गौरैया पर निबंध | Essay on Sparrow in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हमने गौरैया पर निबंध हिंदी में - Gauraiya par nibandh (Essay on Sparrow in Hindi) साझा किया है जिसे पढ़कर आप गौरैया पक्षी के बारे में बहुत कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करेंगे। गौरैया आकार में एक छोटी सी पक्षी है जिसके विभिन्न प्रजातियां अलग-अलग देशों में पाई जाती है, आइए इस नन्हे पक्षी के बारे में अधिक जानते हैं। 

गौरैया पर निबंध | Essay on Sparrow in Hindi

गौरैया पर निबंध - Essay on Sparrow in Hindi

प्रस्तावना -

गौरैया एक छोटा सा पक्षी है जो घरों के आस पास के पेड़ो की डालियों में बैठा हुआ देखा जा सकता है। यह अपने समूह के साथ रहते हैं इसका आकार छोटा है लेकिन यह बहुत फुर्तीले पक्षी हैं जो तुरंत यहां-वहां जा सकते हैं। गांव के मकानों में आँगन हुआ करता हैं जहां पर गौरैया पक्षी आकर चहचहाते रहते हैं लोग उसे खाने के लिए दाना भी देते हैं। इस चिड़िया का आकार छोटे होने की वजह से यह बहुत हल्के होते हैं और हल्के शरीर होने के कारण ही ये बहुत फुर्तीले होते हैं। प्रत्येक पक्षियों की भाँति गौरैया भी अपनी स्वर में ची-ची करके बोलती है जो सुनने में अच्छा लगता है। ये पक्षी घर - अंगनों में और बाग-बगीचों में भी नजर आ जाते हैं। इसे सामने से जाकर देखना मुश्किल है क्योंकि यह चौकन्नी रहने वाली पक्षी है जो जरा सी आहट या शोरगुल होने पर तुरंत उड़ जाती है। वैसे भी यह अपने फुर्तीले स्वभाव के कारण इधर-उधर फुदकती रहती है और ये पक्षी एक स्थान पर अधिक देर तक नहीं ठहरती।

गौरैया: भूरे और सफेद रंग वाली एक सुंदर पक्षी | Gauraiya: A Beautiful Bird with Brown and White Color

गौरैया एक छोटी पक्षी है जो हल्के भूरे व् सफेद रंग में पाई जाती है। यह चिड़िया हर किसी का ध्यान अपनी और आकर्षित कर लेती है। इसके पंख भूरे और पेट का भाग सफेद होता है, इसके दो पैर होते हैं, पैरों में तीन उंगलियां आगे की तरफ और एक पीछे की तरफ होती है, इसकी एक पीली चोंच होती है जिससे वो दाना चुगती है। गौरैया का शरीर छोटे-छोटे पंखों से ढका होता है। इसके भूरे रंग के शरीर पर सफेद धारियां भी बनी होती हैं जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देती हैं।

नर और मादा गौरैया को दूर से देखने पर दोनों एक समान प्रतीत होते हैं किंतु उन्हें सामने से देखने पर दोनों में अंतर पता चलता है। दरअसल नर गौरैया के सिर का ऊपर वाला भाग भूरे रंग का होता है साथ ही चोंच, गले व् आँखों का रंग काला रहता है। लेकिन मादा गौरैया के चोंच का रंग हल्का पीला होता है और उसके गले और सिर का रंग भूरा नहीं होता। नर गौरैया की पहचान उसके गले पर काले धब्बे को देखकर आसानी से की जा सकती है, जबकि मादा गौरैया के गले पर काले धब्बे का अभाव होता है।

गौरैया का आहार: यह शाकाहारी है या मांसाहारी

सर्वाहारी पक्षी होने के कारण गौरैया शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन खाती है। यह कीड़े-मकोड़े को अपना आहार बनाती है, इसके अलावा सेब, नाशपाती जैसे फल, अनाज में बीज, गेहूं, चावल और मटर व टमाटर जैसी सब्जियां खाती है। गौरैया पक्षी अपने भोजन की तलाश में अपना आशियाना बदलती रहती है, भोजन की आसान आपूर्ति के लिए यह मानव बस्तियों की ओर रुख करती है, जहां इसे खाने-पीने के लिए भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। जब यह लोगों के घरों के आसपास आता है तो लोग इसे घरेलू भोजन जैसे रोटी के टुकड़े, बीज, अनाज, चावल आदि खाने के लिए देते हैं।

गौरैया का बसेरा: कहाँ रहती है गौरैया पक्षी?

गौरैया अक्सर घरों के आसपास देखने को मिल जाती है। यह पक्षी विश्वभर में पाई जाती है। अपनी बसेरा के लिए यह पेड़ों के खोह पर घोंसला बनाकर रहा करती है और खाने पीने की तलाश में यहां-वहां घूमती रहती है। 

ग्रामीण इलाकों या बस्तियों में यह ज्यादा देखी जाती है क्योंकि आमतौर पर गावों से जंगले नजदीक होती है जहां से कुछ गौरैया आस पास के बस्तियों में आकर घरों के आस पास के वृक्षों पर घोंसला बना लेती है और वहीं रहती है।

गौरैया ग्रामीण इलाकों या बस्तियों में अधिक देखने को मिलती है क्योंकि आमतौर पर जंगल गांवों के नजदीक होते हैं जहां से कुछ गौरैया आसपास की बस्तियों में आ जाती हैं और घरों के पास पेड़ों पर घोंसला बनाकर वहीं रहती हैं। जब यह घरों के आंगन में चहचहाती है तो कभी-कभी लोग इन्हें खाने के लिए अनाज भी दे देते हैं, जिससे ये घरों के आसपास भी आते रहते हैं।

भारत के हर हिस्से में यह पाई जाती है। केवल गांवों में नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी इनका आशियाना है। यह पक्षी इंसानी बस्तियों के आसपास रहने के लिए जानी जाती है। यह अपने भोजन की निरंतर आपूर्ति हेतु मानव वास्तु के आसपास डेरा डालते हैं। 

यह पक्षी अपना घोंसला बहुत पुराने पेड़ के खोह में बनाती है, हालाँकि यह छोटे पेड़ों पर भी घोंसला बनाती है। चट्टानी इलाकों में भी यह अधिक पाई जाती है।

विश्वभर में गौरैया की विभिन्न प्रजातियाँ | Different Species of Sparrows Around the World.

गौरैया पक्षी के विश्वभर में एक से अधिक प्रजातियां पाई जाती है वैज्ञानिकों के अनुसार गौरैया के लगभग 43 प्रजातियां विश्वभर में पाई जाती है। इसके कुछ प्रजातियों के बारे में नीचे बताया गया है।

1. घर की गौरैया अथवा घरेलू गौरैया (House Sparrow)

घरेलू गौरैया आमतौर पर मनुष्यों के समीप अनेक जगहों पर रहना पसंद करती है। लोग इसे अन्न के दाने भी देते हैं जिससे यह इंसानी बस्तियों के आसपास ही रहा करते हैं। गौरैया के इस प्रजाति की पक्षी संसार के विभिन्न हिस्सों में देखे जा सकते हैं। पहले जहां इसे यूरोप, एशिया व् भूमध्य सागर के तटवर्ती इलाकों में अधिक देखा जाता था वहीं अभी के समय पर यह महानगरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में भी अधिकता में देखे जा सकते है। यह बस्तियों के कच्चे मकानों में भी अपना घोंसला बनाकर उसमें अपना डेरा डालते हैं।

2. स्पेनिश स्पैरो (Spanish Sparrow)

इस प्रजाति के गौरैया को विलो स्पैरो भी कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम पैसेर हिस्पानियोलेंसिस (Passer hispaniolensis) है। स्पैनिश गौरैया काफी हद तक घरेलू गौरैया की तरह दिखती है लेकिन आकार थोड़ा बड़ा होने की वजह से उसकी लंबाई 15 से 16 सेमी. (6-6.5 inch) और वजन 22-36 ग्राम के आसपास रहता है इसके अलावा चोंच भी थड़ी सी घुमावदार और थोड़ी लम्बी होती है। स्पैनिश गौरैया पक्षी ज्यादातर भूमध्यसागरीय क्षेत्र, मध्य एशिया और दक्षिण-पश्चिम में पाया जाता है।

3. यूरेशियाई वृक्ष गौरैया (Eurasian Tree Sparrow)

इसे जर्मन गौरैया के नाम से भी जाना जाता है तथा इसका वैज्ञानिक नाम पैसेर मोंटैनस (Passer montanus) है। यूरेशियाई वृक्ष गौरैया का आकार घरेलू गौरैया से थोड़ा छोटा होता है, उसकी लंबाई तकरीबन 12.5-14 सेमी. और वजन 24 ग्राम तक हो सकता है। इस चिड़िया के सिर के ऊपर और गर्दन के पीछे तरफ वाला भाग लाल-भूरे रंग का होता है। और गाल में सफेद रंग जिसमें की गहरा काला धब्बा बना होता है। यूरेशियाई वृक्ष गौरैया आर्द्रभूमियों में अपना घोंसला बनाना पसंद करती है। यह पक्षी दक्षिण एशिया में मुख्य रूप से समशीतोष्ण क्षेत्रों में पायी जाती है। ये पक्षी अलग-अलग मौसम के अनुसार अपना स्थान बदलती रहती है। इजरायल, अल्जीरिया, मिस्र, ट्यूनीसिया, ऑस्ट्रेलिया, दुबई आदि जगहों में भी ये पाए जाते हैं।

4. सिंध गौरैया पक्षी (Sind Sparrow Bird)

विशिष्ट पंख वाली सिंड स्पैरो जिसका Scientific name पैसेर पाइरहोनोटस (Passer Pyrrhonotus) है और इसे रूफस-बैक्ड स्पैरो के नाम से भी जाना जाता है। यह साउथ एशिया का निवासी है और मुख्यतः सिंधु घाटी क्षेत्र के आस-पास पाया जाता है। इस प्रजाति की गौरैया अपना घोंसला कांटेदार वृक्षों की डालियों में बनाना पसंद करते हैं। यह कीड़ों को कम बीज को आहार रूप में ज्यादा खाते हैं। गौरैया के इस प्रजाति की खोज सन 1840 में किया गया था।

5. रसेट स्पैरो पक्षी (Russet Sparrow Bird)

रसेट स्पैरो का साइंटिफिक नाम Passer Rutilans है यह गौरैया पक्षी का ऐसा प्रजाति है जो मधुर स्वर में चहचहाते हैं। अन्य प्रजातियों से इसका चोंच मोटा होता है और यह बीज, अनाज, जड़ी-बूटी, जामुन आदि खाना पसंद करती है। इस चिड़िया की लंबाई 14 से 15 सेमी तक होती है मतलब इंच में 5.5 से 5.9  इंच के आसपास है इसकी लंबाई।

गौरैया पक्षी की विशेषताएं - Sparrow Bird Characteristics

गौरैया छोटी सी किन्तु बहुत सुंदर पक्षी है जो बहुत फुर्तीली होती है और यहां-वहां फुदकती रहती है। यह भारत के अलावा दुनिया भर के अलग-अलग देश में भी पाए जाते हैं। इसके विभिन्न प्रजातियां हैं तथा प्रजातियों के अनुसार उनमें कुछ विविधताएं भी पाई जाती है।

यह पक्षी अपना घोंसला पुराने पेड़ के खूब पर बनाकर उस में निवास करती है। यह आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में घर के आंगन या छोटे बड़े पेड़ों की डालियों पर अपने समूह के साथ बैठी या फुदकती हुई देखी जा सकती है।

गौरैया वजन में हल्का होता है इस वजह से बहुत फुर्तीला होता है फुर्तीले स्वभाव के कारण ही यह एक जगह पर अधिक देर तक नहीं बैठ सकता वह यहां से वहां उड़कर आता-जाता रहता है

यह चिड़िया शहर और ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है। यह अपनी ची-ची बोली से सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है। इस नन्हे से पक्षी को लोग अनाज के दाने खिलाया करते हैं और वह पक्षी भी आहार की निरंतर आपूर्ति के लिए गांव में रहना पसंद करता है क्योंकि वहां पर इसे आसानी से भोजन मिलता रहता है।

यह सर्वाहारी पक्षी होते हैं जो मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के आहार लेते हैं। जब पेड़ों पर जामुन लगते हैं तो उसे भी ये अपनी सोच से तोड़कर खाते हैं। घरेलू गौरैया अपने छोटे पंखों की सहायता से बहुत तेज रफ्तार उड़ान भरके 1 घंटे में लगभग 46 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है।

गौरैया एक बार में 2 - 4 अंडे दे सकती है और उस अंडे को 11 से 14 दिनों तक सैनिक के बाद उसमें से बच्चे निकलते हैं। बता दें कि गौरैया दिल्ली और बिहार का राजकीय पक्षी भी घोषित किया गया है। यह बर्फीले जगहों में नहीं रहते। गौरैया अपने आवास के लिए उपयुक्त वातावरण तलाशते हैं जहां का वातावरण इन पक्षियों के लिए अनुकूलित रहता है यह वहां पर अपना डेरा डालते हैं। 

पक्षियों में प्राकृतिक रूप से आकाश में उड़ने की क्षमता होती है, लेकिन गौरैया एक ऐसी पक्षी है जो पानी में तैर सकती है, यह पानी के अंदर तैरकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक जा सकती है और यही गुण गौरैया पक्षी की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। 

विश्व गौरैया दिवस - World Sparrow Day in Hindi

पृथ्वी पर पाई जाने वाली पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां ग़ायब हो चुकी है 16वीं शताब्दी से लेकर अब तक लगभग 187 पक्षी प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी है। आजकल देखे जाने वाले पक्षियों में भी कुछ पक्षियों की प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर आ गई हैं, जिनमें से एक गौरैया भी है। 

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए घने जंगलों को काट कर नष्ट कर रहा है, जिससे वनों से आच्छादित क्षेत्र तो घट रहा है, साथ ही जंगली जानवरों का आवास भी छिन रहा है। औद्योगीकरण, आधुनिक शहरीकरण और लंबे समय से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण गौरैया पक्षी विलुप्त होने की कगार पर आ गया है, जो बेहद चिंता का विषय है। इसलिए लोगों को गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व गौरैया दिवस का उद्देश्य है, गौरैया पक्षी को विलुप्त होने से बचाना। 

विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत नासिक निवासी मोहम्मद दिलावर ने की थी, उन्होंने Nature Forever Society की स्थापना कर हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाने की योजना बनाई। साल 2010 में पहला विश्व गौरैया दिवस मनाया गया।

राजकीय पक्षी के रूप में गौरैया (Sparrow as the State Bird)

वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने गौरैया को राजकीय पक्षी घोषित किया, वहीं बिहार सरकार ने 2013 में इस पक्षी को राजकीय पक्षी घोषित किया था। इस चिड़िया को State Bird घोषित करने का मकसद लोगों को इसके संरक्षण के लिए जागरूक करना है क्योंकि गौरैया चिड़िया विलुप्त होने लगा है ऐसे में इसका संरक्षण करके इसके प्रजाति को बचाए रखना आवश्यक है। इस पक्षी को State Bird घोषित करने का मकसद लोगों को इसके संरक्षण के प्रति जागरूक करना है क्योंकि गौरैया पक्षी विलुप्त होने लगा है, ऐसे में इसका संरक्षण करना जरूरी है।

गौरैया पक्षी के बचाव के उपाय

इस पक्षी को विलुप्त होने से बचाने के लिए हमें जागरूक होना होगा। लोग गुलेल से इसपर वार करते हैं जो बिलकुल सही नहीं इन्हीं अनुचित गतिविधियों के कारण ही आजकल गौरैया घरों के आसपास बहुत कम दिखते हैं।इस पक्षी के बचाव के लिए हमें इस पर कभी भी वार नहीं करना चाहिए तथा जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें रोकना होगा और पक्षी के संरक्षण हेतु जागरूक करना होगा। मनुष्य को गौरैया तथा अन्य सभी पक्षियों को अपना मित्र समझना चाहिए।

हमें गौरैया को अपने घरों और बगीचों में रहने के लिए जगह देनी चाहिए ताकि वह बगीचों के पेड़ों पर अपना घोंसला बना सके। अगर घर के आसपास कोई बड़ा पेड़ है, तो उस पेड़ के द्विशाखन, यानि पेड़ के जिस हिस्से से दो मोटी-मोटी शाखाएँ एक साथ निकलती हैं, वहाँ पर एक मटके को सुरक्षित रख दिया जाए तो वहां भी चिड़िया अपना डेरा डालकर रह सकते हैं, गावों में पक्षियों के लिए अक्सर इस प्रकार का पक्षी घर (Bird House) बनाया जाता है।

अगर घर के आसपास गौरैया आती रहती है तो उसके खाने के लिए घर की छत पर किसी छोटी बर्तन में अनाज रखना चाहिए और पीने के लिए मिट्टी के छोटे बर्तन में पानी रखना चाहिए। इससे गर्मी के दिनों में गौरैया और अन्य पक्षियों को आसानी से भोजन और पानी मिल सकेगा। अगर उन्हें इसी तरह भोजन मिलता रहेगा तो वे अपने आप उड़ते हुए घरों के आसपास आने लगेंगे और फिर से गौरैया की चहचहाहट सुनाई देने लगेगी।

उपसंहार

गौरैया एक बहुत सुंदर और आकर्षक पक्षी है जो शहरों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में अधिक पाया जाता है। यह बहुत फुर्तीले स्वभाव वाले होते हैं। गौरैया पक्षी 4 से 7 साल तक जीवित रह सकती हैं। पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के लिए इस पक्षी का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इसके बहुत से प्रजाति दुनिया भर के अलग-अलग हिस्से में पाए जाते हैं। पहले की तुलना में अब इसकी आबादी में कमी आई है और स्थिति ऐसी बन गई है कि यह विलुप्त होने के कगार पर है इसलिए इसके संरक्षण के लिए सबको जागरूक करना बहुत आवश्यक हो गया है।इस पक्षी के प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना पड़ेगा। इस पक्षी के संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए ही 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है।

निष्कर्ष

मित्रों, पक्षी इंसानों के मित्र समान है कुछ लोग तो इसे घरों में पालना पसंद करते हैं और दाना खिलाते हैं। गौरैया पक्षी भी बहुत से लोगों का प्रिय पक्षी है जो छोटी लेकिन बहुत सुंदर लगती है। अगर घरों के आसपास गौरैया दिखे तो उसे अनाज के दाने दे देना चाहिए और गर्मियों में उनके लिए जल की व्यवस्था भी करनी चाहिए ताकि वह अपनी प्यास बुझा सके। आपने इस लेख में गौरैया पर निबंध - Gauraiya par nibandh (Essay on Sparrow in Hindi) पढ़ा जिसमें हमने गौराया के प्रजातियों, विश्व गौरैया दिवस और उसकी विशेषताओं आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे अपने अन्य मित्रों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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