परीक्षा का महत्व पर निबंध - Essay on importance of Exam in Hindi
कक्षा पहली से लेकर 11वीं, 12, वीं तक और फिर कॉलेज तक सब ने परीक्षा दिया है, सभी कक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए परीक्षा देना अनिवार्य होता है। परीक्षा का बहुत बड़ा महत्व है, परीक्षा का महत्व पर निबंध - Essay on importance of Exam in Hindi आज इस लेख में यही पढ़ने वाले हैं।
परीक्षा का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है अभी के समय पर अगर बच्चे परीक्षा में न बैठे तो उन्हें नौकरी नहीं मिलती। अगर किसी जॉब में सिलेक्ट होना है तो उसके लिए परीक्षा देनी होगी। किसी भी चीज में महारत हासिल करने के बाद उसका परीक्षा लिया जाता है इससे सिद्ध हो जाता है की वह वाकई में हुनरमंद है या नहीं। कई बच्चे कहते हैं की वह 4 घंटे लगातार पढ़ने हैं लेकिन जब परीक्षा लेते हैं तब उनके अंक कम आते हैं और जिसमें मेहनत की होगी है उसके 90-99% आ जाते हैं। परीक्षा बहुत अच्छी प्रणाली है योग्यता पहचानने के लिए।
परीक्षा का महत्व पर निबंध – Pariksha ka mahatva per nibandh
निबंध 1. परीक्षा का महत्व पर निबंध 350 शब्दों में
हमारी जिंदगी में परीक्षा देने का अवसर एक ना एक बार अवश्य आता है जिसमें हमारी काबिलियत का पता चलता है। स्कूल पढ़ने वाला विद्यार्थी विज्ञान जॉब की तलाश में कोई युवक सबको परीक्षा से गुजारना पड़ता है। परीक्षा पढ़ाई का दूसरा चरण होता है जिसे उत्तीर्ण करने के बाद ऊंची कक्षा में प्रवेश किया जा सकता है। नौकरी भी परीक्षा पास करने पर मिलती है। परीक्षा से घबराना नहीं चाहिए ये एक टेस्ट है जो बताता है की हम कितने काबिल हैं किसी क्षेत्र में, वह पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद, नृत्य, गायन इत्यादि हो सकता है बच्चों बड़ों को किसी भी फील्ड में उसकी टैलेंट को तराशने में परीक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ये उन परिस्थितियों में काम आता है जब नौकरी के लिए लंबी कतार लगी हो लेकिन ये निर्णय कर पाना मुश्किल हो की किसी नौकरी दिया जाए? तो उस समय परीक्षा एक तरीका बचता है जिससे "दूध का दूध और पानी का पानी" हो जाता है मतलब व्यक्ति की कबिलायत वास्तव में पता चल जाता है, इस तरह कोई लीडर अपने काम के लिए सरलतापूर्वक एम्प्लॉयज खोज सकता है। एग्जाम का शुरुआत पाठशाला से होकर नौकरी प्राप्त करने तक चलता रहता है कोई विशेष पढ़ाई की डिग्री लेनी हो तो भी पहले परीक्षा पास करना होगा। परीक्षा में बैठने से विद्यार्थी अथवा परीक्षार्थी को कई फायदे मिलते हैं अगर वो उत्तीर्ण होता है तो उसे अपने फील्ड से संबंधित कोई सुविधाएं मुहैया कराई जाती है और अगर वो अनुत्तीर्ण होता है तो उसे एग्जाम पेपर कैसे दिया जाता है उसका अनुभव हो जाता है। पहली बार एग्जाम हॉल में परीक्षा देने में बहुत से लोग डरते हैं लेकिन जब ये दुबारा या कई बार परीक्षा दे चुके होते हैं तो वह परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं इसलिए दुबारा या तीसरी बार परीक्षा देने पर कई लोग पास हो जाते हैं क्योंकि वे अपनी गलतियों को सुधार लेते हैं बार बार परीक्षा देने से परीक्षा के प्रति उनका भय खत्म हो जाता है। परीक्षा से परीक्षार्थी और परीक्षा लेने वाला दोनों को आगे चलकर लाभ होता है क्योंकि इससे सच्चे, अच्छे, योग्य व्यक्ति को काम मिल जाता है और बॉस को अपने लिए योग्य कर्मचारी, जिससे उसे फायदा ही होता है।
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निबंध 2. परीक्षा का महत्व पर निबंध
प्रस्तावना :- छोटे बच्चे से लेकर कॉलेज तक सभी विद्यार्थियों को कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए परीक्षा देना ही होता है, प्राचीन काल में गुरुकुल में धनुर्विद्या शिक्षा प्राप्त या अन्य किसी भी प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने के बाद उसका परीक्षा देना होता था जिससे विद्यार्थी की ज्ञान को रखा जा सकता था कि उसने अब तक कितना सीखा है। आधुनिक युग में भी विद्यालय में पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद विद्यार्थियों की विशेष रूप से परीक्षा दी जाती है जिसमें विद्यार्थियों से पढ़े गए अध्याय से संबंधित प्रश्न पत्र दिए जाते हैं जिसमें अध्ययन किए गए कुछ सवाल दिए होते हैं उसका उत्तर उत्तर पुस्तिका पर कलम के माध्यम से लिखना होता है।
कैसे होती है परीक्षा?
जब विद्यार्थी को साल भर किसी विषय के बारे में पढ़ाया जाता है उसके बाद उसकी जांच परख के लिए परीक्षा का आयोजन होता है, जिसमें सभी विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र बांटे जाते हैं उसका उचित जवाब उत्तर पुस्तिका में लिखना होता है, जब विद्यार्थियों द्वारा सभी सवालों का जवाब उत्तर पुस्तिका में लिख लिए जाता है उसके बाद उसे जमा कर देते हैं, उसके बाद शिक्षकों द्वारा परीक्षार्थी का उत्तर पुस्तिका इत्मीनान से जाँचा जाता है यदि विद्यार्थी ने सब कुछ सही लिखा है तो उसे उचित अंक प्राप्त होते हैं यदि विद्यार्थियों द्वारा गलत जवाब लिखा जाए तो अंक कम दिए जाते हैं आवश्यकता से अधिक कम अंक मिलने पर उस विद्यार्थी को अनुत्तीर्ण कर दिया जाता है।
परीक्षा क्यों आवश्यक है?
अध्यापक एवं अध्यापिका द्वारा विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष पूरे लगन व परिश्रम से पढ़ाया जाता है ऐसे में उन विद्यार्थियों को कितना समझ आय है, कितना कुछ उन्होंने सीखा है इन सब को परखने का सबसे अच्छा तरीका परीक्षा होता है।
परीक्षा से विद्यार्थी की सूझबूझ को परखा जाता है, उसकी काबिलियत का पता चलता है, इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि किस विद्यार्थी ने पूरे वर्ष कड़ी मेहनत की है और गंभीरता से विषयों का अध्ययन किया है ऐसे छात्र परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंकों से उत्तीर्ण होते हैं वही ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने साल भर अपना वक्त फिजूल के काम में गवा दिया और पढ़ाई पर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया उनका अंक या तो बहुत कम आता है या वे परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होते।
परीक्षा के प्रकार – Types of Exam in Hindi
परीक्षा मुख्य रूप से तीन तरीके से लिए जाते हैं - (1) लिखित (2) मौखिक एवं (3) प्रायोगिक।
लिखित परीक्षा -
लिखित परीक्षाओं (Written exam) में प्रश्न पत्र बांटे जाते हैं उन प्रश्नों का उत्तर कलम द्वारा पेज पर लिखा जाता है, जिन विद्यार्थियों द्वारा उचित जवाब लिखा जाता है उन्हें अच्छे अंक दिए जाते है।
मौखिक परीक्षा का अर्थ -
इस तरह के परीक्षा में छात्रों के ज्ञान का मूल्यांकन करने के लिए उससे अकेले में मौखिक रूप से सवाल पूछे जाते हैं। जब छात्र पूछे गए प्रश्नों का सही - सही उत्तर दे देता है तो उसके आधार पर उसे निर्धारित अंक प्रदान किए जाते हैं।
प्रायोगिक परीक्षा -
प्रायोगिक परीक्षा में प्रैक्टिकल कराया जाता है इसमें प्रयोग के बाद उचित परिणाम लिखकर जवाब देना होता है। सवालों के जवाब गलत और सही होने के अनुसार अंक कम या ज्यादा मिलते हैं।
परीक्षाओं को लेकर अवधारणाएं
लोगों द्वारा परीक्षाओं से जुड़ी दो तरह की अवधारणाएं दिए जाते हैं:
(1) सकारात्मक अवधारणा – बहुत से लोगों का मानना यह है की स्कूलों में परीक्षा प्रणाली होने की वजह से विद्यार्थियों (परीक्षार्थियों) की काबिलियत परखा जा सकता है, बच्चों में आत्मविश्वास एवं मनोबल बढ़ता है, एग्जाम के कारण बच्चे गंभीरता से पढ़ाई लिखाई करते हैं, उनमें अनुशासन आ जाता है, इससे यह भी पता चलता है की अध्यापक ने विद्यार्थियों को परिश्रम और निष्ठा से पढ़ाया है या नहीं, आज की दुनिया में परीक्षा परिणाम से ही यह अंदाजा लगा लिया जाता है की कौन सा स्कूल या कॉलेज टॉप पर आते हैं।
(2) नकारात्मक अवधारणा – परीक्षा को लेकर कुछ लोगों का यह मानना होता है कि केवल परीक्षा पद्धति पर्याप्त नहीं है किसी की काबिलियत पहचानने के लिए, परीक्षा की तारीख जैसे-जैसे सामने आती है बच्चों में तनाव बढ़ जाता है एग्जाम के चलते बच्चे दबाव में आ जाते हैं, यदि परिश्रम के बाद भी वे श्रेष्ठ अंको से उत्तीर्ण नहीं हो पाते तो कुछ बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं, कुछ घर से भाग जाते हैं, परीक्षा परिणाम अच्छा नहीं होने पर कुछ छात्रों का पढ़ाई से मन उठ जाता है इत्यादि।
परीक्षा का महत्व (Essay on importance of Exam in Hindi)
- परीक्षा का सभी विद्यार्थियों के जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है इसी से उनकी काबिलियत को परखा जाता है।
- हर साल विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद ही अगली कक्षा में प्रवेश करता है।
- अगली कक्षा में या नए विद्यालय में या नए कॉलेज में दाखिला लेने हेतु परीक्षा में श्रेष्ठ अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक होता है।
- परीक्षा में बैठकर विद्यार्थी खुद यह पता कर सकता है कि उसे किसी विषय का कितना ज्ञान है, क्या वह मुख्य परीक्षा हेतु तैयार है? क्या उसे और परिश्रम करनी चाहिए इत्यादि।
- जब परीक्षार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होता है तो उसके अंदर आत्मविश्वास बढ़ जाता है जिससे वह आने वाले सभी परीक्षाओं के लिए तैयार रहता है।
- स्कूलों में मुख्य परीक्षा के अलावा कई तरह के टेस्ट लिए जाते हैं जिससे विद्यार्थी की प्रोग्रेस का पता चलता है।
- अध्ययन के पश्चात परीक्षण से, विद्यार्थी को ज्ञात होता है की उसे कहां और मेहनत करनी होगी, ताकि आगामी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करें।
- परीक्षा का महत्व केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि स्कूलों व् कॉलेज पास करने के बाद नौकरी हेतु प्रतिस्पर्धात्मक टेस्ट देने तक व्यक्ति को परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
- जब विद्यार्थी अपनी कॉलेज से अच्छे अंक प्राप्त करके उत्तीर्ण होता है उसके बाद उसे कार्य हेतु किसी नौकरी की तलाश रहती है, किसी जगह जॉब पाने के लिए पहले इंटरव्यू देना पड़ता है, यदि इंटरव्यूअर को लगता है की आप उस जॉब हेतु उचित व्यक्ति हैं तब आपको नौकरी प्रदान की जाती है।
- दुनिया में सुख शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए व्यक्ति के पास कार्य होना आवश्यक है, स्कूल शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात कार्य, जॉब या नौकरी प्राप्त करने हेतु परीक्षा में बैठना होता है, उसमें अच्छा प्रदर्शन करने के पश्चात ही उसे योग्यता अनुसार नौकरी प्रदान किया जाता है।
- परीक्षा लेकर व्यक्ति को गहराई से परखने का सिलसिला हजारों साल पहले से शुरू हो चुका था, ऐसे कई प्राचीन एवं पौराणिक कथाएं हैं जिनसे पता चलता है की गुरुओं द्वारा अपने शिक्ष्य की परीक्षा लेकर उन्हें परखा है। धनुर्विद्या सिखाने के बाद द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों का परीक्षा लिया जिसमें वृक्ष में बैठे पक्षी के आँख को धनुष के बाण से भेदना था, जिसमें अर्जुन उत्तीर्ण हुए थे, इससे गुरु द्रोणाचार्य को पता चला की अर्जुन आगे चलकर सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनेंगे।
- त्रेतायुग में हनुमान जी की परीक्षा देवताओं द्वारा लिया गया था जब महाबली हनुमान शक्तिशाली राक्षस रावण के महल माता सीता का पता लगाने जा रहे थे तब देवताओं ने सोचा क्यों न हनुमान की परीक्षा ली जाए। उसके बाद नागों की माता सुरसा से देवताओं ने आग्रह किया की वे हनुमान की परीक्षा लेकर उनकी बल-बुद्धि की परीक्षा लें। परीक्षा लेने के लिए सुरसा ने राक्षसी का रूप धारण करके हनुमान के मार्ग में प्रकट हो गई और बोली की आज मैं तुन्हें अपना आहार बनाऊंगी। इसपर हनुमान ने कहा कि माता अभी मैं श्री राम के कार्य को पूरा करने जा रहा हूं इसलिए अभी मैं आपका आहार नहीं बन सकता। जब में काम पूरा करने लौटूंगा तो खुद आपका आहार बन जाऊंगा। इतनी विनती के बाद भी सुरसा मार्ग से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। उसके बाद हनुमान ने कहा की ठीक है तुम मुझे आहार बना लो। उसके बाद सुरसा ने अपना मुंह सोलह योजन जितना फैलाया, यह देख हनुमान ने उससे भी विशाल रूप धारण किया, जब सुरसा ने मुंह और फैलाया तो फिर से हनुमान अत्यधिक बड़े हो गए उसके बाद अचानक बहुत छोटे रूप में आ गए और सुरसा के मुंह में विचरण करके वापिस बाहर आ गए। और सुरसा से कहा की आपको जिस कार्य के लिए भेजा गया था वह संपन्न हुआ। और हनुमान सुरसा द्वारा किए गए बल बुद्धि की परीक्षा में सफल हुए।
उपसंहार (Pariksha ka mahatva hindi me)
यदि सही ढंग से विद्यार्थियों का परीक्षा दिया जाए तो भविष्य में उनको फायदा ही होगा वह कई अन्य परीक्षाओं के लिए आत्मविश्वास महसूस करेंगे, निगरानी के साथ परीक्षाएं लेने से छात्र वही लिखेगा जो उसके मस्तिष्क में आएगा, और इसी से उसकी काबिलियत का पता चलेगा।
आखरी शब्द – परीक्षा का महत्व पर निबंध
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FAQs -
प्रश्न 1. परीक्षा क्या है समझाइए?
उत्तर: व्यक्ति की काबिलियत को परखना ही परीक्षा कहलाता है। शिक्षा एवं व्यावसायिक आदि क्षेत्र में सफलता पाने के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करना पड़ता है।
प्रश्न 2. परीक्षा कितने प्रकार की होती है?
उत्तर: परीक्षा कई तरह की हो सकती है लेकिन मुख्य रूप से किसी भी व्यक्ति की परीक्षा लिखित, कथित (मौखिक) व् प्रायोगिक रूप से ली जाती है। अतः परीक्षा मुख्यतः तीन प्रकार की होती है 1. लिखित, 2. मौखिक और 3. प्रायोगिक परीक्षा।
प्रश्न 3. परीक्षा पर निबंध कैसे लिखें?
उत्तर: यदि आप स्टूडेंट हैं तब आपने स्कूल में परीक्षाएं दी होगी उस दौरान आपने जो महसूस किया उस अनुभव को निबंध में व्यक्त कर सकते हैं। आपके जीवन में परीक्षा का क्या महत्व है इस पर विचार करें और उसे अपने शब्दों में परीक्षा निबंध में लिखें। परीक्षा पर निबंध लिखने में आसानी हो उसके लिए पहले रूपरेखा तैयार कर लें तत्पश्चात लिखना प्रारंभ करना चाहिए।
प्रश्न 4. मौखिक परीक्षा का मतलब क्या है?
उत्तर: जब छात्र की परीक्षा मौखिक रूप से लिया जाता है तो उसे मौखिक परीक्षा कहते हैं। इस एग्जाम में परीक्षार्थी को अकेले में बुलाकर विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। जब वह उचित जवाब देता है तो बदले में उसे अंक मिलते हैं।
प्रश्न 5. मौखिक परीक्षा में क्या क्या आता है?
उत्तर: मौखिक रूप से प्रश्न किसी भी विषय पर पूछ सकते हैं वह कविता, गद्य या प्रायोगिक प्रश्न हो सकते हैं। इस परीक्षा में शुद्ध उच्चारण, सही और गलत उत्तर की पहचान करना ये सब आता है। छात्र कितने आत्मविश्वास से सवालों के जवाब दे पाता है इस पर भी ध्यान दिया जाता है।
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