होली पर निबंध कक्षा 5 के लिए बेहद आसान शब्दों में

अगर आपका भी होली पसंदीदा त्योहारों में से एक है तो आपको यह लेख जरूर पूरा पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें मैने आसान शब्दों में Essay on Holi for Class 5 - होली पर निबंध कक्षा 5 के लिए लिखा है। Holi festival बहुत खास होता है, जब हम अपने मित्रों, और परिवार के सदस्यों के साथ, रंग व गुलाल लगाकर होली सेलीब्रेट करते हैं, तो यह फेस्टिवल हमें उनके साथ स्मरणीय पल व्यतीत करने का अवसर प्रदान करता है। आइए इस निबंध के माध्यम से हम होली का महत्व, होलिका दहन आदि के बारे में चर्चा करते हैं।

होली पर निबंध कक्षा 5 के लिए - Essay on Holi for Class 5 in Hindi

होली पर निबंध कक्षा 5 के लिए - Essay on Holi for Class 5

प्रस्तावना 

होली का त्योहार अपने साथ बिरंगी यादें लाती है। बच्चे होली का बेसब्री से इंतजार करते हैं और होली वाले दिन अपने साथ रंग और पिचकारी लेकर घर से निकल पड़ते हैं और दोस्तों के साथ होली खेलने का भरपूर आनंद लेते हैं। बच्चों के अलावा बड़े भी उत्साह में रहते हैं और अपने परिवार के सदस्यों और आस पड़ोस के लोगों के साथ होली खेलते हैं। लोग एक गांव से दूसरे गांव जाकर भी यह उत्सव धूमधाम से मनाते हैं। होली के मौके पर सबके चेहरे पर मुस्कान देखी जा सकती है, सबके गाल पर अलग अलग रंग लगे होते हैं, इस दिन लोगों के कपड़े में लाल, गुलाबी, हरा, पीला रंग लगा हुआ दिखता है क्योंकि हर कोई इस मौके पर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। होली का त्योहार मार्च के महीने में आता है कई जगहों पर होली के कुछ दिन पहले से ही लोग रंगों से खेलने लगते हैं, खूब नाच गान चलता है। यह त्योहार हर व्यक्ति के लिए यादगार पलों में से एक बन जाता है।

होली का महत्व

होली, भारत का प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली सेलीब्रेट करते हैं। यह बहुत लोकप्रिय फेस्टिवल है जिसमें लोगों को फेस्टिवल सेलीब्रेट करने के साथ ही भरपूर मजा भी आता है क्योंकि रंगों से खेलते हुए लोग खूब नाचते - गाते हैं। होली में लोगों को मिठाईयां बांटने की भी परंपरा रही है इसलिए इस अवसर पर, अपने आस-पड़ोस के लोगों में स्वादिष्ट मिष्ठान भी वितरित किया जाता है। होली को फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। और इस फेस्टिवल का इंतजार में हर कोई लगा रहता है। जब ठंड के मौसम का समापन होता है तभी वसंत ऋतु में होली के पावन पर्व का आगमन होता है। इस उत्सव से सामाजिक एकता और भाईचारा को बढ़ावा मिलता है।

होली से पहले होलिका दहन 

होली का त्यौहार मनाने से 1 दिन पहले ही होलिका दहन का कार्यक्रम किया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। होलिका दहन हेतु जलाऊ व सूखी लकड़ियां, जलने योग्य सूखे घांस आदि एकत्र करके एक स्थान पर रखा जाता है, वहां सभी लोगों होलिका दहन की पूजा के लिए आते है और विधिपूर्वक पूजा अर्चना करके होलिका दहन करते हैं। इस परंपरा के पीछे एक प्रचलित कहानी है, कहते हैं कि हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर हुआ करता था जिसे  शक्तिशाली होने का वरदान प्राप्त था वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था, और अन्य लोगों को कहता था वो लोग उसकी पूजा करें। लेकिन उसका जो पुत्र था, जिसका नाम प्रहलाद था वह उसकी पूजा न करके, भगवान विष्णु की पूजा करता था क्योंकि वह उसका बहुत बड़ा भक्त था और उनका गुणगान करता रहता था। हिरण्यकश्यप को यह कदापि पसंद नहीं था कि उसका बेटा उसे छोड़कर किसी दूसरे भगवान की आराधना करे, इसलिए वह अपनी ही पुत्र का वध करने का सोचता है और उसे मारने का कई उपाय करने लगता है। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था, उसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती, इसीलिए हिरण्यकश्यप के आज्ञा के अनुसार, होलिका ने प्रहलाद को अपने गोद में बिठाकर एक चिता पर बैठ गई, और उस चिता पर आग लगा दिया गया। उसे दौरान प्रहलाद विष्णु की प्रार्थना कर रहा था, इसलिए जब चिता जलने लगी तो प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ, लेकिन होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई। इसी घटना को स्मरण करते हुए होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, और उसके दूसरे दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है।

होली के रंग, मिठाइयों के संग

हर फेस्टिवल में मिठाइयां जरूर बनाए जाते हैं, होली के दिन भी लोग अपने घरों में जल्दी तैयार होकर सुबह से ही तरह तरह के पकवान और मिष्ठान्न बनाने में लग जाते हैं। मिठाई खाने से उत्सवों का आनंद और भी बढ़ जाता है, होली में तो लोग मावा गुजिया जो कि एक स्वादिष्ट पकवान है को बड़े ही चाव से खाते हैं। होली के रंग, मिठाइयों के संग, और भी गहरा हो जाता है। मिठाई खाने में जितना मजा आता है, उसे दूसरों को खिलाने से मजा दोगुना हो जाता है, दूसरों का मुंह मीठा कराना खुशियां बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका है। होली का त्योहार भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में एक बहुत ही रंगीन और आनंदमय दिन है। इस मौके पर मिठाई न केवल हमारे जीवन को मिठास से भर देती है, बल्कि यह एकता और समरसता की भावना को भी प्रोत्साहित करती है। खासकर होली के इस मिठास भरे मौसम में, लोग आपसी मिलन-जुलन में मिठाई बाँटकर एक-दूसरे के साथ खुशियाँ साझा करते हैं, जिससे सामाजिक बोंडिंग और परिवार के साथीपन में बढ़ोतरी होती है। होली में हम मित्रों, परिवार वालों के साथ होली खेलने का आनंद लेते हैं, बड़ों को होली लगाकर, उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेते हैं। परिवार संग अनोखे पल बिताने से हम उन्हें और वे हमें अच्छे से समझ पाते हैं।

निष्कर्ष

होली रंगों का त्यौहार है और इसे मिलजुल कर खेलने में बहुत आनंद आता है लेकिन कई लोग हानिकारक या मिलावटी रंग का प्रयोग करते हैं जिससे अगर इस प्रकार के रंगों से होली खेला जाता है तो चेहरे और बालों पर उसका बुरा असर हो सकता है, इसलिए हमें होली खेलने के लिए बिना मिलावटी वाला सुरक्षित रंगों का इस्तेमाल ही करना चाहिए ताकि त्वचा को कोई नुकसान न हो। होली एक बहुत ही रंगीन और खुशीभरा त्योहार है, जिसे हम सब मिलकर बड़े धूमधाम से मनाते हैं। हम एक दूसरे को गुलाल और रंग लगाकर, इस मौके पर मिलकर खुशी मनाते हैं। हम सभी का होली पर एक दूसरे के साथ मस्ती करना होली को और भी यादगार बना देता है। होली एक बड़ा रंगबिरंगा उत्सव है, जो हमें अपनों के साथ खुशियां बांटने का सुनहरा अवसर देता है।

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