नए स्कूल में मेरा पहला दिन पर निबंध - Essay on First Day in School in Hindi

हर व्यक्ति अपने जीवन में स्कूल, विद्यालय या पाठशाला जरूर जाता है वह वहां पढ़ना लिखना सीखता है। हम सभी का अपना अनुभव होता है जब हम पहली बार स्कूल जाते हैं, इस लेख में मैने नए स्कूल में मेरा पहला दिन पर निबंध लिखा है। इसी तरह के अन्य लेख हमने इस ब्लॉग पर प्रकाशित की हुई है जिन्हें आप पढ़ सकते हैं। 

स्कूल में मेरा पहला दिन पर निबंध

नए स्कूल में मेरा पहला दिन पर निबंध - Essay on First Day in School in Hindi


प्रस्तावना

नए जगह पर जाते ही हमें वहां के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की इच्छा होती है, मन में कई शंकाएं भी उत्पन्न होती है ऐसा ही जब मैं नए स्कूल में प्रवेश लेता हूं तो महसूस होता है। स्कूल में मेरा पहला दिन पाठशाला का मोइना करने और सहपाठियों से परिचित होने में बीतता है। शिक्षकगण को अपना परिचय देने तथा अध्यापकों से परिचित होने के बाद मुझे वहां सहज महसूस होता है स्कूल का पहला दिन वह दिन होता है जब मेरे नए दोस्त बनते हैं वो दिन जीवनभर याद रहता है।

मेरा स्कूल का विवरण

जब मैं पांचवी कक्षा उत्तीर्ण करके आगे की पढ़ाई के लिए माध्यमिक शाला में प्रवेश लेने अपने पिताजी के साथ गया तो मैंने देखा कि वहां का स्कूल मेरे प्राइमरी स्कूल से बहुत बड़ा था। वहां आसपास के बच्चे और दूर दराज के बच्चे साइकिल चलाकर आ रहे थे। स्कूल के सामने बड़ा सा खेल मैदान है जिसमें फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी आदि खेला जाता है। मैदान के सामने ही एक स्टेज है जहां पर 26 जनवरी और 15 अगस्त को कार्यक्रम का आयोजन होता है। तिरंगा झण्डा फहराने के लिए शाला प्रांगण में एक छोटा चबूतरा है जिसमें झंडे गाड़ कर ध्वजारोहण किया जाता है। स्कूल चारों तरफ से ऊंची बाउंड्री वॉल से घिरा हुआ था। स्कूल मैदान के किनारे में एक हैंडपंप भी है जिसमें से शुद्ध जल टंकी में भरकर उसे बच्चों के पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। वहां कक्षा छठवीं, सातवीं और आठवीं के लिए पर्याप्त कक्ष उपलब्ध है साथ में छोटा पुस्तक लाइब्रेरी है मुझे पढ़ने में विशेष रूचि होने के कारण मैं यह देखकर काफी खुश हुआ वहां उपयोगी किताबें रखी गई थी। पाठशाला में विद्यार्थियों के लिए सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। उस स्कूल में प्रवेश फॉर्म भरकर हमने जमा किया साथ में निर्धारत प्रवेश शुल्क भी जमा कर दिया उस दिन के बाद से मैं नियमित रूप से उस स्कूल में पढ़ने जाने लगा।

स्कूल जाने की तैयारी

एडमिशन के बाद स्कूल जाने की तैयारी शुरू हो जाती है इसके लिए मैं पहले ही दरजी के पास स्कूल का यूनिफॉर्म सिलवा लेता हूं और उसे अच्छे से प्रेस करके अलमारी में रख लेता हूं ताकि स्कूल वाले दिन कपड़े यहां - वहां ढूंढना ना पड़े। जरूरी चीजें खरीद लेता हूं जैसे पुस्तकें, नोटबुक और पेन। स्कूल मेरे घर से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर पर है इसलिए मैं साइकिल में आया जाया करूंगा उसके लिए पहले साइकिल की रिपेयरिंग कराता हूं ताकि आने जाने में दिक्कत ना हो।

स्कूल में मेरा पहला दिन

स्कूल वाले दिन मैं सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर स्कूल का यूनिफॉर्म पहनकर तैयार हो जाता हूं। स्कूल 10:00 बजे लगती है और 4:00 को छुट्टी होती है। पहले दिन स्कूल पहुंचने में देरी ना हो इसलिए साइकिल लेकर मैं वक्त से पहले निकल जाता हूं। पहले दिन जब मैने स्कूल के गेट के अंदर प्रवेश किया तब मैने देखा कि गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल आकर हर कोई उत्साहित था सब अपने सहपाठियों के साथ बातें कर रहे थे। छुट्टी के बाद पहली बार पाठशाला खुल रही थी इसलिए चपरासी स्कूल की साफ सफाई में लगे हुए थे।

वहां पर मेरी नए दोस्तों से कुछ बातें हुई तभी स्कूल के चपरासी ने एक घंटी बजाई और सभी पंक्ति बनाकर खड़े हो गए। अध्यापक सामने की ओर खेड़े थे हमने वहां राष्ट्रगान गाया और प्रार्थना गीत के साथ स्कूल के पहले दिन का शुभारंभ किया। टीचर्स ने सभी नए विद्यार्थियों का पाठशाला में स्वागत किया हमने उनका धन्यवाद किया उसके बाद सभी अपने अपने कक्षा में जाकर बैठ गए।

कक्षा में हर कोई नया विद्यार्थी था सभी अलग अलग स्कूलों से पांचवी उत्तीर्ण करके छठवीं कक्षा में अध्ययन के लिए आए थे इसलिए स्वाभाविक है की सबके मन में अनेकों शंकाएं होगी। मैने बगल में बैठे लड़के से बात करने की कोशिश की, उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम मोहन बताया, मैने उसे अपना नाम बताया दोनों में ढेर सारी बातें हुई और वह मेरा अच्छा दोस्त भी बन गया। देखते ही देखते अलग अलग दोस्त बनते गए इसी बीच स्कूल में क्लास टीचर आते हैं, हमने उन्हें गुड मॉर्निंग कहा। उन्होंने सभी नए छात्रों का परिचय लिया सबने अपना नाम और पता बताया। टीचर ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह हमें विज्ञान का विषय पढ़ाएंगे। प्राचार्य ने सभी विद्यार्थियों को पाठशाला के नियमों और अनुशासन के बारे में बताया और उनका पालन करने को कहा।

दोपहर को मध्याह्न भोजन के समय सभी मित्रों ने साथ मिलकर भोजन किया यह अनुभव बहुत अच्छा था। खेल छुट्टी में मैं नए मित्रों से बातचीत करते हुए मैदान में फुटबॉल खेलने चला गया। पाठशाला के पहले दिन पढ़ाई नहीं हुई और शिक्षकों से परिचित होने और दोस्त बनाने में पूरा दिन बीता। खेलते हुए कब 4:00 बज गए पता ही नहीं चला। चपरासी ने छुट्टी की लंबी घंटी बजाई और सब दौड़कर स्कूल में गए अपना बस्ता उठाया और पंक्ति में खड़े हो गए और राष्ट्रगीत गाने के बाद स्कूल की छुट्टी हो गई। मैने अपना साइकिल लिया और चलाकर घर वापिस लौट आया।

उपसंहार

स्कूल का पहला दिन मौज मस्ती के साथ बीता हमने पूरा स्कूल देखा और शिक्षकों से परिचय लिया। नए मित्र बनाए। मैदान में मिलकर खेल का आनंद लिया। विद्यालय का पहला दिन होने की वजह से अध्यापकों ने सबका मुंह मीठा कराया सभी बच्चे प्रसन्न हो उठे। छुट्टी से पूर्व अध्यापकों ने विद्यार्थियों से नियमित स्कूल आने के लिए आग्रह किया। इन सभी अनुभव को मैंने अपने अभिभावकों के साथ साझा किया, स्कूल का पहला दिन मुझे आज भी स्मरण है।

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