बसंत पंचमी पर निबंध - Basant panchami par nibandh in hindi

बसंत पंचमी एक ऐसा त्यौहार जिसमें मां शारदा की आराधना की जाती है कई जगहों पर तो मां सरस्वती की पूजा के साथ मिल जैसा माहौल देखने को मिलता है, आज आप इस लेख में बसंत पंचमी पर निबंध हिंदी में Basant panchami par nibandh in hindi (essay on Basant Panchami in Hindi) के विषय में पढ़ने वाले हैं। इस त्योहार का क्या महत्व है?, वसंत पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा और आज के युग में इसकी महत्व के बारे में जानकारी आज के लेख में दी गई है।

बसंत पंचमी पर निबंध हिन्दी में - Basant panchami par nibandh in hindi

बसंत पंचमी पर निबंध - Basant panchami par nibandh in hindi
Basant panchami par nibandh in hindi

बसंत पंचमी हिन्दू त्यौहार है जिसे  श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा अर्चना इस दिन की जाती है, भारत के विभिन्न राज्यों में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। विद्या की देवी माँ सरस्वती की आराधना विद्यालयों में छात्रों द्वारा भी की जाती है, सरस्वती माँ की पूजा स्कूलों में किसी भी कार्य को प्रारम्भं करने से पहले किया जाता है। इस दिन सरस्वती वंदना की जाती है, पूजन समाप्ति के बाद माँ का प्रसाद सबको बाँटा जाता है। 

बसंत पंचमी का मतलब क्या है?

वसंत या बसंत एक ऋतु है और बसंत पंचमी का मतलब है की बसंत के आगमन का पाँचवाँ दिन, इसे ही बसंत पंचमी कहा जाता है इसी दिन को माँ सरस्वती की पूजा की जाती है, मान्यता है की इसी दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की उतपत्ति हुई थी। 

बसंत पंचमी की कथा - Basant panchami ki katha

हिन्दू धर्म का पावन त्यौहार बसंत पंचमी पर्व मनाने के पीछे पौराणिक कहानी व् कथा है। जब इस सृष्टि की रचना हो रही थी तब भगवान शिव शंकर की आज्ञा के अनुसार ब्रम्हा जी ने सृष्टि की रचना करनी शुरू की उन्होंने प्रत्येक जीवों जैसे पशु, पक्षी, सृप, पेड़-पौधें और मुख्य रूप से मानव की रचना की परन्तु ब्रम्हा जी को अपनी रचनाओं में कुछ कमी महसूस हो रही थी, इसके निवारण हेतु ब्रम्हाजी ने भगवान विष्णु जी की आराधना शुरू की, विष्णुजी प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुए। और फिर ब्रम्हाजी ने उन्हें बताया की उन्होंने सृष्टि की रचना की किन्तु उन्हें सृष्टि में सबकुछ शांत प्रतीत हो रहा है, कुछ भी हलचल नहीं है, इसलिए उन्हें इस रचना में कोई कमी महसूस हो रही है। 

ब्रम्हाजी के इस समस्या को सुनकर उसके निवारण हेतु विष्णुजी ने माँ दुर्गा की स्तुति की उसके बाद माँ प्रकट हुई और उनकी बातें सुनकर उनके समस्या का समाधान निकाला। आदिशक्ति माँ दुर्गा ने अपने तेज से श्वेत वस्त्र धारण किये हुए एक नारी की रचना की जो चतुर्भुज धारण किये हुए थे, उनके हाथों में विणा था, वो माँ सरस्वती का स्वरुप था। माँ सरस्वती ने अपनी विणा से मधुरधुन बजाया इससे संसार के सभी जिव-जंतुओं, प्राणी, मानवों में वाणी आ गई, चिड़िया चहचहाने लगे, सभी जीवों को अपनी खुद की ध्वनि मिल गई, हवाएँ बहने की आवाज, समुद्र के लहरों की ध्वनि, कोयल की मधुर वाणी। सृष्टि में ध्वनि और शब्दों का संचार करने के बाद देवी-देवताओं द्वारा उनका नाम "माँ सरस्वती" रखा। भगवती माँ दुर्गा के तेज़ से उत्त्पन्न माँ सरस्वती ब्रम्हा जी की पत्नी बनी।

माँ सरस्वती विद्या और संगीत की देवी हैं कहा जाता है की बसंत पंचमी के दिन ही वे प्रकट हुए थे इस कारण उनके प्रकट उत्सव या जन्मोत्सव के रूप में बसंत पर्व मनाते हैं। 

बसंत पंचमी का महत्व

जैसे ही बसंत ऋतु शुरू होता है प्रकृति में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है पशु पक्षी में अद्भुत ऊर्जा जाती है, वसंत ऋतु सबका पसंदीदा ऋतु में से एक है जिसमें ना अत्यधिक गर्मी होती है और ना ही अधिक ठंड, बिल्कुल संतुलित वातावरण इस ऋतु में तो देखने को मिलता है।

बसंत के आगमन के पांचवें दिन को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है जिसमें ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की स्तुति की जाती है उनकी आरती तथा वंदना गाई जाती है। इस दिन सभी विद्यार्थी उनसे उज्जवल भविष्य की कामना के लिए प्रार्थना करते हैं, अपने लिए ज्ञान मांगते हैं, सभी कलाकार जिन्हें संगीत में रुचि है वे मां सरस्वती की वंदना करती है क्योंकि इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है जो हाथ में वीणा लिए हुए मधुर स्वर वीणा की तान सुनाती हैं। कहा जाता है की जब श्री कृष्ण अपनी बाल्यावस्था में मुरली सीख रहे थे तब उन्होंने भी संगीत की देवी सरस्वती की प्रार्थना की थी उसके बाद उन्होंने मधुर बांसुरी की धुन बजाई थी, इसलिए समस्त सच्चे संगीत प्रेमी मां सरस्वती की आराधना अवश्य करते हैं।

पौराणिक महत्व

वसंत पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं, ऐसे कई प्राचीन कहानियां हैं जिनमें वसंत पंचमी के दिन अनोखी घटनाएं हुई हैं। अतीत में ऐसी ही बहुत से घटना घटित हुई होंगी जो बसंत पंचमी के दिन ही कोई होंगी किंतु यहां पर मुख्य तथा प्रचलित पौराणिक कहानी पढ़ने वाले हैं जो वसंत पंचमी से संबंधित है।

माता शबरी से जुड़ी कहानी 

जब श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष वनवास के लिए गए तो वहां रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था, सीता के तलाश में श्री राम वन वन भटके थे इस दौरान वे दंडकारण्य भी गए थे।

दंडकारण्य में शबरी नामक भक्त रहती थी जो रामभक्ति में लीन थी, जब माता शबरी को यह पता चला कि उनके कुटिया में श्रीराम आने वाले हैं उनकी भोजन के रूप में बेर के फल को चख - चखकर थाली में रखा और उसे स्नेहपूर्वक श्री राम को खिलाया। माता शबरी द्वारा श्री राम को झूठे बेर खिलाने को लेकर कई धारावाहिक बनाई गई है, रामायण में यह उल्लेखित है, गीतों द्वारा इसका बखान किया जा चुका है। 

श्री राम और लक्ष्मण जब दंडकारण्य शबरी माता के पास गए थे उस दिन वसंत पंचमी था, अर्थात बसंत पंचमी वाले दिन ही प्रभु श्री राम का आगमन शबरी की कुटिया में हुआ था।

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म 

हिंदी साहित्य के महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जिन्हें हिंदी साहित्य में सरोज-स्मृति, राम की शक्ति-पूजा, बाँधो न नाव इस ठाँव बंधु, सच है जैसी कई रचनाएं प्रकाशित की है। इनका जन्म भी बसन्त पंचमी वाले दिन को ही हुआ था।

आखरी शब्द 

दोस्तों इस पोस्ट के जरिए बसंत पंचमी पर निबंध हिंदी में Basant panchami par nibandh in hindi (essay on Basant Panchami in Hindi) के बारे में जानकारी दी गई है। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया तो इसे जरूर शेयर करें, लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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