जल ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

नमस्कार मित्रों, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर जहां पर आपको हिंदी में निबंध बढ़ने को मिलता है आज के लेख में आपको जल ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh के बारे में पढ़ने को मिलेगा, जल प्राकृतिक संसाधनों में से एक है जिसके बगैर जीवन की कल्पना व्यर्थ है।

जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। सौरमंडल में हमारा पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा गृह है जहाँ प्राणवायु और उपयुक्त जल उपस्थित है। हमारे पृथ्वी पर 71% में जल मौजूद है मतलब इसमें भूमि की तुलना में जल की मौजूदगी अधिक है। जिस तरह खनिज तत्व, ऑक्सीजन, पेड़ - पौधे हमारे धरातल में विद्यमान है उसी तरह जल का अपार स्रोत भूमि के ऊपर तथा इसके सतह पर उपस्थित है। 

पृथ्वी के कई हिस्सों में जल के कई स्रोत उपस्थित हैं, भूमि की सतह में जलकुंड भी पाई जाती है। मनुष्य तथा जीव - जंतु के जीवन यापन के लिए जल अति आवश्यक है। जिस प्रकार वायु जरूरी है जीवन के लिए उसी प्रकार जल अनिवार्य है जीवन की कल्पना के लिए। 

वैज्ञानिक हमारी पृथ्वी की तरह अन्य ग्रहों की खोज में लगे हुए हैं जहाँ पृथ्वी की तरह वायु तथा जल उपस्थित हो, पृथ्वी की तरह दूसरे गृह में जीवन के लिए अति आवशयक है की वहां भी जल उपयुक्त मात्रा में मौजूद हो। पृथ्वी एकमात्र ग्रह है जहाँ उपयुक्त पानी है जिसकी वजह से आज इसमें मानव, पशु - पक्षी और वन्य प्राणी निवास करते हैं। आज हमारे पृथ्वी पर मानव के उपयोग हेतु विभिन्न संसाधन मौजूद है जिनमें जल एक है। 

जिसकी उपलब्धता सरलता से हो जाती है मनुष्य उस चीज का मूल्य नहीं समझता, पृथ्वी पर अनेक जल स्रोत हैं, पहाड़ों से, झरनों से, झील, नदी, तालाब ये सभी जल स्रोत हैं जहाँ से लोगों को आसानी से पानी मिल जाता है जिस वजह से मनुष्य पानी का अपव्यव कर देते हैं। 

आज मनुष्य उसी चीज का मूल्य समझता है जिसके लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं, इसलिए महानगरों में जल का अपव्यव करने से पहले व्यक्ति दस बार सोचता है उसकी बचत करता है क्योंकि उसने उस पानी का बिल भरा है। पृथ्वी में कई इलाकें ऐसी है जहाँ पर रेगिस्तान होने के चलते जल की कमी है तो कहीं पर जल भरपूर मात्रा में है, जहाँ जल की उपलब्धता कम है वहां जल का महत्त्व अधिक है किन्तु जहाँ पर जल सरलता से उपलब्ध रहता है वहां जल का अपव्यव होना आम बात हो गया है। 

पानी भरते हुए कई बार नल ऐसे ही चालू रहता है जिसके वजह से कई बाल्टी का पानी व्यर्थ हो जाता है। वाहनों के धोने में पानी का अपव्यव आज आम बात हो गई है, इसी तरह के कई मानवीय गतिविधयों के चलते भूजल स्तर नीचे जा रहा है। जल अपव्यय के कारण गर्मी के दिनों में कई शहरों में पीने लायक पानी नहीं मिल पाता इसलिए अब जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक हो गया है। 

जल ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

जल ही जीवन है पर निबंध हिंदी में - Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh

प्रस्तावना

मनुष्य के जीवन हेतु जल अत्यंत महत्वपूर्ण है इससे केवल मानव जाति ही नहीं अपितु जीव - जंतु, वन्य प्राणी और पेड़ - पौधे भी जीवित रहते हैं। हमारे वातावरण के संतुलन में जल का बहुत बड़ा योगदान है, जल न हो तो जीवन नहीं, पृथ्वी में हरियाली नहीं, पृथ्वीलोक की सुंदरता यहाँ के वन - उपवन, वृक्ष, लताएं, नदी, झरने और समुद्र से है, इन सबके बिना पृथ्वी अधूरी है। "जल ही जीवन है" अगर पृथ्वीलोक पर पानी उपलब्ध नहीं रहता तो आज इसमें मानव तथा जीव - जंतुओं का अस्तित्व ही नहीं रहता। लोग इससे भलीभांति परिचित हैं की जल जीवन हेतु महत्वपूर्ण है किंतु आज के युग में जल का अपव्यव बढ़ गया है जल व्यर्थ बहता रहता है इस कारण पृथ्वी के जल स्रोत सूख रहे हैं, जिसके चलते लोगों को पानी की किल्लत झेलने की नौबत आ रही है। इसके समाधान के लिए जल संरक्षण करना अनिवार्य है। 

भारत के जल संसाधन

हमारे देश भारत को कृषि प्रधान देश के रूप में जाना जाता है इसलिए यहां खेती - किसानी और औद्योगिक कार्यों में जल का अधिक खपत होता है। भारत के जल संसाधनों में मुख्य रूप से ऐसे जल स्त्रोत आते हैं जो उपयोग लायक हो जैसे की नदी, तालाब, कुंआ, पोखरा इत्यादि। इन जल संसाधनों का उपयोग मुख्य रूप से कृषि कार्य, औद्योगिक तथा मानव उपयोग हेतु किया जाता है।

भारत में जल संकट

भारत में जल की समस्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है, गर्मियों में लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है, पानी के टैंक में लाइन लगाकर बाल्टी में पानी भरना पड़ता है कई बार वह भी कम पड़ता है। गर्मी में पानी की आवश्यकता अधिक होती है शरीर को अधिक जल चाहिए होता है ऐसे में जल की कमी देखने को मिलती है।

शहरों में लोग मिनरल वॉटर खरीदकर पीते हैं, जिनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती वह पीने लायक जल के इंतजाम में लग जाता है। देश में कई जगह सूखे हालत बन जाते हैं तालाब, कुंआ का पानी पूरी तरह सूख जाता है गांव वालों के लिए मुख्य जल स्त्रोत कुंआ या बोरिंग रहता है लेकिन गरमी के दिनों में वह सूखा पड़ जाता है, बोरिंग से पानी नहीं निकलता, पानी लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। 

गांव में तो कुछ राहत है क्योंकि वहां पेड़ - पौधे, खेत होने की वजह से भूमि की सतह पर पर्याप्त जल उपस्थित रहता है किन्तु शहरी क्षेत्रों में लोग नल से पानी भरते हैं कई बार जल की कमी के चलते पानी की कटौती चलती है इसलिए नल से थोड़ी देर ही पानी आता है, कई लोग रोज नहा नहीं पाते, कपड़े कई दोनों तक नहीं धो पाते, इस परिस्थिति में उनका जीना मुश्किल हो जाता है।

भारत में जल के स्रोत

भारत में कई नदियां प्रवाहित होते हैं जिससे गर्मी के मौसम में स्थानीय निवासियों को राहत मिलती है, गर्मी में नदी किनारे ठंड की अनुभूति होती है। नदी में पर्याप्त जल होने की वजह से नहाने धोने, कपड़े धोने, पशु पक्षी के लिए पेयजल का बंदोबस्त हो जाता है। गंगा, महानदी, नर्मदा जैसी जीवनदायिनी नदियों के कारण कृषि में सहायता मिलती है इसके पानी का उपयोग औद्योगिक कार्यों में भी किया जाता है। इनके अलावा जल स्त्रोत की बात करें शहरों में पानी का टंकी जिसमें पम्प के जरिए जल भरकर बाद में शहरों के घरों में वॉटर सप्लाई किया जाता है। लगभग हर गांव में हैंडपंप की सुविधा होने की वजह से महिलाएं वहीं से पानी भरकर ले आती हैं। गांव में निजी तौर पर कुएं भी खोदे जाते हैं जिससे भी गर्मियों में कुछ राहत मिल जाती है।

जल का महत्व

जल जीवन हेतु महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है इसके बदौलत आज दुनिया में जीवन संभव हुआ है। पानी के बिना भूमि बंजर है खेती - बाड़ी और फसलें उगाई नहीं जा सकती इस प्रकार अनाज उगाने के लिए भी जल महत्वपूर्ण है, फल - फूल, लताएं, जंगल बनने और वृक्ष की वृद्धि के लिए जल अनिवार्य है। जलीय जीव जंतु और भू स्थल में निवास करने वाले प्राणी प्रतिदिन जल का सेवन करके ऊर्जावान महसूस करते हैं।

जल की जरूरत और उसका प्रयोग / उपयोग 

हमारे देश में जल की सर्वाधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में फसलों की सिंचाई में होता है। औद्योगिक कार्य एवं कारखानों में शुद्ध जल का प्रयोग किया जाता है। बड़े काम के अलावा दैनिक जरूरतों में जल का उपयोग होता आ रहा है। घरेलू कार्य में जल की मांग भी अधिक हो रही है इसके आपूर्ति के लिए जगह - जगह पानी की टंकी बनाई गई है। लैब में प्रायोगिक कार्य हेतु जल की जरूरत, सिंचाई हेतु जल और नहाने - धोने में भी जल की जरूरत पड़ती है, एक व्यक्ति दिन में कई गिलास जल सेवन करता है। 

अलवणीय जल क्या है?

धरती पर जल के कई स्त्रोत मौजूद है, इतनी बड़ी पृथ्वी का तीन चौथाई भाग केवल जल से घिरा है, यदि ग्लोब या विश्व का नक्शा देखें तो भूमि की तुलना में जल की अधिकता नजर आती है किन्तु पृथ्वी का कुछ प्रतिशत जल ही पीने लायक या यूं कहें मानव के उपयोग लायक रहता है उसे ही अलवणीय जल कहा जाता है।

जिस जल पर मानव तथा जीव जंतु आश्रित हों या जो जल मानव के उपयोग लायक हो उसे ही अलवणीय जल या मीठा जल कहा जाता है। उदाहरण के लिए नदी, तलाब, झील, भूजल, कुंआ इन जल निकायों के पानी का उपयोग मनुष्य द्वारा किया जाता है इसलिए ये भी अलवणीय जल कहलाएंगे।

जल का प्रदुषण 

आज जल का उपयोग प्रत्येक मनुष्य करता है दैनिक जीवन में जल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है किन्तु अब जल का प्रदुषण बढ़ गया है, जल निकायों तालाबों, नदी, झरनों के आसपास गंदगी फैली रहती है। 

जल प्रदूषण के कई कारण हैं जो इस प्रकार हैं:-

  • जल में अपशिष्ट, सड़े - गले पदार्थ का विसर्जन करना। 
  • नदी - तालाब के सामने बैठकर नहाना - कपड़ें धोना।
  • तालाबों के पानी में पशुओं को नहलाना। 
  • कारखानों के अशुध्द जल को नदी में विसर्जित करना। 
  • कोयले, आर्सेनिक हानिकारक तत्व का जल में विलेय से जल प्रदूषित होता है। 
  • प्लास्टिक अथवा पॉलीथिन कचरे को जल निकायों में फेंकना। 
  • जल निकायों जैसे नदी के सामने पिकनिक के बाद डिस्पोज़ल ग्लास, प्लेट इत्यादि को फेंकने से वह हवा से जल में चला जाता है।
  • इन सब के लिए मनुष्य ही उत्तरदायी है। 

जल के गुणों का ह्रास

  • जल में हानिकारक तत्व जो जल के गुणवत्ता घटाने के लिए उत्तरदायी होते हैं उनसे जल का ह्रास होता है। 
  • जल में रासायनिक तत्व के विलेय से जलीय जंतु के स्वास्थ्य बिगड़ता है। 
  • मछलियों के लिए भी जल ही जीवन है किन्तु नदियों में औद्योगिक कूड़ा - करकट, फैक्ट्री का प्रदूषित पानी, हानिकारक रासायनिक तत्व इत्यादि बहाने से जल की शुद्धता घटती है जिससे वो जलीय जीवों के रहने लायक नहीं रहता, परिणाम स्वरूप जलीय प्राणियों की मृत्यु हो जाती है। 
  • जल के गुणों का ह्रास मुख्य रूप से तब होता है जब अनुपयुक्त अथवा विषैले पदार्थ नदियों, झीलों, तालाबों, झरनों, समुद्रों इत्यादि जल स्रोतों में मिलती है तो जल की गुणवत्ता काफी नीचे गिर जाती है, अम्ल वर्षा से भी जल गुणवत्ता घटती है व् जल प्रदूषित हो जाता है।

जल प्रदूषण कम करने के उपाय -

  • जल स्रोतों अथवा जल निकायों को शुद्ध रखें।  
  • कल - कारखानों और औद्योगिक कूड़ा को जल में प्रवाहित को रोकना होगा। 
  • जल की गुणवत्ता अच्छी हो उसके लिए नियमित रूप से टंकी की पानी की जाँच करनी चाहिए, जल शुद्ध करने के लिए क्लोरीन का उपयोग कर सकते हैं। 
  • कुछ सामाजिक एवं धार्मिक मान्यताओं से जल प्रदुषण होता है मान्यताओं के साथ जल को स्वच्छ रखने पर भी ध्यान देना चाहिए। 
  • व्यर्थ पदार्थ, घरों के नालियों से निकलने वाले मल मूत्र को नदी तालाब में मिलने से रोकना होगा उसके लिए उचित प्रबंध करना होगा। 
  • जल संरक्षण या जल सुरक्षा से जुड़ी सरकार द्वारा चलाये गए सभी उचित बातों का पालन करना चाहिए। 
  • जल प्रदूषण कम करने के लिए में लोगों में जागरूकता लाना होगा। 
  • तालाबों में कपड़ा धोना, नहाना, साबुन - डिटर्जेंट का पानी में मिलना इससे जल प्रदुषण हो रहा है इसे रोकना होगा। 
  • जल प्रदुषण कम करने के साथ जल संरक्षण के लिए महानगरों के अलावा गाँव में भी बड़े - बड़े टंकी का निर्माण करना होगा ताकि उसमें वर्षा जल को एकत्र किया सके। 
  • व्यक्ति को स्वयं भी जल संरक्षण के लिए टंकी में जल एकत्र करने पर ध्यान देना चाहिए। 

जल प्रदूषण से होने वाली बीमारियां व उपाय

यदि किसी कारण से जल प्रदूषित हो जाता है और उस जल का सेवन व्यक्ति द्वारा कर लिया जाता है तो उसमें कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

  • अशुद्ध जल के सेवन से व्यक्ति के पेट में दर्द और पेचिश की समस्या आ सकती है।
  • डायरिया, उल्टी दस्त, ट्रेकोमा हैजा और टाइफाइड बुखार इत्यादि घातक बीमारियां हो सकती है। 
  • प्रदूषित जल के उपयोग से त्वचा में इन्फेक्शन, संक्रमण वाले रोग उत्पन्न हो सकती है। 

उपाय -

  • अशुद्ध जल के प्रयोग से होने वाले किसी भी बीमारी से ग्रसित रोगी को तुरंत चिकित्सक से इलाज करवाना चाहिए।
  • उपयोग से पहले पानी की गुणवत्ता जांच करने उसके बाद प्रयोग में लाएं।
  • जल के उपयोग से पहले उसमें से बैक्टीरिया को निकाल लें इसके लिए पानी को गर्म करें इससे बैक्टीरिया नष्ट हो जायेगा।
  • घड़े में से पानी निकलने के लिए हमेशा पानी निकलने वाली बर्तन का प्रयोग करना चाहिए।
  • हैंडपंप से पानी भरते समय जल भूमि के सतह से पाइप के माध्यम से ऊपर आता है और बाल्टी में भरता है लेकिन कई दिनों तक पाइप की सफाई न होने के कारण पाइप से शुद्ध पानी नहीं मिलता उसमें मिट्टी के कण नजर आते हैं, इसलिए पानी भरते वक्त उसे कपड़े की सहायता से छान सकते हैं।

जल का अपव्यव 

पानी की जरूरत हर जीवित जिव - जंतु, पशु - पक्षी और मानव को है, पशुओं और अन्य जलीय प्राणी द्वारा जल में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि मानवों के अनुचित क्रियाकलापों से जल में प्रदुषण बढ़ता है। प्रदुषण के अलावा जल का अपव्यव मनुष्य ही करता है। पीने हेतु जरूरत से ज्यादा पानी निकलता है और आधा गिलास पीकर बाकी को फेंक देता है। स्नान के लिए जरूरत से ज्यादा पानी वापरता है जिस वजह से एक बाल्टी अतरिक्त पानी बर्बाद होता है। लापरवाही करके नल चालू रखना, पानी पाइप से पिचकारी मारकर वाहनों की सफाई में अत्यधिक पानी वेस्ट हो जाता है। ऐसी ही लापरवाही से जल संकट की आपदा आ खड़ी होती है हमें जल के बचाव पर ध्यान देना चाहिए। 

जल बचाव के उपाय 

  • जल बचाव के कई उपाय है जिनपर अम्ल करके कई टन पानी स्टोर किया जा सकता है, बड़े बांध बनाकर भारी जल को एक जगह एकत्र किया जा सकता है। 
  • आम आदमी भी अपनी दैनिक जीवन में जरूरत के अनुसार ही जल का प्रयोग करे, अनावश्यक जल ना बहाए, नहाते समय साबुन लगाते वक्त नल से पानी बहता रहता है उस वक्त उसे बंद करें, सावर लेते समय नल के नीचे बाल्टी रखें इससे पानी व्यर्थ बहने से बचेगा।
  • घरों में बर्तन धोने में कम पानी का प्रयोग करें, जल उपयोग के बाद नल बंद करना ना भूलें, बाहर जाने से पहले एक बार नल चेक कर लें क्योंकि कई बार नल चालू रह जाता है। 
  • नहाने - धोने में अधिक आवश्यकता से अधिक पानी खर्च ना करें, हर रोज बाल्टी या टंकी में अतिरिक्त पानी स्टोर करके करें।
  • जल संरक्षण के प्रति अपने पड़ोसी, आस पास के लोगों को भी जागरूक करें, बरसात के दिनों में जल संरक्षण के लिए घर के ऊपर टंकी को खुला रखें जिससे वर्षा जल उसमें एकत्र हो उसका उपयोग जरूरत पड़ने पर किया जा सकता है। 
  • जल का स्तर धीरे धीरे नीचे जा रहा इसलिए हमें पानी की कमी देखने को मिलती है इसलिए उपाय हेतु तालाबों और कुंआ का निर्माण करना होगा, गर्मी में रखा हुआ पानी गर्म हो जाता है किंतु कुंआ का पानी ठंडा रहता है। 
  • जल बचाव के अनेकों उपाय किए जा सकते हैं लेकिन जिस वजह से जल की समस्या आ खड़ी होती है उसका निवारण भी अनिवार्य है। 
  • जल की उपलब्धता कम होने का मुख्य वजह वन संसाधन का ह्रास करना है, लोग जितने चाहे उतने पेड़ काटकर उसे जलाऊ लकड़ी बना लेते हैं इससे वन में पेड़ की संख्या कम पड़ रहे हैं इस कारण वर्षा कम हो रहे हैं। 
  • हर साल हमें पौधरोपण करना होगा, अपने बगान, बगीचे में वृक्ष लगाने होंगे जिससे पर्यावरण स्वच्छ रहेगा। जहां अधिक वृक्ष पाई जाती है वहीं अधिक वर्षा होती है ऐसी जगहों पर सूखे जैसे हालात नहीं बनते। 
  • पास पड़ोस के लोगों से हमें आग्रह करना होगा की वे भी वृक्षारोपण करें, पर्यावरण के ह्रास को रोकने में अपना योगदान दें, जल सुरक्षा के प्रति अपना भी कदम बढ़ाएं, अगर प्रत्येक व्यक्ति जल के महत्व को समझकर उसका संरक्षण करेगा तो कभी जल संकट नहीं आएगा।

जल संरक्षण का तात्पर्य क्या है?

जल संरक्षण यानि जल को संगृहीत करके रखना, जल के अपव्यव को रोकना। हर साल कई टन पानी फिजूल खर्च हो जाता है उसका संरक्षण करना चाहिए। बरसात के पानी को टंकी में संरक्षित करके उसे बाद में उपयोग कर सकते हैं।

जल का संरक्षण कैसे करें

  • छोटी - छोटी बातों पर ध्यान देकर जल का संरक्षण किया जा सकता है।
  • अपने घर के छत पर टंकी बनाकर और उसमें वर्ष जल को संगृहीत करके।
  • जितना आवश्यक हो उतने ही पानी का उपयोग से।
  • पानी की बर्बादी को रोककर।
  • कुछ लोग मौज मस्ती के लिए पाइप से पानी एक - दूसरे के ऊपर चिड़कते हैं, बच्चे भी कई बार पानी का अपव्यय कर देते हैं, बड़ों को उन्हें समझना होगा की पानी का संरक्षण करना चाहिए उसे व्यर्थ नहीं बहाते।
  • जल संरक्षण के लिए आस पड़ोस के लोगों को जागरूक करके।
  • बरसात के दिनों में पानी घर के छत में बने छेद से नीचे गिर जाता है पर हमें उस जल को संगृहत करना चाहिए। हमें घर के बगल में भूमि में टंकी स्थापित करनी चाहिए और छत से टंकी तक एक पाइप लाइन बनानी चाहिए इससे छत पर गिरने वाला बरसात का पानी पाइप के जरिए सीधे टंकी में संग्रहित होगा।

किन राज्यों में जल का उपयोग अधिक है?

हमारे देश में हर जगह पेय जल का उपयोग होता है किन्तु राज्यों में इसके उपयोग की बात करें तो हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु तथा राजस्थान में भूजल (ग्राउंड वाटर) का उपयोग अत्यधिक है। वहीं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में जल की मध्यम दर में उपयोग है। बात करें छत्तीसगढ़, उड़ीसा इत्यादि राज्य की वहां ग्राउंड वाटर का बहुत कम पानी यूज होते हैं, इनके अतिरिक्त अन्य राज्यों में जनसंख्या के आधार पर जल उपयोग दर कम - ज्यादा हो सकता है। बड़े शहरों में जनसंख्या गांव की तुलना कहीं ज्यादा होती है इस वजह से जल उपयोग दर महानगरों में अधिक रहती है।

पानी पीने से मानव स्वास्थ्य को होने वाले फायदे

एक स्वस्थ आदमी 1 दिन में 2-3 लीटर पानी पीता है इससे उसका बॉडी हाइड्रेटेड रहता है। प्रतिदिन 8 से 10 गिलास शुद्ध जल पीने से त्वचा एवं चेहरे पर ताजगी बनी रहती है, पिंपल्स दूर होते हैं। चिकित्सक भी ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं। सुबह गुनगुना पानी पीना पेट के लिए लाभदायक है पेट साफ ना हो तो ये आदत उसमें सुधार लाता है। खाली पेट पानी पीना चमत्कारी असर दिखाता है, रोज सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीने से वजन कम करने में सहायता मिलती है, ओवरइटिंग से बचाता है पानी, बालों को स्वस्थ और शरीर में ताजगी बनी रहेगी, ये रोगप्रतिरोध क्षमता बढ़ाने का कार्य भी करता है।

विश्व जल दिवस 

विश्व जल दिवस प्रतिवर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है इसका उद्देश्य लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाना, पानी की बचत और स्वच्छ जल बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है। इस दिन देश को स्वच्छ और जल की बचत करने के लिए मुहिम चलाई जाती है समाचार पत्र तथा टीवी न्यूज़ पर विश्व जल दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है।

जल जीवन मिशन

हमारे देश में जल संकट दूर करने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। 

इस मिशन का उद्देश्य गाँव के घर - घर में शुद्ध जल पहुंचाना है ताकि इसके लिए व्यक्ति को दूर जाकर पानी लाना न पड़े। 2024 तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। 

इस मिशन के अंतर्गत आम जनता तक आसानी से जल पहुंचाने के लिए घरों में नल की सुविधा दी जा रही है, नल में सुमिचित जल व्यवस्था के लिए जल स्त्रोतों (पानी टंकी) का निर्माण किया जा रहा है।

गर्मी में तालाब सूख जाते हैं उस वक्त गांव वालों को पानी के लिए परेशान होना पड़ता है, इस मिशन के बाद प्रत्येक घर में सुबह होते ही पानी उपलब्ध हो जायेगा। अब तक कई गांवों में यह सफलतापूर्वक काम कर रहा है।

केवल घर तक नहीं बल्कि स्वास्थ्य केंद्र जहां शुद्ध जल अनिवार्य हैं वहां भी जल उपलब्ध कराई जाएगी।

स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और सामुदायिक भवन इत्यादि जगहों पर सरलता से पानी उपलब्ध होगा।

मिशन को सफल बनाने के लिए 3 लाख 60 हजार करोड़ रूपए की लागत आएगी।

जल उपलब्ध कराने के लिए विश्वसनीय सुविधाओं का निर्माण कार्य जारी है।

जल जीवन मिशन से हर घर में घरेलू नल कनेक्शन की सुविधा दी जा रही है।

उपसंहार

जल मनुष्य एवं अन्य प्राणियों के जीवन के लिए अनिवार्य है इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। सरकार इसके लिए कई योजना शुरू करती है। जल जीवन मिशन की शुरुआत घरों तक आसानी से जल पहुंचाने के लिए की गई है ताकि लोगों को पानी के लिए परिश्रम करना ना पड़े, हमारी भी जिम्मेदारी बनती है जल का सदुपयोग करें, जल से अनावश्यक पानी न बहाएं, पानी भरकर नल जरूर बंद करें। जल बचाव के लिए सबको प्रेरित करें।

आखरी शब्द: इस लेख के जरिए हमने जल ही जीवन - Jal Hi Jeevan Hai Par Nibandh है पर निबंध के बारे में बताया, इसमें आपको सीखने को मिला की जल संरक्षण कैसे किया जाता है? जल का महत्व, जल प्रदूषण और उसका उपाय इत्यादि इनके बारे में लेख में जानकारी दी हुई है। अगर आपको हमारा यह लेख हेल्पफुल लगता है तो इसे जरूर शेयर करिएगा, धन्यवाद।

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