बकरी पर निबंध हिंदी में - Essay on Goat in Hindi
बकरी बहुत उपयोगी पालतू पशु है जिसे गांव वाले इलाकों में अधिक पालन किया जाता जाता। इसकी कई नस्लें दुनियाभर में पाई जाती है आज हमने इस पोस्ट में बकरी पर निबंध - Essay on Goat in Hindi बताया है। भारत में आसानी से पाला जाने वाला पालतू पशु बकरी की विशेषता है की वह खुद को मौसम के अनुरूप ढाल लेती है यह शुद्ध शाकाहारी आहार का खाती है।
बकरी पर निबंध हिंदी में - Essay on Goat in Hindi
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Essay on Goat in Hindi |
परिचय
बकरी बहूपयोगी पशु है इससे दूध और मांस प्राप्त होता है भारत में बकरी पालन का कार्य भी किया जाता है मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में लगभग सभी घरों में बकरियां होती है। इसे पालना आसान है और इसके दाना चारे का खर्चा भी कम है यह पूर्णतया शाकाहारी शांत स्वभाव वाली पालतू पशु है जो घांस चरती और हरे पत्ते इत्यादि खाती है।
बकरी की संरचना
बकरी का रंग काला, सफेद, भूरा और चितकाबरा होता है। बकरी के दो कान, दो आँख, चार पैर, दो सींग, दो थन और छोटी पूंछ होती है इसका शरीर घने छोटे बालों से ढका रहता है जो अधिक गर्मी और कड़कड़ाती ठंड से इनकी त्वचा की सुरक्षा करती है। बकरी का आकार भेड़ के बराबर होता है। बकरी के पैर के नीचे खुर होते हैं जो चलने और दौड़ने में सहायक हैं, यह नाखून की तरह बढ़ता रहता है इसलिए इसे समय - समय पर काटा जाता है ताकि बकरी को चलने फिरने में दिक्कत ना हो।
बकरी पालन
इसकी शारीरिक बनावट भेड़ से काफी मिलती जुलती है यह छोटा पालतू पशु है जो गाय, भैंस की तरह दूध देती है। इसके दूध देने की क्षमता गाय - भैंस से कम होती है इसलिए निजी तौर पर इसके दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है। कुछ लोग मांस प्राप्त करने के लिए इसका पालन करते हैं। व्यवसाय के उद्देश्य से बकरी पालन करके आजीविका के लिए धन भी कमाए जाते हैं, इसकी मांग हर जगह होती है, इसके दूध भी काफी महंगा बिकता है। बकरी खरीदने वाले अक्सर गांव गांव जाकर अच्छी नस्ल के बकरी खरीदने हैं इसके लिए विक्रेता को अच्छी रकम दिया जाता है, बकरी पालन व्यापक रूप से हो रहा है वर्तमान समय में यह आय का स्रोत बन गया है।
बकरी पालन से लाभ
- जब बकरी बच्चे को जन्म देती है तो दूध गाढ़ा होता है इसे पौष्टिक माना जाता है।
- यह पौष्टिक दूध देती है जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत गुणकारी होता है।
- इसे बच्चे महिलाएं आसानी से पाल सकते हैं क्योंकि यह घांस, पत्ते व् चारा खाती है जो सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। पेय पदार्थों में माड़, दूध और जल पीते हैं।
- इसे छोटे स्थानों में बांधकर रखा जा सकता है। वे बुद्धिमान होते हैं इसलिए चरने के बाद घर खुद चले आते हैं।
- इसे पालकर रखने से विकट परिस्थिति में बेचकर धन कमाया जा सकता है इसलिए कुछ लोग इसे सोना कहते हैं।
- इसका स्वभाव शांत सरल होती है आक्रामक जैसी गुण इसमें नहीं होती इसलिए इसे घरों के आंगन में बांधकर रखते हैं।
- मानव की तरह बकरियों का स्वास्थ्य भी बिगड़ता है उसके इलाज के लिए आसानी से पशु चिकित्सक मिल जाते हैं अतः उनका इलाज कराने में दिक्कत नहीं आती।
- यह साल में दो मेमने (बकरी का छोटा बच्चा) को जन्म देती है जिससे घर मे बकरी की संख्या बढ़ती है और बकरी खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- यह स्वादिष्ट दूध देती है जो स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है। कुछ तो इसके दूध से चाय बनाकर पीते हैं। बकरी फार्म में इसके दूध की अच्छा उत्पादन है इससे डेयरी उद्योग का काम भी किया जाता है।
- बकरी से उर्वरक या खाद प्राप्त होता है जो भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायक हैं इससे किसानों की काफी मदद होती है।
बकरियों की विभिन्न नस्लें
1. ओस्मानाबादी
2. बीटल
3. बरबरी
4. ब्लैक बंगाल
5. बोअर
6. सिरोही
7. सुरति
8. सोजत
9. जमुनापारी
10. जखराना
बकरी की विशेषताएं
- बकरी विभिन्न भू-भागों में विविध नस्लों में पाई जाती है।
- यह एक पालतू स्तनधारी पशु है। यह भी गाय की तरह जुगाली करने वाला छोटा पालतू पशु है।
- यह अलग अलग जलवायु एवं वातावरण के अनुसार खुद को ढाल लेती है या अपने आपको परिवेश अनुकूल बना लेती है।
- ये घरों में पालतू और जंगलों में जंगली बकरी के रूप में पाए जाते हैं।
- यह वर्ष में एक से अधिक बच्चे या मेमने को जन्म देती है इसलिए इसकी संख्या में बढ़ोतरी देखी जाती है।
- शुद्ध चीजों का सेवन करती है शुद्ध जल और पूरी तरह से शाकाहारी आहार खाती है।
- अलग अलग नस्लों के बकरी का वजन 20 किलो से लेकर 140 किलोग्राम तक होता है।
- बकरी 15 से 18 सालों तक जीवित रह सकते हैं यह बकरियों का जीवनकाल है।
- बकरी का रूप मनमोहक, सफेद, काला और भूरे रंग का होता है। बकरी 1 से 1.25 किग्रा तक दूध देने में सक्षम होती है।
- भारत में बकरी के 20 प्रजातियों को देखा जा सकता है अलग अलग राज्यों में विविध किस्म की नस्लें पाई जाती है।
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