धनतेरस पर निबंध हिंदी में - Dhanteras Par Nibandh in Hindi

भारत के साथ देश है जहां पर कई संस्कृतियों और त्योहारों को हर साल धूमधाम से भारतवासियों द्वारा मनाया जाता है। उन्हें त्योहारों में से एक धनतेरस का त्यौहार है जो हिंदू पौराणिक कथाओं से संबंधित है। इस अवसर पर हम अपने घरों में नई चीज खरीद कर लाते हैं इस दिन सोना - चांदी, आभूषण आदि खरीदना शुभ माना गया है। धनतेरस का जो त्यौहार है वह दिवाली से दो दिन पहले आता है। इस आर्टिकल में आप, धनतेरस पर निबंध हिंदी में - Dhanteras Par Nibandh in Hindi पढ़ेंगे और जानेंगे की धनतेरस क्यों और कैसे मनाया जाता है, और इसका क्या महत्व है? आइए इस लेख को प्रारंभ करते हैं।

धनतेरस पर निबंध हिंदी में - Dhanteras Par Nibandh in Hindi 

धनतेरस पर निबंध हिंदी में - Dhanteras Par Nibandh in Hindi

प्रस्तावना 

धनतेरस हिंदुओं का एक ऐसा पर्व है जो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

स्वर्ण, चांदी आदि खरीदने के लिए धनतेरस को शुभ दिन माना जाता है। ये दीपावली से दो दिन पहले आता है, लोग अपने घरों को साफ - सुथरा करके धनतेरस वाले दिन नए सामग्री लेने के लिए दुकानों व् बाजार में जाते हैं।

धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग - अलग तरीके से मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग घरों में शाम को पूजा - पाठ रखते हैं और उसमें देवी लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश तथा कुबेर देव की आराधना करके सुख, शांति, और वैभव प्राप्ति की कामना करते हैं।

लोग धनतेरस पर अपने मित्रों व् परिवार के सदस्यों को शुभकामनाएं देते हैं। उस दिन स्कूलों में छुट्टी दी जाती है ताकि बच्चे अपने परिवार के साथ खरीदी करने जाए और दीपावली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाएं।

धनतेरस कब मनाया जाता है?

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, हर साल कार्तिक माह में यह त्योहार मनाया जाता है, जो दीवाली या दीपावली के दो दिन पहले आता है। धनतेरस वाले दिन लोग अपने मनपसंद चीजें खरीदकर घर लाते हैं। धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, और जैन आगम में धनतेरस को "धन्य तेरस" भी कहा जाता है।

इसे महाराष्ट्र में, वसुबारस के रूप में मनाते हैं, इस मौके पर गाय (गौमाता) और बछड़े की पूजा करने की मान्यता है। इस दिन को खास बनाने हेतु लोग अपने परिवार संग बाजारों में जाकर आवश्यक सामान जैसे दीपावली पूजन हेतु पूजन सामग्री, दीपक और घरों के लिए अन्य जरूरी सामान लाते हैं।

धनतेरस कैसे मनाया जाता है?

धनतेरस प्रतिवर्ष दीवाली के ठीक पहले आता है यह बहुत पावन अवसर है जिसमें धन की देवी माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का विधि विधान के साथ पूजा किया जाता है

धनतेरस वाले दिन सोना व् चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा लोग घरेलू सामग्री और वाहन या गाडियां भी खरीदते हैं। धनतेरस के मौके पर दुकानों में समानों खरीदी पर कुछ परसेंट का छूट भी मिलता है।

यह दीवाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि दीवाली मनाने से पहले सबको जरूरी सामान खरीदने होते हैं, और ठीक पहले धनतेरस आ जाता है जिसमें लोग घरों के लिए सभी जरूरी चीजें खरीद लेते हैं।

दरअसल, दीपावली मनाने से पहले, लोग अपने घर की साफ - सफाई करते हैं, पुराने वस्तुओं को घर से बाहर निकालकर नए वस्तुओं को जगह देते हैं। साफ सफाई के बाद घरों को सजाने के लिए, लोग नए सामान खरीदने निकल पड़ते हैं।

इस दिन बाजारों में ज्यादा भीड़ लगी रहती है। दुकानों में लोग आभूषण, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि खरीदने के लिए लोग उत्सुक नजर आते हैं।

घरों को रंग बिरंगी जगमगाती लाइटिंग से रौशन करने के लिए, सजावटी वस्तुएं और तरह - तरह के बल्ब मिलते हैं जिसे घरों में लगाने से घर की शोभा कई गुना बढ़ जाती है। धनतेरस पर खरीदी करना शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन लोग अपने बजट के अनुसार, कुछ न कुछ जरूर खरीदते हैं।

सभी लोग बहुत खुश रहते हैं। यह मौका व्यापारियों के लिए भी खास होता है, क्योंकि धनतेरस पर लोग महंगे चीजें, सोना, चांदी, और गाड़ियां खरीदते हैं। लोग धनतेरस के अवसर पर, अपने परिवार के सदस्यों को शानदार तोहफा देकर उन्हें प्रसन्न कर देते हैं।

धनतेरस पर, शाम के समय घर में पूजा पाठ का कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें मां लक्ष्मी और कुबेरदेव की पूजा की जाती है जिससे घरों में धन समृद्धि बनी रहती है।

धनतेरस (Dhanteras) का महत्व

ऐसी मान्यता है कि धनतेरस पर कोई भी नई चीज खरीद कर घर लाना, घर में समृद्धि लाने के समान होता है, इस दिन खरीदी करने को अति शुभ माना गया है, यही कारण है की लोग अपने बजट के अनुसार सस्ती और महंगी वस्तु जरूर खरीदते हैं।

धनतेरस का धार्मिक महत्व भी है क्योंकि यह हिंदू पौराणिक कथाओं तथा शास्त्रों से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस का इतिहास बहुत पुराना है।

शास्त्रों से पता चलता है कि जब भगवान धनवंतरी, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं, वो समुद्र मंथन के समय अपने हाथों में सोने का कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसमें अमृत भरा हुआ था, तो उन्होंने उसे देवताओं को पिला दिया, जिससे उनकी शक्ति कई गुना बढ़ गई और वे अमर और अविनाशी हो गए। उस दिन भगवान धनवंतरी का समुद्र मंथन के दौरान जन्म हुआ था और उसी दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है

सूर्योदय के पश्चात, धनतेरस का पूरा दिन शुभ माना जाता है। लोग अपना मनपसंद चीजें खरीदते हैं। इस दिन निवेश करना और महंगी चीजों को खरीदना लोग पसंद करते हैं।

पूरे साल में धनतेरस एक ऐसा समय होता है जब व्यापारी को बहुत ज्यादा लाभ मिलता है, उसके दुकान की बिक्री कई गुना बढ़ जाती है, वह बाकी दिनों की तुलना में धनतेरस के ज्यादा सामान बेचता है।

यह पावन पर्व दीवाली के ठीक पहले आने के कारण बाजारों में हर वक्त चहल पहल के साथ बहुत भीड़ भी उमड़ती है, क्योंकि दीवाली पर दीपक जलाने के लिए लोग मिट्टी के दिए तथा सजावटी सामान लेते हैं।

धनतेरस के दिन माताएं-बहनें अपने घरों के आंगन में रंगोली बनाती हैं और मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव के स्वागत के लिए दीपक जलाती हैं। पूजन स्थल पर भी दीपक जलाए जाते हैं।

धनतेरस की कथा -

धनतेरस, धार्मिक कथाओं से जुड़ा हुआ है और इसीलिए इससे जुड़ी कहानियां व् कथाएं भी प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हो रहा था तब उसमें से भगवान विष्णु के अंशावतार, भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे और जिस दिन वे प्रकट हुए थे वह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए हर साल धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने लगा। 

इसके अलावा, एक और पौराणिक कहानी है कि राजा हेमा नामक एक राजा थे। और उनके बेटे की कुंडली (भविष्यवाणी) से पता चला कि उसकी शादी के चौथे दिन सर्प के काटने से उसकी मृत्यु हो सकती है।

यह बात जानकर, राजा अपने पुत्र के लिए चिंतित हो गया, परंतु अंततः उसने बेटे का विवाह एक कन्या से करा दिया। राजा हेमा की बहु को यह बात पता थी की, विवाह उपरांत उसके पति की मृत्यु हो जायेगी। 

इसलिए उसने उस घटना को टालने का उपाय सोंचा और शादी के चौथे रात को अपने सारे सोने - चांदी के गहनें निकालकर दरवाजे पर रखकर आभूषणों का ढेर लगा दिए और भजन गाने लगी। उसने राजकुमार को कहानियां भी सुनाया ताकि उसे नींद ना आए।

उस रात्रिकाल में, जब राजकुमारी की नवविवाहित पत्नी भजन गा रही थी, तब मृत्यु के देवता यमराज, एक सांप का रूप धारण करके वहां आए, और जैसे ही वे राजकुमार के कक्ष के द्वार की ओर बढ़े, तो उन्होंने देखा कि द्वार पर तो आभूषणों के ढेर लगे हैं, जिसे देखकर वे आश्चर्यचकित हो गए। वे उस आभूषणों के ढेर पर चढ़कर बैठ गए और राजकुमार की पत्नी, जो गाना गा रही थी, उसे सुनने लगे।

गाने और कहानियां सुनते हुए, कब सुबह हो गया, पता ही नहीं चला, और वह सांप, राजकुमार के प्राण लिए बिना, वहां से चला गया। इस प्रकार, राजकुमार की पत्नी ने अपने पति के प्राणों की रक्षा की। कहते हैं, तभी से यह दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है, और इसी दिन ज्यादातर लोगों द्वारा आभूषणों की खरीदी की जाती है।

धनतेरस पर व्यापारियों को मिलता है लाभ -

व्यापारियों को अपना काम - काज चलाने के लिए सामान बेचना होता है। धनतेरस एक ऐसा मौका है जब व्यापारियों को बिजनेस में बड़ा फायदा होता है। 

चाहे वो दुकानदार हो, कपड़े बेचता हो, सोना - चांदी का विक्रेता हो या ऑटोमोबाइल कंपनी हो, हर क्षेत्र से जुड़े व्यापारियों को धनतेरस का फायदा मिलता है।

इस दिन व्यापार में बढ़ोतरी हो जाती है। लोग अपने घर कार, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर आदि वाहन लाते हैं इससे ऑटोमोबाइल कंपनी की अच्छी आमदनी होती है।

माताएं - बहनें, श्रृंगार के समान जैसे मंगल सूत्र, झुमके, अंगूठी, पैरों के लिए पायल आदि खरीदना पसंद करती हैं, इससे सोने-चांदी और आभूषणों के विक्रेताओं को लाभ मिलता है।

धनतेरस पर, बाजारों में सब्जी वाले, पकवान वाले, मिष्ठान वाले, और सजावट के सामान वाले दुकानों पर भी भीड़ होती है। इस प्रकार, धनतेरस वाले दिन, कारोबारियों की आय में वृद्धि होती है और अच्छी कमाई होती है।

निष्कर्ष -

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल धनतेरस त्योहार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस से पहले, लोग अपने घरों को रंग रोगन करते हैं। पेंट करवाकर उसे रंगीन बना देते हैं, कमरों की साफ सफाई करके उसे स्वच्छ बनाते हैं। पुराने चीजों को बाहर करके, नए चीजों को जगह देते हैं। इसी प्रकार, धनतेरस पर, हमारे आसपास सबकुछ नया देखने को मिलता है। साफ सुथरी वातावरण में मन शांत रहता है। इस मौके पर पूजा करके मन आध्यात्म से जुड़ जाता है। यह त्योहार आंगन में रंगोली बनाकर, अपने कला को निखारने का मौका देता है। दीवाली के पहले धनतेरस का आना, हमारे अंदर उत्साह ला देता है, भारतीय संस्कृति में इस पर्व का महत्वपूर्ण स्थान है।

धनतेरस पर निबंध 10 लाइन में (Dhanteras Par Nibandh 10 Lines Mein)

  1. शास्त्रों के अनुसार, आयुर्वेद के जनक, भगवान धन्वंतरि, समुद्र मंथन के समय कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए थे, जिस दिन उन्होंने साक्षात दर्शन दिया था, वह दिन, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का दिन था। उसी दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ इसलिए उस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है।
  2. इस मौके पर घर के साफ सफाई करके उसे सजावटी सामानों से सजा दिया जाता है।
  3. इस अवसर पर सोना चांदी जैसे आभूषण खरीदना अति शुभ माना जाता है इसलिए लोग धनतेरस पर कुछ ना कुछ आवश्यक खरीदने हैं।
  4. घरों की साफ सफाई के बाद संध्या काल में पूजा पाठ का कार्यक्रम होता है जिसमें आप पड़ोस के लोगों को आमंत्रित किया जाता है।
  5. धनतेरस के दौरान पूजा के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है। मान्यता है कि उनकी पूजा करने से धन - समृद्धि बनी रहती है।
  6. यह उत्सव, दीपों का पर्व दीपावली से दो दिवस पूर्व आता है, इसलिए इस मौके पर घरों को रंग-रोगन करके सुंदर बनाया जाता है।
  7. भगवान धन्वन्तरि को चिकित्सा के देवता भी माना गया है, इसलिए मान्यतानुसार, धनतेरस के अवसर पर आयुर्वेद के जनक, धन्वंतरि की आराधना करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
  8. जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो वे हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है।
  9. उसे दिन संध्याकाल में घर के बाहर और घर के दरवाजे पर दीपक जलाने की परंपरा भी चली आ रही है। उस दिन घर आंगन को दिया जलाकर रौशन करना चाहिए।
  10. इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए घर के कमरे और पूजा करने वाले स्थान को साफ सुथरा रखा जाता है, क्योंकि देवी लक्ष्मी वहीं आती हैं जहां का वातावरण स्वच्छ और पवित्र हो।

FAQs - धनतेरस पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब (Answers to frequently asked questions on Dhanteras)

1. धनतेरस क्या है और क्यों मनाया जाता है?

उत्तर - धनतेरस एक भारतीय त्योहार, जिसे मुख्य रूप से हिंदुओं द्वारा कार्तिक माह की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इसे इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन, भगवान धन्वंतरी, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसी उपलक्ष में यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन पूजा पाठ करने से पुण्य मिलने के साथ, धन - समृद्धि भी बनी रहती है।

2. धनतेरस किसका प्रतीक है?

उत्तर - धनतेरस को, धन - संपत्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे समृद्धि का प्रतीक मानने का एक कारण यह हो सकता है कि इस दिन, लोग नए चीजें खरीदकर घर लाते हैं, जिससे व्यापार से जुड़े लोगों को धन कमाने का अच्छा मौका मिलता है। धन - समृद्धि का प्रतीक होने के कारण, धनतेरस पर, धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।

3. धनतेरस का इतिहास क्या है?

उत्तर - धनतेरस मनाने की शुरुआत उस समय से हुई, जब समुद्र मंधन के वक्त भगवान विष्णु के अवतार, धन्वंतरी, वहां पर कलश में अमृत लेकर प्रकट हुए, तभी इसे उस दिन को धनतेरस की तरह मनाया जाने लगा, वे कलश लेकर प्रकट हुए इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की मान्यता है। 

धन्वंतरी भगवान की जयंती के रूप में, धनतेरस को मनाते हैं। उस दिन भगवान धन्वंतरी के साथ लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा भी की जाती है। हिंदू पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार से जुड़े कई मान्यताएं और कहानियां भी हैं।

4. धनतेरस पर कितने दीपक जलाने चाहिए?

उत्तर - इस त्योहार का धार्मिक मान्यताओं से गहरा संबंध है, इसलिए इस दिन संध्याकाल में, पूजा पाठ का कार्यक्रम रखा जाता है। रही बात धनतेरस पर कितने दीये या दीपक जलाने चाहिए? तो इस दिन, शाम के समय में, घर के दरवाजे पर 13 दीये और घर के अंदर भी 13 दिए जलाने चाहिए।

5. धनतेरस में क्या चीज शुभ माना जाता है?

उत्तर - धनतेरस पर सोना-चांदी, बर्तन, श्रृंगार के समान, आभूषण आदि खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। लोग इस दिन सस्ते और महंगे चीजें भी खरीदते हैं, इस दिन लोग अपने पसंद की गाडियां खरीदने भी जाते हैं।

6. धनतेरस के देवता कौन है?

धनतेरस के देवता धन्वंतरी हैं, क्योंकि इस दिन को, भगवान धन्वंतरि के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। साथ में देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी आराधना की जाती है।

7. धनतेरस पर किस मंत्र का जाप करना चाहिए?

उत्तर - इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
  1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
  2. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
  3. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
  4. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धि देहि दापय स्वाहा।।

8. धनतेरस पर समृद्धि के लिए क्या करना चाहिए?

उत्तर - इसे धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस दिन आपको धन की देवी लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेशजी और कुबेर जी की पूरी विधि विधान से पूजा करना चाहिए।

9. धनतेरस के लिए कौन सी धातु शुभ है?

उत्तर - उस दिन आप कांसे का बर्तन, सोना चांदी खरीद सकते हैं क्योंकि धनतेरस के मौके पर, इन धातु को खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।

10. धनतेरस पर क्या करे और क्या न करे?

उत्तर - यह जानना आवश्यक है की धनतेरस पर क्या करें और क्या न करें? उसकी जानकारी इस प्रकार है -
  • धनतेरस पर क्या करें – उस दिन आप घर की साफ सफाई जरूर करें, क्योंकि पवित्र स्थान पर ही मां लक्ष्मी आती है। घरों को सजावटी सामने से सजाएं, सोना चांदी खरीद सकते हैं, और मां लक्ष्मी की आराधना जरूर करें और उन्हें कमल का फूल अर्पित करें, इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगे।
  • धनतेरस पर क्या ना करें – धनतेरस, बहुत पवित्र पर्व है इसलिए इस दिन, मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। नकारात्मक विचारों में ना पड़ें, किसी का अपमान ना करें, इत्यादि।

आखरी शब्द: 

धनतेरस एक पावन पर्व है, जो हमें बहुत कुछ सिखाता है। इस विशेष अवसर पर, पूजा-पाठ करके हम आध्यात्म से जुड़ते हैं, इस मौके पर घर आंगन को साफ सुथरा रखकर हम स्वच्छता बनाए रखने के प्रति जागरूक होते हैं, इस दिन हमें धार्मिक कथाओं को सुनने व जानने का सौभाग्य मिलता है और हम हमारी संस्कृति को करीब से जानने का प्रयास करते हैं। यह दिन हमारे अंदर, जिज्ञास जैसे भाव उत्पन्न करता है, सकारात्मक ऊर्जा लाता है, मित्रों और रिश्तेदारों को धनतेरस की मुबारकबाद देने का मौका प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति से जुड़े ऐसे कई त्योहार भारत में मनाए जाते हैं, जिनमें से एक, धनतेरस भी है, इसे हमें हर साल धूमधाम से जरूर मनाना चाहिए। उम्मीद करता हूं, आपको धनतेरस पर निबंध - Dhanteras Par Nibandh पढ़कर अच्छा लगा होगा, और आपने जरूर कुछ सीखा होगा, इसे आप अपने मित्रों के साथ भी जरूर शेयर करिए, धन्यवाद।

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