नदियों का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Rivers in Hindi


नदियों का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Rivers in Hindi

नदियों का महत्व पर निबंध - Essay on Importance of Rivers in Hindi

नदियों का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। इससे हमें पीने योग्य पानी और खेती तथा उद्योगों के लिए उचित जल की आपूर्ति होती रहती है। जितने भी वन्य प्राणी हैं जो जंगलों में निवास करते हैं वह अपनी प्यास से बुझाने के लिए नदियों का जल पीते हैं। आकाश में उड़ने वाले पक्षी भी नदी के जल का सेवन करते हैं। नदियां विभिन्न रिहायशी इलाकों, आवासीय क्षेत्र, या जहां पर लोग रहते हैं वहां पर उचित जल की उपलब्धता बनाए रखते हैं। ग्रामीण अपनी दैनिक के जीवन में नदियों के जल पर निर्भर हैं कपड़े धोने से लेकर पशुओं को नहलाने तक और खेती करके फसलों को उगाने हेतु भी नदियों के माध्यम से खेतों में जल को लाया जाता है।

नदिया संपूर्ण प्राणी जगत के लिए महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है यह हमारे पर्यावरण के लिए भी जरूरी है। गर्मी के मौसम में जब तेज धूप पड़ती है तो छोटे तालाब, कुंआ का पानी सूखने लगता है लेकिन नदियों में अधिक जल प्रवाह होता है इस वजह से वहां पर जल उपस्थित रहता है। ग्रीष्म ऋतु में नदियों के किनारे बसे बस्तियां तथा ग्रामीण इलाकों के लोगों को नदी से जल की प्राप्ति होती रहती है।

नदियां विभिन्न प्रकार से जीव जंतुओं को लाभान्वित करती है वह उनका लालन-पालन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बाटी जल का सेवन करके कई पालतू पशु और जंगली जानवर अपनी प्यास बुझाते हैं। भारत देश में नदियों की पूजा भी की जाती है गंगा नदी को माता कहा जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है, उसमें स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं ऐसी मान्यता सदियों से चली आ रही है। इस पृथ्वी पर नदियों का अस्तित्व है इसलिए संपूर्ण प्राणी जगत को जल की आपूर्ति आसानी से हो पाती है। नदियों की वजह से ही उसके आसपास बस्तियाँ बसती है, लोग निवास करते हैं। कई बड़े महानगर नदियों के किनारे ही स्थित हैं, जैसा आगरा शहर यमुना नदी के किनारे और हरिद्वार गंगा नदी के किनारे स्थित है।

प्राचीन काल में ऋषि मुनियों द्वारा नदियों के किनारे शांत वातावरण में बैठकर सालों तक तपस्या किया जाता था। भारतीय संस्कृति रही है कि यहां नदी को माँ माना जाता है। जीवन में आने वाली उलझन और तनाव को काम करने और प्रकृति से जुड़ाव महसूस करने के लिए लोग नदी के किनारे जाकर बैठना पसंद करते हैं, वहां मन शांत होता है, लोग आत्मचिंतन करते हैं, चिंताएं दूर हो जाती है और सकारात्मकता में वृद्धि होती है। धरती पर रहने वाले समस्त जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य,  सबको नदियां जीवनदान देती है इसलिए नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में मनुष्य के मृत्यु के बाद उसकी अस्थि को गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से उसकी आत्मा को शांति मिलती है। 

यदि पृथ्वी पर नदियां नहीं होती तो पूरे संसार में पानी की कमी हो जाती, पेयजल की कमी के कारण लोग प्यास बुझाने के लिए बूंद-बूंद पानी को तरसते, खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल नहीं मिलता, अलग-अलग अनाज वाले फसलों को उगाने हेतु कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता। मनुष्य की इतनी बड़ी जनसंख्या तक जल पहुंचाना कठिन हो जाता मुख्य रूप से बड़े महानगरों में। ऐसे कई उद्योगों में समस्याएं आती जो जल पर निर्भर रहते हैं जैसे कृषि उद्योग आदि। यदि नदियों का अस्तित्व ना हो तो वातावरण अधूरा हो जाएगा। इससे हमारा दिनचर्या भी मुश्किल हो जाएगा पीने योग्य पानी के लिए जद्दोजहत करना पड़ेगा। 

मनुष्य उसे चीज का महत्व नहीं समझना जो उसे आसानी से उपलब्ध हो जाता है पृथ्वी पर नदियां उपलब्ध है और इसी वजह से पूरे संसार में प्राणी जगत को जल की उचित आपूर्ति हो पाती है, नदियां सबको जीवनदान देती है लेकिन मनुष्य उसके महत्व को न समझते हुए कचरा, प्लास्टिक, अपशिष्ट पदार्थों को बिना सोच विचार किया सीधे नदियों में फेंक देता है, अपशिष्ट पदार्थों को जल में विसर्जित करने का मतलब है कि हम नदियों को मैला कर रहे हैं, पशु पेयजल हेतु नदियों के पानी पर निर्भर रहते हैं ऐसे में अगर कारखानों से निकलने वाले अपशिष्टों को नदियों में विसर्जित किया जायेगा तो वह नदी के जल की गुणवत्ता घटाएगा उसे प्रदूषित करेगा और ऐसे जल का सेवन करके पशु बीमार पड़ेंगे, जिसका जिम्मेदार मनुष्य होगा क्योंकि वह ही नदियों को अपने अनुचित गतिविधियों से धीरे-धीरे करके गंदा करता जा रहा है। 

नदियों के किनारे बसे तीर्थ स्थलों में हर साल यात्री ईश्वर के दर्शन करने और नदियों में डुबकी लगाने आते हैं परंतु उस दौरान कई लोग कचरे जिसमें मुख्य तो प्लास्टिक कचरा, को जल में फेंक देते हैं, पूजन सामग्री जैसे खाली अगरबत्ती के पैकेट आदि को जल में फेंकना उचित नहीं, लाखों की संख्या में लोग तीर्थ स्थानों में जाते हैं और यदि हर कोई वहां कचरा फैलाएगा तो वह नदी में जा मिलेगा और जल की गुणवत्ता खराब हो जायेगी।

हम गंगा जल में स्नान करके अपने पाप धोते हैं परन्तु गंगा जल को साफ और स्वच्छ रखने में अपना योगदान नहीं दे रहे। पृथ्वी के अलग अलग हिस्सों में जितनी भी नदियां बह रही है अगर हम वहां जाते हैं, कभी घूमने के लिए या पिकनिक के लिए अपने परिवार के साथ तो इस बात का जरूर ध्यान रखे की हमारी वजह से वहां पर कोई गंदगी न फैले, जल में किसी अवांछनीय (अनुपयुक्त) चीजों को न फेंके जिससे जल प्रदूषण हो। नदियों को स्वच्छ रखने के लिए हमें स्वयं पहल करनी होगी, और लोगों से भी आग्रह करना होगा कि अगर वह किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं और अगर वहां नदी है तो उसमें या उसके आसपास कोई कचरा न फैलाए बल्कि कूड़ेदान में कचरा डाले इससे नदियां स्वच्छ और पवित्र रहेंगी।

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