अम्ल वर्षा पर निबंध - Essay on Acid Rain in Hindi
अम्ल वर्षा के दुष्परिणाम से जलीय जंतु प्रभावित होते हैं वन तहस नहस हो जाते हैं। अम्ल वर्षा क्या है इसकी जानकारी अम्ल वर्षा पर निबंध के जरिए मिल जायेगी।
अम्ल वर्षा पर निबंध हिंदी में
अम्ल वर्षा पर निबंध |
प्रस्तावन
वर्षा जल से पेड़-पौधे जीवित रहते हैं लेकिन यदि बादलों में हानिकारक प्रदूषक मिल जाए और परिणामस्वरूप अम्लीय वर्षा होने लगे तो उससे पौधों का बढ़ना रूक जाएगा, जलीय प्राणियों की मृत्यु हो जायेगी। अम्ल वर्षा प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा प्रभाव डालते हैं इसके निवारण पर हमें तुरंत ध्यान देना चाहिए।
अम्ल वर्षा क्या है (what is acid rain in hindi)
जब कारखानों के चिमनियों से धुंआ निकलता है तो वह वायुमंडल में मिलकर उसे दूषित कर देता है। कारखानों से निकलने वाले धुंआ में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड मिले होते हैं जब यह वायुमंडल में मिलकर ऊपर उठते हैं तो यह बादलों में मिलकर वर्षा जल से क्रिया करते हैं और नाइट्रिक अम्ल बना लेते हैं, उसके बाद यही अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर बरसते हैं इस तरह के वर्षा जल को अम्ल वर्षा कहा जाता है। ये जलीय जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाता है इसके कारण पेड़ - पौधों की वृद्धि रुक जाती है, जब अम्ल वर्षा जल निकायों जैसे नदी, तालाब, खेत में मिलता है तो जल का pH मान घट जाता है, इससे वन नष्ट हो जाते हैं।
अम्लीय वर्षा के प्रकार
अम्ल वर्षा दो प्रकार के होते हैं पहला गीली अम्ल वर्षा और दूसरा सूखी अम्ल वर्षा।
गीली अम्ल वर्षा
जब प्राकृतिक संसाधन जैसे पेड़, पौधे और जीव जंतु बादलों से अम्लीय वर्षा होने के कारण प्रभावित होते हैं तो इस तरह के वर्षा को गीली अम्लीय वर्षा कहते हैं।
सूखी अम्ल वर्षा
जब फैक्ट्री, वाहनों का प्रदूषित धुंआ वायुमंडल में मिलकर अम्लीय प्रदूषक बन जाता है और धूल या धुंआ के जरिए लोहे, इमारतों पर या धरती पर गिरकर नुकसान पहुंचाते हैं तो इसे सूखी अम्ल वर्षा कहते हैं।
अम्लीय वर्षा के दुष्परिणाम
अम्लीय वर्षा से पृथ्वी का मृदा अम्लीय हो जाता है जिसके कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है फलस्वरूप पेड़ पौधों का बढ़ना रूक जाता है।
यदि अम्ल वर्षा तालाबों, नदी में मिल जाए तो उसमें रहने वाले जलीय जंतु मछली, कछुए, केकड़े आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस तरह की वर्षा से बहुत से जल प्राणी की मृत्यु तक हो जाती है।
प्राकृतिक संसाधनों विशेषकर जल, भूमि और वनों को हानि पहुंचाता है।
निरंतर इमारतों पर अम्लीय जल पड़ने पर उसे नुकसान पहुंचेगा, इसी वजह से आगरा का ताजमहल का सफेद रंग अम्ल वर्षा के कारण पीला पड़ता जा रहा है।
पृथ्वी पर कई मानव निर्मित इमारतें एवं मूर्तियां टिकी हुई जो अम्ल वर्षा के चलते कमजोर होते जा रहे हैं, इस तरह के वर्षा से संगमरमर पत्थर से बने मूर्तियां भी रंग खोने लगती है।
लोहे एवं स्टील से कई तरह के चीजें बनाई जाती है लोहे की सीढियां, पुल इनमें जंग लगने लगते हैं जो आगे चलकर टूट सकते हैं।
पेड़ पौधों को स्वस्थ रखने वाले तत्वों के प्रभावों को अम्ल वर्षा कम कर देता है इसी वजह से पौधे ठीक से वृद्धि नहीं कर पाते।
मानव स्वास्थ्य पर भी एसिड रैन का प्रभाव पड़ता है यदि पृथ्वी के किसी स्थान पर अम्लीय वर्षा शुरू हो गई और व्यक्ति उस वर्षा में भीग रहा हो तो उसके त्वचा में जलन महसूस होगा, त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न हो जायेंगे और चिकित्सा के उपाय करने होंगे।
वन्य प्राणियों जैसे पक्षी, हाथी, हिरण, चिता, भालू इत्यादि सभी जानवर जीवन के लिए जल पर निर्भर हैं वे नदी, तलाब या खेतों के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं किन्तु यदि उस जल में अम्लीय वर्षा मिली हो और उसका सेवन जानवर कर लेते हैं तो उनका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
अम्ल वर्षा के कारण जल अम्लीय हो जाता है जो पीने लायक नहीं रहता, गलती से उसके सेवन पर व्यक्ति में रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
अम्ल वर्षा का कारण
पृथ्वी पर अम्लीय वर्षा होने के कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया हैं:
अम्ल वर्षा प्राकृतिक तरीके से होती है किन्तु इसका कारण वायुमंडल में मिलने वाले विषैले धुंए या गैस हैं जो कारखानों और वाहनों के चलने से निकलते हैं। पटरियों पर दौड़ने वाली रेलगाड़ी में बड़े इंजन की जरूरत पड़ती है जिसे शक्ति प्रदान करने के लिए अधिक ईंधन की खपत होती है जब गाड़ी पटरी पर चलती है तब इंजन वाले डिब्बे से काला धुंआ निकलकर सीधे वायु के साथ मिलता है। इसी तरह सड़कों पर मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, मालगाड़ी चलते हैं जिनमें ईंधन ऊर्जा के लिए पेट्रोल, डीजल का उपयोग किया जाता है, जब ये वाहन चलते हैं तो उसमें से प्रदूषित धुंआ निकलता है जो वायुमंडल में मिलकर उसे भी दूषित करता है और यही एसिड रैन का कारण बनता है। अम्ल वर्षा का एक कारण मानव द्वारा अनुचित गतिविधि भी है जब मानव पृथ्वी पर हानिकारक पदार्थों जैसे प्लास्टिक को जलाता है तो उसका गैस ऊपर उठकर वायुमंडल में जा मिलता है। किसी भी कारण से यदि वायुमंडल प्रदूषित होगा तो वह भी कही न कही अम्ल वर्षा का कारण बन जाता है।
अम्ल वर्षा से बचने के उपाय
बचाव के लिए मुख्य रूप से वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करना होगा निजी वाहनों का कम उपयोग और सार्वजनिक वाहन जैसे बस का उपयोग करके अत्यधिक पॉल्यूशन को रोक सकते हैं। कल-कारखानों से निकलने वाले जहरीले हवा के हानिकारक प्रभाव को कम करना होगा। अम्ल वर्षा का जड़ वायु प्रदूषण है इसलिए पेट्रोल डीजल वाली गाड़ियों के जगह इलेक्ट्रिक व्हीकल चलाकर प्रदूषण कम कर सकते हैं। ये कुछ उपाय हैं जिन्हें अपनाकर अम्ल वर्षा रोक सकते हैं।
अम्ल वर्षा पर निबंध 10 लाइन
- जब सल्फर डाइआक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड वायुमंडल में मिलते हैं और बादलों में जाकर जल के साथ क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल बनाते हैं तब जल अम्लीय हो जाता है और पृथ्वी पर अम्ल वर्षा होने लगता है।
- इससे प्राकृतिक संसाधनों को हानि पहुंचाता है।
- जलीय जीव जंतु मछली, कछुए, केंकड़े की मृत्य जो जाती है।
- जल की शुद्धता कम होकर पीने लायक नहीं रहती।
- जल में अम्लीय वर्षा के मिश्रण वाले जल को पीने से पेट से जुड़ी समस्या शुरू हो जाती है।
- अम्ल वर्षा के कारण मृदा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उसके ऊपर शक्ति कम हो जाती है इससे कृषि फसलों पर भी प्रभाव देखने को मिलता है।
- इमारतों या बिल्डिंग की दीवार में दरारें आने लगती है।
- अम्ल वर्षा से होने वाले क्षति को रोकने के लिए वायु प्रदूषण कम करना अनिवार्य है।
- कारखानों को आवासीय क्षेत्र से दूर स्थापित करना होगा ताकि जहां मानव रहते हैं वहां का वायु शुद्ध रहे।
- यदि जल में अम्लीय प्रदूषक मिल जाए तो उसे कम करने पर ध्यान देना होगा।
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