता है। अब छुआछूत खत्म हो गया है वहां सबको बराबर का अधिकार प्रदान किया जाता है। बच्चे किसी भी धर्म, जाती से आते हो अपने रुचि अनुसार किसी भी विषय का चुनाव कर अध्ययन प्रारंभ कर सकते हैं। बच्चों में ज्ञान की नींव पाठशाला में शिक्षकों द्वारा रखी जाती है आज पढ़ाई बहुत सस्ती हो गई है शासकीय पाठशालाओं में निशुल्क पुस्तकें दिए जाते हैं। ज्ञान के साथ बच्चों में सभ्यता और अनुशासन का उदय पाठशाला से ही होता है।
मेरी पाठशाला निबंध हिंदी
पढ़ने के लिए शांतिपूर्ण वातावरण आवश्यक है इसलिए मेरे पाठशाला का निर्माण शांत स्थान पर किया गया है जहां शोर गुल नहीं होता और बच्चे आसानी से पढ़ाई में मन लगा पाते हैं। मेरी पाठशाला एक मंजिला किन्तु बहुत बड़ा है क्योंकि उसमें कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चे अध्ययन करने आते हैं। प्रत्येक कक्षाओं के लिए अलग-अलग कमरे उपलब्ध हैं। हमें प्रतिदिन पाठशाला आकर कुछ ना कुछ सीखने को मिलते रहता है, अध्यापक सभी बच्चों से बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं कठिन विषयों को सरलता से बताने का प्रयास करते हैं। हमारे पाठशाला में कई सुख सुविधाएं उपलब्ध है जैसे पीने का पानी, लाइब्रेरी, प्लेग्राउंड, वॉशरूम इत्यादि।
मेरी पाठशाला के बारे में - पूरी जानकारी
सुबह तैयार होकर जब मैं पाठशाला के लिए निकलता हूं तो मेरे कुछ दोस्त भी पीठ पर बस्ता लेकर साइकिल चलाते आते हैं। जहां मैं पढ़ने जाता हूं वह पाठशाला मेरे घर से 5 किलोमीटर दूरी पर है इसलिए साइकिल चलाकर जाना अच्छा विकल्प है। पाठशाला पहुंचते ही बड़ा सा प्रवेश द्वार है जो छुट्टियों के दिनों में बंद रहता और स्कूल के समय खुला रहता है। गेट के अंदर जाने के बाद उसे बंद कर दिया जाता है ताकि बच्चे पढ़ाई के समय पर बारह घूमने फिरने न जाए। सबसे पहले वहां राष्ट्रगान और प्रार्थना गीत गाया जाता है फिर पढ़ाई शुरू की जाती है। पढ़ाई 10:30 बजे से ही प्रारंभ हो जाती है एक विषय को 40 मिनट तक पढ़ाया जाता है इसी तरह सभी विषयों का अध्ययन कराया जाता है।
मेरे पाठशाला की प्राचार्य कक्ष
मैं 7वीं (class 7) कक्षा में पढ़ता हूं और हमारे कक्षा के बगल में ही प्राचार्य कक्ष है इसलिए सब अनुशासित रहते हैं शोर नहीं करते ताकि प्रधान अध्यापक के काम में व्यवधान न हो। हमारे प्राचार्य महोदय के लिए अलग कक्ष है, अन्य अध्यापक एवं अध्यापिकाएं अलग कक्ष में बैठते हैं। जब स्कूल में विशेष समारोह का आयोजन करना हो तो सभी शिक्षक गण प्राचार्य कक्ष में साथ बैठकर की चर्चा करते हैं। पाठशाला में प्राचार्य कक्ष की नियमित रूप से साफ सफाई होती है। प्राचार्य कक्ष में किताब की ट्रे लगी हुए है जिसमें कुछ किताबें रखी हुई है। कक्ष में कंप्यूटर भी रखा गया है जिसमें जरूरी दस्तावेजों को डिजिटल रूप से रखा जा सकता है। प्रधान अध्यापक महोदय के कक्ष में महापुरुषों जैसे महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह आदि के तस्वीर लगे हुए हैं साथ ही दीवार पर प्रेरक विचार लिखे गए हैं।
मेरे पाठशाला के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं
शिक्षकों के बिना पाठशाला अधूरा है क्योंकि वही हमें ज्ञान देते हैं पुस्तक पढ़ना और नोटबुक में लिखना सिखाते हैं। मेरी पाठशाला में 25 शिक्षक हैं जो सभी कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हैं। सबका बढ़ाने का तरीका अलग अलग है किताबों में लिखे गए बातों को आसान शब्दों में बताते हैं। एक पाठ पढ़ाने के बाद विषय शिक्षक उसका टेस्ट लेते हैं ऐसा करने से विद्यार्थी पढ़ाई पर गंभीरता से ध्यान दे पाता है।
पढ़ाई-लिखाई के अलावा शिक्षक हमें अन्य क्षेत्र में भी रुचि रखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जैसे खेल, चित्रकला इत्यादि। पाठशाला में छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों को विज्ञान विषय पढ़ाया जाता है उससे संबंधित कुछ प्रयोगात्मक पाठ को आसानी से समझ लेने के लिए लैब में प्रयोग भी कराएं जाते हैं।
शिक्षक तिमाही, छमाही और अंतिम परीक्षा की तैयारी शुरुआत से ही कराते हैं ताकि बच्चे आसानी से परीक्षा उत्तीर्ण कर पाए। हमारे शिक्षक हमें प्रतिदिन पाठशाला आने को कहते हैं ताकि प्रतिदिन कुछ नया सीख सकें साथ ही अनुशासन का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
मेरी पाठशाला की पुस्तकालय
हमारी पाठशाला में पुस्तकालय भी है जहां पर परीक्षा उपयोगी पुस्तकें रखी होती है। लेखकों के प्रसिद्ध रचना, कहानियां वाली पुस्तके ये सब वहां उपलब्ध है जिन्हें हम पढ़ा करते हैं।
लाइब्रेरी में रखे किताबों में काम की बातें मिलती है हर किताब कुछ सिखाती है। यहां से सामान्य ज्ञान वाली किताबें पढ़कर कंपटीशन एग्जाम की तैयारी की जा सकती है।
मेरी पाठशाला में मध्यान्ह भोजन
प्राइवेट स्कूल में बच्चे घर से टिफिन लेकर जाते हैं लेकिन मैं शासकीय विद्यालय में पढ़ता हूं इसलिए वहां पर दोपहर में मध्यान भोजन मिलता है।
रोज चावल के साथ कौन सी सब्जी पारोसी जाएगी ये खाने की मेन्यू पर निर्भर करता है, उसे देखकर ही सबके लिए स्वादिष्ट खाना बनाया जाता है।
भोजन का समय होने से पहले हम पाठशाला में अलग अलग तीन विषयों का अध्ययन कर चुके होते हैं उसके बाद ही लंच के लिए घंटी बजाई जाती है, स्कूल मैदान के किनारे एक चबूतरा है जिसमें सब बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं।
मेरे पाठशाला में खेल मैदान
स्कूल का मैदान काफी बड़ा है जिसमें पहली - दूसरी कक्षा के लिए झूलने के लिए झूला लगा है। 6 से आठवीं वालों के लिए फुटबॉल और बॉलीवॉल हैं। खेल छुट्टी में सब फुटबॉल खेलना शुरू कर देते हैं।
जब पाठशाला में सभी सब्जेक्ट की पढ़ाई पूरी हो जाती है उसके बाद खेल के लिए घंटी बजती है, खेलते खेलते 4 बज जाता है और फिर स्कूल की छुट्टी घंटी बज जाती है।
मेरी पाठशाला में योग एवं व्यायाम
पढ़ाई-लिखाई में मन लगाने के लिए शारीरिक तंदुरस्ती जरूरी है इसीलिए हमारे पाठशाला के शिक्षक हमें योग, कसरत करने के लिए प्रेरित करते हैं। विद्यालय में शनिवार के दिन मॉर्निंग क्लास होती है और सुबह-सुबह जमकर कसरत कराई जाती है।
योग के कई आसनों के बारे में जानकारी दी जाती है और उनके फायदे बताते हैं। सूर्यनामस्कर सबका पसंदीदा आसन है जिसे 12 बार कराया जाता है इसमें ये 12 आसनों से मिलकर बना है।
मेरी पाठशाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम
पाठशाला हमें पढ़ाई के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते हैं, हमारे अध्यापक हमें नृत्य, गायन, नाटक, खेल इन फील्ड में ध्यान देने को कहते हैं। हर साल हमारे स्कूल से कई बच्चे खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं कई बार जीत भी हासिल किए हैं, पुरस्कार भी जीते हैं।
विशेषकर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर सभी पाठशालाओं में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें बालक एवं बालिका हिस्सा लेते हैं। देशभक्ति गानों पर अपना नृत्य दर्शकों के सामने प्रस्तुत करते हैं। भाषण प्रतियोगिता, नृत्य और गायन प्रतोगिता ये सब हमारे पाठशाला में होते रहते हैं।
मेरी पाठशाला में प्रतियोगिता
सभी पाठशाला में वार्षिक महोत्सव के दिन रंगारंग कार्यक्रम के साथ प्रतियोगिता भी रखी जाती है जिसमें सभी बच्चे हिस्सा लेते हैं और जीतने पर पुरस्कार प्राप्त करते हैं।
हमारे स्कूल में साल भर में कई बार प्रश्न उत्तर से संबंधित प्रतियोगिताएं रखी जाती है जिसमें सामान्य ज्ञान वाले सवालों के जवाब देना होता है जो ज्यादा सही जवाब देता है वह विजेता होता है। पाठशालाओं में पढ़ाई के अलावा इस तरह की प्रतियोगिता आयोजित करने से बच्चों में अन्य क्षेत्रों में भी रुचि जागृत होती है।
मेरी पाठशाला में प्रयोगशाला
मेरी पाठशाला में लैब या प्रयोगशाला भी है जिसमें छठवीं से आठवीं तक के बच्चों को विज्ञान से जुड़े प्रयोग करके दिखाए जाते हैं। पाठशाला में प्रयोग के उपकरण मौजूद है जिनमें मुख्य रुप से सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग हम सभी ने करके देखा है जिसमें सूक्ष्म चीजों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
मेरी पाठशाला में छात्रावास की सुविधा
मेरे पाठशाला पर दूर - दराज से बच्चे (विद्यार्थी) पढ़ने आते हैं इस वजह से कभी - कभी उन्हें पाठशाला पहुंचने में देरी हो जाती है, इस समस्या के समाधान हेतु हमारे पाठशाला के बगल में छात्रावास भवन का निर्माण किया गया है उसमें नहाने धोने, खाने - पीने की उचित व्यवस्था की गई है इसलिए जो दूर से पढ़ने आते हैं वो हॉस्टल में रहकर पढ़ाई पूरी कर सकते हैं।
मेरी पाठशाला में मेरे मित्र
विद्यार्थी जीवन में मित्रता बहुत महत्वपूर्ण है मेरे पाठशाला में कई दोस्त हैं जिनमें से दो लोग रमेश और सुरेश मेरे परम मित्र हैं। मित्र के बिना स्कूल लाइफ अधूरी है जब दोस्त क्लास में रहते हैं तो अध्ययन करने में मन लगता है। हम दोस्त मिलकर लंच टाइम पर मिल जुलकर भोजन करते हैं। वार्षिक उत्सव या अन्य उत्सव के मौके पर हम दोस्त साथ बैठना पसंद करते हैं। रोज सुबह दोस्तों के साथ बातचीत करते हुए स्कूल पहुंच जाते और छुट्टी के बाद साथ में घर लौट जाते हैं। कुछ दोस्त मेरे पड़ोस में रहते हैं इसलिए छुट्टी के बाद सब मेरे घर में मिलते हैं और एक साथ पढ़ाई करते हैं। ट्यूशन के लिए साथ में जाते हैं ताकि परीक्षा में अच्छे अंक ला सके।
मेरी पाठशाला में शिक्षक दिवस
हमारे गुरुओं को सम्मान देने के लिए पाठशाला में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का आयोजन भी किया जाता है। हम सभी बच्चे पैसे चंदा करके गुरुजनों के लिए भेंट खरीदकर उन्हें सप्रेम देते हैं। उस दिन हमारे पाठशाला में बच्चे पहले ही पहुंच जाते हैं और टीचर्स डे की मानाने की तैयारी में लग जाते हैं। जब शिक्षकगण आते हैं तो उनका स्वागत नाच - गान और स्वागत गीत गाकर किया जाता है। उनके लिए भोजन का प्रबंध भी करते हैं और पहले टीचर्स और बाद में सभी स्टूडेंट्स को मिठाइयां बांटी जाती है। भारत में 5 सितम्बर को सभी पाठशालाओं में शिक्षक दिवस (Teacher's Day) का कार्यक्रम रखा जाता है।
मेरी पाठशाला में बाल दिवस
बाल दिवस वह त्योहार है जो बच्चों को समर्पित है यह राष्ट्रीय पर्व 14 नवंबर को मनाया जाता है। 14 नवंबर को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिवस आता है उसी दिन को बाल दिवस के रूप में भारत में मनाया जाता है क्योंकि नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे अतः जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को ही बाल दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। इस दिन शिक्षक बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं एवं बधाई देते हैं सभी विद्यार्थियों को मिठाइयां बांटी जाती है और उनका मार्गदर्शन के लिए दो शब्द कहे जाते हैं, यह दिन बच्चों में उत्साह तथा आत्मविश्वास लाता है।
मेरी पाठशाला में वार्षिक उत्सव
प्रत्येक विद्यालय में वार्षिक महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूलों में एक महीने पहले से इसकी तैयारी चलती रहती है। हर विद्यार्थी इसमें हिस्सा लेता है और अपना हुनर प्रस्तुत करता है। इस अवसर में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन शिक्षकों के देख रेख़ में किया जाता है। बच्चे इस दिन अति उत्साहित रहते हैं। पाठशाला को सजाया जाता है, खाने - पीने की उत्तम व्यवस्था की जाती है। सब बच्चे और शिक्षक मिलकर भोजन करते हैं।यह उत्सव मुख्य परीक्षा से पहले हर साल निश्चित समय मनाया जाता है।
पाठशाला के प्रति हमारा कर्तव्य
पाठशाला के प्रति सभी विद्यार्थियों का परम कर्तव्य यह है कि वह अपने शिक्षक गणों को गुरुओं का हमेशा आदर करें वहां सिखाए गए सभी विषयों का स्वाध्याय करें ताकि वह कंठस्थ याद हो जाए। बहुत से विद्यार्थी पाठशाला में उत्पन्न होने के बाद अपने गुरुओं को भूल जाते हैं किंतु जीवन में सफलता प्राप्त कर लेने के बाद भी अपनी पाठशाला को हमेशा याद रखना चाहिए अपने गुरु से बीच-बीच में मिलते रहना चाहिए क्योंकि उनका बहुत बड़ा योगदान होता है व्यक्ति को सफल बनाने में। जब विद्यार्थी पाठशाला अध्ययन करता है उसका कर्तव्य है कि वह अध्यापक एवं अध्यापिका का सम्मान करें और उनके उचित मार्गदर्शन का पालन करते रहे।
जिस तरह शिष्य एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या सीखने के बाद गुरु दक्षिणा में अपना अंगूठा काट कर दे दिया। इससे यह पता चलता है कि गुरु की आज्ञा का पालन करना प्रत्येक शिष्य या विद्यार्थियों का परम कर्तव्य है जिससे हमें नहीं चूकना चाहिए।
आधुनिक युग में हमारे शिक्षक हमसे कोई कठिन गुरु दक्षिणा नहीं मांगते वह पूरी मेहनत से साल भर हमें ज्ञान देते रहते हैं ताकि हम परीक्षा में उत्तीर्ण हो और हमें उचित काम मिले जिससे हम अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर सके। शिक्षक इतनी मेहनत इसलिए करते हैं ताकि हम एक योग्य इंसान बन जाए और अपने परिवार का नाम ऊंचा कर सके।
जिन्होंने मन लगाकर हमें पढ़ाया उन शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी गुरूदक्षिणा वह होती है जब उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे आगे चलकर देश का नाम रोशन करते हैं। अगर शिक्षक हमारे उज्जवल भविष्य के लिए रोज पढ़ा सकते हैं तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनके बातों का पालन करें उन्हें आदर दें।
उपसंहार -
जिस तरह विमान यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचा देता है, उसी तरह पाठशाला उसके विद्यार्थियों को उनके सपनों की मंजिल तक पहुंचाने में मदद करता है।
Just as an airplane takes passengers to their destination, similarly a school helps its students to reach the destination of their dreams.
मेरी पाठशाला निबंध हिंदी 10 लाइन - Meri Pathshala Par Nibandh 10 Line
Essay on my school in Hindi |
- मेरी पाठशाला मेरे घर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है।
- मैं साइकिल चलाकर हर रोज पाठशाला पढ़ने जाता / जाती हूं।
- मेरे पाठशाला में प्रतिदिन राष्ट्रगान और सरस्वती वंदना गाया जाता है।
- हम शिक्षकों का आदर करते हैं और पढ़ाए गए पाठ को घर में स्वाध्याय करते हैं।
- पाठशाला में नियमित रूप से सभी विषयों का अध्ययन पाठ्यक्रम अनुसार कराया जाता है।
- हर पाठ को पढ़कर हमें बहुत कुछ सीखने को मिलते रहता है।
- हमलोग खाने का टिफिन साथ लेकर जाते हैं और लंच टाइम पर सबके साथ खाते हैं।
- हमें हर रोज पढ़ाई के बाद एक घण्टे के लिए खेलने दिया जाता है।
- पाठशाला के आगे बड़ा सा खेल मैदान है जहां तरह - तरह के खेल खेलते हैं।
- क्रीड़ा स्थल में खो - खो, क्रिकेट, फुटबॉल इत्यादि खेले जाते हैं। खेल के पश्चात छुट्टी घंटी बजती है। छुट्टी से पहले राष्ट्रगीत और प्रार्थना गीत गाते हैं बाद में छुट्टी मिलती है, 10 - 15 मिनट में मैं पाठशाला से अपने घर आ जाता / जाती हूं।
मेरी पाठशाला निबंध हिंदी 15 लाइन - Meri pathshala par nibandh in Hindi
- मैं कक्षा पांचवी में पढ़ता हूं और नियमित रूप से पाठशाला जाता हूं।
- स्कूल घर से 20 किलोमीटर दूर है इसलिए मैं स्कूल बस से आया - जाया करता हूं।
- हमारे पाठशाला में हर रोज स्कूल ड्रेस में आना अनिवार्य होता है।
- अनुशासन पर वहां विशेष ध्यान दिया जाता है, बाल अधिक लंबे नहीं होने चाहिए और कपड़े साफ - सुथरे रहने चाहिए।
- हम पाठशाला की शुरुआत राष्ट्रगान और प्रेरणा गीत गाकर करते हैं, ईश्वर से प्रार्थना करके पढ़ाई की शुरुआत की जाती है।
- सबसे पहले क्लास टीचर सबकी हाजरी लेते हैं, हमारे विद्यालय में अधिकतर छात्र रोज आते हैं जो नहीं आते उन्हें छूटी के लिए आवेदन पत्र लिखना पड़ता है।
- नियमित रूप से सभी विषयों को पढ़ाया जाता है, मेरा पसंदीदा विषय हिंदी और विज्ञान है।
- हमारे स्कूल में एक छोटा सा गार्डन है जहां ठंड के दिनों में बेंच लगाकर पढ़ाई किया करते हैं।
- क्रीड़ा कक्षा जिसमें खेल से संबंधित सभी सामग्री है। शतरंज, लूडो, कैरमबोर्ड, क्रिकेट बैट, बॉल, हॉकी का समान, फुटबॉल, बॉलीबॉल आदि चीजें उपलब्ध है।
- स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन विद्यालय के प्रांगण में ध्वजवंदन किया जाता है, बच्चे क्रमबद्ध रूप से पंक्ति में खड़े हो जाते और तिरंगा फहराकर राष्ट्रगान गाते हैं।
- वार्षिक महोत्सव पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं।
- 5 सितंबर को शिक्षक दिवस हर्षोल्लास से मनाते हैं अध्यापक एवं अध्यापिका को उपहार भेंट करते हैं।
- स्कूल परिसर की स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता है। स्कूल के आगे फूल खिले हैं जिन्हें नियमित रूप पानी दिया जाता है।
- बच्चों की सुविधा देखते हुए बड़े टंकी में पानी की व्यवस्था की गई है।
- जब पाठशाला की छूटी होती है तब सभी कक्षा के खिड़की दरवाजे सही से बंद कर देते हैं। प्रार्थना के बाद स्कूल की छुट्टी होती है।
पाठशाला पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब हिंदी में (Answers to frequently asked questions on Pathshala in Hindi)
1. पाठशाला शब्द का क्या अर्थ है?
2. पाठशाला का दूसरा नाम क्या है?
3. पाठशाला को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
4. पाठशाला क्या है और इसका महत्व क्या है?
5. विद्यालय के प्रति हमारा क्या कर्तव्य है?
6. आदर्श विद्यालय कैसा होना चाहिए?
आखरी शब्द: पाठशाला एक ऐसी जगह है जहां बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है, पढ़ाई के साथ खेल टूर्नामेंट कंपीटीशन में हिस्सा लेने का मौका मिलता रहता है। पाठशाला जाकर बच्चों में आत्मविश्वास जागृत होता है। आज के लेख में आपने मेरी पाठशाला पर निबंध (Meri Pathshala Nibandh in Hindi) के बारे में पढ़ा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा तो इसे अपने स्कूल के दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
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