विद्यालय पर निबंध हिंदी में | mera school essay in hindi | my school essay in hindi

आज इस लेख में हम विद्यालय पर निबंध हिंदी में पढ़ेंगे। अगर आपको mera school essay in hindi लिखना है तो आपको अपने पाठशाला का रंगरूप, चित्र मस्तिष्क में लाना होगा, उसी अनुसार विद्यालय का वर्णन करते हुए लेख प्रारंभ करना है।

विद्यालय पर निबंध हिंदी में - mera school essay in Hindi, essay on my school in hindi

विद्यालय पर निबंध हिंदी में - mera school essay in Hindi
विद्यालय पर निबंध - mera school essay in Hindi

निबंध 1 (100 शब्द) – मेरे विद्यालय पर निबंध 100 शब्दों में


मेरा विद्यालय घर से 5 किलोमीटर दूर स्थित है, स्कूल बस की सुविधा होने की वजह से सभी बच्चों को पीली बस लेने आती है।

स्कूल प्रवेश द्वारा के ठीक अंदर हरी-भरी खेल मैदान है जहां पर प्रतिदिन फुटबॉल, कबड्डी इत्यादि खेलते हैं।

मेरे विद्यालय में चार विषय हिंदी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण पढ़ाते हैं इनके अलावा अध्यापक, क्रीड़ा प्रतियोगिता आयोजित करते हैं।

मेरे विद्यालय में पढ़ाई के साथ - साथ सप्ताह में एक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा जाता है, जिसमें गीत, नृत्य और सामान्य ज्ञान की जानकारी मिलती है।

प्रतिदिन सरस्वती वंदना करके अध्ययन शुरू करते हैं, प्रात: काल में जन गण मन, और छुट्टी के समय राष्ट्र गीत गाते हैं।

भोजन के लिए बच्चे खाने का टिफिन लेकर आते हैं, पीने का पानी नल से आता है, भोजन के बाद खेलकूद और बाद में फिर से पढ़ाई।

विद्यालय सुबह 10 बजे खुलता और शाम 4 बजे छुट्टी होती। छुट्टी घँटी बजते ही कक्षाओं में शोर-गुल शुरू हो जाता है, बच्चे प्रार्थना गीत के बाद बस में बैठ जाते हैं घर जाने के लिए, कभी-कभी मेरे पिताजी, मुझे स्कूल लेने आते हैं।

निबंध 2 (500 शब्द) विद्यालय पर निबंध - My School Essay in Hindi


विद्यालय क्या है?

विद्यालय शब्द संस्कृत भाषा के शब्द, विद्या + आलय से बना है जिसे जोड़ने पर विद्यालय शब्द बनता है, इसका अर्थ है विद्या का स्थान, जहाँ विद्या ग्रहण किया जाता है, प्राचीन काल में गुरुकुलों में शिक्षा ग्रहण के साथ, धनुर्विद्या ग्रहण और आत्मरक्षा का ज्ञान विद्या सिखाया जाता था, अर्थात गुरुकुलों में कई प्रकार की उपयोगी विद्याएँ सिखाई जाती थी, जिस स्थान पर ज्ञान, शिक्षा, विद्या दिया जाये या सिखाया जाये उसे विद्यालय कहा जाता है। 

विद्यालय का उद्देश्य 

विद्यालय का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा देना है जहाँ कई विषयों का अध्ययन शिक्षकों द्वारा कराया जाता है, विद्यालय में पढ़ाई के अतिरिक्त खेल, नृत्य, योग जैसी क्रियाएँ सिखाये जाते हैं जो विद्यार्थी जीवन के लिए अनिवार्य है। आज की शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य देश भर के सभी बच्चों को शिक्षित कर एक शिक्षित राष्ट्र का निर्माण करना है, देश की आर्थिक विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है, देश के प्रत्येक विद्यार्थी उचित शिक्षा प्राप्त करके सफल व्यक्तित्व का निर्माण करता है, इसलिए शिक्षा का प्रसार - प्रसार हेतु अब ग्रामीणों में स्कूल खोले जा रहे हैं व् अनुभवी शिक्षकों द्वारा छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। 

मेरा विद्यालय 

जहाँ मैं शिक्षा ग्रहण करता हूँ उस स्थान को आज ज्यादातर स्कूल के नाम से जाना जाता है, विद्यालय, स्कूल या पाठशाला तीनों एक हैं, जहाँ हम प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखते रहते हैं, नए अध्याय के साथ कुछ सीखना, गणित हल करने का अभ्यास करना, विज्ञान के तर्क को समझना, यह चुनौतीपूर्ण किन्तु रोचक लगता है। मेरे विद्यालय की बात करूँ तो उसमें वो सभी सुविधाएँ हैं जो आज के विद्यालय में होने चाहिए। 

विद्यालय में मिलने वाली सुविधाएँ

  • एक बड़ी पुस्तकालय है जहाँ सभी विद्यार्थी प्रेरणादायक, ज्ञानवर्धक, पसंदीदा बुक्स पढ़ सकते हैं। 
  • प्यास लगने पर पानी की सुविधा जिसमें नल से पानी आता है, साथ में टंकी में अलग से शुध्द पानी रहता है। 
  • गर्मी के समय पर जल को मिट्टी के घड़े पर रखा जाता है जिससे ठंडा जल हमें मिलता है। 
  • स्कूल के बीच रंगमंच है जहाँ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जैसे - वार्षिकोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि।  
  • सभी कक्षाओं में पर्याप्त डेस्क - बेंच है जिसमें विद्यार्थी आराम से बैठकर अध्ययन कर सकते हैं। 
  • क्लास रूम में पीछे की तरफ कचरा पेटी जिसमें कागज के टुकड़े, पेन्सिल कचरे को डाला जाता है इससे कक्षा में स्वच्छता बनी रहती है। 
  • विद्यालय में कई कंप्यूटर उपलब्ध हैं, इसलिए कंप्यूटर शिक्षा भी दिया जाता है। 
  • हमारे विद्यालय में रंगारंग कार्यक्रम होता रहता है उसके लिए आवश्यक चीजें जैसे चांदनी, दरी, टेस्क, बेंच, टेबल, कुर्सी, लाउडस्पीकर आदि स्कूल में पहले से उपलब्ध है। 
  • सभी कक्षाओं के दीवार पर एक घड़ी लगाई गई है। 
  • विज्ञान एवं रसायन विज्ञान में प्रायोगिक अध्ययन के लिए प्रयोगशाला उपलब्ध है, जहाँ पर प्रयोग हेतु आवश्यक सामग्री / उपकरण जैसे सूक्ष्मदर्शी, परखनली, वीकर,  कीप, पंप, वर्नियर कैलिपर इत्यादि उपलब्ध हैं। 
  • छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग  शौचालयों की व्यवस्था है।

उपसंहार 

विद्यालय एक ऐसी जगह है जहाँ ज्ञान के साथ अनुशासन का पालन करना भी सिखाया जाता है, आजकल स्कूलों में पुस्तक ज्ञान के साथ सांस्कृतिक ज्ञान, नृत्य नाटक इत्यादि भी होते हैं, विद्या ग्रहण हेतु विद्यालय एक उचित स्थान है, छोटे बच्चे को यदि विद्यालय भेजा जाये तो उनमें ज्ञान, सुविचार उत्पन्न होते हैं, उनको जीवन में लाकर वे श्रेष्ट व्यक्ति बन जाते हैं, विद्यार्थियों के सफलता का नींव विद्यालय ही रखता है।   

निबंध 3 (800 शब्द) – मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में class 6 एवं class 7 के लिए

प्रस्तावना 

विद्यालय जिसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है, आज के समय में स्कूलों में पढाई के तरीकों में बदलाव किया गया है, प्राचीनकाल में गुरुकुल शिक्षा ग्रहण करने का एक मात्र स्थान था जहाँ, छात्र अपनी शिक्षा प्राप्त करते थे, शिक्षा के अलावा गुरु उन्हें अन्य क्षेत्रों में निपुण बनाते थे, बुद्धिक ज्ञान, आत्मरक्षा, योग अध्यात्म से जुड़ी बातें सिखाई जाती थी, आधुनिक युग में भी विद्यालय में गुरुजनों को भगवान् समान माना जाता है, क्योंकि शिष्य के उज्जवल भविष्य का जिम्मा गुरु उठाता है, उनके उचित मार्गदर्शन से शिष्य सफलता प्राप्त करता है। 

हमारा विद्यालय 

हमारा विद्यालय हमारे घर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है जहाँ अधिकतर छात्र पैदल अथवा साइकिल से जाते हैं, हमारा विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में किन्तु वन के समीप स्थित है जहाँ शोर-गुल का माहौल न होकर शांत वातावरण है जिसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए उचित स्थान माना जाता है, मेरा विद्यालय पक्की ईमारत है जिसमें 15 कमरे हैं जहाँ 6वीं से 8वीं के छात्र - छात्रा अध्ययन करते हैं। मेरे विद्यालय की सुरक्षा के लिए ऊंची दिवार बनाई गई है जो स्कूल परिसर को चारों तरफ से घेरे हुए हैं आगे की तरफ मुख्य द्वारा जिसमें से छात्र एवं अध्यापक स्कूल में प्रवेश करते हैं। 

विद्यालय परिसर

विद्यालय परिसर स्वच्छ है जहाँ रंग-बिरंगे फूल गमले में खिलते हैं, परिसर में एक स्टेज है जहाँ पर प्रातः में प्रार्थना एवं राष्ट्रीय गीत गया जाता है, विद्यालय से  सम्बंधित कार्यक्रम का आयोजन स्कूल परिसर में रखा जाता है जैसे - स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्रता दिवस, वार्षिक महोत्सव, शिक्षक दिवस इत्यादि कार्यक्रम, कक्षाओं का साफ - सफाई का जिम्मा चपरासी को दिया गया है जो पूरे विद्यालय को साफ़-सुथरा रखते हैं। 

विद्यालय का खेल मैदान 

हमारे विद्यालय के आगे की ओर खेल का मैदान है जहाँ क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो खो, परेड का अभ्यास इत्यादि उसी मैदान में होती है। खेल मैदान के चारो तरफ कुछ-कुछ दूरी पर दर्शकों के बैठने के लिए चबूतरा बनाया गया है, जहाँ बैठकर खेल का लुफ्त उठाया जाता है। विशेष अवसर जैसे टूर्नामेंट अथवा खेल प्रतियोगिता का आयोजन उसी मैदान में किया जाता है क्योंकि मैदान बड़ा है, वहां एक साथ कई लोग खेल सकते हैं। 

विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिताएँ 

खेल प्रतियोगिता जिसमें छात्र खिलाड़ी जोरों - शोरों से हिस्से लेते हैं, खिलाडियों को अलग-अलग टीमों में बाँट दिया जाता है और दोनों टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा कराई जाती है, खेल में जीतने वाली टीम को इनाम भी दिया जाता है, खेल तो प्रतिदिन हमारे विद्यालय में खेला जाता है किन्तु इसके अलावा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता भी रखा जाता है ताकि छात्रों का बौद्धिक विकास हो, आजादी का पर्व जैसे स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस पर भाषण, नाटक, गीत व् नृत्य की प्रतियोगिता होती है। 

विद्यालय में पढ़ाई जाने वाली विषय 

हमारे स्कूल में कक्षा 6वीं से 8वीं तक के छात्र अध्ययन करने आते हैं, स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली मुख्य विषय, हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञानं, सामाजिक विज्ञानं, गणित, संस्कृत और पर्यावरण है, प्रत्येक विषयों को 40-40 मिनट तक पढ़ाया जाता है, विषय के बीच में कुछ देर ब्रेक दिया जाता है और फिर से पढ़ाई शुरू हो जाती है, कक्षा में पढ़ाई के अलावा हमारे अध्यापक व् अध्यापिकाएँ गृहकार्य देते हैं, जिसमें पढ़ाये गए पाठ का प्रश्नोत्तर याद करना, नोट्स बनाना, गणित का प्रश्न हल करके आना होता है। 

विद्यालय में मध्याह्न भोजन  

दोपहर में मेरे विद्यालय में मध्याह्न भोजन दिया जाता है, हर रोज खाने की मेन्यू अनुसार रसोइया द्वारा भोजन बनाया जाता है और सभी बच्चों की थाली में परोसा जाता है, खाने में चावल, दाल, हरी सब्जी, चना-मटर, अचार दिया जाता है, भोजन के बाद शरीर में स्फूर्ति आ जाती है, भोजन के ठीक पश्चात खेल छुट्टी में खेल खेला जाता है, कुछ देर खेलने के बाद पुनः शेष विषयों को पढ़ाया जाता है।  

विद्यालय में अनुशासन 

मेरे विद्यालय में अनुशासन का शख्ती से पालन किया जाता है, बालक एवं बालिका के लिए स्कूल ड्रेस दिए गए हैं जिसे रोज पहनकर आना होता है, कपड़े साफ-सुथरे हो, बाल छोटे हो इन सबका ध्यान अध्यापक रखते हैं, छात्रों को यह भलीभांति स्मरण है की स्कूल के लिए कभी देरी नहीं करनी, नियमित स्कूल जाकर कुछ नया सीखना है, "अनुशासन ही विद्यार्थी को महान बनता है।" अनुसान केवल विद्यालय तक ही नहीं बल्कि उसके बाद भी जीवन में अनुशासन लाने से, सफलता प्राप्त करना सरल हो जाता है। 

उपसंहार 

विद्यालय मनुष्य में व्यक्तित्व का निर्माण करता है, आदर्श जीवन जीने के लिए अनुशासन का पालन करना पाठशाला हमें सिखाता है, जीवन में सफलता प्राप्त करने वाले अत्याधिक लोग शिक्षित हैं जो अपनी सोच - बूझ और कठिन परिश्रम से अलग मुकाम पर हैं, एक विद्यालय, कई बच्चों का जीवन संवार देता है, प्राचीन काल से लेकर अब तक विद्यालय को मंदिर समान माना जाता है।

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