गंगा नदी पर निबंध हिंदी में - Ganga Nadi Par Nibandh Hindi Mein

हमारे भारत देश में कई नदियां बहती हैं जिनका अलग-अलग महत्त्व है उन्हीं में से एक है, गंगा नदी जिसे "गंगा (Ganga)" भी कहा जाता है। यह जीवनदायिनी नदी तो है ही क्योंकि इससे कई पशु पक्षियों, जीव जंतुओं, वन्य प्राणियों और मनुष्यों को लाभ पहुँचता है, लेकिन यह नदी धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में मैं हमारे देश से बंगाल की खाड़ी तक बहने वाली पवित्र नदी गंगा पर एक निबंध (Ganga Nadi Par Nibandh) लेकर आया हूं, जिसमें मैंने गंगा नदी के धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताया है।

गंगा नदी पर निबंध हिंदी में - Ganga Nadi Par Nibandh Hindi Mein

गंगा नदी पर निबंध हिंदी में - Ganga Nadi Par Nibandh Hindi Mein

परिचय

गंगा नदी जिसे गंगा (Ganga) भी कहा जाता है, यह भारत का सबसे पवित्र नदी माना जाता है जिसका जल लंबे समय तक दूषित नहीं होता है इस नदी का हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बड़ा धार्मिक महत्व भी है, लोग हरिद्वार जाकर मां गंगा का ध्यान करते हुए गंगा के जल में डुबकी लगाकर अपने सारे पापों से मुक्ति पाते हैं तथा अनंत पुण्यफल प्राप्त करते हैं।

यह नदी पूरे विश्व में विख्यात है। देश के अलग अलग हिस्सों से लोग गंगा में डुबकी लगाने आते हैं और अपने साथ गंगा जल पात्र में भरकर घर ले जाते हैं और जब घरों में पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तो उस समय गंगा जल का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसे सबसे पवित्र जल माना गया है।

गंगा नदी की विशेषताएँ

गंगा नदी उत्तर भारत की विशाल नदी है, इसकी विशालता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं की इसकी लंबाई 2,510 km / किलोमीटर है। यह पवित्र नदी हिमालय से निकलकर भारत के एक-चौथाई भू-क्षेत्र में बहती रहती है। यह भारत से बंगलादेश तक बहती हुई जाती है।

इस नदी की विशेषता यह है कि इसका जल बहुत पवित्र है और उसे वर्षों तक डब्बे पर बंद करके रखने से भी वह दूषित नहीं होता वह बिल्कुल पवित्र रहता है इस पर वैज्ञानिक शोध भी किए गए हैं और इससे भी पता चलता है कि गंगा जल कई सालों तक खराब नहीं होता और वह जल पूर्णतया पवित्र है। गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि भारत के लोगों की आस्था और विश्वास का आधार है। भारत में इस नदी के जल को पवित्र माना जाता है और इसलिए पूजा-पाठ के दौरान गंगा जल का उपयोग करने की मान्यता है।

गंगा दशहरा मेला (Ganga Dussehra Mela)

गंगा दशहरा मेला हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है जिसे ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हरिद्वार, प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, ऋषिकेश इलाहाबाद और वाराणसी में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है की इसी दिन मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ था। इसलिए इस दिन गंगा दशहरा मेला का भव्य आयोजन किया जाता है जिसमें भारत के अलावा विदेशों से भी लोग इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं, इस मौके पर लाखों लोगों की भीड़ जुटती है।

इस दिन गंगा में स्नान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। पुराणों के अनुसार गंगा नदी के लगभग 108 अलग- अलग नाम हैं जिनमें से भागीरथी, त्रिपथगा, जाह्नवी, दुर्गा, मंदाकिनी, शिवाया, उत्तर वाहिनी आदि इसके प्रमुख नाम हैं।

गंगा की कथा (Ganga ki Katha Hindi Mein)

इस पृथ्वी पर गंगा के आगमन से जुड़ी एक प्रचलित पौराणिक कथा है जिसके अनुसार, प्राचीन काल में सगर नाम का एक परम प्रतापि राजा हुआ करता था जिसने अपने यहां अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था, अश्वमेध यज्ञ के पश्चात एक घोड़ा छोड़ा जाता था और वह जिस भी राज्य से होकर गुजरता था वह राज्य उसे राजा का हो जाता था, इसलिए जब राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ा तो देवराज इंद्र चिंतित हो उठे क्योंकि उन्हें डर था कि यदि वह घोड़ा स्वर्ग लोक की ओर से गुजरा तो वह भी राजा सगर का हो जाएगा।

इसलिए देवराज इंद्र अपना रूप बदलकर उस घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में ले जाकर बांध दिए ताकि वो स्वर्ग लोक की तरफ से ना गुजरे। कपिल मुनि को यह पता नहीं था की इंद्र ने उनके आश्रम के पास घोड़े जो बांध कर रखा है क्योंकि कपिल मुनि घोर ध्यान मुद्रा में लीन थे।

जब राजा को यह बात पता चला कि उनके द्वारा छोड़े गए घोड़े का कहीं अता-पता नहीं है, वह चोरी हो गया है तो वह क्रोध में आकर अपने साठ हजार पुत्रों को घोड़े की तलाश में भेज दिया है। उसके सभी पुत्र यहां वहां घोड़े को खोजने में लग गए, जब उन्हें आप पता चला कि वह घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में बंधा हुआ है तो यह देख राजा के पुत्रों ने उन्हें चोर मान लिया। और उनसे युद्ध करने के लिए शोर करते हुए आगे बढ़ने लगे उनकी शोरगुल सुनकर कपिल मुनि का ध्यान भंग हो गया, और जब उनको यह पता चला कि वो सब उनपर चोरी का आरोप लगा रहे हैं तो वे क्रोध में आकर सभी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसके बाद भस्म हुए शरीर की आत्मा प्रेत योनि में भटकने लगा क्योंकि उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिली थी।

उसके बाद राजा सगर के कुल में ही जन्में भगीरथ ने उन सब की आत्मा की मुक्ति के लिए घोर तपस्या करना शुरू कर दिया और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लिया। और उनसे कहा कि मेरे पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाई, इसलिए उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा को धरती पर लाना है तो इसमें मेरी मदद करें। जब विष्णु जी ने मां गंगा को यह बात बताई तो वह धरती पर जाने के लिए तैयार नहीं थी, आग्रह करने पर वह इस बात पर मान गई की जब वह धरती पर जायेगी तो तीव्र वेग से जायेगी इससे जलधारा के तेज बहाव से जो भी मार्ग में आएगा वह बह जाएगा।

मां गंगे की इस बात को सुनकर विष्णु जी सोच में पड़ गए और इसके समाधान के लिए भगवान भोलेनाथ के पास गए, उन्होंने वहां सारी बात बताई। तो भोलेनाथ ने कहा की वे अपने जटाओं में गंगा को धारण करेंगे, उसके बाद शंकर जी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया और फिर जटाओं से गंगा बहती हुई हिमालय से होकर मैदान की ओर बहने लगी और विशाल नदी का रूप धारण कर लिया। इस प्रकार मां गंगा इस धरती में अवतरित हुई। 

गंगा नदी का महत्व (Ganga Nadi Ka Mahatva Hindi Mein)

भागीरथी नदी की धारा (जल) भारत के उत्तराखंड राज्य में बहती है, जो आगे चलकर देवप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। इस प्रकार, ये दोनों नदी मिलकर एक नदी बन जाते हैं। उसके बाद, वहां से जो नदी आगे बहती हुई आती है, उसे गंगा नदी कहते हैं।

भागीरथी और अलकनंदा नदी मिलकर ही गंगा नदी का निर्माण करते हैं, इसलिए जहां पर भागीरथी और अलकनंदा नदी मिलती है, उसे ही गंगा नदी का उद्गम स्थान कहा जाता है। अपने उद्गम स्थल से निकलकर गंगा नदी भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों से होकर बहती है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसे जीवनदायिनी गंगा भी कहा जाता है जो अपनी पवित्र जलधारा से पशु-पक्षियों, जंगली जानवरों और मनुष्यों को लाभ पहुंचाती है। 

धार्मिक महत्व 

हिंदू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में भी गंगा नदी के महत्व का वर्णन मिलता है। इसे आध्यात्मिक और पावनता का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में तो इसे सबसे शुद्ध, पवित्र और पावन नदी कहा गया है।

मनुष्य अपने जीवनकाल में कई छोटी-छोटी गलतियां करके पाप का भागी बन जाता है लेकिन यदि वह गंगा जल में डुबकी लगाएं तो उसके सारे पापों का नाश हो जाता है। इसलिए प्रत्येक साल लाखों श्रद्धालु गंगा जल में स्नान करने जाते हैं। 

पौराणिक कथाओं में गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करने का जिक्र भी मिलता है कहते हैं की यदि किसी मृत व्यक्ति के अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित किया जाता है तो उसकी आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी भी मान्यता है की अस्थि को गंगा में बहाने से आत्मा को ब्रह्मलोक की प्राप्ति भी होती है।

वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिकों के शोधों से यह पता चलता है कि गंगा नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नाम का एक वायरस प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहता है, जो गंगा जल के अवांछनीय पदार्थों को नष्ट करने का काम करता है। यह बैक्टीरिया को खत्म कर देता है, जिससे नदी के पानी की शुद्धता बनी रहती है। इसी वजह से गंगा जल को कई सालों तक संग्रहित करके रखने पर भी यह बिल्कुल खराब नहीं होता और ना ही इसके गुणवत्ता में कमी आती है। और परीक्षणों से तो यह भी पता चला है कि गंगा नदी के पानी को पीने से हैजा और मलेरिया जैसे रोग कारक कीटाणुओं का नाश हो जाता है। गंगा नदी की एक खासियत यह भी है कि यह नदी अपने आसपास के वातावरण से ऑक्सीजन को सोखती रहती है, जिससे जल में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है।

गंगा नदी में प्रदूषण 

गंगा नदी भारत का महत्वपूर्ण नदी है जिसे बहुत पवित्र माना जाता है और इसका जल सालों तक खराब नहीं होता। लेकिन पहले की तुलना में अब गंगा नदी का जल बहुत मैला हो गया है, लोग अपने पाप धोने के लिए इसमें स्नान करते हैं, धार्मिक मान्यता अनुसार इसमें अस्थियां भी विसर्जित की जाती है लेकिन ऐसा करने से गंगाजल मैला हो रहा हैं।

गंगा नदी के तट पर आजकल प्लास्टिक कचरा और पूजा के बाद अगरबत्ती के पैकेट इत्यादि पड़े हुए दिख जाते हैं जो नदी के तट और जल को प्रदूषित करते हैं। इस नदी को मां का दर्जा दिया जाता है इसलिए इसे स्वच्छ बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी होनी चाहिए। गंगा की जल को साफ करने के लिए अभियान भी चलाए गए, गंगा एक्शन प्लान के तहत नदी की साफ सफाई का काम किया गया जिससे कुछ हद तक नदी साफ हुआ किंतु उसके बाद फिर से गंगा नदी का जल मैला हो गया।

गंगा नदी के प्रदूषण को रोकने के संभावित उपाय

गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी हैं इसलिए इसके जल में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सफाई प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देना होगा। नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए नीतियां और कड़े कानून बनाने चाहिए ताकि लोग तटों पर कचरा ना फैलाएं।

नदी के किनारे बसे बस्तियों के लोगों को नदी का पानी स्वच्छ रखने के लिए जागरूक करना होगा, ताकि लोग प्लास्टिक की थैलियां, बोतल या अन्य प्रदूषण फैलाने वाले चीजों को नदी में ना फेंके।

नदियों का जल प्रदूषित होने के पीछे बड़े कारखाने भी जिम्मेदार होते हैं जो फैक्ट्री के गंदे पानी को सीधे जल में प्रवाहित करते हैं जो जलीय जीवों और जल की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, इसलिए इसपर भी रोक लगाना होगा।

उपसंहार

गंगा भारत की प्रमुख नदी में से एक है जो भारत नेपाल और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। इस नदी का आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह एक आस्था का केंद्र भी है जहां लाखों लोग स्नान करने जाते हैं माना जाता है कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार गंगा के जल में डुबकी लगा लेता है वो पुण्य का भागी बनता है, सारे पापों से मुक्त हो जाता है और स्वर्ग में जाता है। अनुचित मानवीय गतिविधियों के चलते गंगाजल गंदा हो गया है इस मुद्दे पर गंभीरता पूर्वक विचार कर गंगाजल को साफ करने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि जो नदी सदियों से पवित्र है उसकी पावन जलधारा भी देखने में स्वच्छ लगे।

गंगा नदी पर निबंध 10 लाइन (Ganga Nadi Par Nibandh 10 Lines Hindi Mein)

  1. गंगा नदी की मुख्य शाखा भागीरथी नदी को माना जाता है जो भारत के उत्तराखंड राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी है।
  2. भागीरथी नदी और अलकनंदा नदी बहते हुए जब देवप्रयाग में मिलती है तो वह गंगा नदी का निर्माण करती है।
  3. भारत की गंगा नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होती हुई गुजरती है और बंगाल की खाड़ी तक जाती है।
  4. इस नदी को मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी नदी माना जाता है इसके आसपास बसे बस्तियां इस नदी के जल से लाभान्वित होते हैं।
  5. गंगा एक ऐसी नदी है जिसे अलग-अलग कई नाम से जाना जाता है जैसे की भागीरथी, मंदाकिनी, जाह्नवी, उत्तर वाहिनी आदि।
  6. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी गंगा नदी का बहुत महत्व है कथाओं के अनुसार गंगा जल में स्नान करने मात्र से सारे पापों का नाश हो जाता है।
  7. यह नदी भारत की सबसे लंबी नदी है जो 2,510 किलोमीटर की दूरी तय करती है, ये बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।
  8. गंगा नदी के सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका जल बहुत पवित्र है जो सालों साल तक एक जगह पर संग्रहीत करके रखने पर भी खराब नहीं होता।
  9. वैज्ञानिक शोध से यह पता चलता है कि गंगा नदी में ऐसे विषाणु पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया को खत्म करके पानी को हमेशा स्वच्छ रखने में मदद करते हैं।
  10. सदियों से गंगा नदी में मृत आत्मा की शांति के लिए अस्थियां विसर्जित की जारी है और कई प्रकार की प्रदूषण कारक चीजें नदी के तट पर फेक जा रहे हैं जिससे यह नदी मैला दिखाने लगा है। इस नदी के साफ-सफाई को बढ़ावा देना आज बहुत आवश्यक हो चुका है।

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इस लेख के जरिये गंगा नदी पर निबंध हिंदी में - Ganga Nadi Par Nibandh Hindi Mein साझा किया गया है। गंगा नदी को पवित्र नदी माना गया है, पौराणिक कथाओं में भी गंगा नदी के महिमा का वर्णन मिलता है। इस निबंध के माध्यम से आपने जीवन दायिनी नदी गंगा की विशेषताएं, महत्त्व व् इससे सम्बंधित कथा के बारे में पढ़ा, उम्मीद करता हूँ आपको यह पोस्ट जरूर पसंद आया होगा, लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।  

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