कबूतर पर निबंध हिंदी में - Essay on Pigeon in Hindi (1000+ Words)

कबूतर तो आपने जरूर देखा होगा यह बहुत सुंदर पक्षियों में से एक है। इस लेख में आप कबूतर पर निबंध हिंदी में - Essay on Pigeon in Hindi पढ़ेंगे। क्या आपको पक्षी पसंद हैं? यदि हां तो आपको कबूतर पक्षी के बारे में जानकारियां दी गई है। यह अदभुद खूबियों वाला पक्षी है जिसका गहरा नाता बहुत पहले से इंसानों से जुड़ा है इन हर एक पहलुओं पर इस लेख के जरिए बात करेंगे, आइए इस लेख को प्रारंभ करें।

कबूतर पर निबंध हिंदी में - Essay on Pigeon in Hindi

कबूतर पर निबंध हिंदी में - Essay on Pigeon in Hindi

प्रस्तावना

कबूतर बहुत सुंदर पक्षी है जो आकाश में अपने दोनों पंख फैलाकर उड़ती है। इसके दो आँखें, दो पैर और दोनों पैरों में 4-4 उंगलियां होती है। आगे तरफ 4 और पीछे में 1 उंगली होती है जो पेड़ों की डालियों को मजबूती से पकड़ने में सहायक होते हैं।

कबूतर को अंग्रेजी भाषा में (dove) और पिजिन (pigeon) कहकर बुलाया जाता है। वैसे इसे लोग घरों में प्यार से पालते हैं इस दौरान वे इसका अपने अनुसार नामकरण करके उसे नाम से बुलाते हैं। कबूतर स्लेटी, भूरे रंग और श्वेत अथवा सफेद रंग के पाए जाते हैं। पंखों पर काली धारियां या आकृति नजर आती है जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।

यह इंसानों के मित्र समान व्यवहार करते हैं। देखा जाए तो मनुष्य अपने कबूतर से बहुत पहले से भावात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। यह मनुष्यों का आस हुआ करता था। राजा महाराजा अपने खत, पत्र या चिट्ठियों को दूसरे स्थान तक पहुंचने हेतु कबूतर की सहायता लेते थे।

उस दौर में कबूतर एकमात्र संदेश वाहक पक्षी था जो अपने मालिक द्वारा उसके गले में लटकाए गए पत्र को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाया करता था। कबूतर बहुत बुद्धिमान पक्षी है इसलिए तो पहले के समय जब एक प्रेमी अपने प्रेमिका को प्रेमपत्र लिखकर कबूतर से उसे उसके पास भेजने को कहता था और पत्र को गले में लटका देता था तो कबूतर अपना कर्तव्य समझते हुए उसी जगह पर कुशलता से पत्र पहुंचा दिया करता था।

कबूतर कहाँ रहते हैं (Where do pigeons live?)

कबूतर भी अन्य पक्षियों की भाँति अपना घोंसला बनाकर उसमें रहना पसंद करता है। यह मनुष्यों के आसपास रहना भी पसंद करता है और उनके द्वारा दिए गए दाने को चुगकर पेट भरता है। लोग इसे पालतू बनाकर पिंजरे में भी रखते हैं किन्तु इसे स्वतंत्र रहकर खुले आसमान में उड़ना पसंद होता है। यह अपना बसेरा अथवा घोंसरा घरों के आसपास वृक्षों में और बड़ी हवेली या इमारतों में बनाकर सदैव अपने समूह के साथ रहना पसंद करती हैं। ये इंसानी बस्तियों के अलावा रेगिस्तान और बर्फ जैसे कड़ाके की ठंड वाले इलाकों में रह सकते हैं। ये उन सभी स्थानों में अधिकता में पाए जाते हैं जहां का वातावरण उनके रहने के लिए अनुकूलित होता है। यह केवल भारत में नहीं बल्कि अलग-अलग देशों में भी पाए जाते हैं।

कबूतर क्या खाते हैं (What do pigeons eat?)

कबूतर प्रतिदिन घोसले से बाहर निकलकर अपने झुंड के साथ भोजन की तलाश में दूर-दूर तक चला जाता है। वह अपना पेट भरने के लिए अनाज ढूंढता है और उसे छुगकर खाता है। अपनी प्यास बुझाने के लिए नहरों, झरनों या बहते नदियों का पानी पीती है। आमतौर पर ये उन्हीं स्थानों पर रहा करते हैं जहां आहार एवं जल की उपलब्धता हो ताकि भूख लगने पर भोजन आसानी से मिल सके।

कबूतर पक्षी को अनाज बहुत पसंद है इसलिए यह गेहूं, बाजरा, चना, मक्का, बीज, दालें जैसे विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न खाना पसंद करती है। कबूतर मानव बस्तियों के आस-पास भी रहते हैं, इसलिए लोग उन्हें घरेलू भोजन जैसे रोटी के टुकड़े, फल, मेवे (dry fruits), भुट्टे का दाना, अनाज और पीने के लिए पानी देते हैं। इस पक्षी को दाना चुगना बहुत पसंद है। लोग कबूतरों के पास जाकर अपने हाथों से उनके लिए खाने की चीजें या दाना डालते हैं और कबूतर बड़े चाव से उसे चुगकर खाते हैं।

कबूतर की शारीरिक रचना : रंग, आंखें, चोंच, पंख, भार और लंबाई

भारत में आमतौर पर सफ़ेद और सिलेटी रंग वाले कबूतर पाएं जाते हैं। वैसे यह पूरे विश्व में पाए जाते हैं और ये ठंडे और रेगिस्तानी इलाकों में भी पाया जाता है। कबूतर देखने में बहुत आकर्षक पक्षी है जो मनुष्यों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। कबूतर की विश्व भर में लगभग 350 प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

इनकी अलग-अलग प्रजातियों में कुछ विविधताएं भी पाई जाती है जैसे प्रजाति के अनुसार कुछ कबूतर के आंखों का रंग भूरा तो कुछ का लाल होता है, कुछ कबूतर का पूरा शरीर सफेद तो कुछ का भूरा या सलेटी रंग का होता है। कबूतर के हर प्रजाति का शरीर पंखों से ढका रहता है जो उनके शरीर का टेंपरेचर या तापमान नियंत्रित करके रखते हैं, उसके पंख उसे ऊंची उड़ान भरने में भी मदद करते हैं।

कबूतर ऐसा पक्षी है जो सभी ऋतुओं जैसे सर्दी, गर्मी, ठंड में रह सकता है। यह घरों या जंगलों में रहते हैं। कबूतर के दो मजबूत पैर जो डालियों पर बैठने के लिए सहायक होते हैं। वो अपने चोंच के माध्यम से जल और भोजन को पकड़कर मुंह में रखती है और भोजन करती है। इसके चोंच के ऊपर दो छोटे छेद नजर आते हैं जो इसके श्वसन अंग हैं।

सिलेटी रंग वाले कबूतर के गर्दन वाले हिस्से में बैगनी रंग की एक गोलाकार रेखा बनी हुई होती है जो कबूतर की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। एक कबूतर के आकार की बात करें तो, कबूतर की लंबाई 32 से 37 सेंटीमीटर और ऊंचाई 25-30 सेमी. तक होती है और उसका वजन लगभग 240 से 380 ग्राम तक हो सकता है।

कबूतर का इतिहास - History of Pigeon Bird in Hindi

कबूतर पुराने समय से ही मनुष्यों के संपर्क में रहना पसंद करते हैं। राजा महाराजाओं के महलों में भी कबूतरों को रखा जाता था। प्राचीनकाल में ये डाकिये की तरह सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने का काम किया करते थे।

जब टेलीफोन या संचार माध्यमों का आविष्कार नहीं हुआ था तब कबूतर पक्षी ही हमारे संदेशों को दूसरे साथी तक पहुंचाने का एकमात्र सहयोगी हुआ करता था। कबूतरों द्वारा संदेशों का आदान-प्रदान करना बहुत आसान हुआ करता था। कबूतर के गले में अपना पत्र लटकाकर उसे गंतव्य स्थान पर भेज दिया जाता था, उसकी स्मरण शक्ति बहुत तेज होने के कारण वह व्यक्तियों को पहचानने में माहिर था, अपने इसी गुण के कारण वह पत्र वहीं पहुंचा देता था जहां उन्हें पहुंचना होता था।

कबूतर एक ऐसा पक्षी है जो मनुष्य के मित्र की तरह संदेशों को भेजने में मदद करता था, अब आधुनिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन के माध्यम से संदेश भेजा जाने लगा है। किन्तु कबूतर सच में एक अदभुद पक्षी है जिसकी याददाश्त बहुत तेज़ होती है, कुछ लोग इसे अपने घरों में पालते हैं और समय-समय पर आहार देते हैं।

कबूतर पक्षी को शास्त्रों के अनुसार शांति का प्रतीक माना गया है। कहते हैं कि यदि घर में कबूतर आए तो माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। लोग कबूतर के आगमन को धन लाभ से जोड़कर भी देखते हैं। मान्यता है की कबूतर आने से नकारात्मक ऊर्जा कम होने लगती है।

कबूतर की विशेषताएं और रोचक गुण

कबूतर हमेशा अपने झुंड में रहना पसंद करते हैं और एक साथ भोजन की तलाश में निकलते हैं। इनकी खासियत यह है कि ये इंसानों के आसपास रहते हैं और लोग कबूतरों को खाने के लिए दाना (अनाज) भी देते हैं। कबूतर के नुकीली चोंच जिससे वह जल और अनाज के दाने को पकड़कर खाता है। इसे मेवे और अनाज के दाने बहुत पसंद है लोग इसे घरेलू भोजन भी दिया करते हैं जैसे रोटी के टुकड़े। कबूतर के दो पैर होते हैं जो पेड़ों की शाखाओं को मजबूती से पकड़ने में सहायता करते हैं। इसके तीन उँगलियाँ आगे और एक उँगली पीछे की ओर होता है।

कबूतर का पूरा शरीर अपने परों (पंखों) से ढँका हुआ होता है। इसके कई प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती है। कुछ कबूतरों के गर्दन पर हल्के नीले और हरे रंग होते हैं तो कुछ के गले पर काले रंग की गोलाकार रेखा बनी होती है। 

भारत में सामान्यतः सफेद और स्लेटी रंग के कबूतर देखे जाते हैं। पुराने समय पर जब दूरभाष यंत्र नहीं था तब कबूतर के माध्यम से चिट्ठियों को अपने मित्रों या परिजनों तक पहुंचाया जाता था। पुराने जमाने में कबूतर सर्वश्रेष्ठ संदेशवाहक हुआ करता था जो हमारे साथियों तक सूचना पहुंचाने का काम करता था। कबूतर एक बेहद खूबसूरत पक्षी है जो आसमान में 6,000 फीट की ऊंचाई पर 77.6 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है।

निष्कर्ष

कबूतर पक्षी को लोग पिंजरे में रखकर पालते हैं लेकिन इसे स्वतंत्र करके नीले आकाश में उड़ने देना चाहिए। कबूतर और सभी पक्षियों को खाने-पीने के लिए अनाज जरूर देने चाहिए। गर्मियों के दिनों में जब पानी की कमी हो जाती है तब प्याऊ बनाकर पक्षियों की प्यास बुझानी चाहिए। 

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कबूतर पर निबंध 10 लाइन - 10 Lines on Pigeon in Hindi

  1. कबूतर एक मनमोहक पक्षी है जो सफेद और भूरे रंग में पाया जाता है। इसका शरीर पंखों से ढका होता है।
  2. कबूतर की दो खूबसूरत आंखें, दो पैर और दो खूबसूरत पंख होते हैं जिन्हें फैलाकर वह खुले आसमान में उड़ता है।
  3. यह इंसानों के आसपास रहना पसंद करता है और यह एक ऐसा पक्षी है जिसकी याददाश्त बहुत अच्छी होती है।
  4. प्राचीन काल में राजा लोग कबूतरों की सहायता से अपना संदेश अन्य स्थानों तक पहुँचाते थे।
  5. कबूतर हमेशा अपने समूह में रहना पसंद करता है। कबूतरों के झुंड को देखकर लोग बहुत खुश होते हैं और उन्हें खाने के लिए दाना देते हैं।
  6. यह पक्षी विश्व के विभिन्न देशों में पाया जाता है, जैसे चीन, सऊदी अरब, मिश्र आदि में यह अधिक मात्रा में पाया जाता है।
  7. कबूतर आहार के रूप में अनाज, दालें, मक्का, बीज, मेवे, गेहूं आदि खाता है।
  8. सामान्य तौर पर कबूतर का वजन 240 - 380 ग्राम तक होता है। इसकी लंबाई 38 - 44.5 सेमी और ऊंचाई 25 - 30 सेमी. तक हो सकती है।
  9. एक कबूतर 6000 फीट की ऊंचाई पर बहुत तेजी से उड़ सकता है। ये करीब 97 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने में सक्षम हैं.
  10. कबूतर पक्षी एक बार में 2 अंडे देते हैं और लगभग 18 से 19 दिनों के बाद उस अंडे से बच्चे निकलते हैं। कबूतर पक्षी का जीवन काल 12 - 15 वर्ष तक होता है।

FAQ's - कबूतर पक्षी पर अक्सर पूछे जाने वाले कुछ प्रश्नों के उत्तर हिंदी में (Answers to Some Frequently Asked Questions on Pigeon Bird in Hindi)

1. कबूतर किस तरह के पक्षी होते हैं?

उत्तर - कबूतर एक ऐसा पक्षी है जो देखने में बहुत ही सुंदर और मध्यम आकार का पक्षी होता है। इसके शरीर का अधिकांश भाग इसके परों या पंखों से ढका रहता है। इसकी दो सुंदर आंखें, दो मजबूत पैर और एक चोंच होती है जिससे यह भोजन पकड़ता और खाता है।

2. कबूतर कहाँ रहते हैं?

उत्तर - कबूतर खुद को अलग-अलग वातावरण में ढाल लेते हैं, इसलिए वे चट्टानी इलाकों, रेगिस्तानों, घास के मैदानों और यहां तक कि बर्फीले इलाकों में भी रह सकते हैं। इसे घरों की छतों पर अपने समूह के साथ बैठा हुआ देखा जा सकता है। यह मानव बस्तियों में भी रहता है। यह भारत के अलावा दुनिया भर के विभिन्न देशों में पाया जाने वाला पक्षी है।

3. कबूतरों का आकार और रंग कैसे होता है?

उत्तर - कबूतर एक मध्यम आकार वाला पक्षी है मतलब यह ना तो बहुत बड़ा है और ना ही बहुत छोटा, इसे काले, स्लेटी, सफेद और भूरे रंग में देखा जा सकता है, इसके विभिन्न प्रजातियों के अनुसार रंगों में कुछ विविधताएं भी पाई जाती है।

4. कबूतर का आहार क्या होता है?

उत्तर - कबूतर अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं जो कबूतर जंगलों में रहते हैं वो अपने लिए स्वयं आहार तलाशते हैं और दाना चुगकर अपना पेट भरते हैं, और जो कबूतर इंसानी बस्तियों में रहते हैं वो खुद भी भोजन तलाशते हैं और कभी-कभी लोग उन्हें खाने के लिए घरेलू भोजन जैसे अनाज, रोटी का टुकड़ा, दाल, मक्का, बीज, गेंहू और मेवे दे दिया करते हैं।

5. कबूतर की आवाज कैसी होती है?

उत्तर - यह गुटरगूँ-गुटरगूँ करके आवाज निकालती है जो सुनने में अच्छा लगता है।

6. कबूतर का स्वभाव कैसा होता है?

उत्तर - कबूतर बहुत शांत स्वभाव वाला पक्षी है इसे शांति का प्रतीक माना जाता है। यह इंसानों के आसपास रहना पसंद करते हैं और मनुष्यों से मित्रवत व्यवहार करते हैं इसकी खासियत है की अगर यह एक बार किसी व्यक्ति को देख ले तो उसका शक्ल नहीं भूलता इसलिए पहले के जमाने लोग इनकी सहायता से अपने पत्रों को एक जगह से दूसरे जगह तक भेजते थे, यह मार्ग नहीं भूलता था और जिस व्यक्ति को पत्र देना होता था उसी व्यक्ति के पास पत्र पहुंचा देता था।

7. कबूतर के क्या गुण हैं?

उत्तर - यह अपने समूह के साथ रहना पसंद करते हैं। यह गुटर गूं करके बोलती है। यह अपने मनमोहक रूप से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। यह प्रेम व् शांति का प्रतीक माना जाता है। यह पक्षी बहुत ऊंची और बहुत तेज़ उड़ान भर सकता है।

8. कबूतर कितनी ऊंचाई तक उड़ सकता है?

उत्तर - कबूतर अपने पंखों की सहायता से आकाश में 6,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है और उड़ते हुए इसकी गति बहुत अधिक होती है यह एक घण्टे में 77.6 मील की दूरी तय कर सकता है और एक दिन बिना रुके 600 मील की दूरी तय करने का सामर्थ्य रखता है।

9. कबूतर कितने घंटे उड़ सकते हैं?

उत्तर - कबूतर लंबी उड़ान भरने में माहिर होते हैं एक कबूतर बना रुके लगातार 7 घंटे आराम से गगन में उड़ सकता है। कई जगहों पर तो कबूतर उड़ान प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है।

10. कबूतर का जीवनकाल कितना होता है?

उत्तर - कबूतर का जीवन काल लगभग 12 से 15 साल तक का होता है।

अंतिम शब्द

मित्रों कबूतर पक्षी मनुष्यों के साथ मित्रवत व्यव्हार करते हैं। यह इंसानों का साथी है कुछ लोग अपनी मर्जी से इन्हें दाना देकर उनका पेट भरते हैं। यदि घरों के आसपास कबूतर पक्षी होती है तो उसकी गूटर-गूं, गूटर-गूं की आवाज सुनने में बहुत अच्छी लगती है। पक्षियों के आसपास रहने से इंसान प्रसन्न हो उठता है। मित्रों आपने इस लेख में कबूतर पर निबंध (Essay on Pigeon in Hindi) और 10 Lines on Pigeon in Hindi पढ़ा जो आपको जरूर अच्छा लगा होगा, इस लेख को आप अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी शेयर करें।

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