मैना पक्षी पर निबंध - Essay on Myna Bird in Hindi Language
नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम मैना पक्षी पर निबंध प्रस्तुत कर रहे। मित्रों एक आकर्षक पक्षी है जो जंगलों में और इंसानी बस्ती के आसपास आसानी से नजर आ जाते हैं। यह महानगर तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाते हैं। मूल रूप से यह एक दक्षिण एशियाई पक्षी है और भारत के अलावा अलग-अलग देशों में पाई जाती है। मैना पक्षी पर निबंध के माध्यम से हम इस चिड़िया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, इसकी प्रजाति और विशेषताएं आदि के बारे में चर्चा करेंगे।
मैना पक्षी पर निबंध (Essay on Myna Bird in Hindi Language)
प्रस्तावना
मैना मनमोहक, छोटा और बहुत सुंदर पक्षियों में से एक है जो आमतौर पर आसपास के पेड़ों में बैठा हुआ नजर आ जाता है। मैना काला व भूरे रंग का चिड़िया होता है इसके आंखों के पास वाला भाग, दोनों पैरों का रंग और चोंच का रंग पीला व् नारंगी होता है। सिर व् गर्दन गहरे काले रंग का और इसके पेट वाला भाग सफेद रहता है बाकी ज्यादातर हिस्सा भूरे रंग का होता है। वृक्षवासी होने के कारण ये पक्षी वनों में और हमारे आसपास के वृक्षों में घोंसला बनाकर आश्रय लेते हैं।
यह उन स्थानों पर भी पाए जाते हैं जहां पर इंसान रहते हैं। लोगों के आसपास रहने के चलते यह इंसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है इसलिए कुछ लोग इसे घर में पालना पसंद करते हैं। इसे एशिया का देशी पक्षी भी कहा जाता है सामान्यतः भारत के गांवों में यह अधिकता में देखने को मिल जाता है। सुबह-शाम इसकी चहचहाहट सुनाने को मिलती है। मैना दक्षिण एशियाई चिड़िया है जो भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार समेत अलग-अलग देशों में (मुख्य रूप से एशिया के कुछ देशों में) पाई जाती है।
भोजन
सर्वभक्षी पंछी होने की वजह से मैना भोजन के तौर पर फल, बीज, अनाज, कीड़े, मकोड़े, छिपकली, छोटे मेंढक, छोटे स्तनपायी प्राणी व् सरीसृप खाते हैं। यह मनुष्यों द्वारा खाए जाने वाले भोजन जैसे चावल या अनाजों को भी आहार रूप में खाते हैं। पालतू मैना को फल व् पके चावल भी खिलाया जाता है। फसल तैयार हो जाने पर मैना खेतों में जाकर अपना पेट भरने के लिए दाना चुगती है। जंगल में मैना को खाने के लिए तरह-तरह के फल मिलते हैं। जंगलों में रहने वाला मैना पेड़ की खोह पर डेरा डालता है, खेतों से दाने चुगकर लाता है और खुद का व् अपने बच्चों का पेट भरता है।
प्रजातियाँ
मैना पक्षी की पूरी दुनिया में लगभग 20 प्रजातियाँ हैं जिनमें भारतीय मैना, भारतीय चितकबरा मैना, सामान्य पहाड़ी मैना, दक्षिणी पहाड़ी मैना, गुलाबी मैना, सुनहरी कलगी वाली मैना, गोल्डन मैना, रेड-बिल्ड स्टार्लिंग, सुलावेसी मैना, लंबी पूंछ वाली मैना आदि शामिल हैं। इस पक्षी के विभिन्न प्रजातियां अलग-अलग राज्यों व देशों में पाए जाते हैं जैसे भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका इत्यादि। आमतौर पर दिख जाने वाली सामान्य मैना एशिया का मूल निवासी है तथा यह ग्रामीण एवं शहरी दोनों तरह के वातावरण में रह सकता है।
भारतीय मैना
भारतीय मैना को भारत में देशी पक्षी भी कहा जाता है। ये पक्षी बड़े झुंडों में रहते हैं और चहचहाते हुए नीले आकाश में एक साथ उड़ते हैं। इस पक्षी के शरीर का अधिकांश भाग भूरा, दोनों पैरों का रंग पीला तथा पेट एवं पूँछ का भाग सफेद होता है। नर और मादा दोनों पक्षी एक जैसे प्रतीत होते हैं। भारत में मैना पक्षी शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटी बस्तियों में भी पाए जाते हैं। इसे हम नदियों के किनारे चट्टानों पर या पेड़ों की डालियों पर बैठे हुए देख सकते हैं। यह चिड़िया एशिया का मूल निवासी है।
राजकीय पक्षी - पहाड़ी मैना
मैना एक आकर्षक पक्षी है जिसे लोग अपने घरों में रखना या पालना पसंद करते हैं, लेकिन वन विभाग के अनुसार पहाड़ी मैना इंसानों से दूर जंगलों में स्वतंत्र रूप से रहना पसंद करती है। यह पक्षी राजकीय महत्व भी रखता है। यह भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय पक्षी है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सन् 2002 में मैना (पहाड़ी मैना) को राजकीय पक्षी घोषित किया गया था। कांगेर घाटी का सघन वन पहाड़ी मैना का पसंदीदा निवास स्थान है और उस क्षेत्र को पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए संरक्षित क्षेत्र भी घोषित किया गया है। 16वीं शताब्दी से लेकर अब तक पक्षियों की लगभग 187 प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं, इसलिए मैना पक्षी को विलुप्त होने से बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा इसके संरक्षण पर काम शुरू किया गया है।
मैना पक्षी की विशेषताएं -
- मैना अपने समूह या झुंड में रहा करते हैं और आकाश में एक साथ चहचहाते हुए उड़ते हैं।
- ये पक्षी इंसानों के आसपास इंसानी इलाकों में रहना पसंद करते हैं।
- मैना अपना घोंसला खुद बनाती है लेकिन अंडे देने के लिए दूसरे पक्षी का घोंसला चुनती है।
- प्रजनन के बाद मादा मैना दूसरे पक्षी के घोंसले में सामान्य तौर पर 4 से 6 अंडे देती है और उसके अंडे का रंग हल्का नीला होता है।
- मैना का बच्चा अंडे से बाहर आकर उड़ना सीखता है। उड़ने सीखने में उसे 22-25 दिन का समय लग जाता है उसके बाद वह खुले आकाश में पंख फैलाकर उड़ता है।
- मैना एक सर्वाहारी पक्षी है जो फल, अनाज, और कीड़े-मकोड़ों को आहार बनाकर खाता है।
- मैना छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी भी है। जो इसके महत्व को और बढ़ा देता है।
- नर और मादा मैना में बहुत अधिक अंतर नहीं होता, इन्हें देखने पर दोनों एक जैसे प्रतीत होते हैं। दूर से देखकर मनुष्यों द्वारा इसे आसानी से पहचान पाना बहुत मुश्किल होता है।
- मैना, इंसानी क्षेत्रों में, मैदानों में, खेतों और जलाशयों के आसपास रहना पसंद करते हैं ऐसे स्थानों पर उनको सरलता से आहार मिल जाता है।
- वन विभाग के अनुसार मैना चिड़िया को वनों में रहना ज्यादा पसंद होता है, वहां बड़े-बड़े पेड़ों की खोह में मैना डेरा डालती है।
- इसकी खासियत यह है कि यह हमेशा दूसरे पक्षी के घोंसले पर अंडे देती है और उसे 14 दिनों तक सेहती है।
- यह बहुत ही आकर्षक पक्षी है जो मीठी और मधुर आवाज निकालता है, इसकी बोली दूर तक सुनाई देती है, जो सुनने में मधुर लगती है।
- मैना पक्षी के पैर मजबूत होते हैं, इसकी अंगुलियों में छोटे लेकिन नुकीले नाखून होते हैं। यह अपने दोनों पैरों की मदद से पेड़ों की छोटी शाखाओं पर आसानी से बैठ सकता है।
- देशी पक्षी कही जाने वाली मैना लोगों के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार करती है। इसकी विभिन्न प्रजातियों में कुछ भिन्नताएँ अवश्य पाई जाती हैं। सामान्य मैना का आकार 20 - 30 सेंटीमीटर तक होता है।
- मैना हुबहू इंसानों की नकल करने में माहिर होता है इसे कई बार इंसानी बोली बोलते हुए भी देखा जाता है।
निष्कर्ष
मैना एक ऐसा पक्षी है जो अलग-अलग जगहों पर रह सकता है, यह इंसानी बस्तियों में भी रहता है। यह बुद्धिमान पक्षी है जो इंसानों की हूबहू नकल करने में माहिर होता है। भारत में तो इसे देशी चिड़िया भी कहते हैं। इसे छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी का दर्जा प्राप्त है। कुछ लोग इस पक्षी को गुलेल से मार देते हैं, लेकिन ऐसा करना अनुचित है क्योंकि इससे पक्षियों के मन में डर पैदा हो जाता है। इंसानों की इन्हीं अनुचित गतिविधियों के कारण आज मैना पक्षी घरों के आसपास इतना कम देखा जा रहा है। मैना पक्षी के अस्तित्व पर भी विलुप्त होने का संकट मंडरा रहा है अतः इसका संरक्षण पर जोर देना आवश्यक है। मैना को पालतू बनाकर पिंजरे में रखा जाता है लेकिन इसमें आकाश में उड़ने की प्राकृतिक गुण होता है इसलिए इसे आज़ाद रहने देना चाहिए ताकि यह स्वतंत्र आकाश में निर्भय होकर उड़ सके।
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मैना पक्षी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Myna Bird in Hindi)
- मैना एक बहुत सुंदर पक्षी है जो अक्सर घरों के आसपास पेड़ों की शाखाओं पर बैठी देखी जाती है।
- इसके चोंच का रंग, पैर का रंग और आंखों के आसपास वाला भाग पीले रंग का होता है इसके अतिरिक्त ज्यादातर हिस्सा भूरे रंग का होता है।
- मैना की विश्वभर में अनेकों प्रजातियां पाई जाती है।
- सर्वभक्षी चिड़िया होने के कारण यह अनाज, फल और कीड़े मकोड़े को भी खा जाता है।
- मैना अपना अंडा दूसरे पक्षी के घोंसले में देती है, यह 4 से 6 अंडे देती है।
- यह इंसानों की बातों का नकल करने में माहिर होता है और इंसानी बोली बोलने में सक्षम है।
- इस पक्षी की चहचहाहट अक्सर सुबह और शाम के वक्त सुनाई देता है जब वे अपने निवास स्थान में लौटते हैं।
- इंसानी बस्तियों में आमतौर पर यह घरों के आसपास के विशाल पेड़ों पर अपना डेरा डालते हैं।
- इस चिड़िया की सुंदरता और हूबहू इंसानी बोली बोलने के गुण के कारण लोग इसे अपने घर में पालतू पक्षी के रूप में रखते हैं।
- अधिकतर अपने समूह में उड़ान भरने वाला ये पक्षी 5 से 25 वर्षों तक जीवित रह सकती है।
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