महादेवी वर्मा की शिक्षा दीक्षा कहां हुई - Mahadevi Verma Ki Shiksha Diksha Kahan Hui

महादेवी वर्मा की शिक्षा दीक्षा कहां हुई?

महादेवी वर्मा की शिक्षा दीक्षा कहां हुई - Mahadevi Verma Ki Shiksha Disha Kahan Hui

प्रश्न - महादेवी वर्मा की शिक्षा दीक्षा कहां हुई ?

उत्तर: महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य की ऐसी प्रतिभाशाली कवियित्री थी जिनमें कविता लेखन के साथ अन्य कला विद्यमान थे। महादेवी वर्मा की शिक्षा दीक्षा मिशन स्कूल इंदौर से प्रारंभ हुई। पाठशाला में उन्होंने संस्कृत एवं अंग्रेजी इत्यादि का अध्ययन किया। पढ़ाई लिखाई के साथ चित्रकारी तथा संगीत में उनकी विशेष रूचि थी इसलिए उनके शिक्षकों ने इन विषयों में उनका मार्गदर्शन किया। जब वे अध्ययन कर रही थी तभी उनका विवाह तय कर दिया गया इसलिए उन्होंने विवाह के बाद पुनः अध्ययन के लिए 1919 ईसवी में इलाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज में दाखिला लिया।

महादेवी वर्मा गंभीरतापूर्वक अपनी शिक्षा प्राप्त कर रही थी इस दौरान उन्होंने हॉस्टल में रखकर अध्ययन जारी रखा। पूरी निष्ठा से मेहनत के फलस्वरूप 1921 में उन्होंने पूरे प्रदेश में आठवीं कक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त कर पहले स्थान पर रहे।

आज के युग की बात करें तो आज के युवक एवं युवती समय पर भी अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाते लेकिन महादेवी वर्मा ने सात साल की उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। इसके साथ में वे अपने अध्ययन पर भी ध्यान देती रहीं। 1925 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा भी पास कर ली। सात साल की उम्र से लेखन में सक्रिय होने की वजह से 1925 तक वे श्रेष्ठ लेखिका बन चुकी थी। उनके द्वारा लिखे गए लेख पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगे थे। 

जब वे महाविद्यालय में अध्ययनरत थे तब उनकी मित्रता सुभद्रा कुमारी चौहान से हो गई थी वे उनकी प्रतिभा का सम्मान करते थे। जब महादेवी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की उतने तक उनके ही लिखे गए कविता नीहार और रश्मि प्रकाशित हो चुके थे। 

श्रीमती महादेवी वर्मा का विवाह अध्ययन के बीच में ही कर दिया गया था इसलिए कुछ दिन शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाई लेकिन फिर बाद में उन्होंने कॉलेज में दाखिला लेकर कई परीक्षाएं पास की। उनका विवाह होने के बावजूद भी महादेवी ने अपना पूरा जीवन अविवाहित रूप से व्यतीत किया उन्होंने अपना जीवन हिंदी साहित्य के नाम किया था। महादेवी ने कई चुनौतियों के साथ भी अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी की, उनको केवल लिखना ही नहीं बल्कि चित्रकला और संगीत भी बहुत पसंद था इसलिए सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” कहा है। शिक्षा दीक्षा के बाद उन्होंने समाज सुधार का कार्य भी किया, वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधान आचार्य भी रही थी। लेखन कार्य के साथ उन्होंने शिक्षा का प्रचार-प्रसार भी किया था।

और पढ़ें -

कोई टिप्पणी नहीं

Please do not enter any spam link in the comment box.

Blogger द्वारा संचालित.