वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में - Varsha Ritu Essay In Hindi
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Varsha Ritu Essay In Hindi |
hindi essay varsha ritu par nibandh: वर्षा ऋतु जिसे ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है क्योंकि ये वो ऋतु है जिससे धरती हरी भरी हो जाती है रंग बिरंगे फूल गमले व लताओं में खेलने लगते हैं।
तेज गर्मी के बाद बारिश की पहली बूंदें ठंडक का अहसास दिलाती है, वनों में मोर झूम कर नाचने लगती है, चिड़िया अपने आवास में चहचहाने लगती है, खेत खलिहान और नदी नालों में पानी उछलने लगता है तालाबों में जल भर जाता है यही वह मौसम होता है जब किसान अपने खेत में हल चलाकर फसल बूनता है और सूखी बंजर भूमि को फिर से हरा-भरा करता है।
बरसात के दिनों में ही सावन का महान पर्व आता है सावन के पर्व में श्रद्धालु दर्शन हेतु मंदिर दर्शनीय स्थल या तीर्थ स्थल पर जाते हैं जहां भगवान के दर्शन के साथ वहां का मनमोहक दृश्य व प्राकृतिक सौंदर्य का भी दर्शन करते हैं। वर्षा ऋतु में झमझमाती हल्की बूंदों के बीच सुंदर वादियों में घूमने फिरने का अलग ही आनंद होता है।
वर्षा ऋतु क्यों है इतना खास?
वर्षा ऋतु या बरसात का मौसम अधिकतर लोगों का पसंदीदा मौसम होता है इसी वजह से गर्मी के बाद जब पहली बार बारिश होती है तो लोग झूमकर नाचने लगते हैं और घरों में पकोड़े बनाए जाते हैं इसी मौसम में एक साथ सबसे अधिक पकोड़े तले जाते हैं।
वर्षा ऋतु इसलिए इतना खास है क्योंकि इसी ऋतु में बादलों से पानी गिरना शुरू होता है जिससे सूखी भूमि हरी-भरी होने लगती है, किसान खुश होता है क्योंकि उसकी खेत तैयार है खेती के लिए, कुआ, तालाब, नहर, नदियों में जल की तेज प्रवाह का शोर इसी ऋतु में सुनने को मिलता है लगता है मानो प्रकृति आनंदमयी हो गई हो वर्षा के आगमन से।
वर्षा के प्रकार
वर्षा तीन प्रकार की होती है पहला संवहनीय वर्षा दूसरा पर्वतकृत या पर्वतीय वर्षा और तीसरा चक्रवातीय वर्षा आइए इन्हें विस्तार पूर्वक सरल शब्दों में समझने का प्रयास करते हैं।
1. संवहनीय वर्षा
संवाहनीय वर्षा के विषय में सरल शब्दों में समझते हैं जब महीना या समय संवहनीय वर्षा का होता है तब भूमि तपने लगती है, तीव्र उष्मा उठती है गर्मी का एहसास होता है इन दिनों में मुख्य रूप से दोपहर में तेज गर्मी लगती है दो 3:00 बजे के वक्त पर काले बादल छा जाते हैं तथा बिजली चमकने के साथ तेज बारिश शुरू हो जाती है कभी कभी छोटे बर्फ के गोले भी गिरते हैं।
2. पर्वतीय वर्षा
जब वायु अत्यधिक गर्म हो जाती है तो वह वाष्प के रूप में परिवर्तित होने लगती है जिसमें जल की बूंदे यानी जलवाष्प होते हैं, जब यह जलवाष्प पर्वतीय क्षेत्रों के किसी पर्वत के समीप पहुंचता है और पर्वत के ढलान के साथ ऊपर उठता है तब वायु का तापमान घटने लगता है फलस्वरूप वायु ठंडी हो जाती है इसके बाद संघनन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है उस संघनन के पश्चात जब बारिश होती है तो इसे ही पर्वतीय वर्षा कहते हैं। यहां एक शब्द आया संघनन यदि आपके मन में यह सवाल आ रहा हो कि संघनन किसे कहते हैं? तो गैस से द्रव बनने की परिघटना को ही संघनन खाते हैं। यहां परिघटना को प्रक्रिया मान सकते हैं।
3. चक्रवाती वर्षा
इस प्रकार की वर्षा में गर्म एवं ठंडी हवाएं आपस में मिलती है, इस दौरान गर्म हवाएं ऊपर की ओर उठती है तथा ठंडी हवाएं नीचे की ओर बैठती है। ऊपर उठने वाली हल्की गर्म वायु ठंडी होकर वर्षा के रूप में बरसती है, इस प्रकार की वर्षा चक्रवात के मध्य स्थल में होती है, और यह वर्षा चक्रवात के बनने के कारण होती है इसलिए इसे चक्रवाती वर्षा कहते हैं।
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