दशहरा पर निबंध - Essay on Dussehra in Hindi

दशहरा बहुत महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय त्योहार है जो भारतवर्ष में अति धूमधाम से प्रतिवर्ष बनाया जाता है इस मौके पर मेला लगता है, जिसमें लोग अपने परिवार के साथ जाते हैं। इस त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। आज हमने दशहरा पर निबंध, Dussehra Par Nibandh (Essay on Dussehra in Hindi) आपके साथ साझा किया है, यह उत्सव बहुत से लोगों का पसंदीदा मौका होता है, आइए हम इस निबंध के माध्यम से दशहरा के बारे में और अधिक जानते हैं।

दशहरा पर निबंध - Essay on Dussehra in Hindi

दशहरा पर निबंध - Essay on Dussehra in Hindi

प्रस्तावना 

दशहरा बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है इस दिन स्कूलों और कालेजों में छुट्टी मिलती है ताकि सभी दशहरा देखने जा सकें। धार्मिक तथा पारंपरिक पर्व के रूप में इसे हर साल, दीपावली से कुछ सप्ताह पूर्व, सितंबर से अक्टूबर माह के आसपास मनाया जाता है।

इसे लोग बड़े हर्षोल्लास और आनंद के साथ मनाते हैं। जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, लक्षण और माता सीता के साथ पिता के आदेश के पश्चात वन में 14 साल के वनवास हेतु प्रस्थान किए, तो उस दौरान लंकापति रावण ने छल से सीता का हरण कर, लंका ले गया। माता सीता को वापिस लाने के लिए श्री राम को रावण से युद्ध करके उसे परास्त करना पड़ा उसके बाद उन्होंने सीता को लंका से वापिस लाया। 

जिस दशहरा का आयोजन होता है, मान्यता है की उसी दिन भगवान राम ने असुर राज रावण का वध किया था, और उसी दिन मां दुर्गा ने नौ रात्रि के बाद दशवे दिन महिषासुर राक्षस पर विजय प्राप्त किया। इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। असत्य पर सत्य, विजयी हुआ। इसलिए दशहरा को 'विजयदशमी' के नाम से भी जाना जाता है।

इस त्यौहार के 9 दिन पहले माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर भक्तगण उनकी आरती गाकर पूजा पाठ में हिस्सा लेते हैं, और दसवें दिन मां दुर्गा की प्रतिमा एवं अन्य देव गणों की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है, तथा इसी दिन दशानन रावण, इंद्रजीत, और कुंभकरण के पुतले का दहन किया जाता है।

दशहरा का मेला

दशहरा मेला, जो हर साल बड़े से मैदान में आयोजित होता है, एक प्रमुख त्योहार है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस मेले में हजारों लोग भाग लेते हैं, लोग अपने दोस्तों, बच्चों, और परिवार वालों के साथ दशहरा का मेला देखने जाया करते हैं।

दशहरा मेला में एक अद्वितीय और रंगीन दुनिया होती है, जिसमें विभिन्न प्रकार की दुकानें और ठेले होते हैं। वहाँ पर खिलौनों की दुकानें, खाने की दुकानें, वस्त्र दुकानें, और अन्य आवश्यकताओं की दुकानें होती हैं, जो खासकर बच्चों और उनके माता-पिता को आकर्षित करती हैं।

दशहरा मेले का हाइलाइट रावण दहन होता है, जो एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है। इसमें लोग रावण के पुतले को आग में दहन करते हैं। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के विजय को सेलीब्रेट करते हैं।

मेले में अक्सर भीड़ होती है, जो अलग-अलग खिलौनों, खाने-पीने, और मनोरंजन की दिशाओं में जुटती है। यहाँ लोग अपने पसंदीदा पकवान खाने का आनंद लेते हैं, जैसे कि चटपटे चाट, गोलगप्पे, मिठाईयाँ, और अन्य स्वादिष्ट खाने के आइटम।

दशहरा मेला एक आनंदमय और उत्साहपूर्ण महौल में, लोगों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है, और वे रावण दहन के साथ दशहरा मेला का मिलकर आनंद लेते हैं।

दशहरा का महत्व

प्रत्येक व्यक्ति के लिए इस त्यौहार का बहुत बड़ा महत्व है। दशहरा अथवा विजयादशमी का धार्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक महत्व भी है। दशहरा का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है।

इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस को परास्त करके मनुष्यों को भयमुक्त किया था और इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। दशहरा बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका पसंदीदा मौका होता है। लोग रावण दहन को देखने दूर दराज से एक जगह एकत्रित होते हैं। रावण का पुतला एक बड़े मैदान में बनाकर वहीं उसका दहन किया जाता है।

यह देखने सैकड़ों - हजारों लोगों की भारी भीड़ हर साल उमड़ती है। इस दिन विद्यालय और महाविद्यालय में छुट्टी रहती है। दशहरा वाले दिन दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होता है यह देखने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं।

रावण दहन के दौरान रंग - बिरंगे पटाखे फोड़े जाते हैं। पुतले के अंदर उड़ने वाले पटाखे लगे होने के चलते जब पुतले जलते हैं तो सारे पटाखे एक साथ फूटने लगते हैं, आसमान पटाखों के रंग बिरंगी चिंगारियों से जगमगाने लगता है, यह दृश्य अदभुद होने के कारण सबके आंखों में बस जाता है। अलग अलग प्रांतों में इसे विशेष बनाने हेतु विभिन्न तैयारियां की जाती है।

यह जश्न की तरह पूरे भारत में मनाया जाता है। बच्चे, बड़े, बुजुर्ग सभी इसका आनंद लेते हैं। बच्चों को रावण दहन देखना और दशहरे के मेले में अपने पसंद का खिलौना खरीदना बहुत अच्छा लगता है। दशहरे पर लोग अपने अंदर छिपी बुराइयों को समाप्त करके, जिंदगी को नए सिरे से बेहतर तरीके से जीना शुरू करते हैं।

दशहरा से संबंधित रीती-रिवाज और परंपरा

भारत के अलग-अलग राज्यों में दशहरा का मेला लगता है और उसमें बच्चे और बड़े सब लोग शामिल होकर दशहरा मेला का आनंद लेते हैं।

इस त्योहार को कई रीती-रिवाजों और पूजा-पाठ के साथ मनाने की परंपरा है। धार्मिक लोग इस दिन व्रत रखते और मां दुर्गे की आराधना करते हैं। कुछ भक्तगण, नवरात्रि की प्रथम दिवस से लेकर अंतिम दिन तक, नवरात्रि का व्रत रखते हैं।

विजयदशमी या दशहरे वाले दिन, देवी दुर्गा की पूजा अर्चना के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होता है, बड़े से मैदान में रावण का पुतला जलाया जाता है, और फिर रात को कलाकारों द्वारा रामलीला प्रस्तुत किया जाता है।

रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध किया था, इसलिए दशहरे के दिन, राम बनने वाला व्यक्ति अपने धनुष से रावण के पुतले पर तीर चलाता है।

जो तीर चलाया जाता है, उसमें पहले आग लगाया जाता है, और फिर उसे पुतले के ऊपर छोड़ा जाता है। वह पुतला लकड़ी, कपड़े, और तिनकों से बने होने के कारण, उसमें झट से आग लग जाती है, और रावण का पुतला तुरंत जलना शुरू हो जाता है।

दशहरे वाले दिन कई जगहों पर विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसमें अलग अलग तरह के व्यंजनों को शामिल किया जाता है और उसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

भारत में त्योहारों को विशेष रूप में मनाया जाता है। दशहरा भी एक बड़ा उत्सव है जिसकी तैयारी कुछ सप्ताह पहले ही शुरू हो जाती है, जैसे रावण का पुतला बनाने का काम आदि। इस अवसर पर परिवार के साथ लोग दशहरा मेला देखने जाया करते हैं और मेले का भरपूर आनंद लेते हैं।

दशहरा में रामलीला का आयोजन

दशहरा के पावन अवसर पर रामलीला का आयोजन सम्पूर्ण भारत में हर साल बड़े धूमधाम से किया जाता है। रामलीला का महत्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह दिखाता है कि धर्म और सत्य की जीत हमेशा होती है।

रामलीला नाटक के माध्यम से हमें धर्मिक और नैतिक मूल्यों का संदेश मिलता है। यह नाटक रामायण के किस्से, कथाओं और उसमें हुए राम और रावण युद्ध को प्रस्तुत करके लोगों को सच्चे जीवन के मूल्यों की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है।

रामलीला नाटक में मुख्य रूप से भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण, महाबली हनुमान और रावण जैसे प्रमुख पात्रों का उल्लेख होता है। यह नाटक राम के धर्मपरायण जीवन को और रावण के अहंकार को दिखाता है।

रामलीला नाटक एक खास पारंपरिक रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें रामायण महाकाव्य के अलग-अलग किस्सों को नाटक रूप में, संगीत के साथ, दर्शकों को सिखाया जाता है। इससे हमें भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का पता चलता है।

दशहरा से जुड़ी दो धार्मिक मान्यताएं 

विजयदशमी के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को सम्पूर्ण भारत में बड़े आनंद और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव को लेकर दो प्रमुख मान्यताएं हैं। 

1. राम और रावण का युद्ध 

एक मान्यता अनुसार, जब लंकापति रावण ने, सीता का छल से अपहरण किया, तो राम ने सीता को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध किया जो 10 दिनों तक चला, जिसमें दशानन रावण मारा गया और राम विजय हुए, और फिर श्री राम सीता को लंका से वापस ले आए। राम और रावण के बीच हुए युद्ध में जब राम ने रावण को मारा, तो उसी दिन को हम दशहरा के रूप में मनाते हैं।

2. मां दुर्गा और महिषासुर का युद्ध 

मान्यता के अनुसार, महिषासुर, नाम का एक असुर जिसने कठोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से ऐसा वरदान मांगा, जो उन्हें अत्यंत शक्तिशाली बना दिया। इसके बाद, महिषासुर ने अपने आप पर अहंकार किया, वह स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करने लगा और पृथ्वी लोक में मनुष्यों को डराने लगा। देवताओं ने देवी दुर्गा को आवाहन किया और उनसे महिषासुर का विनाश करने के लिए आग्रह किया, ताकि संसार के प्रत्येक प्राणी को उसके भय से मुक्ति मिल सके। इस प्रार्थना के परिणामस्वरूप, देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक महायुद्ध लड़ा और उसको युद्ध के दसवें दिन पराजित कर दिया। इस दिन को दशहरा या विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुराई और अन्याय के खिलाफ हमेशा सत्य, धर्म और अच्छाई की जीत होती है।

अपने अंदर के रावण का दहन करें और अच्छाई का स्वागत करें।

दशहरे पर हम रावण का पुतला जलाकर उसका दहन करते हैं लेकिन अपने अंदर उसे जीवित रखते हैं। उस समय केवल एक रावण था लेकिन आज सभी घरों में रावण हैं। जब रावण का दहन करते हैं तो हमें अपने बुराइयों का भी दहन कर देना चाहिए और अच्छाई को अपनाना चाहिए।

विजयदशमी के दिन हमें अपने अहंकार, ईर्ष्या और गलतियों को सुधारकर खुद को पहले से बेहतर योग्य बनाना होगा। लंकेश रावण का वध तो श्री राम ने अपने धनुष और बाण के द्वारा किया था लेकिन आज का मनुष्य अपने अंदर छुपे रावण का वध अपनी सोच को बदलकर कर सकता है।

रावण एक ब्राम्हण था लेकिन वह अपनी शक्तियों पर घमंड करता था उसका अहंकार ही उसके नाश का कारण बना। हमें अपने अंदर के अहंकार, घमंड और अनेक बुराइयों को धीरे धीरे करके खत्म करना होगा, ऐसा हम अपनी सोच को बदलकर कर सकते हैं, नियत साफ रखना होगा, हमेशा सकारात्मक सोच रखना होगा, अच्छे संस्कारों को अपनाना होगा और सच्चे मार्ग पर चलना होगा।

निष्कर्ष

दशहरा को विजयदशमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन ही माँ दुर्गा ने असुर महिषासुर का विनाश किया और प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था, इसलिए दशहरे वाले दिन रावण दहन किया जाता है। लोग रावण दहन का कार्यक्रम देखने के लिए ही दशहरा मेला में जाते हैं। उस दिन रावण के पुतले को अग्नि में जलाया जाता और राम के जीत का जश्न मनाते हैं।

जब रावण का पुतला जलता है, तो हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने अंदर के बुरी आदतों, नकारात्मक विचार और बुराई की भावनाओं को भी जलाना चाहिए। दशहरा हमें नए आरंभ की ओर आगाह करता है, जैसे कि श्री राम ने रावण का वध करके नई शुरुआत की थी।

इस दिन का महत्व है क्योंकि यह हमें यह याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई को पराजित करती है और जीवन में सच्चाई, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए। दशहरा हमें अच्छाई की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है और हमें बुराई से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। इसी तरह, दशहरा हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और सफलता की ओर बढ़ने का प्रेरणास्त्रोत प्रदान करता है। यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें साहस और संकल्प की ओर अग्रसर करता है।

दशहरा पर 10 लाइन का निबंध - Essay on Dussehra in 10 Lines

  1. दशहरा, हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है।
  2. इस दिन भगवान राम की विजय के अवसर पर रामलीला का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
  3. रामलीला में, रामायण के पात्रों का नाटक प्रस्तुत किया जाता है, जिससे लोग रामायण की कहानी को जीवंत करते हैं।
  4. यह कार्यक्रम धार्मिक भावनाओं को जागृत करता है और भगवान राम की महिमा का गान करता है।
  5. दशहरा का यह खास अवसर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भव्य रूप से मनाया जाता है।
  6. काशी और अयोध्या में भी रामलीला का अदभुत कार्यक्रम आयोजित होता है।
  7. रामलीला के दौरान, रामायण के दोहों को सुंदर संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
  8. यह त्योहार लाइटिंग से जगमगाते हुए मंच सजाने के साथ मनाया जाता है।
  9. रामलीला के दर्शक रामायण के पात्रों के उत्कृष्ट अभिनय से प्रभावित होते हैं।
  10. इस त्योहार से लोग भगवान राम के जीवन और महिमा का समर्थन करते हैं और उनके जीवन के मूल्यों को मानते हैं।

अंतिम शब्द 

इस लेख के माध्यम से आपने दशहरा पर निबंध (Dussehra Par Nibandh) पढ़ा। इसमें हमने दशहरा का मेला, दशहरा का महत्व, दशहरा से संबंधित रीती-रिवाज और परंपरा, दशहरा में रामलीला और दशहरा से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के बारे में जानकारी दिया है। अगर आपको भी दशहरा का त्योहार बहुत पसंद है तो आपको हमारा यह लेकर जरूर पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी दशहरा पर निबंध लिखने में मदद मिल सके। धन्यवाद।

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