प्लास्टिक से होने वाले नुकसान पर निबंध - Plastic se hone wale nuksan par nibandh

प्लास्टिक को हम अक्सर यहां वहां बिखरे पड़े देखते हैं जो आसपास प्रदूषण फैलाते हैं। यह तुरंत सड़ता या गलता नहीं और वैसे ही कई सालों तक पड़ा रहता है। प्लास्टिक के सड़कों के किनारे या घरों के आसपास ऐसे पड़े रहने से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचता ही है, साथ ही अगर पशुओं द्वारा प्लास्टिक को खा लिया जाता है तो ये उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इससे तो साफ हो जाता है, की प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि ये प्रदूषण को बढ़ाता है। 

प्लास्टिक जिसे पॉलिथीन भी कहा जाता है, इसका उपयोग लोग सामान लाने के लिए करते हैं, भोज्य पदार्थों को भी लोग प्लास्टिक थैली में लेकर आते हैं, कहने का मतलब है की प्लास्टिक का उपयोग बहुत ज्यादा बढ़ गया है, यदि कोई व्यक्ति दुकान राशन का सामान लेने जाता है, तो वह दुकानदार से प्लास्टिक की मांग करता है, इसी प्रकार अन्य लोगों द्वारा प्लास्टिक का उपयोग अधिक किया जाता है, इसका कारण यह भी है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है।

आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की अगर प्लास्टिक से हमारे पर्यावरण को नुकसान होता है, तो इसके उपयोग पर रोक क्यों नहीं लगाया जाता? तो इसके प्रतिबंध के लिए सरकार ने बड़े फैसले लिए थे, लेकिन इसके बावजूद भी लोग इसका उपयोग अधिकता से करते रहे, इसलिए प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदम का खास असर देखने को नहीं मिला। इसके लिए जरूरी है कि हम स्वयं प्लास्टिक का उपयोग कम या बंद करें और इसके बजाय कागज या कपड़े की थैली का इस्तेमाल करें।

दोस्तों प्लास्टिक का ढेर, पृथ्वी पर बढ़ता जा रहा है। इसका मतलब है कि प्रदूषण का संकट भी लगातार बढ़ रहा है, लोग में पॉलिथीन उपयोग करने की आदत लग गई है, सरलता उपलब्ध होने के कारण लोग अन्य अच्छे विकल्प का चयन नहीं कर रहे और सामान को लाने तथा ले जाने के लिए प्लास्टिक से बने थैलियों का ही उपयोग कर रहे हैं।

आज मैं जो निबंध लिख रहा हूं वो प्लास्टिक से होने वाले नुकसान पर निबंध है जिसमें हम चर्चा करेंगे की प्लास्टिक से क्या नुकसान हो रहा है? और इसका समाधान क्या है? घरों में हम जो प्लास्टिक की थैली रखते हैं उनमें ज्यादातर सिंगल यूज प्लास्टिक होते हैं, मतलब उसका उपयोग हम एक बार करके फेंक देते हैं, इस तरह के प्लास्टिक से तो ज्यादा प्रदूषण फैलता है। यह लेख आप में जागरूकता ला सकता है, और अगर आपको हमारा यह लेख अच्छा और उपयोगी लगता है, तो आप इसे अपने अन्य दोस्तों को जरूर शेयर करें, आइए इस लेख को प्रारंभ करते हैं।

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान पर निबंध - plastic se hone wale nuksan par nibandh

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान पर निबंध - Plastic se hone wale nuksan par nibandh

प्रस्तावना

प्लास्टिक का उपयोग लोगों द्वारा बहुत अधिक किया जा रहा है, हर घर में सामान लाने के लिए लोग ज्यादातर प्लास्टिक से बनी थैलियों का प्रयोग ही करते हैं, जिनमें से अधिकतर सिंगल यूज प्लास्टिक होती है, जिसे उपयोग पश्चात फेंक दिया जाता है। इसी वजह से पृथ्वी पर हर साल 350 मिलियन मीट्रिक टन से भी ज्यादा प्लास्टिक का कचरा जमा होता जा रहा है। प्रकृति में विभिन्न प्रकार के कचरा जमा होते रहते हैं परंतु वह प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाते हैं, लेकिन प्लास्टिक के साथ ऐसा नहीं है, वह विघटित नहीं होता और कई वर्षों तक भूमि में पड़ा रहता है उसके प्राकृतिक रूप से नष्ट न होने के कारण ही उससे भूमि प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। प्लास्टिक के कारण जो प्रदूषण होता है, उसे प्लास्टिक प्रदूषण कहा जा सकता है। यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ ही जानवरों के लिए भी नुकसानदायक है। यदि मनुष्य इसका इस्तेमाल करता रहेगा, तो परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर प्लास्टिक कचरा और बढ़ता रहेगा, इसलिए इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना महत्वपूर्ण हो गया है। हमें इसका उपयोग बंद करके अन्य विकल्पो को अपनाना होगा, ताकि हमारे आसपास व् पर्यावरण में साफ सफाई बनी रहे।

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान

इससे हमारे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारे आसपास हम प्लास्टिक के कचरे को जरूर देखते हैं क्योंकि इसका उपयोग दैनिक जीवन में सभी करते हैं और बाद में उसे फेंक देते हैं। हां, इसे भूमि प्रदूषण भी होता है क्योंकि जगह-जगह प्लास्टिक कचरों का देर लग जाता है। इससे समुद्री जीवों को भी नुकसान पहुंचता है क्योंकि नदियों में फेक जाने वाले प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाम मिलते हैं और समुद्र में रहने वाले जलीय जीव उसे भोजन समझ कर खा जाते हैं और उनका स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। यह जलीय जीवों और हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। आइए, प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में और जानते हैं।

भूमि पर अत्यधिक कचरा

आप स्वयं सोच कर देखें, आपको आसपास कौन सा कचरा आसानी से नजर आ जाता है? बिल्कुल, वह प्लास्टिक कचरा है। जब तेज वह चलती है तो प्लास्टिक पैकेट उड़कर यहां वहां बिखर जाते हैं, सड़कों के किनारे, नालियों में, कूड़ेदान में, पर्यटन स्थलों में आदि जगह आपको फेंका हुआ प्लास्टिक जरूर दिख जायेगा। पृथ्वी पर विभिन्न तरह के कचरे जमा होते हैं, जिनमें घरेलू कचरे, अपशिष्ट पदार्थ के साथ प्लास्टिक कचरा भी अधिक  मात्रा में जमा होता है। पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 380 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जमा हो जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता कि लोग प्लास्टिक से बनी थैलियों व् वस्तुओं का कितना अधिक उपयोग करते हैं। लोग इस पर निर्भर हो चुके हैं इसलिए रोजमर्रा की जिंदगी में इसका उपयोग करने से नहीं चूकते। इसी वजह से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा पाना कठिन हो जाता है। लेकिन हमें खुद भी इसका उपयोग कम करने पर विचार करना चाहिए और सिंगल यूज प्लास्टिक के जगह दूसरा विकल्प चुनना चाहिए, ताकि भूमि पर अत्यधिक कचरा जमा न होता रहे।

पशुओं को हानि

ग्रामीण क्षेत्र अथवा बस्तियों में ज्यादातर घरों में पशुओं को पाला जाता है। जो कृषक कार्य से जुड़े हुए हैं उनके यहां बैल, बकरी, भैंस आदि पालतू पशु होते हैं, तो उनके लिए भी प्लास्टिक हानिकारक है क्योंकि कई बार जानवर प्लास्टिक को खा जाते हैं जिससे उनके पाचन तंत्र पर हानिकर प्रभाव पड़ता है और वे बीमार होने लगते हैं।

कचरो की ढेर में, हमें पॉलिथीन पड़ा हुआ नजर आ ही जाता है, और अगर गाय उसे खा ले तो उसका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, पॉलिथीन खाने से हर साल गाय समेत अन्य जानवरों की मृत्यु हो जाती है। यहां-वहां बिखरे पड़े प्लास्टिक कचरे के कारण बेजुबान जानवरों को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है। 

वैसे, पॉलिथीन प्राकृतिक रूप से निर्मित नहीं हुई है, बल्कि इसका निर्माता मानव है जिसने अपनी सुविधा हेतु प्लास्टिक बनाया। किन्तु, अब वही प्लास्टिक प्रदूषण का कारण बन रहा है। इसका उपयोग बंद करना होगा, नहीं तो पृथ्वी में हर जगह प्लास्टिक कचरों का अत्यधिक ढेर लग जाएगा। भूमि प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ जाएगा और इससे होने वाले समस्त नुकसानों को जानवरों, समुद्री जीवों, आदि को सबसे ज्यादा झेलना पड़ेगा।

भूमि प्रदूषण

भूमि पर होने वाले प्रदूषण को हम भूमि प्रदूषण कहते हैं। प्लास्टिक के कारण भी भूमि प्रदूषण हो रहा है, क्योंकि इसे हर साल बड़ी मात्रा में बनाया जा रहा है। अगर हम इसका सही तरीके से प्रबंधन नहीं करते, तो यह भूमि को हानि पहुंचा सकता है और उसकी उत्पादकता को कम कर सकता है। इससे जानवरों को भी नुकसान हो रहा है। पॉलिथीन का अत्यधिक उपयोग करने से भी भूमि प्रदूषण की समस्याएँ और अधिक बढ़ सकती हैं। इसलिए, हमें सही तरीके से प्लास्टिक का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए ताकि हम और हमारी पृथ्वी को स्वच्छ रख सकें।

वायु अथवा वायुमंडल में प्रदूषण

हमारे जीवन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन बहुत आवश्यक है और यह वायुमंडल में पाया जाता है लेकिन अब मुख्य रूप से महानगर में शुद्ध ऑक्सीजन की कमी होने लगी है, इसका कारण है कि वायुमंडल में हानिकारक गैसों का मिश्रण होने लगा है, यह बढ़ते औद्योगीकरण के कारण हो सकता है। कारखाने के चिमनियों से निकलने वाले धुएं का वायुमंडल पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसे वायु गुणवत्ता घटने लगती है। वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ने के लिए प्लास्टिक भी जिम्मेदार है, क्योंकि जब प्लास्टिक को जलाया जाता है तो उसमें से विषाक्त गैस उत्पन्न होता है, जो वायु के संपर्क में आकर उसे प्रदूषित करता है। 

जैसा कि हम जानते हैं कि प्लास्टिक सरलता से भी विघटित नहीं होता, इसलिए यदि इसे भूमि पर फेंका जाता है तो वह कई सालों तक वैसा का वैसा ही रहता है। लोग घरों के आसपास बिखरी पड़ी प्लास्टिक के कचरो को देख अस्वच्छता का एहसास करते हैं, इसलिए उसे आग से जला देते हैं ताकि भूमि पर कचरा कम हो, किन्तु ऐसा करने से वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है, प्लास्टिक के जलने से जहरीले धुएं निकलते हैं, जो हवा में मिल जाता है, और उसे प्रदूषित कर देता है, अगर कोई इंसान उस हवा को सांस के जरिए अंदर ले लेता है तो उसकी सेहत पर बुरा असर पड़ता है और गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

प्लास्टिक से जल प्रदूषण

जब जल की गुणवत्ता को कम करने वाले हानिकारक तत्व या पदार्थ जल निकायों में मिल जाते हैं या रह जाते हैं तो जल प्रदूषित हो जाता है। लोग प्लास्टिक पैकेट में मिलने वाले स्नैक्स या फूड को खाकर उसके पैकेट को कहीं भी फेंक देते हैं। कई बार लोग इसे जल निकायों जैसे नदी, तालाब, झील आदि के समीप फेंक देते हैं जिससे हवा का झोंका आने पर वह पानी में चला जाता है और वह उसमें कई सालों तक पड़ा रहता है और जल प्रदूषित करता है। हमें समझना होगा कि प्लास्टिक आसानी से नष्ट नहीं होता इसलिए हमें इसे जल में नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि सना सिर्फ जल प्रदूषण होता है बल्कि उसमें रहने वाले जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

समुद्रों में प्लास्टिक प्रदूषण

समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण के कारण समुद्री जीवन खतरे में पड़ जाता है। समुद्र में रहने वाले कछुए, व्हेल, डॉल्फिन आदि समुद्री जीवों द्वारा प्लास्टिक को निगल लिया जाता है जिसके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। एक रिपोर्ट की माने तो हर साल 100 मिलियन से भी अधिक समुद्री जीवों की मृत्यु केवल प्लास्टिक कचरे से हो जाती है। समुद्री जीव-जंतु अक्सर प्लास्टिक को भोजन समझकर खा लेते हैं, लेकिन इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया के महासागरों में प्लास्टिक कचरे के 171 ट्रिलियन से अधिक टुकड़े मौजूद हैं। समुद्र में इतनी बड़ी संख्या में प्लास्टिक के टुकड़ों की मौजूदगी चिंता का विषय है क्योंकि इससे कई जलीय जीवों की मृत्यु हो सकती है।

जब लोग पर्यटन स्थलों में घूमने जाते हैं तो वहां पर प्लास्टिक का कचरा फैला फैला देते हैं, लोग जब नदियों के किनारे पिकनिक के लिए जाते हैं तो भी वहां प्लास्टिक के पैकेट यहां वहां फेंक देते हैं जो नदी में जा मिलता है और बाद में वह बहते हुए समुद्र जल में पहुंच जाता है। विभिन्न स्थानों से नदियों के माध्यम से बहुत सारा प्लास्टिक कचरा समुद्र में जमा हो जाता है। अब यह जरूरी हो गया है कि समुद्र में प्लास्टिक कचरा जमा होने से रोका जाए। उसके लिए हमें लापरवाही छोड़ दी होगी, जहां-तहां प्लास्टिक फेंकना बंद करना होगा, नदियों के किनारे पॉलिथिन कचरा फैलाने से बचना होगा, अन्य लोगों को भी ऐसा करने से रोकना होगा, ताकि समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सके।

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को रोकने के उपाय

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान में भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ये सब शामिल है। समुद्री में प्लास्टिक की मौजूदगी से उसमें रहने वाले जलीय जीवों को बहुत नुकसान पहुंचता है। हमें इसे रोकना होगा, लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना होगा, दूसरों को भी इसके लिए आग्रह करना होगा, कुछ लोगों को प्लास्टिक के दुष्परिणाम के बारे में नहीं पता होता तो उन्हें उसके बारे में बताना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का हम दुबारा उपयोग नहीं कर सकते, उसे फेंकना ही पड़ता है इसलिए इसका उपयोग बंद करना होगा। सामान लाने के लिए प्लास्टिक के बजाय कपड़े की थैली का इस्तेमाल करना अच्छा विकल्प है। प्लास्टिक के बर्तनों जैसे टिफिन बॉक्स के जगह पर सिल्वर बर्तन का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्लास्टिक वाले बैग का कम इस्तेमाल करें उसका स्थान पर कपड़े से बैग का उपयोग करें। हमें जितना हो सके कम ही प्लास्टिक का उपयोग करना है ताकि हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख सकें।

उपसंहार 

किसी न किसी रूप में प्लास्टिक हर घर में मौजूद है, चाहे वो बोतल हो, बाल्टियां हो, या खिलौने हो ये सब बनाने में भी प्लास्टिक यूज होता है। यहां तक कि हैडफ़ोन, इयरफ़ोन्स, मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, कंप्यूटर, टेलीविजन, आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ढांचा बनाने में प्लास्टिक का भी यूज होता है। उपयोगी वस्तुओं के निर्माण हेतु प्लास्टिक का उपयोग होने लगा है, जो जरूरी चीज हैं जैसे मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हम इन्हें नहीं छोड़ सकते, क्योंकि ये जिंदगी का हिस्सा बन चुका है इनके बिना कई सारे काम ठप हो सकते हैं। लेकिन, ऐसा सिंगल यूज प्लास्टिक, जो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचता है और उपयोग के बाद आगे चलकर प्रदूषण का कारण बनता है, हम ऐसे प्लास्टिक का उपयोग बंद कर सकते हैं और इसके स्थान पर अन्य उत्तम विकल्प चुनकर पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

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