वायु प्रदूषण पर निबंध - Essay on Air Pollution in Hindi

पृथ्वी पर जीवन के लिए जल, वायु और भोजन आवश्यक प्राकृतिक तत्व हैं। भोजन हमें फलों और अनाज के रूप में मिलता है, इनके विकास के लिए भी जल तथा वायु महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन अब लोग धरती पर कचरा फैला रहे हैं, कारखानों के अपशिष्ट पदार्थों को जल में विसर्जित कर रहे हैं, फैक्ट्री के चिमनियों से जहरीली हवा या विषाक्त गैसों के वायुमंडल में मिलने से वायु प्रदूषित हो रहा है, जो प्राणियों में दिल की बीमारियां और श्वसन संबंधी रोग उत्पन्न करते हैं। लगातार हमारे आसपास के वातावरण में ताजी हवा की गुणवत्ता कम होती जा रही है, कई कारकों द्वारा वायुमंडल प्रभावित हो रहा है, इसी कारण अब लोगों को अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम वायु प्रदूषण पर निबंध पढ़ेंगे, और जानेंगे की air pollution का कारण क्या है, इसे कैसे रोका या कम किया जा सकता है। Essay on Air Pollution in Hindi के माध्यम से हम इन्हीं महत्वपूर्ण बातों पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध - Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध - Essay on Air Pollution in Hindi

प्रस्तावना 

विश्वभर में वायु प्रदूषण की समस्या, गंभीर चिंता का कारण बन गया है। वायु प्रदूषित तब होता है जब वायुमंडल में विषाक्त गैसें, जैसे कि कारखानों से निकलने वाले सोडियम ऑक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड आदि गैसें। ये हवा में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं।

कारखानों के अलावा वाहनों से निकालने वाले धुंवे से भी हवा में हानिकारक कण मिलते हैं। उड़ते धूल, अस्वास्थ्यकर तथा विषाक्त होते हैं, जब हम सांस लेते हैं तब विषाक्त हवा, श्वासनली के माध्यम से शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं तथा हृदय से जुड़े रोग उत्पन्न करते हैं।

वायु प्रदूषण, स्वस्थ के अतिरिक्त ओज़ोन परत को भी प्रभावित कर रहा है। ओजोन परत, पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करता है तथा उसके हानिकारक प्रभावों से वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं की रक्षा करता है। ओजोन परत में छेद हो जाए या उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े तो इससे पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आएगी और प्राणी जगत को इसका नकारात्मक प्रभाव खेलना पड़ेगा।

मानवीय अनुचित गतिविधि एक मुख्य कारण है वायु प्रदूषण का, मानव अपने स्वार्थवश कई ऐसे कार्य निरंतर करता आ रहा है, जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। चाहे वो औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप निकलने वाला विषाक्त गैस हो, जल में प्रवाहित होने वाले अपशिष्ट पदार्थ या सड़े गले कूड़ा - करकट को सड़क किनारे, नालियों, नदियों व् तालाबों में फेंकना। ये सभी गतिविधि पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

अनेक कारणों से वायु प्रदूषण उत्पन्न हो सकता है। यह चिंता का विषय है क्योंकि सांस से संबंधित बीमारियां इसी से उत्पन्न होती है। हमें वायु प्रदूषण कम करने हेतु लोगों को जागरूक करना होगा। अब समय आ गया है कि हवा में प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लिया जाए और इसके नियंत्रण हेतु कारगर कदम उठाए जाए।

वायु प्रदूषण क्या है? - What is Air Pollution in Hindi

ये वह प्रदूषण है जो वायुमंडल में होता है। जब वायुमंडल में धूल के कारण, वायरस, तथा विषाक्त गैसें आदि मिलते हैं, तो वायुमंडल में वायु की गुणवत्ता कम हो जाती है, और वायु प्रदूषित हो जाती है। जब वायु प्रदूषित हो जाती है, तब मानव शरीर में अनेक स्वास्थ्य रोग उत्पन्न होते हैं, दूषित वहा मुख्य रूप से फेफड़ों को हानि पहुंचाती है। मात्र मनुष्यों को नहीं, बल्कि पशुओं, जानवरों, यहां तक कि पेड़-पौधों को भी वायु प्रदूषण से भारी नुकसान पहुंचता है। महानगरों में, मुख्यतः कारखानों के चलते, वायु में अवांछनीय गैसों का मिश्रण हो रहा है। परिणामस्वरूप, वहां के आसपास के इलाकों में प्रदूषण स्तर बढ़ रहा है। इसका नकारात्मक असर हमें, मनुष्यों में स्वास्थ्य विकारों को देखकर, पता चलता है।

वायु प्रदूषण का अर्थ – Air Pollution Meaning in Hindi

जीवन हेतु ऑक्सीजन अनिवार्य है। आमतौर पर, इसे हवा या प्राणवायी कहा जा सकता है, तो जब हवा में, हानिकारक पदार्थों की अधिकता हो जाती है, तब वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या आ खड़ी होती है, और उसे ही वायु प्रदूषण या अंग्रेजी में एयर पॉल्यूशन (Air Pollution) कहा जाता है।

वायु प्रदूषण की प्रकृति

जल बिना व्यक्ति कुछ देर जीवित रह सकता है, किंतु वायु बिना व्यक्ति एक क्षण भी जीवित रहे ही रह सकता। हमारी पृथ्वी पर ऐसे कई प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं जो हमारे जीवन को संभव बनाते हैं, जिनमें से एक हवा, वायु या प्राणवायु है। वायुमंडल में कई प्रकार की गैसें उपलब्ध हैं जिनमें से ऑक्सीजन, श्वास लेने हेतु आवश्यक है, जंगली जानवर, मनुष्य और पेड़ पौधे भी ऑक्सीजन पर निर्भर रहते हैं, इसके बगैर जीवन असंभव है। जीने के लिए हम, एटमॉस्फियर में मौजूद ऑक्सीजन को श्वास के माध्यम से ग्रहण करते हैं तथा कार्बन-डाई-ऑक्साइड छोड़ते या निष्कासित करते हैं। ऑक्सीजन पेड़-पौधों के लिए भी ज़रूरी है, वे इसे पत्तियों के रंध्रों के माध्यम से अवशोषित करते हैं और श्वसन करते हैं। प्रकाश संश्लेषण के दौरान, पेड़-पौधों, कार्बन डाइऑक्साइड गैस अवशोषित करते हैं। और पर्यावरण में शुद्ध ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए पृथ्वी पर जितने अधिक पेड़ पौधे होंगे उतनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध रहेगी जो संपूर्ण प्राणी जगत के लिए बहुत आवश्यक है।

लेकिन वर्तमान समय में पृथ्वी पर प्राणवायु की गुणवत्ता में कमी आती जा रही है। अब मानव औद्योगिकरण में तेजी ला रहा है। जगह जगह कारखानों का निर्माण करने साथ ही, वायुमंडल में वायु प्रदूषण की संभावना भी कई गुना बढ़ा रहा है। वो कारखाने ही हैं जो काला धुआं, स्वच्छ आकाश में छोड़कर उसे मैला करता है। वो कारखाना ही है, जहां काम के पूरा होने के बाद बचे हुए कचरों, अपशिष्टों को नदियों में बहा दिया जाता है। इसके अलावा निजी कार्यों हेतु वाहनों का बहुत अधिक उपयोग भी एक कारण है वायु प्रदूषण का। बड़े मालगाड़ियों से तो बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलता है, शहरों में मुख्य रूप से फैक्ट्री और गाड़ियों के चलने प्रदूषण हो रहा है। घरेलू काम काज या साफ सफाई के बाद जो कचरा जमा किए जाते हैं उसे जला देने से हवा में अनुपयुक्त तत्व समाविष्ट हो जाते हैं, जैसे प्लास्टिक के जलने से उत्पन्न धुआँ इत्यादि। सड़कों के पुनर्निर्माण के समय जब सड़कों को उजाड़ा जाता है तो जब उजड़े हुए सड़क से गाड़ी गुजरती है तो आसपास के पेड़ पौधों पर धूल जम जाते हैं। स्थानीय निवासियों में सांस से जुड़े रोग होने के पूरे संभावना बन जाते हैं क्योंकि धूल के सूक्ष्म कण कहीं ना कहीं सांस के जरिए फेफड़ों में जा रहे हैं जो आगे चलकर गंभीर रोग पैदा कर सकते हैं।

आज जनसंख्या विस्फोट भी प्रदूषण का कारण बन गया है क्योंकि इससे ईंधन का अधिक उपयोग, वाहनों का अधिक उपयोग और उत्पादों की आपूर्ति हेतु औद्योगिकरण में भी बढ़ोतरी हो रही है और ये सब वायु पॉल्यूशन फैलते हैं। प्राकृतिक रूप से भी एयर पॉल्यूशन फैलती है। ज्वालामुखी फटने से व जंगलों में तेज गर्मी के कारण आग लगने से जो धुआं उठता है, उससे भी वातावरण का वायु दूषित हो जाता है। आधुनिक युग में तकनीकी का विकास हुआ है वही प्रदूषण समस्या में भी इजाफा हुआ है। पहले जनसंख्या सीमित थी इस वजह से चीजों की मांग भी कम थी, कम ईंधन का उपयोग और कम जलाऊ लकड़ी का उपयोग होता था। लेकिन जब जनसंख्या वृद्धि हुई तो चीजों के मांग में बढ़ोतरी पाई गई जिसके आपूर्ति हेतु जगह-जगह कारखाने बनने लगे जो पर्यावरण में हवा (ऑक्सीजन) की गुणवत्ता खराब करते हैं। रेडियोधर्मी पदार्थ एवं रासायनिक क्रिया के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हानिकारक गैस की वायु में घोलने से, स्वास्थ्य विकार उत्पन्न हो रहा है। हर रोज अलग अलग स्थानों से और विभिन्न प्रकारों से, वायुमंडल में हानिकर गैस मिल रहे हैं, और वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं।

वायु प्रदूषण के स्रोत – Sources of Air Pollution in Hindi

इस तरह का पॉल्यूशन इंसानों द्वारा फैलाया जा सकता है इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी पर्यावरण का वायु, प्रदूषित हो सकता है। नीचे आपको इन दोनों कारकों (प्रदूषण के स्रोतों) के बारे में जानकारी मिलेगी:

1. वायु प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत :–

प्राकृतिक घटनाओं के बाद भी वायु में प्रदूषण होता है, मुख्य रूप से उस दौरान जब धरती में किसी स्थान पर ज्वालामुखी विस्फोट हो जाता है। यह बड़े भू-भाग को प्रभावित करता है। जहां विस्फोट होता है, वहां पर बहुत ज्यादा धुआं ऊपर उठता है, जिसके साथ ही ज्वालामुखीय राख, चट्टान के बारीक कण, और ज्वालामुखी विस्फोट के पश्चात उसमें से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि अलग - अलग नुकसानदायक गैसें वायुमंडल में तेजी से घुल जाते हैं जो वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण बनते हैं।

अगर धूल भरी आंधी तूफान जैसे प्राकृतिक आपदाएं दस्तक देती है तो धूल के कण बहुत तेज गति से हवा में उड़ती हैं, इससे भी एयर पॉल्यूशन हो जाता है।

पहाड़ पर अधिक दबाव पड़ने या भूकंप आने से कई बार पहाड़ का बड़ा हिस्सा टूटकर गिर जाता है, जिससे उस स्थान पर धुंध छा जाती है और वो धुंध वायुमंडल में प्रवेश करके उसे दूषित करता है। पहाड़ी इलाकों में अक्सर पहाड़ों का खिसकना और भूस्खलन जैसी घटनाएं होती रहती है, भूस्खलन के परिणामस्वरूप उस जगह पर गहरा धुंध, जिसमें धूल के कण उपस्थित रहते हैं, वो उड़ते हुए वायुमंडल में चला जाता है, और Air Pollution करता है।

जब ग्रीष्म ऋतु आ जाता है तो भूमि तवे की तरह तपने लगता है, उस दौरान वनों में पेड़ों के पत्तियां, तने व् टहनियां सूखने लगती है और लगातार बढ़ती गर्मी की वजह से सूखे टहनियों और पत्तों पर आसानी से आग लग जाती है। जंगल धू धू करके जलने लगती है और अचानक आग पकड़ने से जंगली जीव उस आग के चपेट में आ जाते हैं, वनस्पतियाँ, ऊंचे वृक्ष जलकर राख होने लगते हैं, इस दौरान धूल, सूक्ष्म कण और गहरा धुआं, हमारे पर्यावरण एवं वायुमंडल में तीव्र गति से फैल जाता है और एयर पोल्यूटेड (air polluted) करता है। 

2. वायु प्रदूषण के मानवीय स्रोत :–

मनुष्य में लगातार प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता आ रहा है। यही नतीजा है की आज हमारे परिवेश की वायु में अनुपयुक्त चीजों के मिलने से, यह सांस लेने योग्य नहीं है। मानवीय गतिविधियों जैसे घरेलू कचरा जलाने, प्रदूषकों जैसे प्लास्टिक को जलाने आदि से हवा में अवांछनीय तत्व समाविष्ट हो रहे हैं जो मानव स्वास्थ्य के अलावा जंगली जानवरों के तबीयत पर असर डाल रहे हैं। औद्योगिकरण का विस्तार हो रहा है, लेकिन इससे वायु गुणवत्ता घट रही है। लोग निजी वाहनों का अधिक उपयोग कर रहे हैं जिससे पेट्रोल के जलने से धुंआ निकलकर वायु में जा मिलता है। रसायनों के प्रयोगों, पटाखों को जलाने, ईंधन का अधिक उपयोग, कोयला से आग जलाना, इन क्रियाओं के परिणाम स्वरूप हानिकारक धुआं वायु में मिलता है। परिवहन के साधन के संचालन हेतु पेट्रोल-डीजल की अत्यधिक खपत होती है। इसी से वाहन चलता है, इससे लोगों को यात्रा करने में आसानी हुई लेकिन परिवहन के साधन वायु प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। जितने बड़े वाहन उतने अधिक पेट्रोल डीजल का उपयोग और उतना ही अधिक वायु पॉल्यूशन, इस प्रकार के प्रदूषण को कम करना बहुत जरूरी है, इसके लिए संभावित उपायों को अपना चाहिए।

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव – Side Effect of Air Pollution

कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बढ़ने से भी वायु प्रदूषण होता है। लगातार बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा से ओजोन परत पतली होती जा रही है। ओजोन परत हानिकारक किरणों से पृथ्वी तथा पृथ्वी वासियों की रक्षा करती है, इसलिए अगर ये पतला हो गया तो, नुकसानदायक करने सीधे धरती में पड़ेंगी और इसका असर प्राणियों पर होगा। अतेव CO2 गैस को नियंत्रित करना जरूरी है इसके लिए अधिक वृक्षारोपण कर सकते है। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव मनुष्यों, जंगली जानवरों और पेड़  - पौधों पर भी दिखता है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं।

1. मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव

जब वायु प्रदूषण का खतरा बहुत बढ़ जाता है, तो इससे मानव बुरी तरह प्रभावित होता है, क्योंकि वे उस वातावरण में रहते हैं, जहां वायु प्रदूषण अधिक है। बड़े शहरों में तो सुबह में कोहरा छाया रहता है, जिसमें विषाक्त गैसे मिले होने से, सांस लेने पर, फेफड़ों में अशुद्ध हवा प्रवेश कर जाती है जो रोग पैदा करती है। एयर पॉल्यूशन, हृदय रोग, पेट की बीमारियां, दमा, अस्थमा, सिर दर्द करना, कैंसर और स्किन एलर्जी आदि बीमारियों को न्योता देती है। इसके वजह से खतरनाक बीमारियों के चपेट में आकर लोग जान गवा देते हैं। सेहतमंद और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए पवित्र वातावरण में रहकर हमेशा, स्वच्छ वायु को सांस के द्वारा ग्रहण करना चाहिए तभी हम स्वस्थ जीवन जी सकेंगे, अगर आसपास प्रदूषण हो रहा है, तो बिना देरी किए जागरूक होकर उसके निपटान हेतु, अन्य साथियों व् लोगों को जागरूक करना चाहिए। जागरूकता लेकर हम साफ सुथरा परिवेश बना सकते हैं, पौधे रोपकर ऑक्सीजन की अनिवार्यता बढ़ा सकते हैं जिससे हम शुद्ध हवा में सांस ले सकेंगे।

2. जंगली जानवरों में वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव -

वायु प्रदूषण जंगली जानवरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। मनुष्यों की भांति जानवरों के जीवन के लिए भी शुद्ध प्राणवायु की आवश्यकता होती है, अगर वायु प्रदूषण हो जाएगा तो इससे उनके शरीर में रोग उत्पन्न हो सकते हैं, कुछ जंगली जानवरों की जनसंख्या में भी प्रभाव पड़ेगा, वे प्रदूषण वाले वन क्षेत्र छोड़कर, शुद्ध ऑक्सीजन वाले वन क्षेत्र की ओर पलायन करेंगे। यदि वायु प्रदूषण से रोग उत्पन्न हुआ तो कुछ जानवरों की मृत्यु भी हो सकती है।

3. जलीय जीवों में वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव -

वायु प्रदूषण का प्रभाव जलीय जीवों में भी पड़ सकता है जब वायुमंडल में प्रदूषण के कारण शुद्ध ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी तो जलीय जीवों को भी शुद्ध ऑक्सीजन नहीं मिल पाएगा, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है। बाते दें कि जल में रहने वाले जीव जैसे मछली, कछुए आदि, जीवित रहने के लिए सांस के द्वारा ऑक्सीजन ही ग्रहण करते हैं।

4. पेड़ पौधों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव –

रिसर्च के अनुसार, पहले वातावरण में ऑक्सीजन 24% हुआ करती थी परंतु अब इसकी मात्रा 22% है, मतलब घट गया है। इसका कारण प्रदूषण तो है ही, लेकिन जिस प्रकार सड़क बनाने, बस्ती बसने, मकान और बिल्डिंग बनाने में, अंधाधुंध जंगलों को काटा गया उससे भी ऑक्सीजन की मात्रा घटी है, क्योंकि ऑक्सीजन देने में पेड़ पौधों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। आधुनिकता के बाद, मानव जैसे-जैसे अलग अलग तरीकों से वायु में जहरीले गैस छोड़ता गया, वो मनुष्यों के अलावा वृक्षों पर भी अपना प्रभाव डालने लगा। ऑक्सीजन के कमी से पौधों को भी सांस लेने में मुश्किल होती है, वे पत्तियों के रंध्रों से सांस लेते हैं, लेकिन उड़ती धूल कण पत्तियों के ऊपर जम जाते हैं इससे स्वसन क्रिया कठिन हो जाता है। जो पौधों के विकास में रुकावट पैदा करता है। इसी प्रकार कई तरीके से वायु प्रदूषण धरती पर उपस्थित जंगलें, पेड़ पौधे, लताएं आदि को प्रभावित करती है।

वायु प्रदूषण के कारण – Due to Air Pollution

दुनियाभर में वायु प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है, यह अनुचित मानवीय गतिविधि और कुछ प्राकृतिक कारणों से होता है, आज जो लोग बड़े शहरों में निवास करते हैं उन्हें वायु में घुले प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है लोग शुद्ध और ताजी हवा के लिए तरस रहे हैं, प्रदूषित वायु को फेफड़ों में जाने से रोकने के लिए अब लोग मास्क का इस्तेमाल करने लगे हैं।

1. वायु प्रदूषण के प्राकृतिक कारण – Natural causes of air pollution 

कभी-कभी प्रकृति भी अपना प्रकोप दिखाती है हमारी विशाल धरती जहां जीवन है, वो घने जंगलों से से आच्छादित है, लेकिन कई बार ग्लोबल वार्मिंग या गर्मी में तेज धूप पड़ने के चलते घने जंगल में आग लग जाती है जो वहां के पेड़-पौधों, वनस्पति, जड़ी बूटियों को जलाकर राख कर देती है, इससे छोटे जीव भी प्रभावित होते हैं। 

जब जंगल में आग लग जाती है, तो झाड़ियों, वृक्षों, पत्तों आदि के जलने से निकलने वाला धुआं और राख, वातावरण में साथ वायुमंडल में प्रवेश कर जाता है इससे वायु प्रदूषण होता है।

अंतरिक्ष से पृथ्वी पर, जब उल्का पिंड टकरा जाता है तो उस जगह बड़ा गड्ढा होने के साथ साथ उस स्थान पर धूल मिट्टी उड़ते हैं जो वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ाता है।

ज्वालामुखी विस्फोट भी एक प्राकृतिक कारण है वायु प्रदूषण का, क्योंकि ज्वालामुखी फटने से जहरीली गैसें या नुकसानदायक गहरा धुंआ तेजी से वायुमंडल में घुल जाता है और वातावरण की हवा को अस्वच्छ कर देता है।

जोरदार आंधी तूफान आने से धूल के छोटे व् सूक्ष्म कण हवा में उड़ते हैं, उस दौरान हवा में प्रदूषण फैलता है, धूल से होने वाले प्रदूषण का नुकसानदायक प्रभाव यह है की इससे त्वचा और आँखों में जलन होती है। इसके अतिरिक्त अन्य प्राकृतिक कारण भी हैं जिनसे वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हवा हानिकारक तब हो जाता है जब उसमें सूक्ष्म आंखों से ना दिखने वाले धूल, कण या नुकसान पहुंचाने वाले गैसें व् कुछ बैक्टीरिया शामिल हो जाते हैं, जो सांस के माध्यम से शरीर के अंदर जाकर के बीमारियों का कारण बनते हैं।

2. वायु प्रदूषण के मानव निर्मित कारण – Man-made causes of air pollution

मानवों के अनुचित गतिविधियों से ही बहुत अधिक वायु प्रदूषण फैलाती है, चीजों के उत्पादन के लिए जगह जगह कल कारखाने स्थापित किए गए हैं जिससे दिन-रात काला धुआं निकलता रहता है और वायुमंडल में प्रदूषण फैलाता रहता है।

कोई खास मौके पर, लोग अपने मनोरंजन के लिए पटाखें फोड़ते हैं, विशेषकर दीवाली पर, जब पटाखें फोड़े जाते हैं तो उसके जलने से वातावरण में बहुत ज्यादा प्रदूषण फैल जाता है और उसका प्रभाव हफ्तों रहता है।

पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित करते हैं और हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं, जिससे हम स्वच्छ हवा में सांस ले पाते हैं, लेकिन जिस प्रकार मनुष्य सड़क निर्माण तथा मकान बनाने के लिए पेड़ों को काटता जा रहा है, तो उस वजह से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है और इससे भी पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।

वनों से हमें जड़ी-बूटियाँ, तथा जलाऊ लकड़ी आदि प्राप्त होती है। वन संपदा, संपूर्ण प्राणी जगत को प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया, एक महत्वपूर्ण (संसाधन) उपहार है, जो हमें कई आवश्यक चीजें प्रदान करता है, जिनमें से एक ऑक्सीजन है, जो सांस लेने के लिए आवश्यक है।

परन्तु अब वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, मनुष्य को जागरूक होने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि इस तरह लगातार जंगलों को काटा जाएगा तो पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो जायेगी, और वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बढ़ने के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी बहुत बढ़ जाएगा।

जनसंख्या वृद्धि भी इस प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, अधिक जनसंख्या के कारण लोगों को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, और घरों में अधिक कचरा जमा होता है, लोग बेकार के चीजों को जलाते हैं और इससे निकलने वाला धुआं हवा में मिल जाता है, जो हवा को खराब करता है। 

जनसंख्या बढ़ने के साथ ही लोग वाहन खरीदने लगे हैं ज्यादातर घरों में मोटरगाड़ी मौजूद है। मनुष्यों द्वारा परिवहन के लिए मोटरसाइकिलों तथा अन्य वाहनों का अत्यधिक उपयोग करने से इनसे निकलने वाला धुआँ हवा में फैलकर प्रदूषण फैलाता है।

खेतों से फसलों को काटने के बाद, मिसाई करके उसमें से अनाज प्राप्त किया जाता है, और बाकी बचे पुआल या डंठल को जला दिया जाता है इससे जो धुआं उठता है वह हवा में मिलकर उसकी गुणवत्ता खराब करता है।

परमाणु विस्फोट और परमाणु परीक्षण के मानव प्रकृति को नष्ट करता जा रहा है, ऐसे भयंकर विस्फोट से वातावरण बुरी तरह प्रभावित होता है और वहां की हवा जहरीली हो जाती है।

ऐसे ही कई कारण हैं जो वायु प्रदूषित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं जैसे लोगों द्वारा घरेलू सूखा कचरा जला देना, ईंधन हेतु लकड़ी का इस्तेमाल करना, जिससे धुआं उत्पन्न होता है, रासायनिक पदार्थों के खराब होने से अनुपयुक्त तत्वों का हवा में मिलना, फसलों में कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान उसका हवा में मिलना, बिजली उत्पादन हेतु कोयला का अत्यधिक उपयोग करना, नए भवनों के निर्माण के दौरान धूल व् सीमेंट के कणों का हवा में मिलना, और धूम्रपान से उत्पन्न होने वाला धुआं का हवा के संपर्क में आकर उसे प्रदूषित करना आदि कारणों से वायु प्रदूषित हो रहा है।

वायु प्रदूषण कम करने के उपाय

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने हेतु ठोस कदम उठाने होंगे, हमें ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण हेतु लोगों को प्रोत्साहित करके भूमि में पौधे लगाने होंगे।

पौधे वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अवशोषित करके बदले में हमें शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं जिसका उपयोग संपूर्ण प्राणी जगत सांस लेने हेतु करता है।

जंगलों का भी ऑक्सीजन देने में बहुत बड़ा योगदान है इसलिए इसके कटाई पर रोक लगाना होगा क्योंकि जब इसके संरक्षण पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा तो पृथ्वी में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा उपस्थिति रहेगी।

कारखानों के निर्माण से आसपास का वातावरण बुरी तरह प्रभावित होता है इससे मिट्टी का रंग काला पड़ जाता है और कारखाने की चिमनियों से निकलने वाला धुआं, हवा की गुणवत्ता बहुत खराब कर देता है।

इसलिए कारखाना या फैक्ट्री को रिहायशी इलाकों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए ताकि इसके दुष्प्रभाव से मनुष्य, पालतू जानवर और जंगली जानवर प्रभावित न हों।

जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल ना करके, जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा जैसे विकल्प अपनाए जाने चाहिए जो वायु प्रदूषण कम करने में मदद कर सकते हैं।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके भी पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकता है, यदि जनसंख्या नियंत्रित होगी तो कम उद्योग स्थापित होंगे और इससे पर्यावरण में अधिक प्रदूषण नहीं होगा।

पुराने वाहनों के चलने से जहरीला धुआं निकलता रहता है उसके बजाय नए वाहन चलाने चाहिए या सार्वजनिक वाहनों जैसे बस, ट्रेन आदि का उपयोग कर सकते हैं। कोयले व परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कम करके, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि विकल्पों को अपनाना चाहिए।

ऐसे तकनीक विकसित किए जाने चाहिए जिससे कम air pollution हो। स्वच्छता के नारे लगाकर लोगों को पॉल्यूशन न करने के लिए प्रेरित करना होगा। देश के नागरिकों को वायु प्रदूषण के विभिन्न दुष्प्रभावों और इसे रोकने के उपायों के बारे में बताना होगा।

उपसंहार

संपूर्ण प्राणी जगत हेतु शुद्ध हवा अति आवश्यक है। परंतु मनुष्य लगातार जंगलों को काट रहा है जिससे वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित हो रही है इसलिए यह जरूरी है कि हम अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें। कारखानों को उन स्थानों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए जहाँ लोग रहते हैं। उन गतिविधियों को कम करना होगा जिनसे हवा अस्वास्थ्यकर और विषाक्त होता है। पूरी दुनिया के लिए वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन गया है इसलिए इसे नियंत्रित करने की ओर सबको अग्रसर होना पड़ेगा, लोगों में जागरूकता लाकर air pollution को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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आखरी शब्द:

मित्रों, वायु प्रदूषण को कम करना जरूरी है, इसके चपेट में आकर बड़े और बच्चे सभी को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा नहीं मिला, शहरों में उद्योग धंधे स्थापित किए जाते हैं, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में ज्यादा पॉल्यूशन फैलते हैं।

वायु प्रदूषण को सिर्फ एक व्यक्ति के द्वारा कम नहीं किया जा सकता, हमें मिलकर प्रदूषण को कम करने के इस अभियान में शामिल होना होगा, तभी वायु को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है। आशा करते हैं की आपको वायु प्रदूषण पर निबंध - Essay on Air Pollution in Hindi जरूर अच्छा लगा होगा, आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें, धन्यवाद।

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