बतख पर निबंध - Essay on Duck in Hindi Language

आपने बतख तो जरूर देखा होगा, यह ऐसी पक्षी है जो ज्यादातर समय जल में रहना पसंद करती है। गांव में तो लोग इसे अपने घरों में पाला करते हैं और खाने के लिए चारा देते हैं। बड़े पैमाने पर भी इसे व्यावसायिक उद्देश्य से पाला जाता है, तो कुछ लोग इसे अपने शौक के लिए पालते हैं क्योंकि उन्हें पक्षियां पालना अच्छा लगता है। आज इस लेख में आप बतख पर निबंध - Essay on Duck in Hindi पढ़ने वाले हैं। यहां पर आपको Duck यानि बत्तख के बारे में सभी जरूरी जानकारी पढ़ने को मिल जाएगी।

बतख पर निबंध - Essay on Duck in Hindi Language

बतख पर निबंध - Essay on Duck in Hindi Language

प्रस्तावना 

बत्तख एक ऐसी पक्षी है जो तालाब जैसे जल निकायों में तैरती रहती है। यह अधिकतर वक्त पानी में तैरती हुई बताती है। यह पक्षी अपनी सुंदर स्वरूप से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। हमारे देश में अलग-अलग रंगों में बतखों को देखा जाता है। रंग बिरंगे बत्तख को अब व्यवसाय करने के उद्देश्य से भी लोग पालने लगे हैं। कुछ लोग अपने मनोरंजन के लिए इसे घरों में पालना पसंद करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बत्तखों को पालना बहुत आम बात है। वहां के तालाबों और जल से भरे खेतों में तैरते हुए बत्तख आसानी से देखे जा सकते हैं।

बत्तख का आकार हंस और कलहंस से छोटा होने की वजह से उसकी गर्दन कम लंबी होती है, यह भी देखने में अति सुन्दर लगते हैं और यह झील, तालाब और समुद्र के पानी में देखे जा सकते हैं। मीठे जल के साथ-साथ ये पक्षी सागरों के खारे पानी में भी पाए जाते हैं। इसके रंग रूप से लोग इसकी पहचान सरलता से कर सकते हैं। इसके आवाज से भी इसे पहचाना जाता है जो क्वैक - क्वैक करके आवाज करता है। बत्तख आसमान में अन्य पक्षियों को भांति ऊंची उड़ान नहीं भर सकती लेकिन ये कुछ दूर तक (लंबाई में) जरूर उड़ सकते हैं। आमतौर पर इन्हें झुंड में पाला जाता है, इससे सभी बत्तख एक साथ ताजे व् साफ पानी में तैरते रहते हैं। ज्यादातर समय पानी में रहने की वजह से इसे जलीय जीव की श्रेणी में रखा जा सकता है, ये जमीन पर भी चल सकते हैं।

बत्तख की मनमोहक सुंदरता

लोग इसे अपने घरों में भी पालने लगे हैं इनके मनमोहन सुंदरता को देख लोग चारा देते हुए इनके साथ समय भी बिताते हैं, क्योंकि वैसे भी पक्षियों को दान देकर हमें बहुत अच्छा महसूस होता है। कुछ लोग व्यवसाय के उद्देश्य से बत्तख पालन करते हैं तो कुछ लोग अपनी स्वेच्छा से इसे घर में पालना पसंद करते हैं। यह पक्षी अपने रंग रूप से लोगों का ध्यान अपनी और खींचती है यह देखने में अत्यंत सुंदर लगते हैं जब यह अपनी झुंड में चलते हैं तो सबका ध्यान इन्हीं पर टिक जाता है। बत्तखों का अलग-अलग रंग सबका मन मोह लेता है, सफेद  और काले रंग वाले बतखें अक्सर देखने को मिल जाते हैं, कुछ बतखों में तो एक से अधिक रंगों का मिश्रण होता है जो इसके सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं।

संपूर्ण विश्व में बतख की प्रजातियां

पूरे संसार में, पशु पक्षियों और जंगली जानवरों के अनेक प्रजातियां पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों में पाए जाते हैं, ठीक इसी प्रकार बत्तख के भी करीब 40 प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती है। दुनिया में सबसे लोकप्रिय बत्तख के रूप में सफेद पेकिन को जाना जाता है। इसकी एक प्रजाति का नाम मंदारिन बत्तख (Mandarin duck) है जो देखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर लगती है, जिसके पंख रंगीन व् अधिक आकर्षक होते हैं। बत्तख की अधिकांश प्रजातियाँ पानी में ज्यादातर समय बिताती हैं। तैरते हुए उन्हें आहार की आपूर्ति भी होती रहती है, दरअसल वे जल में रहने वाले छोटी मछलियाँ व कीड़े मकोड़े खाकर अपना पेट भरते हैं। वैसे बत्तख अधिकतर पानी से लबालब भरे हुए खेतों में, झील में और तालाबों आदि में आसानी नजर आ जाते हैं।

बत्तख के शरीर की संरचना

बत्तख के शरीर का आकार हंस की तुलना में छोटा होता है, उसके गर्दन की लंबाई भी हंस से कम होती है। बत्तख के एक चोंच, दो आँखें, दो पैर और दो पँख होते हैं। उसका शरीर अलग अलग रंगों से मिलकर बना होता है, उसके गर्दन में हल्का हरा रंग, पैर में नारंगी या पीला, चोंच का रंग पीला, ऊपरी हिस्सा काला तथा भूरा और निचला (पेट वाला भाग) हिस्सा सफेद होता है। कुछ बत्तखों का पूरा शरीर सफेद रंग का होता है, उन्हें सफ़ेद पंखों वाला बत्तख (white duck) कहा जा सकता है। यह नदियों, तालाबों में तैरते रहते हैं, उनके पैरों के पंजे उन्हें पानी में आसानी से तैरने में मदद करते हैं। उसकी दो सुंदर आंखें आहार तलाशने में सहायक होते हैं। चोंच से वो आहार को पकड़कर खाते हैं। उसके पंखों की खासियत है कि जब वह पानी में तैरता है तो उसके पंख नहीं भीगने क्योंकि वो जल रोधी होते हैं।

बत्तख का भोजन

बत्तख सर्वाहरी जलीय पक्षी है जो अपना ज्यादातर समय पानी में तैरते हुए बिताती है और वह अपनी तेज आंखों से शिकार की तलाश करती है, वह मुख्य रूप से जल में पाए जाने वाले जीवो को आहार बनाती है, मुख्य रूप से छोटे कीड़े मकोड़े और मछलियों को यह खाती है। इसके अतिरिक्त वह चावल, मक्का, हरी बींस, मटर, बीज, हरी घास, गाजर, टमाटर, घोंघे आदि खाकर भी अपना पेट भर सकती है। जो वयस्क बत्तख होते हैं वो 200 ग्राम तक आहार खा सकते हैं। बत्तख छोटा है या बड़ा उस आधार पर उसे भोजन खिलाना उचित रहता है।

बत्तख का जीवन 

जो जंगली बत्तख होता है वह 20 साल तक जीवित रह सकती है और जो गांव में या फार्म में पाला जाता है वह आमतौर पर 10 - 15 साल तक जीवित रह सकते हैं। वैसे उसकी जीवन अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह कौन सी प्रजाति की बत्तख है।

बत्तख के प्रकार 

दो तरह की बत्तख पाई जाती है आइए उनके बारे में जानते हैं:
  1. समुद्री बत्तख - यह बत्तख समुद्र में तैर सकते हैं और अपने भोजन की तलाश करने के लिए समुद्र की गहराई में जा सकती है, उसकी इसी खूबी की वजह से उसे गोताखोर बत्तख भी कहते हैं। समुद्री बत्तखों में स्कोटर, ईडर तथा मार्गीनर आदि बतख शामिल हैं।
  2. मीठे पानी का बत्तख - इस तरह के बत्तख अक्सर कम गहराई वाले जल निकायों में नजर आ जाते हैं। ये गांव के तालाबों में तैरते हुए आसानी से देखा जा सकता है। सरोवर, झील और नदी के आसपास ये विचरण करते हुए भी दिख दिख जाते हैं। बत्तख, आहार के लिए छोटी-छोटी जलीय जीवों जिसमें मछली प्रमुख है, पर निर्भर रहते हैं। कीट पतंगों या कीड़े मकोड़ों को खाकर अपना पेट भरते हैं।

बत्तख के व्यवसाय की जानकारी

लोग बत्तख पालन का व्यवसाय भी करते हैं। मुर्गियों के दाने पानी का खर्चा थोड़ा अधिक आता है लेकिन बत्तखों के दाने पानी खर्चा काफी कम होता है, मतलब आसानी से बत्तख पालन किया जा सकता है। यह जल में तैरते हुए स्वयं ही अपना आहार ढूंढ लेते हैं इनको भोजन की आपूर्ति कीड़े मकोड़े व् छोटे जलीय जीवों से हो जाती है।

बत्तख से मांस और अंडे प्राप्त होते हैं और इसी वजह से इसका व्यवसाय चलन में है। भारत में तो बड़ी संख्या में लोग पत्तख पालते हैं, फार्म हाउसों में कृत्रिम रूप से तालाब बनाके इसका पालन किया जाता है। गांव में तो लोग अपने घरों में इसका पालन आसानी से कर लेते हैं।
 
जो उन्नत किस्म की बत्तखें होती हैं वो एक साल में करीब 300 अंडे दे सकती है। लोग इसके अण्डे और मांस बहुत पसंद करते हैं। बाजारों में बत्तख का एक अंडा 8 से 10 रुपये में बिकता है जिससे दुकानदार या विक्रेता को अच्छा मुनाफा होता है। बत्तख के अंडे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसमें पर्याप्त प्रोटीन के साथ विटामिन व् मिनरल्स भी मौजूद रहता है। 

बत्तख की कुछ खास विशेषताएं (Some Special Characteristics of Duck)

  • बत्तख के पैर जालीदार होने की वजह से वह पानी में तेजी से और आसानी से तैर पाने में सक्षम होती है।
  • उसके पैरों में कोई तंत्रिका न होने के कारण जब वह बर्फीले या ज्यादा ठंडे पानी में तैरती है तो भी उसे ठंडक महसूस नहीं होती और वह बड़े आसानी से तैर लेता है। 
  • बत्तख की दृष्टि बड़ी अच्छी होने की वजह से वह दूर तक देख सकती है, इसी खूबी से वह आसानी से शिकार को खोज और पकड़ पाते हैं। 
  • बत्तख के पंख जल रोधी होने के कारण लंबे समय तक जल में रहने के बावजूद भी नहीं भीगते।
  • साल भर में बत्तख लगभग 300 अंडे दे सकती है और उसके अंडे का वजन करीब 65 से 70 ग्राम तक हो सकता है।

पारिस्थितिक महत्व (Ecological Importance)

पारिस्थितिकी तंत्र में भी बत्तखें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कीड़ों-मकोड़ों को खाकर कीटों को नियंत्रित करते रहते हैं। जब वे बीजों को अपनी चोंच से तोड़कर खाते हैं तो वह भूमि पर यहां वहां बिखर जाती हैं जिससे बीज भूमि में बिखर जाते हैं जिसके परिणाम भूमि पर अलग-अलग जगह पर पौधे उगते हैं। पौधों के फैलाव में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इसके अलावा खाद्य श्रृंखला में बत्तख का स्थान भी महत्वपूर्ण है। बत्तख अपने भोजन के लिए अन्य छोटे कीड़े मकोड़े, मछलियों आदि पर निर्भर रहते हैं। ठीक उसी प्रकार मांसाहारी जानवर भी बत्तखों को अपने शिकार बनाकर आहार के रूप में खा सकते हैं।

बत्तख का संरक्षण (Duck Conservation)

यह तो आपने जान लिया कि बत्तख का भी पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। बत्तख का अधिक शिकार करने और उनके लिए आवास का अभाव होने की वजह से उनके लिए संकट पैदा हो गया है। अब तो गांव में भी कम ही बत्तख देखी जा रही है, कुछ लोग मुर्गियां ज्यादा पाल रहे हैं और बत्तख नहीं, इससे व्यवसाय भी किया जा सकता है, इसके अण्डे को बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं इसलिए हो सके तो उसका पालन पर ध्यान देना चाहिए।

प्रदूषण के चलते पक्षियों और बत्तखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, उसके स्वच्छ स्थान पर रखना होगा, उनके लिए अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करना होगा, बत्तख पालन हेतु जल आवश्यक होता है क्योंकि वो ज्यादातर समय जल में रहते हैं। अगर आसपास तालाब है तो वह उसमें आसानी से तैरने के साथ ही अपने लिए छोटे जलीय को आहार हेतु चुन सकती है। अनेक पक्षियों के साथ ही बत्तख के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए भी संरक्षण के लिए प्रयास करना जरूरी हो गया है। इसके संरक्षण के लिए हम उन्हें उचित आवास एवं अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने की कोशिश कर सकते हैं।

बत्तख के संरक्षण में योगदान 

पहले के समय में मनुष्यों द्वारा बत्तखों को अधिक संख्या में पाला जा रहा था। ग्रामीण इलाकों में अधिकतर घरों में बत्तख देखे जा सकते थे, लेकिन अब कुछ लोग ही बत्तख पालन करते हैं, हालांकि बत्तख पालन का कार्य बड़े पैमाने पर भी किया जा रहा है, किन्तु गांवों में इसके पालन में कमी आने लगी है।

पहले पंख, भोजन और अंडे के लिए इसे पाला जाना आम बात था। अब तो अनुचित मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ गया है, जहां बत्तख तैरते हैं उन जल निकायों में भी कचरा और प्रदूषित जल भरा रहता है इससे बत्तख के स्वास्थ्य पर भी खतरा बना रहता है।

प्रदूषण के कारण बत्तख के प्रजातियों के लिए खतरा बना रहता है, उनके संरक्षण के लिए मनुष्य को पहल करनी होगी। मनुष्य खुद भी बत्तख पालन करके उसके संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्हें आवास उपलब्ध करा कर, भोजन उपलब्ध करा कर व् स्वच्छ अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराके भी उसके संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।

निष्कर्ष

सुबह-सुबह ही बत्तख तालाब, झील जैसे जल निकायों की ओर चल पड़ती है। और जब शाम होता है तो वापिस घर लौट आती है, लोग उन्हें घर में भी पालते हैं। इससे लोगों को आर्थिक लाभ भी पहुंचता है, इसके अण्डे को बाजार पर अच्छे दाम पर बेचकर पैसा भी कमाते हैं। हमें अन्य पक्षियों के साथ बत्तख के संरक्षण के लिए भी प्रयास करना चाहिए। उनके लिए आवास उपलब्ध कराना और उनकी रक्षा के लिए ठोस कदम उठाना होगा, ताकि उनका अस्तित्व सुरक्षित रहे।

बतख पर 10 लाइन - 10 Lines on Duck in Hindi

  1. बत्तख एक ऐसी पक्षी है जो ज्यादातर समय पानी में तैरती रहती है। 
  2. इसके एक चोंच, दो पैर, दो ऑंखें, और दो पंख होते हैं। 
  3. पैरों के पंजे जालीदार तथा पैडलनुमा होती है जो उसे पानी में तैरने में सहायता करते हैं। 
  4. यह पक्षी आसमान में बहुत ऊँचे नहीं उड़ते, लेकिन ये जल में तैरने के साथ ही भूमि पर चल फिर सकते हैं। 
  5. झीलों, नदियों के किनारे और तालाबों जैसे जल निकायों में ये तैरने का आनंद लेते हैं। 
  6. इसे बड़े - बड़े फार्म और गाँवों में तो घरों में भी पाला जाता है। 
  7. इसके खानपान का खर्च मुर्गी पालने की तुलना में काफी कम आता है। 
  8. यह सालभर में लगभग 300 अण्डे दे सकती है। 
  9. एक बत्तख का वजन 1 - 2 किलोग्राम हो सकता है, वैसे यह उसके प्रजाति और आकार पर निर्भर करता है। 
  10. बत्तख पालन करके लोग आर्थिक लाभ पा सकते हैं, इससे मांस और अंडा प्राप्त होता है, इसके अंडे में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद रहते हैं।

FAQs - बत्तख से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब

1. बत्तख का रंग कैसा होता है?

उत्तर - इसके अलग अलग प्रजातियों का रंग भिन्न भिन्न होते हैं। लेकिन आमतौर पर जो बत्तख देखा जाता है उसका रंग सफेद और चोंच नारंगी लगता है। और ऐसे बत्तख भी होती है जिनके पंख का रंग अलग-अलग होता है। उनके पैरों का रंग नारंगी और चोंच पीला होता है, गर्दन चमकीला हरा जैसा प्रतीत होता है और उसके पेट वाला भाग भूरे रंग का और ऊपरी हिस्सा सफेद रहता है। ऐसे बत्तख भी पाए जाते हैं जो रंग बिरंगे होते हैं।

2. सबसे लोकप्रिय बत्तख कौन सा है?

अलग अलग किस्म के बत्तख पाए जाते हैं लेकिन जो सबसे लोकप्रिय बत्तख के तौर पर जाना जाता है वह सफ़ेद पेकिन नामक बत्तख है। इस नस्ल की उत्पत्ति चीन में हुई और ये अमेरिका में भी आसानी से देखा जा सकती है। यह तालाबों में तैरते हुए देखा जा सकता है और पालतू बनाकर भी रखा जाता है। यह स्वतंत्र रूप से पार्कों में विचरण करते रहते हैं, हालांकि ज्यादातर समय जल में बिताते हैं।

3. बत्तख खाने में क्या खाती है?

उत्तर - यह मक्का, चावल, केंचुए, घोंघे, मछली, कीड़े मकोड़े आदि खाकर अपना पेट भरते हैं। बत्तख स्वयं ही तैरते हुए अपने लिए आहार ढूंढ लेती है इसके अलावा पालतू बत्तखों को खाने के लिए मटर के दाने, मक्के के दाने और पीने के लिए स्वच्छ जल दे सकते हैं। 

4. बत्तख कितने अंडे देती है?

बत्तख सालभर में लगभग 300 अण्डे दे सकती है और उसके अंडे का वजन 65 से 70 ग्राम होता है। उसके अंडों को 10 से 12 रुपये में बेचकर लोग अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

5. बत्तख के अंडे में कौन सा विटामिन पाया जाता है?

उत्तर - मुर्गी के अंडे की तरह ही बत्तख के अंडे को भी लोग खाना पसंद करते हैं। इसके अण्डे में भरपूर प्रोटीन और विटामिन्स मौजूद रहते हैं। इसके अंडों में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, विटामिन B12, कैलशियम, मैग्निशियम, आयरन, राइबोफ्लेविन, सेलेनियम, थियामिन आदि महत्वपूर्ण पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। साथ ही उसमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है।

6. हंस और बतख में क्या अंतर है?

उत्तर - हंस की गर्दन बत्तख से लंबी होती है और उसका वजन में बत्तख से ज्यादा होता है। हंस का रंग सफेद होता है लेकिन बत्तख विभिन्न रंगों के पंखों वाले होते हैं। हंस की आयु बत्तख से अधिक होती है इसलिए वो लंबे समय (25 साल) तक जीवित रह सकती है। इसके अलावा हंस और बत्तख में और भी कई अंतर हैं।

अंतिम शब्द

इस लेख को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद! इस आर्टिकल में आपने Essay on Duck in Hindi Language - बतख पर निबंध हिंदी में पढ़ा जिससे आपको जरूर बत्तख के बारे में महत्वपूर्ण बातें जानने को मिली होगी। अगर आपको निबंध पढ़ना अच्छा लगता है तो हमारे इस ब्लॉग पर, आपको अलग-अलग टॉपिक पर हिंदी में निबंध मिल जायेंगे जिन्हें आप पढ़ सकते हैं।

Read more -

कोई टिप्पणी नहीं

Please do not enter any spam link in the comment box.

Blogger द्वारा संचालित.